RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
“पालीवाल साईं !” सेठ दीवानचन्द उसे काली नकाब के पीछे से घूरता हुआ बोला-“वडी हमें खुशी है कि तुमने ज्यादा हील-हुज्जत किये बिना हमारा प्रस्ताव कबूल कर लिया-वडी तुम तो वाकई बहोत समझदार आदमी निकले नी ।”
“गुड्डू कहाँ है ?” जगदीश पालीवाल ने बेचैनीपूर्वक पहलु बदला ।
“साईं- वोजहाँ है, कुशल-मंगल है और फिर वैसे भी ज्यादा फिक्र नहीं करनी-आखिर उसकी देखभाल के वास्ते तुम्हारी गवर्नेस तो हमारे पास है ही ।”
वह बात कहकर बड़े खतरनाक ढंग से हंसा दीवानचन्द ।
“म...मैं फिर भी गुड्डू को एक बार देखना चाहता हूँ ।” जगदीश पालीवाल अपने बेटे को देखने के लिये व्याकुल हुआ जा रहा था ।
“इतनी जल्दी भी क्या है साईं !” दीवानचन्द बोला-“देख लेना उसे भी । बारह घण्टे में उसकी सूरत थोड़े ही बदल जानी है । मेल-मिलाप का यह सिलसिला भी चलेगा-लेकिन पहले तुम हमें दुर्लभ ताज की सिक्योरिटी के बारे में बताओ ।”
“देखो ।” जगदीश पालीवाल सब्र के साथ बोला-“तुम लोग जिस गुप्त सिक्योरिटी की जानकारी के लिये इतने व्याकुल हो रहे हो-मेरा दावा है कि सिक्योरिटी को जानने के बाद भी तुम लोग कुछ नहीं कर पाओगे- ताज को चुराना बिलकुल नामुमकिन है ।”
“क्यों है नामुमकिन ?”
“क्योंकि उस ताज की सिक्योरिटी बहुत परफैक्ट है-बहुत अभेद्य है ।”
मुस्कराया सेठ दीवानचन्द-फिर बोला-“वडी पालीवाल साईं-भारत सरकार हर एण्टीक आइटम की ऐसी ही परफैक्ट सिक्योरिटी करती है-भारत सरकार हर बार यही सोचती है कि इस दुर्लभ वस्तु को दुनिया की कोई ताकत नहीं चुरा सकती । लेकिन होता क्या है-कोई चालाक अपराधी सुरक्षा के सारे तामझाम को रेत के ढेर की तरह भेदता हुआ दुर्लभ वस्तु चुरा ले जाता है । भारत सरकार को तब मालूम होता है कि वास्तव में वो सिक्योरिटी कितनी परफैक्ट थी-कितनी सिक्केबंद थी-वडी मैं ठीक कह रहा हूँ या नहीं ?”
“बिलकुल ठीक कह रहे हो ।” जगदीश पालीवाल ने कबूल किया-“लेकिन अगर तुम लोग दुर्लभ ताज की सिक्योरिटी को भी ऐसी ही कमजोर सिक्योरिटी समझ रहे हो-तो यह तुम्हारी बहुत बड़ी भूल है-बहुत बड़ी गलतफहमी है । उसकी सिक्योरिटी वाकई बहुत परफैक्ट है ।”
“वडी वो चाहे कितनी ही परफैक्ट सिक्योरिटी है-हम उसके बारे में फुल जानकारी चाहते हैं ।”
“जैसी तुम लोगों की इच्छा ।” जगदीश पालीवाल बोला-“ओपन सिक्योरिटी से तो आप लोग वाकिफ होंगे ही ?”
“हम किसी चीज से वाकिफ नहीं साईं ! तुमने हमें जो बताना है-सिरे से बताओ । यह सोचकर बताओ कि हम सिक्योरिटी के बारे में कुछ नहीं जानते-इसके अलावा एक बात और अच्छी तरह सुन लो ।”
“क्या ?”
“अगर तुमने हमारे साथ कोई चालाकी खेलने की कोशिश की ।” सेठ दीवानचन्द ने दांत किटकिटाये-“अगर तुमने हमें पुलिस के किसी पचड़े में फांसने का प्रयास किया तो फिर तुम्हारी खैर नहीं । फिर हम तुम्हारे साथ-साथ तुम्हारे बच्चे के भी ऐसी ढोल-तासे बजायेंगे कि तुम तमाम उम्र कलपोगे-तमाम उम्र खून के आंसू रोओगे । एक बात और-जब तक हम अपनी योजना में कामयाब नहीं हो जाते-तब तक तुम्हारा बेटा भी यहीं हमारे कब्जे में रहेगा ?”
जगदीश पालीवाल का चेहरा सफेद झक्क् पड़ गया ।
“वडी तुम्हें अब जो कहना है-कहो ।” दीवानचन्द बोला-“सबसे पहले यह बताओ-नेशनल म्यूजियम में आजकल दिन में क्या सिक्योरिटी रहती है ?”
पालीवाल ने बेचैनीपूर्वक पहलू बदला ।
हालात उसे अच्छे नजर नहीं आ रहे थे ।
“द...दिन में लगभग सौ सिक्योरिटी गार्ड म्यूजियम के चरों तरफ तैनात रहते हैं ।” जगदीश पालीवाल ने खून का सा घूंट पीते हुए उन लोगों को सिक्योरिटी के बारे में बताना शुरू किया-“लेकिन रात के समय उन्हीं सिक्योरिटी की संख्या बढ़कर दो गुनी हो जाती है ।”
“यानि दो सौ !”
“हाँ ।”
“ठीक है-आगे बोलो ।”
“इसके अलावा नेशनल म्यूजियम की आसपास की इमारतों पर भी चौबीस घण्टे लगभग तीस-चालीस सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहते हैं ।”
“एक मिनट !” दीवानचन्द ने उसे फिर टोका-“म्यूजियम के आसपास की इमारतों पर सिक्योरिटी गार्ड्स को किसलिये तैनात किया गया है ?”
“अच्छा सवाल है । दरअसल उस दुर्लभ ताज की सिक्योरिटी करने से पहले भारत में ज्यूरी के मेम्बरों की एक मीटिंग हुई थी-बेहद खास मीटिंग-उस मीटिंग में उन केस फाइलों का अध्ययन किया गया, जिनमें ऐसी ही दुर्लभ वस्तुओं की लूट के बारे में कई रिपोर्टें दर्जे थीं । प्रत्येक केस फाइल में यह ब्यौरा बड़े विस्तार से लिखा था कि फलां दुर्लभ वस्तु का सिक्योरिटी सिस्टम यह था कि उसे अपराधियों ने चुराने के लिये यह योजना बनायी ।”
“फिर ?”
“ज्यूरी के मैम्बरों ने दुनिया भर की ऐसी दर्जनों केस फाइलों का अध्ययन किया-उन फाइलों का अध्ययन करने से यह फायदा था कि दुर्लभ ताज की एक बहुत परफैक्ट सिक्योरिटी की रूपरेखा बनायी जा सकती थी । फाइलों का अध्ययन करते-करते ही ज्यूरी के मैम्बरों के हाथ में एक ऐसी फाइल लगी-जिसमें न्यूयार्क के एक सर्राफा बाजार की लूट का मामला दर्ज था । लिखा था-सर्राफा बाजार की सिक्योरिटी के लिये स्थानीय पुलिस प्रशासन ने बड़े जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम कर रखे थे-सर्राफा बाजार के चारों तरफ सैकड़ों की संख्या में हमेशा सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहते थे-उनकी बिना आज्ञा के एक चूहा तक सर्राफा बाजार में नहीं घुस सकता था । लेकिन इतनी पॉवरफुल सुरक्षा के बावजूद सर्राफा बाजार में डकैती पड़ी-और ऐसी डकैती पड़ी कि पूरा सर्राफा बाजार लूट लिया गया, लेकिन बाहर-खड़े उन सिक्योरिटी गार्डों को कानों-कान भनक तक न लगी ।”
“वह कैसे ?” दशरथ पाटिल ने हैरान होकर पूछा ।
“दरअसल अपराधियों ने सर्राफा बाजार को लूटने के लिये जो योजना बनायी-वह गजब की योजना थी ।” जगदीश पालीवाल बोला-“उन्होंने सर्राफा बाजार को लूटने के लिये जो योजना बनायी-वह गजब की योजना थी ।” जगदीश पालीवाल बोला-“उन्होंने सर्राफा बाजार को लूटने के लिये उसकी बगल की एक इमारत का इस्तेमाल किया । वह सबके सब लूट में काम आने वाला अपना साज-सामान लेकर किसी तरह उस बगल वाली इमारत की छत पर पहुँच गये-सर्राफा बाजार और उस इमारत के बीच में चार-साढ़े चार फुट चौड़ी एक पतली-सी गली थी । अपराधियों ने उस बगल वाली इमारत की छत से सर्राफा बाजार की छत तक लोहे की एक मजबूत सीढ़ी डाली-फिर वो एक-एक करके उसी सीढ़ी पर चलते हुए बगल वाली इमारत की छत से सर्राफा बाजार की छत पर पहुँच गये ।”
“वैरी गुड !” दुष्यंत पाण्डे भी चहका-“फिर ?”
“सर्राफा बाजार की छत पर पहुँचने के बाद उन्होंने ड्रिल मशीन की मदद से सर्राफा बजार की छत में एक बीस इंच व्यास का काफी चौड़ा छेद बनाया-फिर वो उसी छेद में से होकर सर्राफा बाजार के अंदर घुस गये-उसके बाद उन्होंने अंदर ही अंदर बड़े इत्मीनान से पूरा सर्राफा बाजार लूटा फिर वापस छेद में से होकर ऊपर पहुंचे तथा सीढ़ी द्वारा ही दूसरी इमारत की छत पर पहुँचकर वहाँ से फरार हो गये । सर्राफे में इतना बड़ा काण्ड हो गया-वह सर्राफा बाजार पूरा-का-पूरा लुट गया-लेकिन नीचे पहरा देते सिक्योरिटी गार्डों के कानों पर जूं तक न रेंगी-उन्हें भनक तक न पड़ी कि क्या हो गया था । बहरहाल भारत के ज्यूरी मैम्बरों ने उस डकैती से प्रेरणा ली-और नेशनल म्यूजियम के आसपास की इमारतों पर भी इसीलिये सिक्योरिटी गार्ड तैनात कर दिये-ताकि कोई अपराधी संगठन बिलकुल उसी तरह की योजना बनाकर दुर्लभ ताज को न ले उड़े ।”
“ओह !”
सभी के मुँह से सिसकारी छूटी ।
सभी सर्राफा बाजार लूटने की उस योजना से बड़े प्रभावित हुए ।
“इस तरह नेशनल म्यूजियम के अंदर दाखिल होने के फिलहाल सभी रास्ते पूरी तरह बंद हैं ।” जगदीश पालीवाल बोला-“न तो कोई अपराधी म्यूजियम के मेन गेट से ही अंदर घुस सकता है और न किसी अगल-बगल वाली इमारत को ही जरिया बनाकर । अगर किसी ने नीचे-ही-नीचे लम्बी सुरंग खोदकर भी म्यूजियम के हॉल नम्बर चार तक पहुँचने का प्रयास किया-तब भी वो सफल नहीं हो पायेगा । क्योंकि म्यूजियम में जगह-जगह ऐसे इलैक्ट्रॉनिक संयंत्र लगाये गये हैं-जो सुरंग खोदने की पोजीशन में एक विशेष ध्वनि पैदा करके सिक्योरिटी गार्डों को खतरे का संकेत दे देंगे-जिससे पुलिस अपराधियों को फौरन पकड़ लेगी ।”
सब स्तब्ध बैठे रहे ।
“अब आगे सुनो ।” जगदीश पालीवाल बोला-“अगर कोई अपराधी जादू के जोर से या किसी करिश्में की बदौलत फिर भी म्यूजियम के अंदर घुसने में कामयाब हो जाता है-तो वह सबसे पहले म्यूजियम के लॉन में पहुंचेगा ।
वहाँ भी मौत मुँह फाड़े उसका इन्तजार कर रही होगी-क्योंकि न सिर्फ म्यूजियम के लॉन में बल्कि म्यूजियम के प्रत्येक गलियारे के अंदर भी हर समय बड़ी संख्या में सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहते हैं । जिनकी प्रत्येक आठ घण्टे के बाद ड्यूटी बदल जाती है ।”
“इसके अलावा और क्या इंतजाम है ?”
“और भी कई महत्वपूर्ण बंदोबस्त हैं ।” जगदीश पालीवाल ने कुर्सी पर बैठे-बैठे पहलु बदला-“सबसे पहले तो उन्हीं सुरक्षा प्रबंधों को भेदकर म्यूजियम के अंदर घुसना नामुमकिन है-लेकिन अगर फिर भी कोई इन सुरक्षा प्रबंधों को भेदने में सफल हो जाता है-तो वह जैसे ही हॉल नम्बर चार की दीवार को छुएगा, तो फौरन उससे कनेक्टिड सेफ्टी अलार्म की घण्टी नजदीक के तीन पुलिस स्टेशनों के साथ-साथ पुलिस हैडक्वार्टर में भी जोर से बज उठेगी । उस घण्टी के बजते ही क्या होगा-इसका अंदाजा तुम लोग बखूबी लगा सकते हो । फौरन पूरे दिल्ली शहर में दौड़ती पुलिस पेट्रोलिंग वैनों को हैडक्वार्टर से वह खतरे की सूचना सर्कुलेट कर दी जायेगी-पलक झपकते ही पेट्रोलिंग वैनें नेशनल म्यूजियम की तरफ भागने लगेंगी-म्यूजियम के आसपास के सारे रोड ब्लॉक कर दिये जायेंगे-सीमा चौकियां सील कर दी जायेंगी और बड़ी संख्या में पुलिस नेशनल म्यूजियम पर पहुँचकर उसे चारों तरफ से घेर लेंगी । इससे तुम आसानी के साथ अंदाजा लगा सकते हो कि सैफ्टी अलार्म बजते ही म्यूजियम के आसपास कितना हंगामाखेज माहौल बन जायेगा । ऐसी परिस्थिति में अपराधियों के लिये वहाँ से दुर्लभ ताज चुराकर भागना तो बहुत बड़ी बात है-उनके लिये अपनी जान बचाना भी मुश्किल काम होगा ।”
“सेफ्टी अलार्म की जो बेल बजेगी ।” दशरथ पाटिल एक-एक प्वॉइण्ट पर अच्छी तरह गौर करता` हुआ बोला-क्या उसकी आवाज म्यूजियम के अंदर या बाहर खड़े सिक्योरिटी गार्डों को भी सुनायी देगी ?”
“बिलकुल सुनायी देगी ।”
“वडी वो कैसे नी ?”
“दरअसल दिल्ली पुलिस ने सभी गार्डों को एक-एक खास किस्म की रिस्टवॉच दी है ।” जगदीश पालीवाल ने बताया-“और वो रिस्टवॉच सेफ्टी अलार्म से कनेक्टिड है-इसलिये अलार्म बजने की वो तीखी ध्वनि रिस्टवॉच पर बिलकुल साफ-साफ सुनाई देगी ।”
“ओह !”
“एक बात बताओ ।” दुष्यंत पाण्डे बोला ।
“पूछो ।”
“अगर कोई दिन में हॉल नम्बर चार की दीवार को छूएगा, तो क्या तब भी अलार्म बज उठेगा ?”
“नहीं ।” जगदीश पालीवाल गहरी सांस लेकर बोला-“दिन के समय सेफ्टी अलार्म डैड रहता है । लेकिन अगर तुम लोग उस दुर्लभ ताज को दिन-दहाड़े लूटने की योजना बना रहे हो-तब भी तुम्हारी योजना सिरे नहीं चढ़ने वाली ।”
“किसलिये ?”
“क्योंकि दिन में प्रत्येक दर्शक को कड़ी जांच-पड़ताल के बाद ही अंदर म्यूजियम में घुसने दिया जाता है-यहाँ तक कि दर्शकों को मेटल डिटेक्टर के ऊपर से भी गुजरना होता है । ऐसी परिस्थिति में तुम लोग हथियार लेकर म्यूजियम के अंदर नहीं घुस सकते और घुसने की कोशिश करोगे तब भी मैं समझता हूँ कि तुम्हें नाकामी ही हाथ लगेगी-क्योंकि स्वचालित हथियारों से लैस इतने सारे सिक्योरिटी गार्डों का सामना तुम लोग किसी हालत में नहीं कर पाओगे ।”
कॉफ्रेंस हॉल में सन्नाटा छा गया ।
सनसनीखेज सन्नाटा !
सेठ दीवानचन्द सहित सबके चेहरों पर गंभीरता की परत पुत गयी ।
डॉली के तो उस सिक्योरिटी के विषय में सुनते ही हाथ-पांव फूल गये थे ।
उसे साफ-साफ लग रहा था कि वह लोग अपने मकसद में सफल होने वाले नहीं ।
डॉली मन-ही-मन प्रार्थना करने लगी-“हे भगवान-तू इन लोगों को सद्बुद्धि दे ।“
“अक्ल दे ।”
“यह दुर्लभ ताज को चुराने का ख्याल भी अपने दिमाग से निकाल दें ।”
लेकिन भगवान भी उन्हें सद्बुद्धि कहाँ देता-उनके दिमाग पर तो लालच ने पर्दा डाल दिया था ।
लालच !
जो उनका सर्वनाश करने पर तुला था ।
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