Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
12-07-2020, 12:18 PM,
#76
RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
#71

मैं- तो मुझे भी साथ ले चलो , क्या पता वहां मेरा नसीब भी हो

उसने मुझे देखा और बोली - आज नहीं फिर कभी ,

मैं वही छत पर बैठ गया , अकेले तनहा, जिन्दगी बस तीन औरतो के बीच घूम रही थी , मेघा, प्रज्ञा और ये रुबाब वाली, और अब लगता था की तीनो से ही मेरा गहरा नाता था . पर कैसे ये कोई नहीं बता रहा था, उसने कहा था ये मेरा घर है , और घर किसी भी आदमी का गढ़ होता है तो यहाँ कुछ न कुछ ऐसा जरुर होना चाहिए था जो मुझे मेरे जवाब दे सके,

मैंने निर्णय लिया की सुबह होते ही एक बार फिर से तलाशी लूँगा. अगर मेरा घर है तो मुझे पहचान लेगा. मुझे बताएगा मेरी मोजुदगी को, मेरे हर नक्श को, मेरे अक्स को दिखायेगा मुझे . ये घर ही मिलाएगा मुझे मेरे अतीत से , और आने वाले कल से.

सोचते सोचते सुबह हो गयी, बरसो बाद मैंने सुबह देखि थी और ये बहुत शानदार सुबह थी , थोड़ी दूर मोर बोल रहे थे, सूरज की लाली में ठण्ड थी . अंगड़ाई लेते हुए मैं उठा , हाथ मुह धोये, एक बार फिर मेरी निगाहे उस तस्वीर पर आकर ठहर गयी जिसका चेहरा धुंधला गया था . मुझे मालूम करना था ये कौन है .

बहुत देर तक मैंने उसे देखा , फिर मैं बैठक में आया. मैंने दीवारों को टटोला, फर्श को अच्छे से देखा और देखिये मुझे एक चोर दरवाजा मिला. थोड़ी मशक्कत के बाद मैंने उसे खोल दिया. निचे जाने को कुछ सीढिया थी जल्दी ही मैं एक तहखाने में पहुँच गया .

रौशनी के लिए टोर्च जलाई, तो पाया की एक छुपा कमरा था , एक तरफ शराब की धुल खायी बोतले थी, एक बड़ा सा पलंग था . थोडा बहुत सामान और दिवार पर सजी चार बड़ी सी तस्वीरे. आदमकद तस्वीरे, शीशे की फ्रेम में जड़ी हुई, मैंने एक कपडे से उनकी धुल साफ़ की , दो तस्वीरो को मैं तुरंत पहचान गया, हुकुम सिंह और कामिनी की तस्वीरे.

दो तस्वीरे और थी एक जोड़ा और था , वो आदमी मुझे बहुत देखा देखा लग रहा था , मैंने दिमाग पर और जोर दिया .

और मैं समझ गया मैंने उसे कहा देखा था वो ठाकुर अर्जुन सिंह थे, अर्जुन सिंह जिनके नाम पर अर्जुन गढ़ बसाया था, मेरे सर में भयंकर दर्द होने लगा था , जैसे की ये फट जायेगा. एक असहनीय दर्द, मुझे बहुत सी छाया दिखनी शुरू हो गयी, मैं किसी औरत के पीछे भाग रहा हूँ , वो मुझसे अठखेली कर रही थी , मैंने ऊँट देखे , एक छप्पर देखा , चूल्हे पर रोटी बनाती देखा किसी को मैं उसके पास बैठा था.

छाया बदली मैंने खुद को देखा, किसी से लड़ते , शोर गूँज रहा था चारो तरफ मैंने कुछ ऐसा देखा जिस से मेरा कोई लेना देना नहीं था .

मेरे कानो में फ़ोन बजने की आवाज आई तो मैं जैसे धरती पर आ गिरा. एक अनजान नम्बर से फ़ोन था पर जो दूसरी तरफ से कहा गया सुन कर मैं खुश हो गया. मैं तुरंत वहां से निकला , मुझे शहर जाना था . जितना जल्दी हो सके.

कुछ घंटे बाद मेरे हाथ में कामिनी की डायरी थी , मैंने वहीँ बैठ कर उसे पढना शुरू किया, दो दोस्तों की कहानी, जैसे मैं खो गया पर जल्दी ही मुझे झटका लगा जब मैंने उनकी दुश्मनी के बारे में भी पढ़ा, मैंने पद्मिनी को जाना, मैंने कामिनी को जाना मैंने जाना अर्जुंग सिंह और हुकुम सिंह को .

उस डायरी में सब कुछ था उनके बारे में उनके सुख के दिनों के बारे में, उनके ऊपर आये दुखो का वर्णन , बस कुछ नहीं था तो वो कड़ी जो मुझे जोड़ दे उनसे, पर एक चीज़ ने मेरा ध्यान खींचा था वो था लाल मंदिर .

अर्जुन और हुकुम सिंह की लड़ाई की जगह , जहाँ हुकुम सिंह ने एक प्रतिज्ञा ली थी .

मैंने जाना कैसे हुकुम सिंह ने दुनिया से अपनी मोहब्बत को छुपाया, मुझे वो एक फट्टू लगा जो इतना दबंग होते हुए भी अपनी प्रेमिका का हाथ ज़माने के सामने न थाम पाया. मैंने जाना की लाल मंदिर की मिटटी में कुछ था जिसको पद्मिनी ने बांध दिया था ताकि हुकुम सिंह उसका उपयोग न कर पाए.

मैंने जाना उनके टूटते रिश्ते की उलझनों को , मैंने जाना खारी बावड़ी के बारे में और मैं सबसे पहले उस जगह को पहचान गया , मैंने एक नक्षा बनाया और अगर वो खारी बावड़ी थी तो मुझे लाल मंदिर का पता भी मिल गया था .

तारा माँ का मंदिर ही लाल मंदिर था , वहीँ पर दोनों दोस्तों की दोस्ती की डोर टूटी थी , ये प्रीत की डोर उनकी दोस्ती की डोर थी , और खुद रुबाब वाली ने कहा भी तो था की रतनगढ़ अर्जुन गढ़ का हिस्सा ही हैं . वो दिया जो मुझे विरासत में मिला था वो अर्जुन सिंह का था जो पीढ़ी दर पीढ़ी घूम रहा था जब तक की वो सही हाथो में न पहुँच जाए, और वो वारिस मैं था .

मैं तुरंत चल दिया रतनगढ़ के लिए , मेरी मंजिल था लाल मंदिर , इतिहास को खींच कर आज के कदमो में डालने का समय आ गया था . वहां पहुँचते पहुँचते शाम सी हो गयी थी . चूँकि मंदिर का दुबारा से निर्माण कार्य चल रहा था तो लोग थे वहां पर , पर मुझे किसी की घंटा परवाह थी . मुझे देखते ही लोगो में खुसर पुसर शुरू हो गयी . मैं चलते हुए तालाब की तरफ जाने लगा.

“रुक जा कबीर, इतना सब होने के बाद भी तू यहाँ आ गया ”

मैंने देखा ये वही टोली थी सुमेर सिंह के दोस्तों वाली, बस उनके साथ गाँव के भी कुछ लोग थे

मैं- किसी के बाप की जगह नहीं है ये, और ना तुम लोगो की औकात की मुझे रोक सको

“रतनगढ़ में अभी भी मर्द है ” टोली में से कोई बोला

मैं- पर मुझे शौक नहीं है तुम्हारी मर्दानगी देखने का , अपने काम करो मुझे मेरा करने दो

“हमारा काम यही है की दुश्मन का इलाज कर दिया जाए ”

मैं समझ गया था की ये चूतिये ऐसे नहीं मानने वाले

मैं- ठीक है फिर, कौन आएगा तुम में से पहले मरने को , जिसकी इच्छा है आगे आ जाये, चलो करते है शुरू

“इनसे क्या जोर आजमाइश , मजा तो जब आयगा जब दर्द भी अपना और दुश्मन भी अपना ” दूर से आती आवाज ने मेरा ध्यान खींच लिया
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश - by desiaks - 12-07-2020, 12:18 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,472,432 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 541,265 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,220,682 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 922,924 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,637,271 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,067,224 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,928,184 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,982,501 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,003,046 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,170 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)