RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
"मुझे उससे कुछ अर्निंग थोड़े करवानी है । बस उसका शौक पूरा हो जाये ।"
"सिर पकड़कर आधी-आधी रात तक रोती रहती हूँ मैं । तू भी ऐसे ही रोएगा ।"
"क… क्यों ?"
"अब तुझसे अपनी कंगाली छिपी है क्या ?"
"भाभी वैसे तो घर ठीक-ठाक चलता ही है । हाँ, ऐशोआराम की चीज में जरूर कुछ कमी है, मगर मेरे साथ ऐसा कोई लफड़ा नहीं होने का ।"
"तुम्हारे साथ तो और भी होगा ।"
"कैसे ?"
"तू मुजरिम पकड़ेगा, यह छुड़ा देगी । फिर होगी तेरे सर्विस बुक में बैड एंट्री ! मुजरिम बरी होने के बाद इस्तगासे करेंगे, मानहानि का दावा करेंगे, फिर तू आधी रात क्या सारी-सारी रात रोएगा । मैं कहती हूँ कि उसे कोई स्कूल खुलवा दो या फिर ब्यूटी पार्लर ।"
"ओह नो भाभी ! मुझे तो उसे वकील ही बनाना है ।"
"बनाना है तो बना, बाद में रोने मेरे पास नहीं आना ।"
"अब तुम जरा रोमेश से तो कह दो, उस जैसा तो वही बना सकता है ।"
"सबके सब पागल हैं, यही थी प्राइवेट बात । मैं कह दूंगी, बस ।"
थोड़ी देर में दोनों ड्राइंग रूम में आ गये ।
उस वक्त रोमेश कानून की बुनियादी परिभाषा वैशाली को समझा रहा था ।
''कानून की देवी की आँखों पर पट्टी इसलिये पड़ी होती है, क्योंकि वहाँ जज्बात, भावनायें नहीं सुनी जाती । कई बार देखा भी गलत हो सकता है, बस जरूरत होती है सिर्फ सबूतों की ।"
''लो इन्होंने तो पाठ भी पढाना शुरू कर दिया ।'' सीमा ने कहा, "चल वैशाली, जरा मेरे साथ किचन तो देख ले, यह किचन भी बड़े काम की चीज है । यहाँ भी जज्बात काम नहीं करते, प्याज टमाटर काम करते हैं । "
सब एक साथ हँस पड़े ।
सीमा के साथ वैशाली किचन में चली गई ।
☐☐☐
|