RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
रात के उस समय बारह बज रहे थे, जब राज छिपता-छिपाता सोनपुर पहुँचा ।
सोनपुर में घुसते हुए वो बेहद सावधान था, बल्ले का डर उसके दिमाग में बैठा हुआ था ।
बल्ले के खौफ की वजह से ही वो डॉली के घर में पीछे से खिड़की कूदकर अंदर घुसा ।
डॉली तब बेखबर पड़ी सो रही थी ।
राज ने उसे झंझोड़कर जगाया ।
“त...तुम !” डॉली, राज को देखते ही चौंक पड़ी- “त...तुम !!”
फौरन उसकी आंखों से नींद उड़ गयी ।
“सब कुछ ठीक तो है न डॉली ?”
“त...तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिये था राज ।” एकाएक डॉली के चेहरे पर आतंक के भाव उभर आये थे ।
“क...क्यों ?”
“इंस्पेक्टर योगी तुम्हें तलाश करता घूम रहा है राज ! वह सुबह से दो बार सोनपुर में आ चुका है । यही हाल बल्ले का है-वह योगी के खौफ की वजह से खुलेआम तो नहीं घूम रहा-लेकिन मुझे खबर है कि वह अपने चाकू से तुम्हारे पेट की अंतड़ियां फाड़ डालने के लिये बेहद व्याकुल है । इसके अलावा तुम्हारे लिये एक और बड़ी बुरी खबर है राज ।”
“क... क्या ?”
सिर्फ यही दोनों तुम्हारी तलाश में नहीं लगे हुए बल्कि जबसे दिल्ली पुलिस ने तुम्हारे ऊपर एक लाख का इनाम घोषित किया है, तब से इनाम हासिल करने के लालच में सोनपुर के कई दूसरे गुण्डे भी तुम्हारी तलाश में लग गये हैं । इसीलिये तो मैंने तुमसे कहा, तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिये था । तुम नहीं जानते राज, आज पूरे दिल्ली शहर में तुम्हारे नाम की चर्चा है, हर गली में, हर चौराहे पर, हर नुक्कड़ पर तुम्हारे बारे में बातें हो रही है । लोग तुम्हें लॉटरी का टिकिट समझ रहे हैं राज, हर कोई तुम्हें गिरफ्तार कराकर एक लाख कमाने का इच्छुक है ।”
दाता !
दाता !!
राज को अपने हाथ-पैर बर्फ होते महसूस हुए ।
वह दिन-ब-दिन कैसे भयानक जाल में फसता जा रहा था ।
“राज !”
“हूँ !” राज के अचेतन मस्तिष्क पर हथौड़े जैसी चोट पड़ी- “हूँ !”
“सुबह जब यहाँ इंस्पेक्टर योगी आया था ।” डॉली थोड़े सकुचाये स्वर में बोली- “तो उसके साथ पूरी पुलिस पलटन भी थी ।”
“फिर ?”
“व...वह तुम्हारे घर का सारा सामान कुर्क करके ले गया, यहाँ तक कि उसने ऑटो रिक्शा भी नहीं छोड़ी ।”
“हे देवा !”
राज के मुँह से सिसकारी छूट गयी ।
☐☐☐
फिर राज वहीं बैड पर धम्म् से बैठ गया था ।
उसके चेहरे से पसीने की धारायें बहने लगीं ।
डॉली भी उसी के नजदीक ही बैठ गयी और बड़ी अजीब नजरों से उसे देखती हुई शुष्क लहजे में बोली- “तुम कल से कहाँ थे ? मैं तुम्हारे बारे में सोच-सोचकर परेशान हो रही थी ?”
“स...सेठ दीवानचन्द के अड्डे पर ही था ।”
“वह लोग अब तुम्हारे साथ किस तरह का व्यवहार कर रहे हैं ?”
“ठ...ठीक ही कर रहे हैं ।” राज ने विचलित स्वर में कहा- “उन्होंने मुझे वहीं रहने के लिये एक छोटा -सा कमरा दिया हुआ है ।”
“अगर यह बात है, तो फिर तुम इस खतरनाक जगह पर क्यों आये हो ? यहाँ तो तुम्हारे लिये मौत-ही-मौत है ।”
राज के चेहरे पर अब हिचकिचाहट के भाव उभरे ।
“जवाब क्यों नहीं देते ?”
“म...मैं इस समय एक बड़ी भारी मुसीबत में फंसा हुआ हूँ डॉली !”
“मुसीबत !” डॉली का दिल जोर से उछला- “कैसी मुसीबत ?”
राज ने अपना चेहरा दोनों हथेलियों में छिपा लिया ।
“म... मुसीबत भी ऐसी है, जिससे सिर्फ तुम ही मुझे छुटकारा दिला सकती हो ।”
“म...मैं ?”
“हाँ, तुम ।”
“ऐसी भी क्या मुसीबत है ?” डॉली की आंखों में आश्चर्य के भाव उभरे ।
राज की उससे फिर भी कुछ कहने की हिम्मत न हुई ।
“राज, आखिर तुम कुछ बोलते क्यों नहीं, क्या बात है ?”
राज ने बेहद डरते-डरते सारी बात डॉली को बता दी ।
उसे यह भी बताया कि उसने किस तरह गवर्नेस बनकर जगदीश पालीवाल को अपने प्रेमजाल में फांसना था ।
और यह भी बताया कि अगर उसने वो काम न किया, तो उसका क्या अंजाम होना था ।
☐☐☐
|