Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
12-07-2020, 12:18 PM,
#71
RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
#66

प्रज्ञा के साथ वो खास पल जीना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी , बीते कुछ महीने जबसे वो मेरे जीवन में आई थी , जिन्दगी क्या होती थी मैं जान गया था, बाकि बची तमाम रात वो मेरी बाँहों में थी, मेरे आगोश में थी . सुबह हुई, हम तैयार थे देवगढ़ जाने को, मैंने गाड़ी स्टार्ट की ,

प्रज्ञा- मैं चलाती हु .

मैं साइड में हो गया. मैंने भरपूर नजर उसके चेहरे पर डाली, रात की चुदाई के बाद बड़ी खुशगवार लग रही थी वो .

“ऐसे क्या देख रहे हो ” बोली वो

मैं- बस तुम्हे देख रहा हूँ , जी चाहता है की तुम सामने ऐसे ही बैठी रहो मैं तुम्हे देखा करू .

प्रज्ञा- तुम भी न

मैं- झूठ नहीं कहूँगा, मेरे दिल में एक जगह तुम्हारी भी है , तुम जब जब मेरे साथ होती हो लगता है जिन्दा हूँ मैं , मेरे आस पास का मौसम ख़ुशी से भर जाता है जब मैं इस चेहरे को मुस्कुराते देखता हूँ

प्रज्ञा- छोड़ो न इन बातो को मेरे दिल के तार झनझना जाते है

मैं- काश तुम मेरी होती

प्रज्ञा- एक तरह से तुम्हारी ही तो हूँ मैं

मैं- हो भी नहीं भी

प्रज्ञा- अब तुम्हारी किस्मत में जितना है उतना मिल ही गया तुमको

मैंने गाड़ी का शीशा चढ़ाया और प्रज्ञा के काँधे पर अपना सर रख दिया

मैं- काश ऐसा होता की तुम हमेशा मेरे पास रहती मेरे साथ रहती,

प्रज्ञा- इस जन्म में तो राणाजी ले गए मौका किसी और जन्म में देखना अब तुम

मैं- ये बात तो है

ऐसे ही आपस में हंशी मजाक करते हुए हम देव गढ़ की तरफ बढ़ रहे थे, जल्दी ही आबादी खत्म हो गयी , सुनसान इलाका शुरू हो गया . रस्ते पर पत्ते पड़े थे, छोटे मोटी टहनिया पड़ी थी

“ऐसा लगता है जैसे काफी समय से इस तरफ कोई नहीं आया है ” मैंने कहा

प्रज्ञा- हाँ , मैंने भी ज्यादा कुछ सुना नहीं इधर के बारे में ,

मैं- पर हुकुम सिंह का कामिनी से सम्बन्ध था , तो देवगढ़ का तुम्हे मालूम होना चाहिए

प्रज्ञा- मेरे परिवार में कामिनी की कोई खास इज्जत नही है कबीर, एक तरफ से वो अय्याश टाइप औरत थी , हमेशा से अलग रही थी परिवार से .

मैं- पर हुकुम सिंह के बेहद करीब रही होगी,

प्रज्ञा- मुझे भी ऐसा ही लगता है .

कुछ देर बाद हम देवगढ़ में दाखिल हो गए. मकान पुराने थे , जर्जर हालत में , ऐसा लग रहा था की मैं किसी और ज़माने म पहुँच गया हूँ

प्रज्ञा ने एक जगह गाड़ी रोकी, जैसे ही मैं गाड़ी से उतरा मेरे सर में अचानक से दर्द हो गया .

“क्या हुआ कबीर, ठीक तो हो न ” बोली वो

मैं- हाँ ठीक हु, एकदम से सरदर्द हो गया .

प्रज्ञा- पर यहाँ कोई है नहीं किस से पूछे राणा हुकुम सिंह के बारे में

प्रज्ञा न जाने क्या कह रही थी मैं उसकी बात सुन नहीं पा रहा था, सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था, आँखों के आगे अँधेरा छा रहा था , काली पेली आक्रतिया आ रही थी, जैसे फोटो का नेगेटिव होता हैं न वैसे ही कुछ .

मैंने गाड़ी के बोनट को पकड़ लिया और अपने आपको संभालने की कोशिश करने लगा. नाक से नकसीर बहने लगी थी .

“कबीर , कबीर ये क्या हो रहा है ठीक तो हो न ”

मैं- हाँ ठीक हु, शायद गर्मी की वजह से नक्सेर आ गयी

मैंने रुमाल से खून साफ़ करते हुए कहा

प्रज्ञा- पर मौसम ठण्ड का है कबीर,

मैं- हो जाता है कभी कभी .

मैंने प्रज्ञा को टालते हुए कहा पर अन्दर से मैं घबरा गया था ,क्योंकि मेरे साथ पहले भी कुछ दुखद घटनाये हो चुकी थी इसलिए मैं थोडा सावधान हो रहा था . मेरी आँखे कुछ ऐसी छाया देख रही थी जो अजीब थी , हम थोडा आगे बढे, वो खाली पड़े मकान, वो सुनसान राहे, .

मैं देख रहा था , एक अपनापन महसूस कर रहा था जैसे इस जगह को जानता था ,

“इधर आओ, ये बाजार होता था प्रज्ञा , यहाँ की जलेबी बहुत प्रसिद्ध होती थी ” मैंने कहा

प्रज्ञा- पर तुम्हे कैसे मालूम

मैं- नहीं मालूम बस मेरे मुह से अपने आप निकल गया .

हम थोडा सा आगे बढे, एक बड़ा सा कमरा था , जिस पर एक जर्जर बोर्ड लगा था डाक खाना, देवगढ़ . कुछ आगे और बढे हम लोग. मुझे लगा की कोई छाया जैसे मेरे पास से भाग कर गयी, ये मेरा भ्रम नहीं था , मेरी स्मृति खेल रही थी मेरे साथ, मैं कुछ ऐसी यादो को महसूस कर रहा था जो मेरी नहीं थी, बहुत घुमने के बाद हम आखिरकार एक ऐसे घर के पास पहुंचे जिसने जैसे मेरी आँखों को जकड़ ही लिया हो.

वो बड़ा सा दरवाजा, जिसकी लकड़ी अब काली पड़ गयी थी , जगह जगह से दीमक खा गयी थी . पर लोहे के जर खाए कुंडे अभी भी लटके थे, कभी कभी जब हवा जोर से बहती तो आवाज करके बता देते थे की अभी भी पहरेदारी कर रहे है वो .

मैं आगे बढ़ा और उस दरवाजे को खोल दिया. ढेर सारी धुल ने मेरा स्वागत किया. ये बहुत बड़ा घर था , आँगन में एक चोपड़ा था जहाँ कभी तुलसी लगी होगी, एक जीप रही होगी किसी जमाने में अब केवल कबाड़ था. पर कुछ तो था इस घर में जिसने मेरे कदमो की आहट को महसूस कर लिया था .

पास में ही एक हैंडपंप था . मैंने न जाने क्यों उसे चलाया थोड़ी साँस लेने के बाद पानी फूट पड़ा उसमे , मैंने मुह धोया, एक बेहद अलग सा सकूं मिला मुझे, ये पानी ठीक वैसा ही मीठा था जैसा मुझे मजार के पास और उस तम्बू में मिला था .

मैंने पास वाले कमरे को खोला , शायद ये रसोई थी , जिसमे अब कुछ नहीं बचा था . निचे एक और बड़ा सा कमरा था जो शायद बैठक रही होगी, ऊपर जाती सीढिया थी, मैंने नजर डाली दो चोबारे थे, मैंने प्रज्ञा का हाथ पकड़ा और सीढिया चढ़ने लगा. सर का दर्द हद से ज्यादा बढ़ गया था . दिल जोरो से धडकने लगा था .

दाई तरफ वाले चोबारे का दरवाजा जैसे ही मैंने खोला , मैं और प्रज्ञा दोनों एक पल के लिए घबरा से गए.
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश - by desiaks - 12-07-2020, 12:18 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,471,132 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 541,107 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,220,101 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 922,509 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,636,355 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,066,601 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,926,996 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,978,522 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,001,550 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,051 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)