RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
वैशाली जब पुलिस स्टेशन से बाहर निकली, तो उसका मन काफी कुछ हल्का हो गया था । किस्मत ने उसे एक बार विजय से मिला दिया था । इंटर तक दोनों साथ-साथ पढ़े थे । वह बड़ौदा में थी उस वक्त, फिर परिवार मुम्बई आ गया और वैशाली का बीच में एक वर्ष बेकार चला गया । उसने पुनः अपनी शिक्षा जारी रखी ।
वह विजय से प्यार करती थी, विजय भी उसे उतना ही चाहता था, परन्तु उस वक्त यह प्यार मुखरित नहीं हो पाया । इस अधूरे प्यार के बाद दोनों कभी नहीं मिले और आज संयोग ने उन्हें मिला दिया था ।
"क्या विजय आज भी मुझे उतना ही चाहता है ?" यह सोचती हुई वह अपने आप में खोई बढ़ी चली जा रही थी ।
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एडवोकेट रोमेश सक्सेना ने नवयौवना को ध्यानपूर्वक देखा ।
"इस किस्म का यह पहला केस है ।" रोमेश मे कहा,"एक तरफ तो आप फरमाती हैं कि वह बेकसूर है । दूसरी तरफ उसके खिलाफ खुद सबूत जुटाकर थाने में पहुँचा रही हैं, तीसरी बात यह कि मुझसे मदद भी चाहती हैं, आप आखिर हैं क्या चीज ?"
"सर आप मेरी मनोस्थिति समझिए, मैं उसकी सगी बहन हूँ, बचपन से उसे जानती हूँ । वह मुझे बेइन्तहा चाहता है, मगर ऐसा नहीं कि वह किसी का कत्ल कर डाले ।"
"तो फिर वह रुपया कहाँ से आ गया ?"
"उसी रुपये ने मुझे दोहरी मानसिक स्थिति में ला खड़ा किया है, इसीलिये तो मैं आपके पास आई हूँ । कहीं ऐसा न हो कि वह निर्दोष हो और मेरी एक भूल से उसे फाँसी की सजा हो जाये, फिर तो मैं अपने आपको कभी माफ न कर पाऊँगी । सर हो सकता है किसी ने उसे फंसाने के लिए चाल चली हो और एक लाख रुपया मेरे घर पहुंचाया हो, क्योंकि सोमू ने कभी उस व्यक्ति का जिक्र तक नहीं किया, जो अपने को उसका शुभचिंतक बता रहा है ।"
"मिस वैशाली पहले अपना माइण्ड मेकअप करो, एक ट्रैक पर चलो, यह तय करो कि वह निर्दोष है या दोषी, उसके बाद मेरे पास आना, वैसे भी मैं कोई मुकदमा तब तक हाथ में नहीं लेता, जब तक मुझे यकीन नहीं हो जाता कि मुलजिम निर्दोष है ।"
"लेकिन सर, जब तक आप या मैं इस नतीजे पर पहुँचेंगे… ।"
"कुछ नहीं होगा, तब तक के लिए अदालत की कार्यवाही रोकी जा सकती है । आप मुझे अगले सप्ताह इसी दिन मिलना समझी आप, तब तक मैं अपने तौर से भी पुष्टि कर लूँगा, हाँ उस आदमी का नाम पता नोट कराओ, जिसने एक लाख रुपया दिया है ।"
वैशाली ने उसका नाम-पता नोट करा दिया ।
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