RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
#9
न जाने कितनी देर प्रज्ञा ऐसे ही पानी के निचे पड़ी रही , यौन सुख बहुत बार प्राप्त किया था उसने पर बहुत दिनों बाद त्रप्ति का अहसास हुआ था उसने, नहाने के बाद फिर से उसने खुद को शीशे में निहारा और निचे आ गयी, वैध इंतजार कर रहा था उसका, वैध ने सर की चोट को देखा, पट्टी की और एक दो गोली देकर चला गया. नौकरों से अपने पति और बच्चों के बारे में पूछा और फिर वापिस अपने कमरे में आ गयी .
इधर कबीर को न जाने क्या हो गया था भूख प्यास भूल गया था वो , बस एक बेख्याली थी , उस रात कबीर अपने कपडे रख रहा था की उसे कोने में पड़ा दिया दिखा तो उसने फिर से कोशिश की उसे जलाने की पर एक बार फिर उसे निराश होना पड़ा.
“दादा भी चुतिया था ” बस इतना ही कहा
दरसल इंतजार था उस दिन का जब वापिस रतनगढ़ जाना था . सुबह बस नहा कर तैयार ही हुआ था की ताई आ गयी, हाथो में खाने का डिब्बा लिए. उसे देखते ही मुझे वो सर्द अहसास हुआ जो टेम्पो में हुआ था .
ताई- खाना लायी हु तुम्हारे,
मैंने ताई की तरफ देखा और बोला- मुझे कुछ और खाना है,
ताई मेरे पास आई और बोली- क्या खायेगा मेरा बेटा
मैं- दूध पीना है मुझे .
ताई शर्मा गयी, उसे उम्मीद नहीं रही होगी की मैं ऐसे सीधा कह दूंगा उसे पर, टेम्पो में जो हुआ उसके बाद हम दोनों ही जानते थे की क्या करना है और हम दोनों की मंजूरी थी उसमे.
मैंने ताई को अपनी बाँहों में भर लिया और ताई के होंठो पर पाने होंठ रख दिए, ताई भी मेरा साथ देने लगी, उसने अपना मुह थोडा सा खोला और ताई का निचला होंठ मेरे दोनों होंठो के बीच आ गया. चुमते चुमते मैं ताई के नितम्बो को साड़ी के ऊपर से मसलने लगा. जब मेरे होंठ थकने लगते तो ताई चूसने लगती और जब वो थकती तो मैं चूसता
चूमा चाटी के दौरान मैंने ताई की साडी खोल दी अब बरी ब्लाउज की थी और जल्दी ही ताई के मोटे मोटे खरबूजे काली जाली वाली ब्रा में से बाहर आने को मचल रहे थे, मैंने कमरे को दरवाजा बंद किया और फिर से उसे बाँहों में भर लिया. वासना का तूफ़ान शुरू होने वाला था . ताई की ब्रा और पेटीकोट खोल दिए
काले रंग की कच्छी में ताई की मांसल भरी हुई जांघे, और चूत के ऊपर का फूला हुआ उभार किसी भी मर्द को उस पल पागल कर देता . एक बार फिर से मैं उसके होंठ चूसने लगा. मैंने अपने हाथ ताई की कच्छी में डाले और उसके मदमस्त नितम्बो को मसलने लगा मैंने दोनों कुलहो को फैलाया और ताई की गांड के छेद को अपनी उंगलियों से सहलाया.
ताई बुरी तरह से मुझसे लिपट गयी , उत्तेजना से भरी ताई ने मेरी पेंट खोल दी और उसने निचे सरकाते हुए मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया. अपना हाथ लंड पर ऊपर निचे करते हुए ताई ने उसके आकार का जायजा लिया और उसे जोर से हिलाने लगी. मुझे अब हद से ज्यादा मजा आने लगा था .
ताई अपने घुटनों पर बैठी और मेरी आँखों में देखते हुए लंड को मुह में भर लिया . थूक से सनी जीभ ने जैसे ही मेरे सूखे सुपाडे को छुआ, तन बदन में जैसे करंट सा लग गया , मेरे घुटने कांप गए मैंने अपने हाथो से ताई का सर थाम लिया. और वो बेरहम उसे चूसते हुए मेरे अन्डकोशो को सहलाने लगी,
“आह ताईजी ” मेरी आहे कमरे में गूंजने लगी और ताई पुरे मजे से मूझे लंड चुसाई का अहसास करवा रही थी, जैसे उसके लिए ये रोज का काम हो. मैंने उसके सर को कस क पकड़ लिया और मेरी कमर जोश से आगे पीछे होने लगी, और मुझे यकीं था की लंड ताई के गले की गहराई तक पहुच रहा है .
कुछ देर बाद उसने मुह से निकाल दिया और बिस्तर पर लेट गयी,मैंने पैरो में फंसी पेंट को साइड में फेका और बिस्तर पर चढ़ गया, ताई ने केअपनी एक चूची मेरे मुह में दे दी, बचपन में चूची से दूध बहुत पिया था पर ये एक नया अहसास था , ताई के निप्पल अकड़ने लगे थे, फिर ताई ने मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया, कच्छी का अगला हिस्सा बहुत गीला था , मैंने चूत को कस कर दबाया ताई आंहे भरने लगी .
थोड़ी देर और चूची पीने के बाद मैंने कच्छी को उतार फेंका , किसी भी औरत के बदन का सबसे प्यारा हिस्सा उसकी चूत , मेरे सामने थी, ताई की चूत पर ढेर सारे बाल थे, और उन बालो के बीच काले रंग के होंठ मैंने उंगलियों से उन्हें खोला तो अन्दर का लाल हिस्सा दिखा मुझे , मैं बस देखता ही रहा गया,
ताई का बदन उत्तेजना से हिल रहा था मैंने उसके पैरो को और थोडा सा खोला और अपने चेहरे को उस पर झुका लिया , जिस तरह से ताई ने लंड चूसा था मुझे भी इच्छा हुई चूत को चूमने की. मेरी नाक उसकी चूत से टकराई तो एक सुगंध ने जैसे मुझ पर जादू कर दिया . मैंने महसूस किया की वो छेद एक कुवा है और मेरे होंठ जन्मो के प्यासे.
मैंने बिना देर किये उस तपती भट्टी पर अपने होंठ रख दिए.
“ओह kabirrrrrrrrrrrrrrr ” ताई जैसे चहकने लगी थी. चूत से रिश्ता नमकीन पानी मेरे मुह में घुलने लगा, और जब मेरी जीभ ऊपर उस छोटे से दाने से रगड़ खायी तो ताई ने मेरे चेहरे को अपने पैरो से दबा लिया और निचे से चुतड उठा उठा कर चूत चुसवाने लगी
पर जल्दी ही ताई ने मेरा मुह वहां से हटा दिया और लंड को पकड़ कर चूत पर रगड़ते हुए बोली- अब सह नहीं पाऊँगी, बहुत दिनों से प्यासी हु, अपनी ताई की प्यास बुझा बेटा
मैं भी तो प्यासा था मैंने बिना देर किये वैसा ही किया थोडा सा दवाब डालते ही ताई की चूत खुलने लगी और उसने लंड को अपने अन्दर ले लिया . ताई ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया और हमारे होंठ अपने आप जुड़ गए, कुछ देर बस उसके ऊपर लेटा रहा , उसके बाद हमारी चुदाई शुरू हो गयी.
आने वाले कुछ पलो में क्या हुआ कुछ होश नहीं रहा बस ये मालूम था की दो जिस्म एक दुसरे में समाये हुए है , दोनों एक दुसरे के चेहरे को चूम रहे थे , ताई की चूत में तेज तेज धक्के पड़ रहे थे और वो खुल क्र अपना रस बहा रही थी , न जाने कितनी देर तक हम ऐसा करते रहे और फिर ताई ने मुझे बुरी तरह जकड़ लिए, चूत ने जैसेकैद कर लिया लंड को और फिर वो चीखते हुए शांत हो गयी, और ठीक उसी पल मेरे लंड से पिचकारिया गिरने लगी, मैं अपने रस से ताई की चूत को भरने लगा.
|