RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
“तो आप भी यह कबूल करते हैं खन्ना साहब !” पब्लिक प्रॉसीक्यूटर उत्साह में भरकर बोला- “कि तीन जुलाई, बुधवार की रात जो लड़की चीना पहलवान के ऊपर लेटी देखी गयी, वह डॉली थी ?”
“मैंने कब कहा ।” यशराज खन्ना ने फौरन अपने तेवर दिखाये- “मैंने यह कब कहा कि डॉली, चीना पहलवान के ऊपर लेटी थी ? प्रॉसीक्यूटर साहब- मैंने तो सिर्फ ये कहा है कि बुधवार की रात जब फ्लाइंग स्क्वॉयड दस्ते ने राज की ऑटो रिक्शा मण्डी हाउस जाने वाले मार्ग पर रोकी, तो उसमें रहस्यमयी लड़की कोई और नहीं बल्कि डॉली थी । जिसकी लाश का तो मैंने अभी तक जिक्र भी नहीं किया है, पहले ही कोर्ट में कह चुका हूँ कि ऐसी कोई लाश उस समय रिक्शा के अंदर नहीं थी ।”
अब सभी के दिमाग में फिरकनी सी घूमी ।
“इ...इसका मतलब आप यह कहना चाहते हैं ।” प्रॉसीक्यूटर हैरान होकर बोला- “कि बुधवार की रात को डॉली के सचमुच बच्चा होने वाला था और राज उसे हॉस्पिटल में ही भर्ती कराने के लिये ले जा रहा था ?”
“बिल्कुल- यह सच है ।” यशराज खन्ना ने अपने कंधे झटके- “मैं यही कहना चाहता हूँ मी लॉर्ड !” यशराज खन्ना फिर चीखता हुआ जज की तरफ घूमा- “राज की ऑटो रिक्शा में उस रात जो लड़की थी, वह हंड्रेड परसेंट डॉली थी । इतना ही नहीं- उसके पेट में पलने वाला वह बच्चा, जिसे हमारा समाज ऐसी परिस्थिति में पाप की संज्ञा देता है, वह पाप किसी और का नहीं था मी लार्ड ।” यशराज खन्ना कोर्ट-रूम में और बुरी तरह चिंघाड़ा तथा उसने अपनी उंगली भाले की तरह राज की तरफ उठाई- “वह पाप इसी का था, राज का ।”
“य...यह झूठ है ।” राज दहाड़ उठा- “यह झूठ है मी लॉर्ड । यह मेरे ऊपर और डॉली पर सरासर झूठा इल्जाम लगा रहे हैं । यह कीचड़ उछाल रहे हैं हम पर । म...मैं कबूल करता हूँ मी लार्ड, उस रात चीना पहलवान की लाश मेरी ही ऑटो रिक्शा में थी ।” बोलते-बोलते राज की आवाज जज्बाती हो उठी- “म...मैं यह भी कबूल करता हूँ कि चीना पहलवान की हत्या मैंने की है, मैं ही हत्यारा हूँ । लेकिन भगवान के लिये डॉली पर इतना बड़ा झूठा इल्जाम मत लगाओ, उसकी जिंदगी बर्बाद मत करो ।” बोलते-बोलते राज इस बार विटनेस बॉक्स में खड़ा-खड़ा ही रो पड़ा ।
भरभराकर रो पड़ा ।
परन्तु राज को ये कहाँ मालूम था कि आज उसके सामने यशराज खन्ना जैसा बेहद धुरंधर वकील खड़ा है ।
यशराज खन्ना ने राज द्वारा स्वीकार किये गये हत्या के अपराध से भी फायदा उठाया ।
“देखा- देखा आपने मी लॉर्ड ।” यशराज खन्ना ने घनगरज की- “देखा, इसके दिल में बसे डॉली के प्रति बेपनाह प्यार को देखा । सिर्फ डॉली के ऊपर कोई कालिख न लग जाये, इसी वजह से यह चीना पहलवान की हत्या का इल्जाम अपने सिर पर लेने को तैयार है, यह फांसी चढ़ने को तैयार है बेवकूफ आदमी ! डॉली की इज्जत बचाने के लिये यह इस समय वो कबूल कर रहा है, जो इसने कल इंस्पेक्टर योगी के जबरदस्त टॉर्चर के सामने भी कबूल नहीं किया । यही मोहब्बत इसकी खामोशी की वजह थी मी लॉर्ड- यह इसी कारण चुप था कि कहीं इसकी हकीकत का पर्दाफाश न हो जाये ।”
अदालत में सन्नाटा ।
घोर सन्नाटा !
“जबकि हकीकत ये है मी लॉर्ड !” यशराज खन्ना ने सन्नाटे के ऊपर अपनी आवाज से प्रचण्ड चोट की- “कि तीन जुलाई की रात न तो यह रीगल सिनेमा के सामने ही खड़ा था और न ही इसे चीना पहलवान के बारे में ही कुछ पता था । दरअसल बुधवार की रात को डॉली के बच्चा होने की बहुत तेज पीड़ा हुई थी, किसी हॉस्पिटल में ले जाने के लिये राज ने डॉली को ऑटो रिक्शा की पिछली सीट पर लिटाया, लेकिन जब यह आई.टी.ओ. का ओवर ब्रिज पार करके मण्डी हाउस जाने वाले मार्ग पर मुड़ रहा था, तभी इत्तेफाक से तेज स्पीड के कारण फ्लाइंग स्क्वॉयड का एक दस्ता इसके पीछे लग गया । जबकि सच्चाई ये है मी लॉर्ड, यह ऑटो रिक्शा इसलिये तेज चला रहा था, ताकि यह डॉली को लेकर जल्द-से-जल्द किसी हॉस्पिटल पहुँच सके । लेकिन इसकी किस्मत खराब थी, जो फ्लाइंग स्क्वॉयड के दस्ते ने इसे बीच रास्ते में ही रोक लिया । दस्ते के सब-इंस्पेक्टर से राज ने वही कहा, जो सच था, यानि लड़की के बच्चा होने वाला है । मगर तब तक देर हो चुकी थी मी लॉर्ड- बहुत देर ।” यशराज खन्ना चीखता चला गया- “राज फ्लाइंग स्क्वॉयड के दस्ते से निपटकर अभी इंडिया गेट से थोड़ा आगे पहुँचा ही था कि पिछली सीट पर लेटी डॉली के प्रसव पीड़ा हो गयी । जी हाँ मी लॉर्ड, डॉली की डिलीवरी हो गयी । उसके एक बच्चा पैदा हुआ, लेकिन जिन्दा नहीं बल्कि मरा हुआ ।”
भावनाओं के प्रवाह में बोलते-बोलते कुछ क्षण के लिये रुका यशराज खन्ना ।
उसने अपना सोने के फ्रेम वाला ऐनक दुरुस्त किया ।
अदालत में अभी भी सन्नाटा था ।
सब चुप बैठे थे ।
जबकि राज के नेत्र तो हद दर्जे तक फैल गये थे ।
उसके बाद यशराज खन्ना ने अदालत में उस कहानी का हिस्सा सुनाया- “मी लॉर्ड- राज और डॉली ने मिलकर वह मरा हुआ बच्चा उसी रात यमुना नदी में बहा दिया, उसके बाद दोनों ने ही उस मामले में चुप लगाना बेहतर समझा । क्योंकि मामला खुद-ब-खुद ही खत्म हो गया था । वह समाज की उलाहना का शिकार होने से बच गये थे, लेकिन अब इसे इत्तेफाक या राज की बदनसीबी ही कहा जायेगा कि उसी रात कोई ऑटो ड्राइवर चीना पहलवान को रीगल सिनेमा के पास से लेकर फरार हो गया । इतना ही नहीं, फिर उसने चीना पहलवान की लाश भी इंडिया गेट पर डाल दी । इन दोनों इत्तेफाकों से एक भयानक रिजल्ट यह निकला कि इंस्पेक्टर योगी की गलत इन्वेस्टीगेशन शुरू हो गयी । योगी का शक सीधा राज पर जा पहुँचा, जबकि राज ने इस डर की वजह से कि कहीं बच्चा होने वाली बात का राज न खुल जाये, पुलिस से बचने का भी प्रयत्न किया । लेकिन आखिरकार जैसाकि सब जानते हैं मी लॉर्ड, वह पकड़ा ही गया । यही वो वजह थी, जो राज ने इंस्पेक्टर योगी के इतने खौफनाक टार्चर के सामने भी अपनी जुबान न खोली और वह जुबान खोलता भी कैसे, उसे तो कुछ मालूम ही न था ? राज कैसे बताता कि चीना पहलवान के ब्रीफकेस में क्या था ? उससे वह ब्रीफकेस किसने छीना ? या फिर अगर उसकी ऑटो रिक्शा में कोई ऐसी लड़की थी, जिसके बच्चा होने वाला था, तो राज ने उसे किस हॉस्पिटल में भर्ती कराया ? आप ही बताओ मी लॉर्ड, वह किस हॉस्पिटल का नाम बताता ? क्योंकि हॉस्पिटल तक पहुँचने की तो नौबत ही न आयी थी । और राज कानून के सामने सच्चाई इसलिये जाहिर नहीं करना चाहता था, क्योंकि इससे डॉली की इज्जत की धज्जियां बिखर जाती । लेकिन अफसोस मी लॉर्ड ! अफसोस !! इंस्पेक्टर योगी और अदालत ने राज की इसी बेबसी को, इसी खामोशी को उसका इकबालिया जुर्म मान लिया । जबकि यह बेकसूर है मी लॉर्ड- बिल्कुल बेकसूर । अगर इसका कोई अपराध है, तो वो ये है कि इसे डॉली से बेपनाह मोहब्बत है ।”
कोर्ट-रूम में अब बेचैनी-सी फैल गयी ।
अब तमाम लोगों की समझ में आया कि यशराज खन्ना जैसा धुरंधर वकील शुरू में क्यों अपने क्लायंट के विरुद्ध जा रहा था ।
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पब्लिक प्रॉसीक्यूटर हिम्मत करके यशराज खन्ना की तरफ बढ़ा ।
“लेकिन अभी-अभी आपने जो कहानी सुनाई खन्ना साहब !” प्रॉसीक्यूटर बोला- “उसे सच कैसे माना जाये ? जबकि खुद आपका क्लायंट राज भी उस कहानी को मानने से इंकार कर रहा है, उसे वो सरासर झूठी कहानी करार दे रहा है ?”
मुस्कराया खन्ना ।
वह मुस्कान ऐसी थी, जैसे मजाक उड़ाते समय किसी के होठों पर आ जाती है ।
“आपने यह बड़ा बेतुका सवाल पूछा है प्रॉसीक्यूटर साहब ।”
“क...क्यों ?” सकपकाया प्रॉसीक्यूटर ।
“इस सवाल की जगह अगर आपने मुझसे यह सवाल पूछा होता कि मुझे इन तमाम बातों का कैसे पता चला, तो मैं समझता हूँ कि आपकी ज्यादा काबिलियत जाहिर होती ।”
“क...क्या मतलब ?”
“जाहिर-सी बात है प्रॉसीक्यूटर साहब ।” यशराज खन्ना बोला- “किसी भी काबिल वकील के दिमाग में सबसे पहले यही सवाल कौंधेगा कि जिस कहानी को खुद मुल्जिम झूठी करार दे रहा है, तो उस कहानी के बारे में मुल्जिम के डिफेंस काउंसल को किस तरह पता चला ।”
“क...किस तरह पता चला ?”
“डॉली से ।”
यशराज खन्ना ने एक और भयंकर विस्फोट कर दिया था ।
“म...डॉली !” विटनेस बॉक्स में खड़े राज के दिमाग में भी डॉली का नाम सुनकर धमाके से होने लगे ।
तेज धमाके ।
“जी हाँ- मुझे यह सारी कहानी डॉली ने बतायी थी ।” यशराज खन्ना एक बार फिर कोर्ट-रूम में गरजता हुआ बोला- “इतना ही नहीं, उसी डॉली को मैं गवाह के तौर पर अपने साथ भी लाया हूँ, जो इस समय बाहर बैठी मेरा इंतजार कर रही है ।”
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अदालत में अब ऐसी हलचल मच चुकी थी, जैसी कभी चींटियों के झुण्ड में मच जाती है ।
फौरन ही डॉली को कोर्ट-रूम में बुलाया गया ।
विटनेस बॉक्स में खड़े होकर उसने सबसे पहले वही कसम खाई, जो प्रत्येक गवाह को कोर्ट में गवाही देने से पहले खानी पड़ती है ।
उसने गीता पर हाथ रखकर कहा- “मैं जो कहूँगी, सच कहूँगी । सच के अलावा कुछ नहीं कहूँगी ।”
“तुम्हारा नाम ?” वह सवाल डॉली से पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने पूछा था ।
“डॉली ।”
“तुम्हारे पिता का नाम ?”
“स्वर्गीय देवसिंह ।”
“कहाँ रहती हो ?”
“सोनपुर में ।”
“राज को जानती हो ?”
“जी हाँ ।”
“कब से ?”
“यही कोई एक साल हो गया ।”
“सुना है ।” पब्लिक प्रॉसीक्यूटर की आवाज थोड़ी संकोचपूर्ण हो गयी- “तुम दोनों आपस में प्यार भी करते हो ?”
“हाँ ।”
“क्या हाँ ?”
“य...यह सच है ।”
“सिर्फ प्यार या कुछ और भी ?”
डॉली चुप ।
“मेरे सवाल का जवाब दो ।” पब्लिक प्रॉसीक्यूटर इस बार चिल्लाया- “तुम दोनों सिर्फ प्यार करते हो या तुम दोनों का प्यार शरीर की उन सीमाओं को भी लांघ गया है, जिसे ज्यादातर शादी के बाद लांघा जाता है । मत भूलो, खन्ना साहब ने तुम पर इल्जाम लगाया है कि तुम राज के बच्चे की मां बनने वाली थीं ?”
“ह...हाँ ।” डॉली ने अपनी नजरें नीचे झुका लीं और वो हिम्मत करके धीमे स्वर में बोली- “य...यह सच है । म...मैं वाकई राज के बच्चे की मां बनने वाली थी ।”
“और क्या यह भी सच है ।” पब्लिक प्रॉसीक्यूटर और जोर से चिल्लाया- “कि बुधवार की रात तुम किसी हॉस्पिटल में भर्ती होने के लिये जा रही थीं ?”
“ह...हाँ, यह भी सच है ।”
“फिर तुम किसी हॉस्पिटल में गयी क्यों नहीं ?”
“क...क्योंकि बीच रास्ते में ही मेरी डिलीवरी हो गयी थी ।” डॉली बोली- “यह इत्तेफाक है कि मेरे पेट से मरे हुए ब...बच्चे ने जन्म लिया, जिसे हमने उसी रात यमुना नदी में बहा दिया ।”
“म...डॉली !” राज हिस्टीरियाई अंदाज में चिल्ला उठा, उसके नेत्र अचम्भे से फट पड़े थे- “य...यह तू क्या कह रही है डॉली, शायद तेरा दिमाग खराब हो गया है ।”
“दिमाग मेरा नहीं बल्कि तुम्हारा खराब हुआ है राज ।” डॉली कोर्ट-रूम में पहली बार गला फाड़कर चिल्लाई- “जब मुझे अपनी इज्जत की फिक्र नहीं है, तो फिर तुम मेरी इज्जत के लिये अपनी जान की बाजी क्यों लगा रहे हो ? क्यों ज़बरदस्ती फांसी के फंदे पर लटक जाना चाहते हो ? तुम इस बात को कबूल क्यों नहीं कर लेते कि हमारे बच्चा हुआ था । आखिर हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं राज ! और प्यार कोई पाप तो नहीं होता ।”
राज की खोपड़ी अंतरिक्ष में चक्कर काटने लगी ।
वह हैरान रह गया ।
बुरी तरह हैरान ।
“क्या आपको मुझसे कोई और सवाल पूछना है ?” डॉली ने पब्लिक प्रॉसीक्यूटर की तरफ देखा ।
“न...नहीं, कुछ नहीं पूछना ।”
डॉली विटनेस बॉक्स से निकलकर दर्शक दीर्घा में जा बैठी ।
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यह यशराज खन्ना के दिमाग का ही कमाल था, जो अब पूरा केस पलट चुका था ।
पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के हौसले पस्त हो चुके थे, लेकिन उसने राज को फंसाने के लिये अपनी तरफ से एक आखिरी चाल और चली ।
“मी लॉर्ड- इससे पहले कि आप इस केस का कोई फैसला सुनायें ।” पब्लिक प्रॉसीक्यूटर जज से सम्बोधित हुआ- “मैं आपसे एक अंतिम दरख्वास्त और करना चाहूँगा ।”
“कर सकते हो ।”
“मी लॉर्ड ।” प्रॉसीक्यूटर पुनः थोड़े आवेश में चिल्लाया- “अभी-अभी केस ने जो नाटकीय मोड़ लिया और मेरे काबिल दोस्त यशराज खन्ना साहब ने जो नई कहानी अदालत के सामने पेश की, उस कहानी के सिर्फ दो चश्मदीद गवाह हैं ।” पहला गवाह- राज ! दूसरी गवाह- डॉली । जहाँ तक राज का सवाल है, वह डॉली के बच्चा होने वाली कहानी को पूरी तरह झूठ का पुलिन्दा करार दे रहा है, जबकि डॉली उसी कहानी को सच बता रही है । यशराज खन्ना साहब ने राज की ‘इंकार’ के पीछे यह जो तर्क दिया है कि वो डॉली की इज्जत बचाने के लिये झूठ बोल रहा है, मैं मानता हूँ कि ऐसा हो सकता है । परन्तु एक शक फिर भी रह जाता है मी लॉर्ड, और वो शक ये है कि क्या ऐसा नहीं हो सकता, खन्ना साहब और डॉली ने मिलकर राज को बचाने के लिये बच्चा पैदा होने वाली कहानी गढ़ ली हो । मी लॉर्ड !” पब्लिक प्रॉसीक्यूटर और बुलन्द आवाज में चिल्लाया- “मैं यह कहना चाहता हूँ कि अभी-अभी अदालत में जो कहानी सुनाई गयी, वह महज एक बेहद काबिल वकील के तेज दिमाग की उपज भी हो सकती है, कानून की आंखों में धूल झौंकने की यह एक साजिश भी हो सकती है । और हकीकत की तह तक पहुँचने का अब सिर्फ एक उपाय है मी लॉर्ड, सिर्फ एक उपाय ।”
“क...कौन-सा उपाय ?” जज के मुँह से भी सस्पेंसफुल स्वर निकला ।
“मेडिकल चेकअप !” इस बार सचमुच पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने भी धमाका कर दिया था ।
“म...मेडिकल चेकअप !”
“यस मी लॉर्ड !” प्रॉसीक्यूटर चीखता चला गया- “मैं मेडिकल चेकअप की बात कर रहा हूँ । मेरी अदालत से दरख्वास्त है कि डॉली का किसी लेडी डॉक्टर के जरिये से मेडिकल चेकअप कराया जाये । अगर डॉली के सचमुच कोई बच्चा हुआ है, वो प्रेग्नेंट हुई है, तो यह बात मेडिकल चेकअप के द्वारा बिल्कुल स्पष्ट हो जायेगी । कुल मिलाकर दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए इस समय हमारे पास सिर्फ एक हथियार बचा है, और वो हथियार है मेडिकल चेकअप ! अदालत जल्द-से-जल्द डॉली का मेडिकल चेकअप कराये और उसके बाद ही इस केस के सम्बन्ध में कोई फैसला करे ।”
डॉली के दिल-दिमाग पर सन्नाटा-सा खिंचता चला गया ।
उसे अपनी सारी कोशिशें बेकार होती नजर आयीं ।
यूँ लगा, जैसे अब राज को फांसी पर लटकने से कोई नहीं बचा सकता ।
परन्तु नहीं, पब्लिक प्रॉसीक्यूटर का मुकाबला आज यशराज खन्ना से था ।
वो यशराज खन्ना, जो प्रॉसीक्यूटर की उस बात को सुनकर जरा भी विचलित न हुआ ।
“मी लॉर्ड ।” यशराज खन्ना मुस्कराता हुआ बोला- “मैं जानता था कि प्रॉसीक्यूटर साहब अदालत में इस पॉइंट को जरूर उठायेंगे, अदालत का कीमती वक्त बर्बाद न हो, इसलिये मैंने आज सुबह ही कोर्ट आने से पहले ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट की लेडी डॉक्टर मधुसूदन सान्याल से डॉली का मेडिकल चेकअप करा लिया था । यह है लेडी डॉक्टर द्वारा दी गयी वह मेडिकल रिपोर्ट, जिसमें बिल्कुल साफ-साफ लिखा है कि डॉली पिछले दिनों गर्भवती रह चुकी है ।”
पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने बेहद हैरतअंगेज स्थिति में मेडिकल रिपोर्ट को पढ़ा ।
उसमें वही सब कुछ लिखा था, जो यशराज खन्ना ने बयान किया ।
जज ने भी वह रिपोर्ट पढ़ी ।
“मी लॉर्ड !” लेकिन पब्लिक प्रॉसीक्यूटर भी जैसे आज हार न मानने की सौगन्ध खा चुका था- “मैं फिर भी डॉली का एक बार और मेडिकल चेकअप कराना चाहता हूँ ।”
“क्यों ?” यशराज खन्ना ने पूछा- “आप डॉली का दोबारा चेकअप क्यों कराना चाहते हैं ?”
“क्योंकि मुझे इस मेडिकल रिपोर्ट पर भी संदेह है मी लॉर्ड । मुझे शक है कि यह रिपोर्ट लेडी डॉक्टर और यशराज खन्ना की मिली भगत का एक नमूना हो सकती है ।”
“आई ऑब्जेक्ट मी लॉर्ड !” यशराज खन्ना इस बार इतनी जोर से चिल्लाया कि कोर्ट-रूम की दीवारें तक दहलती-सी लगीं- “प्रॉसीक्यूटर साहब सिर्फ मेरे ऊपर ही नहीं बल्कि एक लेडी की ईमानदारी और उसके नोबेल प्रोफेशन पर भी इल्जाम लगा रहे हैं । अगर वो सोचते हैं कि यह मेडिकल सर्टिफिकेट जाली है, तो खुशी-खुशी डॉली का दूसरा चेकअप करा सकते हैं, मुझे कोई ऐतराज नहीं । लेकिन वो एक बात याद रखें ।” यशराज खन्ना की आवाज में एकाएक चेतावनी का पुट आ गया- “अगर दूसरी मेडिकल रिपोर्ट में भी यही बात साबित होती है, तो मैं लेडी डॉक्टर की तरफ से प्रॉसीक्यूटर साहब पर न सिर्फ मान-हानि का दावा दायर करूंगा बल्कि इस वक्त इन्होंने अपने जिस्म पर यह जो काला चोगा पहन रखा है- उसे भी इसी भरी अदालत के अंदर उतरवा लूंगा । मी लॉर्ड- चूंकि इन्होंने यह इल्जाम एक लेडी डॉक्टर की कर्तव्यपरायणता और उसकी ईमानदारी पर लगाया है, इसलिये यह इल्जाम क्षमा के काबिल नहीं, माफी के काबिल नहीं ।”
पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के छक्के छूट गये ।
उसकी एक सांस ऊपर, तो दूसरी नीचे रह गयी ।
“मिस्टर पब्लिक प्रॉसीक्यूटर !” जज ने सरकारी वकील की तरफ देखा- “क्या आप अभी भी डॉली का दूसरा मेडिकल चेकअप कराने के इच्छुक हैं ?”
“ज...जी नहीं, बिल्कुल नहीं ।”
यशराज खन्ना के होंठों पर विजयी मुस्कान दौड़ गयी ।
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