RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
#62
मेघा की आँखे फटी रह गयी जब उसने उन नहारविरो को उस बला के आगे नतमस्तक होते देखा,
“वापिस जाओ ” जैसे उसने आदेश दिया. पल भर में सब शांत हो गया रह गए मेघा और वो .
“जरा भी शर्म नहीं है तुझे, इतना सब होने के बाद भी ये ओछी हरकत, धन की भूख है तो मांग मुझसे, जिनसे तूने टकराने की सोची थी उनके बारे में मालूम तो कर लिया होता तूने, तेरा जो ये दंभ हैं न तेरी इस आधी जान को ले जायेगा ” गुस्से से फुफकारते हुए उसने मेघा से कहा
मेघा- जानती हु ,
वो- जानते हुए भी
मेघा- हाँ जानते हुए भी और कारण आप भी जानती है
उसने घुर कर मेघा को देखा फिर बोली- जो तेरा नहीं है नहीं वो तेरा हो नहीं पायेगा. तूने अपनी गलतियों की वजह से ऐसा जाल बुन दिया है तू जितना उसके पास जायेगी वो तुझसे उतना ही दूर होगा.
मेघा- इसीलिए तो मैं ये सब कर रही हु.
मेघा ने अपने गले में पड़ा वो लॉकेट उसे दिखाया . अब हैरानी की बारी उस बला की थी .
“तो तेरा प्रयोजन ये था , बहुत बड़ा छल किया है तूने, ” उसने कहा
मेघा- छल नहीं, प्रेम करती हु उस से , और मैं हर वो परीक्षा दूंगी जिस से मैं अपने प्रेम को पा सकू, जी सकू उसके साथ ,
“मोहब्बत साची हो न छोरी तो उपरवाले का कलेजा भी पिघल जाता है पर न तू सच्ची न तेरा प्रेम. जब उसके नाम का मंगलसूत्र पहन ही लिया तो डंके की चोट पर पकड़ उसका हाथ, दिखा जमाने को तेरा प्यार. क्यों दूर भाग रही है उस से, जितने भी दिन का साथ है ,जी उसके साथ सच बता दे उसे , प्रेम सच्चा है तो कोई राह निकल आएगी , मेरी मान प्रेम ही वो शक्ति है वो धारा का रुख मोड़ देती है , ” उसने मेघा को समझाते हुए कहा
मेघा- बता दूंगी , बस मेरा ये काम पूरा हो जाए
“उफ़ तेरा ये हठ , पंचमी नजदीक आ रही है आगे भाग और सुन तू इस रस्ते पर मत चल कुछ नहीं मिलेगा दुखो के सिवा ” उसने मेघा से बात कही और मुड कर चल पड़ी
मेघा- एक मिनट रुकिए, मुझे आपका परिचय जानना है
“अभागनो के नाम नहीं होते , होता है तो बस उनके भाग में दुःख, तुझे अपने जैसी नहीं नहीं देखना चाहती इसलिए रोकती हु मान न मान तेरी मर्ज़ी ” उसने कहा और चल पड़ी. पायल की आवाज सन्नाटे को चीर गयी
इधर मैं बेसर्ब्री से इंतज़ार कर रहा था की कब वो डायरी मेरे पास आये और मैं उन पन्नो को पढ़ कर अतीत को आज से जोड़ दू. कर्ण से झगडे के बाद मैं गाँव भी नहीं जा सकता था और रतनगढ़ जाने का कारण था नहीं मेरे पास . उस डायरी के अलावा एक चीज़ और थी वो थी मेघा ,
वो शहर में थी , पर इतने बड़े शहर में उसे कहाँ तलाश करू, इक तरफ मैं चिंतित इसलिए भी था की पंचमी आने वाली थी , मजार की मिटटी लेके मुझे जाना कहाँ था वो भी नहीं मालूम था . पर इतना जरुर विश्वास था की पंचमी को मेघा जरुर मिलेगी मुझे
.
अर्जुन्गढ़, रतनगढ़ के बीच आखिर ऐसी क्या दुश्मनी थी , मैंने बहुत सोचा बहुत सोचा बहुत ज्यादा सोचा , ये सब शुरू हुआ जब मैं पहली बार रतनगढ़ गया मेघा मिली, दूसरी अजीब चीज थी वो दिया, वसीयत में मिला मामूली दिया , मेरे दादा जानते थे उनके बारे में ,
बहुत सोच कर मैं एक बार फिर से शहर चल दिया.
बेशक वकील मर गया था पर उसकी औलाद उसके जूनियर मेरी मदद कर सकते थे, कुछ घंटो बाद मैं फिर से वकील के ऑफिस में था,
“मुझे मेरे दादा और परदादा की हर एक प्रोपर्टी जिनकी डीड बनवाई गयी थी छोटी से छोटी जमीन उनकी जानकारी चाहिए, ”
शाम तक मैं वही बैठा तमाम उन कागजो को खंगालता रहा जो मेरे खानदान से सम्बंधित थे पर सब बेकार था कोई ऐसा सुराग नहीं मिला जो मदद कर सके . खैर, वापसी में मैंने थोडा सामान लिया और गाँव की तरफ हो लिया.
खेत तक पहुचते पहुचते रात घिर आई थी मैंने देखा ताई आई हुई थी,
मैं- यहाँ कैसे
ताई- तुमसे मिलने
मैं- देवर ने भेजा है क्या
ताई- खुद आई हु,
मैं- बड़े दिनों बाद आई याद
ताई- कई बार आ चुकी हूँ, पर तुम मिलते नहीं
मैं- मुसाफिरों का क्या ठिकाना , आज यहाँ तो कल कही और
ताई- मुझे एक बात करनी है तुमसे
मैं- कहो,
वो- तुम्हारे घर छोड़ने की क्या वजह थी .
मैं- मुझे लगा था तुम्हारे देवर ने बता दिया होगा. जब तुमने चूत दे दी तो इतना तो पूछ लिया होता
ताई- चूत तो तुम्हे भी दी है , उसी का लिहाज करके बता दो
मैं-बस बाप बेटे का झगडा था
ताई- मैं उस रात का सच जानना चाहती हु कबीर, कर्ण के साथ जो हुआ उस से मुझे लगता है की
“आपको लगता है की मैंने ही आपके पति को मारा है , यही न ” मैंने ताई की बात पूरी की
ताई- मेरा वो मतलब नहीं था , कबीर , पर उस दिन उनकी लाश तुम और देवर जी ही लाये थे, और फिर उसी रात तुमने घर छोड़ दिया.
मैं- तो ये बात तीन साल में कभी भी पूछ लेती ,
ताई- कबीर, मैं बस उस रात का सच जानना चाहती हु ,
मैं-मुझे नहीं मालूम
ताई- मैं जानती हु कबीर, की हमारे घर में सबने मुखोटे ओढ़े है बस मैं असली रंग देखना चाहती हु.
मैं- तो फिर अपने देवर से क्यों नहीं पूछती वो क्यों नहीं बताते
ताई- नहीं बताता इसलिए ही तो तुम्हारे पास आई हूँ
मैं- आपको जाना चाहिए
ताई- नहीं बताना चाहते तुम, तो ठीक है मैं तुमसे एक सौदा करती हूँ तुम उस रात का सच मुझे बताओगे, बदले में
मैं- बदले में क्या
ताई- बदले में मैं तुम्हे कुछ ऐसा बताउंगी , जो तुम्हारी मदद करेगा, ये जो तुम उधेध्बुन में लगे हो मैं तुम्हे एक मजबूत सिरा दूंगी.
मैं- कैसे विश्वास करू, हो सकता है तुम्हारे देवर ने कोई योजना बनाई हो मेरे खिलाफ
ताई- मैं जल की सौगंध उठा सकती हु.
मैं- ठीक है पर मेरी दो शर्त है ,
ताई- क्या
मैं- एक तो वो जानकारी और दुसरे मेरे एक सवाल का जवाब .
ताई- मंजूर
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