RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
अगली तारीख पर अदालत खचाखच भरी हुई थी । पुलिस ने जो गवाह पेश किये, वह सब रटे रटाये तोते की तरह बयान दे रहे थे । रोमी ने इनमें से किसी से भी खास क्वेश्चन नहीं किया, न ही चश्मदीद गवाह से यह पूछा कि वह सुनसान हाईवे पर आधी रात को क्या कर रहा था ?
"मेरे अजीज दोस्त रोमेश सक्सेना ने बिना वजह अदालत का समय जाया किया है मीलार्ड । इनका तो मनोबल इतना टूटा हुआ है कि किसी गवाह से सवाल जवाब करने से ही कतरा रहे हैं ।"
"फर्जी गवाहों से सवाल जवाब करना मैं अपनी तौहीन समझता हूँ और न ही इस किस्म के क्रियाकलापों में समय नष्ट करता हूँ । मैं अपने काबिल दोस्त से जानना चाहूँगा कि सारे गवाह पेश करने के बावजूद भी पुलिस वह रकम क्यों बरामद नहीं कर पायी, जो सोमू ने लूट ली थी । यह प्वाइन्ट नोट किया जाये योर ऑनर कि जिस रकम के पीछे कत्ल हो गया, वह रकम सोमू के पास से बरामद नहीं हुई ।"
"इस रकम की बरामदगी न होने से केस की मजबूती पर कोई असर नहीं पड़ता योर ऑनर ! पुलिस सोमू से रकम बरामद न कर सकी, इससे केस के हालात नहीं बदल जाते । सोमू पहले ही अपने जुर्म का इकबाल कर चुका है ।" राजदान ने पुरजोर असर डालते हुए कहा, "यह बात मुलजिम ही बेहतर जानता होगा, उसने रकम कहाँ छिपायी थी । पुलिस ने उस पर थर्ड डिग्री प्रयोग की होती, तो शायद रकम भी बरामद हो जाती । लेकिन उसने पुलिस को चकमा देकर अदालत में समर्पण किया और उसे रिमाण्ड पर नहीं लिया जा सका । पुलिस ने रिमाण्ड की जरूरत इसलिये भी नहीं समझी कि वह अपना जुर्म कबूल करने के लिए तैयार था । दैट्स आल योर ऑनर ।"
"योर ऑनर मेरे काबिल दोस्त की सारी दलीलें अभी फर्जी साबित हो जाएंगी, मैं वह रकम पेश करने की इजाजत चाहता हूँ ।"
"आप रकम पेश करेंगे ?" राजदान चिल्लाया ।
"क्या हर्ज है ? पुलिस का अधूरा काम कोई भी शरीफ शहरी पूरा कर दे, तो उसमें हर्ज क्या है । क्या मुझे कानून की मदद करने का अधिकार नहीं और फिर यह रकम कोई मैं अपने पल्ले से दे नहीं रहा । न ही उसमें मेरा कोई कमीशन है ।"
अदालत में बैठे लोग हँस पड़े ।
"आर्डर !आर्डर !!" जज ने मेज पर हथौड़ी पीटी ।
अदालत शांत हो गई ।
"एडवोकेट रोमेश सक्सेना, रकम पेश कीजिए ।"
इंस्पेक्टर विजय उठकर बाहर गया और कुछ क्षण में ही एक व्यक्ति को पेश किया गया वह हाथ में ब्रीफकेस लिए हुए था । यह शख्स और कोई नहीं बेंकट करुण था । कमलनाथ का बहनोई ।
अदालत की रस्मी कार्यवाही के अनुसार गीता पर कसम लेने के बाद उसके बयान शुरू हो गये ।
"आपका नाम ?" रोमेश ने पूछा ।
"बेंकट करुण ।"
"बाप का नाम ।"
"अंकेश करुण ।"
"क्या आप वह रकम लेकर आये हैं, जिसका मालिक सोमू है ?" रोमेश ने पूछा ।
"जी हाँ, ये रही ।"
"यह फर्जी ड्रामा कर रहे हैं योर ऑनर ।" राजदान चीखा, "पता नहीं क्या गुल खिलाना चाहते हैं ?"
"मैं कोई गुल नहीं खिलाना चाहता गुले गुलजार, मैं तो आपकी मदद कर रहा हूँ । केस को और मजबूत कर रहा हूँ ।"
"योर ऑनर, मेरे काबिल दोस्त से कहें कि गवाह का बयान पूरा होने के बाद ही गुल खिलायें ।"
पब्लिक एक बार फिर हँस पड़ी ।
न्यायाधीश को एक बार फिर मेज बजानी पड़ी ।
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