RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
"इस केस में मेरी सफलता ही मेरी सबसे बड़ी फीस है, तुम तो जानती ही हो । चुनौती भरा केस था ।"
"तुम्हें तो वकील की बजाय समाजसेवी होना चाहिये, अरे हाँ याद आया, मायादास के भी दो तीन फोन आ चुके हैं ।"
"मायादास कौन ?"
"मिस्टर मायादास, चीफ मिनिस्टर जे.एन. साहब के सेकेट्री हैं ।"
रोमेश उछल पड़ा ।
"क्या मैसेज था मायादास का ?"
"कहा जैसे ही आप आएं, एक फोन नम्बर पर उनसे बात कर लें । नम्बर छोड़ दिया है अपना ।" इतना कहकर सीमा ने एक टेलीफोन नम्बर बता दिया ।
रोमेश ने फोन नम्बर अपनी डायरी में नोट कर लिया ।
"यह मायादास का भला हमसे क्या काम पड़ सकता है ?"
"आप वकील हैं । हो सकता है कि कोई केस हैण्डओवर करना हो ।"
"इस किस्म के लोगों के लिए अदालतों या कानून की कोई वैल्यू नहीं होती । तब भला इन्हें वकीलों की जरूरत कैसे पेश आयेगी ?"
"आप खुद ही किसी रिजल्ट पर पहुंचने के लिए बेकार ही माथापच्ची कर रहे हैं, एक फोन करो और मालूम कर लो न डियर एडवोकेट सर ।"
"शाम को फुर्सत से करूंगा, अभी तो मुझे कुछ काम निबटाने हैं, लगता है अब हमारे दिन फिरने वाले हैं । अच्छे कामों के भी अच्छे पैसे मिल सकते हैं, वह दिल्ली में मेरा एक दोस्त है ना जो डिटेक्टिव एजेंसी चलाता है ।"
"कैलाश वर्मा ।"
"हाँ, वही । उसने एक केस दिया है, मेरे लिए वह काम मुश्किल से एक हफ्ते का है, दस हजार रुपया उसी सिलसिले में एडवांस मिला था, डार्लिंग इस बार मैं अपना… ।"
तभी डोरबेल बजी ।
"देखो तो कौन है ?" रोमेश ने नौकर से पूछा ।
नौकर दरवाजे पर गया, कुछ पल में वापिस आकर बताया, "इंस्पेक्टर साहब हैं । साथ में वह लड़की भी है, जो पहले भी आई थी ।"
"अच्छा उन्हें अन्दर बुलाओ ।" रोमेश आकर ड्राइंगरूम में बैठ गया ।
"हैल्लो रोमेश ।" विजय, वैशाली के साथ अन्दर आया ।
"तुमको कैसे पता चला, मैं दिल्ली से लौट आया ।" रोमेश ने हाथ मिलाते हुए कहा ।
"भले ही तुम दिग्गज सही, मगर पुलिस वाले तो हम भी हैं । हमने मालूम कर लिया था कि जनाब का रिजर्वेशन राजधानी से है और फिर हमें मुम्बई सेन्ट्रल स्टेशन के पुलिस इंचार्ज ने भी फोन कर दिया था ।"
"ऐसी घोर विपत्ति क्या थी ? क्या वैशाली पर फिर कोई मुसीबत आयी है ?"
"नहीं भई ! हम तो जॉली मूड में हैं । हाँ, काम कुछ वैशाली का ही है ।"
"क्या तुम्हारे भाई ने फिर कुछ कर लिया ?"
"नहीं उसने तो कुछ नहीं किया, सिवाय प्रायश्चित करने के । असल में बात यह है कि वैशाली तुम्हारी सरपरस्ती में प्रैक्टिस शुरू करना चाहती है, इसके आदर्श तो तुम बन गये हो रोमेश ।"
"ओह तो यह बात थी ।"
"यानि अभी यह होगा कि तुम मुलजिम पकड़ा करोगे और यह छुड़ाया करेगी । चित्त भी अपनी और पट भी ।"
उसी समय सीमा ने ड्राइंगरूम में कदम रखा ।
''नमस्ते भाभी ।" दोनों ने सीमा का अभिवादन किया ।
"इस मामले में तुम जरा अपनी भाभी की भी परमीशन ले लो ।" रोमेश बोला, “तो पूरी ग्रीन लाइट हो जायेगी ।"
"भाभी जरा इधर आना तो ।" विजय उठ खड़ा हुआ, "आपसे जरा प्राइवेट बात करनी है ।"
विजय अब सीमा को एक कमरे में ले गया ।
"बात ये है भाभी कि वैशाली अपनी मंगेतर है और उसने एक जिद ठान ली है कि जब तक वकील नहीं बनेगी, शादी नहीं करेगी । वकील भी ऐसा वैसा नहीं, रोमेश जैसा ।"
"अरे तो इसमें मैं क्या कर सकती हूँ, एक बात और सुन लो विजय ।"
"क्या भाभी ?"
"मेरी सलाह मानो, तो उसे सिलाई बुनाई का कोर्स करवा दो । कम से कम घर बैठे कुछ तो कमा के देगी । इन जैसी वकील बन गई, तो सारी जिन्दगी रोता रहेगा ।"
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