RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
#52
हवाए थम गयी थी पर जंगल में जानवरों, पक्षियों ने ऐसा शोर मचाया हुआ था की दूर दूर तक उस कोलाहल को सुना जा सकता था , पर मेघा उसके सामने खड़ी थी , उसे चुनोती देते हुए
मेघा- क्या हुआ मेरी चुनोती स्वीकार नहीं तुम्हे, या भय है तुम्हे इस धार का .
“नादानी मत कर छोरी, मैं हर समय सरल नहीं रहती, तू उस रेखा को मत लांघ , तूने जो अपमान किया मेरा मैं माफ़ी दे रही हूँ तुझे , चली जा ”उसने मेघा को टालते हुए कहा
मेघा- ये क्यों नहीं कहती की इन तमाम बातो के पीछे खौफ है, तुम भी जानती हो तुम मुझे पार नहीं कर पाओगी, बेह्सक तुम्हारी सिद्धिया मुझसे ज्यादा है पर मैं आज आजमाइश करुँगी तुम्हारी,
वो- सिद्धिया, मुर्ख, कुछ नहीं जानती तू, चली जा
मेघा- जाउंगी जरुर पर तुमसे जीत कर ही
वो- प्राणों का भय नहीं है तुझे
मेघा- होता तो यहाँ नहीं खड़ी होती
वो- ये घडी ठीक नहीं है जा चली जा
मेघा- चली जाउंगी , ठीक जाती हु, तुम पैर पकड़ लो मेरे , अपनी नाक रगड़ मेरे कदमो में
मेघा न जाने क्या क्या कह रही थी उसको, गुस्से में अनाप शनाप बोल रही थी , और फिर न जाने क्या घडी आयी
“देख रहे हो सरकार देख रहे हो नादानीया. ये मुझे नाक रगड़ने को कह रही है , मेरी ममता का ये सिला है सुन रहे हो न तुम, नफरत देखनी है न तुझे , ठीक है ,, देख ले, तेरी इच्छा पूरी करुँगी जरुर करुँगी, और हाँ मुकाबला बराबरी का होगा, तेरी और मेरी तलवार , बाकि कुछ नहीं , ” उसने बस इतना ही कहा और अपना पैर धरती पर जोर से पटका
दोनों के बीच की जगह में दरार आ गयी उसने अपना हाथ धरती में डाला और एक तलवार को खींच लिया
“आजा ”
अगले ही पल दो तलवार बहुत जोरो से टकराई, मेघा न पूरा जोर लगा दिया पर फिर भी उसे अपने कंधे बोझ के मरे झुकते हुए महसूस हुए,
“बस इतना जोर है ” उसने मेघा का उपहास उड़ाया
मेघा फुर्ती से घुटनों पर बैठी और फिर निचे होते हुए उसके पैरो पर लात एक पल वो लड़खड़ाई पर जल्दी ही संभल गयी, बार बार दोनों की तलवारे टकराती , मेघा को भी जनून था और उसके बारे में क्या कहूँ,इतनी कुशलता, इतनी प्रवीणता , उसके दांव पेंच ऐसे की क्या फुर्ती, क्या बिजली की गति. मेघा को भी ये अहसास जब हुआ जब वो तलवार मेघा की बांह चीर गयी . बरसो से प्यासी तलवार ने जैसे ही ताजे रक्त का पान किया उसकी प्यास और बुझ गयी .
“आह्ह ” चीखी मेघा
“क्या हुआ छोरी एक चीरे से घबरा गयी, अभी तो शुरुआत है , अभी तो इस धरती की प्यास बुझते देखना है तुझे तेरे ही रक्त से इस धरा का अभिषेक होगा. ” उसने कहा
मेघा- देखेंगे,हम देखेंगे
अगले ही पल मेघा ने जैसे अपने जख्म का हिसाब चुकता कर दिया, उसकी पीठ पर मेघा की तलवार ने अपने निशाँ छोड़ दिए थे
“बढ़िया, और कोशिश कर ”
दोनों की सांसे फूलने लगी थी , कदम एक समय के बाद थकने लगे थे पर हार कोई कैसे माने , पर मेघा ये नहीं जानती थी , की जिसके सर पर खुद शिव ने हाथ रखा था उस से पार कैसे पाती वो, मेघा के बदन पर अब निशान ही निशान थे , रक्त से बदन भीगा था . पर फिर भी उसका हठ था की तलवार थामे हुए थे वो सामने बेरहम कातिल था पर मेघा थी की मान ही नहीं रही थी .
“दम नहीं रहा क्या हाथो में ” मेघा ने उसे और क्रोध दिलाते हुए कहा
“देखेगी छोरी तू ऐसा देखेगी , की तू दुआ करेगी रब से की अगला जन्म चाहे किसी का भी देना इन्सान न बनाना ” कहते हुए उसने अपनी तलवार की नोक मेघा के सीने पर रख दी
और वो मेघा थी की पागलो की तरह हंसने लगी थी, इतना जोर जोर से हंस रही थी
“पागल हो गयी क्या, मौत को दरवाजे पर देख कर अक्सर लोग पागल हो जाते है ” उसने मेघा की तरफ देखते हुए कहा
मेघा- मौत का क्या है एक न एक दिन आनी ही हैं , आज ही सही
“अंतिम इच्छा ”
मेघा- प्रीत की डोर से तुम्हे आजाद करना , टूटी डोर जोड़ना
जब तक मेघा की मे बात पूरी होती तलवार मेघा के सीने को चीरते हुए आगे बढ़ने लगी . मेघा के मुह से हिचकी निकली खून भरी .
उसने तलवार से अपने हाथ हटाये, ,
“मेरी अंतिम इच्छा यही है की मैं जान सकू कौन हो तुम , तुम्हारा क्या रिश्ता है कबीर से, मैं तुम्हे वो दिलाना चाहती हु जिसकी तुम हक़दार हो ”
मेघा ने अपने हाथ जोड़ दिए, ”
मेघा- जो भी मैंने तुम्हे उकसाने को कहा बेटी समझ कर माफ़ करना, और कोई रास्ता भी नहीं था मेरे
वो- ये क्या पाप करवा दिया तूने ,
उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे, डूबती आँखों से मेघा ने देखा उसे जलते हुए, राख होते हुए.
क़यामत आ चुकी थी , पर मैं बेखबर बढ़ रहा था मेघा से मिलने को दिल में अरमान लिए, एक नयी दुनिया सजाने को , मेरे प्यार से मिलने उसका दीदार करने , पर कहते है न आशिको की किस्मत में रब ने न जाने क्या क्या लिखा है , मेरी तमाम खुशिया जैसे बिखर गयी जब मैंने उसे देखा, रक्त से सने , दुनिया जैसे थम गयी मेरी
“मेघा ,,,,,,,,,,, मेघा ” मैंने उसे गोद में उठाया .
आँखे बंद थी सांसे श्याद बाकि थी , मेरे आंसू उसके चेहरे पर गिरने लगे,
“हे, मेघा आंखे खोल , देख मुझे, देख तेरा कबीर आया है देख मुझे ” मैं रोता रहा ,
“डॉक्टर के पास ले जाता हु इसे , हाँ डॉक्टर के पास ”
मैंने मेघा को कंधे पर उठाया और दौड़ पड़ा, दिमाग जैसे सुन्न हो गया था , कुछ समझ नहीं आ रहा था,
“सांसे थामे रखना , मेरी जान जब तक मैं हूँ तुझे कुछ नहीं होगा ”
मैं उसे टूटे चबूतरे तक ले आया था की तभी वो मेरे आगोश से गिर पड़ी
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