Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
12-05-2020, 12:39 PM,
#41
RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
अगले दिन उस दुर्लभ ताज के सम्बन्ध में एक अखबार के अंदर आधे पेज की प्रचार सामग्री छपी ।
प्रचार सामग्री में दुर्लभ ताज का पूरा वर्णन था और उसे शान्ति तथा खुशहाली का प्रतीक भी बताया गया था ।
इतना ही नहीं, दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिये अखबार के अन्दर कई बड़ी दिलचस्प बातें भी छपी थीं ।
जैसे अखबार में लिखा था, रुडोल्फ यूबे नामक जिस राजा ने उस दुर्लभ ताज का निर्माण कराया, वह एक सौ बीस वर्ष का होकर मरा ।
अपने पूरे जीवनकाल में उसे या उसके राज्य को किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा ।
आगे लिखा था, वह दुर्लभ ताज अपनी सुरक्षा खुद करता है । जिसने भी उस दुर्लभ ताज को चुराने की कोशिश की, इतिहास साक्षी है कि वह खुद बर्बाद हो गया या फिर मारा गया ।
ऐसी ही ढेरों किस्म की बातें उस ताज के सम्बन्ध में अखबार के अन्दर छपी थी ।
साथ ही बेहद लुभावने शब्दों में लिखा था:
अब यह रहस्यपूर्ण ताज एक सप्ताह के लिये आपके शहर दिल्ली में आ पहुँचा है । ताज को देखने का यह शानदार मौका किसी भी हालत में न खोयें । कल मंगलवार से उस दुर्लभ ताज के दर्शन हेतु आप सब नेशनल म्यूजियम के हॉल नम्बर चार में पहुंचे ।
चार नम्बर हॉल के खुलने और बंद होने का समय-
सुबह दस बजे से शाम छः बजे तक
विशेष नोट-दर्शक अपने साथ किसी भी तरह का कोई सामान न लायें, क्योंकि यह सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है ।
उस प्रचार सामग्री से एक बात पूरी तरह साबित हो गयी ।
वो यह कि सुपर बॉस डॉन मास्त्रोनी ने उस दुर्लभ ताज के सम्बन्ध में जो-जो बातें अपने मैसेज में लिखी थीं, वह सब सच थीं ।
☐☐☐
मंगलवार को सुबह ग्यारह बजे सेठ दीवानचन्द, दुष्यंत पाण्डे के साथ उस दुर्लभ ताज को एक नजर देखने और उसकी सिक्योरिटी का मुआयना करने नेशनल म्यूजियम पहुँचा ।
वहाँ दर्शकों की खूब भीड़ थी ।
लगभग सौ सुरक्षा कर्मियों ने नेशनल म्यूजियम को चारों तरफ से घेर रखा था ।
दस-बारह सुरक्षाकर्मी सेल्फ लोडिंग राइफल (एस०एल०आर०) लिये म्यूजियम की छत पर अलग-अलग दिशाओं में खड़े थे ।
म्यूजियम में प्रवेश करने के लिये लोहे के दो बड़े-बड़े एन्ट्रेंस डोर थे ।
लेकिन अब उन दोनों में-से एक एन्ट्रेंस डोर को सात दिन के लिये सील कर दिया गया था । सिर्फ मुख्य सड़क से जुड़े एन्ट्रेंस डोर द्वारा ही दर्शक आ-जा रहे थे ।
वहीं दो मेटल डिटेक्टर भी लगे थे ।
प्रत्येक दर्शक को उन मेटल डिटेक्टरों के ऊपर से गुजरकर अन्दर प्रवेश करना होता था ।
हालांकि यह विशेष नोट अखबार में ही छाप दिया गया था कि कोई भी दर्शक अपने साथ कैसा भी कोई-सामान न लाये, लेकिन फिर भी कुछ दर्शक भूल से अपने साथ हैण्ड बैग, वेनिटी बैग या ब्रीफकेस जैसी साधारण चीजें ले आये थे । एन्ट्रेंस डोर पर खड़े सुरक्षाकर्मी अब उन चीजों को अपने पास ही जमा कर रहे थे और बदले में उन्हें एक स्लिप दे रहे थे ।
वापसी पर दर्शक वह स्लिप सुरक्षाकर्मियों को लौटा देते और उन्हें उनका सामान मिल जाता ।
सेठ दीवानचन्द, दुष्यंत पाण्डे ने भी मेटल डिटेक्टर के ऊपर से गुजरकर म्यूजियम में प्रवेश किया ।
एन्ट्रेंस डोर के बाद म्यूजियम का मेन गेट था ।
वहाँ भी छः सुरक्षाकर्मी खड़े थे, जो प्रत्येक दर्शक की अपने हाथों से टटोल-टटोलकर तलाशी लेने के बाद ही अंदर जाने दे रहे थे ।
दीवानचन्द और दुष्यंत पाण्डे की भी तलाशी ली गयी ।
जेबों का सामान निकालकर देखा गया ।
पीठ और सीने से लेकर, पैंट की बेल्ट और जांघ तक को सुरक्षाकर्मियों ने खूब थपथपाकर देखा कि कहीं उन्होंने कोई प्राणघातक हथियार वहाँ तो नहीं बांधा हुआ है । तलाशी का ऐसा ही एक और सिलसिला म्यूजियम के विशाल गलियारे के अंदर भी चला ।
फिर वह न जाने कितने इंफ्रारेड कैमरों के सामने से गुजरकर हॉल नम्बर चार में दाखिल हुए ।
☐☐☐
हॉल नम्बर चार की महिमा ही अलग थी ।
वहाँ का सारा माहौल तिलस्मी थीं ।
फॉल्स सीलिंग की छत और लगभग एक फुट चौड़ी प्लास्टर पेरिस की परत चढ़ी दीवार में दो दर्जन से भी ज्यादा रंग-बिरंगे बड़े-बड़े हैरीजन बल्ब लगे हुए थे, जिनका तीखा प्रकाश आपस में एकाकार होकर माहौल में विचित्र-सा माधुर्य बिखेर रहा था ।
उस छोटी-सी रंगीन दुनिया के बीचों-बीच एक चार फुट ऊंचे डायस पर शीशे के बॉक्स में बन्द वह दुर्लभ ताज रखा था ।
डायस से चार-चार फुट दूर लोहे के पाइप की बेरकेट्स लगायी गयी थीं ।
उन्हीं बेरकेट्स के सहारे आगे बढ़ते हुए दर्शकों को उस दुर्लभ ताज के दर्शन करने थे ।
सेठ दीवानचन्द और दुष्यंत पाण्डे दर्शकों की बेरकेट्स वाली लाइन में लग गये ।
फिर वो धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए उस दुर्लभ ताज को देखने लगे ।
सेठ दीवानचन्द और दुष्यंत पाण्डे दर्शकों की बेरकेट्स वाली लाइन में लग गये ।
फिर वो धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए उस दुर्लभ ताज को देखने लगे ।
उनकी आंखें अपलक उसी ताज पर चिपककर रह गयीं थीं ।
क्या लाजवाब चीज थी ।
बेहद अद्भुत !
बेहद आश्चर्यजनक !
वह ताज जितना पुराना था, उतनी ही उसमें चमक थी ।
उसके अन्दर जड़े पचास बेशकीमती हीरे इस तरह जगमगा रहे थे, जैसे उन हीरों में लाइटें फिट कर दी गयी हों ।
वाकई वह एक नायाब चीज थी ।
दुर्लभ ताज को देखते ही सेठ दीवानचन्द और दुष्यंत पाण्डे के मुँह में पानी भर आया ।
जितनी देर वह हॉल नम्बर चार में रहे, उतनी देर उनकी एक सैकिण्ड के लिये भी दुर्लभ ताज के ऊपर से नजर नहीं हटी ।
दस मिनट बाद जब वह दोनों म्यूजियम से बाहर निकले, तो बुरी तरह मंत्रमुग्ध थे ।
उनके मन में यह धारणा अब और पक्की हो चुकी थी कि चाहे कुछ भी हो जाये ।
चाहे कितनी ही मुश्किलों का उन्हें सामना करना पड़े, लेकिन वह उस दुर्लभ ताज को हर हालत में हासिल करके रहेंगे ।
☐☐☐
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RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात - by desiaks - 12-05-2020, 12:39 PM

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