RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
उसी दिन एक आश्चर्यजनक घटना और घटी ।
दोपहर के दो बज रहे थे- जब सुपर बॉस डॉन मास्त्रोनी एकाएक सेठ दीवानचन्द के अड्डे पर आ गया ।
डॉन मास्त्रोनी को देखकर सब हैरान रह गये- बेहद भौंचक्के क्योंकि उसके आने की पहले से कोई सूचना नहीं थी ।
एक बार फिर वह सब कॉफ्रेंस हॉल में आयताकार मेज के इर्द-गिर्द जमा हुए ।
आज ऊंची पुश्त वाली उस रिवॉल्विंग चेयर पर डॉन मास्त्रोनी बैठा था- जिस पर हमेशा सेठ दीवानचन्द बैठता था ।
जबकि दीवानचन्द उसके पहलू में ही पड़ी एक कुर्सी पर भीगी बिल्ली-सी बना बैठा था ।
अन्य कुर्सियों पर दशरथ पाटिल, दुष्यंत पाण्डे और राज बैठे थे ।
डॉली भी मासूम गुड्डू को गोद में लिये वहीं बैठी थी ।
डॉन मास्त्रोनी के सामने दुर्लभ ताज रखा था । दुर्लभ ताज- जिसे वो हाथों में ले-लेकर बड़ी हसरत भरी निगाहों से देख रहा था ।
डॉन मास्त्रोनी की उम्र लगभग चालीस-पैंतालीस के आसपास थी । कद लम्बा था- नैन-नक्श आकर्षक थे और उसके बाल बेहद विशिष्ट अंदाज में पीछे की तरफ कढ़े हुए थे- जिससे उसका व्यक्तित्व काफी रौबदार बन गया था ।
डॉन मास्त्रोनी ने अपने गठे हुए शरीर पर इस समय ब्राउन कलर का सूट पहना हुआ था ।
डॉन मास्त्रोनी काफी देर तक दुर्लभ ताज को हसरत भरी निगाहों से देखता रहा ।
“म...मुझे इस वक्त आपको यहाँ देखकर हैरानी हो रही है सुपर बॉस !” सेठ दीवानचन्द थोड़े सकपकाये स्वर में बोला- “व...वडी आपको इतनी जल्दी न्यूयार्क में यह खबर कैसे मिल गयी कि हमने दुर्लभ ताज चुरा लिया है- अ...और आप इतनी जल्दी न्यूयार्क से इधर दिल्ली कैसे आ गये ?”
मुस्कराया डॉन मास्त्रोनी !
उसके लाल-सुर्ख होंठों पर बाल जैसी बारीक मुस्कान दौड़ी थी ।
“तुम दोनों ही बात गलत ढंग से सोच रहे हो दीवानचन्द ।”
डॉन मास्त्रोनी ने एकदम शुद्ध हिन्दी में जवाब दिया ।
“क...क्या मतलब ?”
“दरअसल तुम लोगों ने दुर्लभ ताज चुरा लिया है- मुझे यह खबर न्यूयार्क में नहीं पता चली थी ।” डॉन मास्त्रोनी बोला- “बल्कि दिल्ली आने के बाद पता चली । मैं कल ही न्यूयार्क से दिल्ली आने के लिये उड़ान भर चुका था और आज सुबह जब मैंने दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर कदम रखा- तभी एक अखबार के जरिये से मुझे यह खुशखबरी मिली । हाँ- यह इत्तेफाक जरूर हुआ कि मेरे कदम ऐसे शानदार मौके पर दिल्ली शहर में पड़े- जब तुम अपनी योजना में कामयाब हो चुके थे ।”
सब सनसनायी-सी अवस्था में बैठे रहे ।
“ऐनी वे !’ डॉन मास्त्रोनी ने अपने पीछे को कढ़े बालों पर हाथ फेरा- “अब कुछ काम की बातें कर लें । सबसे पहले तुम लोग मुझे यह बताओ कि क्या तुम सभी ने अपने-अपने पासपोर्ट और वीजे तैयार करा लिये हैं ?”
“यस सुपर बॉस !” दुष्यंत पाण्डे ने आदर से गर्दन झुकाई- हम सभी के पासपोर्ट और वीजे पूरी तरह तैयार हो चुके हैं तथा हम सब हिन्दुस्तान छोड़ने के लिये एकदम तैयार हैं ।”
“सुपर बॉस !” दशरथ पाटिल भी बोला- “हम लोगों को अब जल्द-से-जल्द हिन्दुस्तान छोड़ देना चाहिये ।”
“क्यों ?” डॉन मास्त्रोनी की आंखें सिकुड़ीं- “जल्द-से-जल्द क्यों ?”
“क्योंकि अब हमारे लिये यहाँ खतरा-ही-खतरा है वडी ।” सेठ दीवानचन्द अपने चिर-परिचित अंदाज में बोला- “आपको तो मालूम ही होगा नी- हमने इस पूरी योजना को कामयाब बनाने के लिये इंडियन म्यूजियम के चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर जगदीश पालीवाल की इनसाइड हेल्प हासिल की है । वडी जगदीश पालीवाल एक देशभक्त आदमी है- ईमानदार आदमी है- उसने इस पूरी डकैती में हमारी मदद भी इसलिये की, क्योंकि उसका बेटा गुड्डू हमारे कब्जे में था । लेकिन हमने जैसे ही उसका बेटा उसे लौटाना है सुपर बॉस- उसने उसी क्षण हमारी सारी करतूत का पुलिस के सामने भंडाफोड़ कर देना है । वडी उसने मेरी सूरत नहीं देखी- लेकिन बाकी सबकी सूरत देखी है- वो बाकी सबको पहचानता है । इसलिये इससे पहले कि वो हमारे लिए कोई आफत पैदा करे-“कोई मुश्किल पैदा करे- उससे पहले ही हम हिन्दुस्तान छोड़कर भाग जायें ।”
“ओ.के. ।” डॉन मास्त्रोनी धीरे-धीरे गर्दन हिलाने लगा- “ओ.के.- आइ एन्टायरली ऐग्री विद यू । मैं कुछ बंदोबस्त करता हूँ ।”
“थैंक्यू थैंक्यू सुपर बॉस !”
डॉन मास्त्रोनी की आंखें फिर दुर्लभ ताज पर जाकर टिक गयीं ।
“देट्स वंडरफुल !” डॉन मास्त्रोनी ने फिर उस दुर्लभ ताज को अपने हाथों में लहराया- “वाकई इस दुर्लभ ताज को चुराकर तुम लोगों ने कमाल कर दिखाया है । एक ऐसा दुर्लभ ताज- जिसे शान्ति और खुशहाली का प्रतीक बताया जाता है- जिसे आज तक कोई नहीं चुरा सका । जिस दुर्लभ ताज के बारे में प्रसिद्ध है कि जिसने भी उसे चुराने का प्रयास किया- वही बर्बाद हो गया- वही मारा गया । और उसी दुर्लभ ताज को चुराने का कमाल तुम लोगों ने कर दिखाया- दैट वाज वेरी ब्रेव ऑफ यू ।”
“इसमें हमारा क्या कमाल है सुपर बॉस !” दशरथ पाटिल मुस्कराकर बोला- “सारा कमाल तो आपका है- आपके द्वारा बनायी गयी अद्भुत योजना का है । दुर्लभ ताज की सिक्योरिटी इतनी परफेक्ट थी कि हम लोग तो लगभग हार ही मान बैठे थे- हमें लगने लगा था कि हम दुर्लभ ताज चुराने में कभी सफल नहीं हो पायेंगे । लेकिन तभी आपने दुर्लभ ताज चुराने की मास्टर पीस योजना भेजकर हमारी सारी परेशानियां दूर कर दीं ।”
दशरथ पाटिल की बात सुनकर डॉन मास्त्रोनी के नेत्र एकाएक बुरी तरह फैल गये ।
उसने दशरथ पाटिल को यूं अचम्भे से देखा- मानों उसके सिर पर सींग उग आये हों ।
“म....मैंने तुम लोगों को योजना भेजी ।” डॉन मास्त्रोनी के मुँह से तेज सिसकारी छूटी- “य...यह कैसे हो सकता है- यह क्या कह रहे हो तुम ?”
“वडी पाटिल वही तो कह रहा है- जो सच है । दीवानचन्द बोला- “अगर आपने हमें वो धांसू योजना न भेजी होती सुपर बॉस- तो आज हम इस दुर्लभ ताज को चुराने में ही कैसे कामयाब होते?”
“ल...लेकिन मैंने तो तुम लोगों को कोई योजना नहीं भेजी ।” डॉन मास्त्रीनी ने एकाएक उनके बीच जबरदस्त विस्फोट कर दिया था- “और मैं कोई योजना बनाकर भेजता भी कैसे- मुझे तो ये भी जानकारी नहीं थी कि इस दुर्लभ ताज की इंडियन म्यूजियम में क्या सिक्योरिटी की गयी है ।”
सब दंग रह गये ।
बुरी तरह दंग ।
सबको ऐसा लगा- मानो उनके दिमाग में ‘एटम-बम’ फट रहे हों ।
ज्वालामुखी फट रहा हो ।
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सचमुच वो एक हंगामाखेज सस्पेंस था जिसका राज उन लोगों के बीच अब जाकर खुला ।
दुष्यंत पाण्डे ने रूमाल निकालकर फौरन अपने चेहरे पर छलछला आये ढेर सारे पसीने साफ किये- फिर खौफ से कंपकंपाये स्वर में बोला- “ल...लेकिन अगर वह योजना हमें आपने नहीं भेजी सुपर बॉस- तो फिर किसने भेजी ?”
“मैं क्या बता सकता हूँ कि वह योजना तुम्हें किसने भेजी ?”
डॉन मास्त्रोनी के चेहरे पर भी जबरदस्त सस्पेंस के चिन्ह थे ।
सबके दिल धाड़-धाड़ करके पसलियों को कूटने लगे ।
“ब...बॉस !” दशरथ पाटिल एकाएक दीवानचन्द से सम्बोधित होकर कंपकंपाये स्वर में बोला- “म...मैं एक बात बोलूं बॉस ?”
इस समय उसका पूरा शरीर जूड़ी के मरीज की तरह थर-थर कांप रहा था ।
“बोल ।”
“ह...हम पर कोई आफत आने वाली है बॉस !” दशरथ पाटिल एक और धमाका करता हुआ बोला- “क...कोई अनर्थ होने वाला है- म...मुझे लगता है कि अब हमारा सर्वनाश होकर रहेगा ।”
“वडी यह क्या बकता है तू ।” दीवानचन्द भड़क उठा- “तू पागल हो गया है ।”
“न...नहीं- मैं पागल नहीं हुआ ।” दशरथ पाटिल के जिस्म का एक-एक रोआं खड़ा था- “म...मैं आपसे पहले ही बोलता था बॉस- इस दुर्लभ ताज को मत चुराओ- मत चुराओ । इसने जिस प्रकार आज तक दूसरे अपराधियों को बर्बाद किया है- उसी तरह यह हमें भी बर्बाद कर डालेगा। और देखो- इस दुर्लभ ताज के आते ही हमारे ऊपर संकट की शुरुआत हो चुकी है ।”
“वडी बंदकर-बंदकर अपनी यह बकवास ।” दीवानचन्द दहाड़ उठा- “तू पागल हो गया है- और तू अपने साथ-साथ हम सबको भी पागल करके छोड़ेगा ।”
सेठ दीवानचन्द के वह शब्द अभी पूरे भी न हुए थे । कि तभी एकाएक कॉफ्रेंस हॉल में किसी के जोर-जोर से खिलखिलाकर हँसने की आवाज गूंज उठी ।
वह हँसी ऐसी थी- जैसे कब्र में से निकलकर कोई शैतान हँसा हो ।
“पाटिल ठीक ही कहता है सेठ दीवानचन्द !” फिर एक भयानक आवाज पूरे कॉफ्रेंस हॉल में गूंजी- “सचमुच तुम सबकी बर्बादी का समय शुरू हो चुका है ।”
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