RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
रोमेश ने अगले दिन दिल्ली फोन मिलाया । कैलाश वर्मा को उसने रात भी फोन पर ट्राई किया था, मगर कैलाश से बात नहीं हो पायी । ग्यारह बजे ऑफिस में मिल गया ।
"मैं रोमेश ! मुम्बई से । "
"हाँ बोलो । अरे हाँ, समझा । मैं आज ही दस हज़ार का ड्राफ्ट लगा दूँगा । तुम्हारी पेमेंट बाकी है ।''
"मैं उस बाबत कुछ नहीं बोल रहा । ''
"फिर खैरियत ?"
"अखबार तो तुम पढ़ ही रहे होगे ।"
''पुलिस की अपनी सोच है, हम क्या कर सकते हैं ? जो हमारा काम था, हमने वही करना होता है, बेकार का लफड़ा नहीं करते ।"
"लेकिन जो काम तुम्हारा था, वह नहीं हुआ ।"
''तुम कहना क्या चाहते हो ?"
"तुमने सावंत को… ।"
"एक मिनट ! शार्ट में नाम लो । यह फोन है मिस्टर ! सिर्फ एस. बोलो ।"
"मिस्टर एस. को जो जानकारी तुमने दी, उसमें उसी का नाम है, जिस पर तर्क हो रहा है । तुमने असलियत को क्यों छुपाया ? जो सबूत मैंने दिया, वही क्यों नहीं दिया, यह दोगली हरकत क्यों की तुमने ?"
"मेरे ख्याल से इस किस्म के उल्टे सीधे सवाल न तो फोन पर होते हैं, न फोन पर उनका जवाब दिया जाता है । बाई द वे, अगर तुम दस की बजाय बीस बोलोगे, वो भेज दूँगा, मगर अच्छा यही होगा कि इस बाबत कोई पड़ताल न करो ।"
"मुझे तो अब तुम्हारा दस हज़ार भी नहीं चाहिये और आइंदा मैं कभी तुम्हारे लिए काम भी नहीं करने का ।"
"यार इतना सीरियस मत लो, दौलत बड़ी कुत्ती शै होती है । हम वैसे भी छोटे लोग हैं । बड़ों की छाया में सूख जाने का डर होता है ना, इसलिये बड़े मगरमच्छों से पंगा लेना ठीक नहीं होता । तुम भी चुप हो जाना और मैं बीस हज़ार का ड्राफ्ट बना देता हूँ । "
''शटअप ! मुझे तुम्हारा एक पैसा भी नहीं चाहिये और मुझे भाषण मत दो । तुमने जो किया, वह पेशे की ईमानदारी नहीं थी । आज से तुम्हारा मेरा कोई संबंध नहीं रहा ।"
इतना कहकर रोमेश ने फोन काट दिया ।
करीब पन्द्रह मिनट बाद फोन की घंटी फिर बजी ।
रोमेश ने रिसीवर उठाया ।
''एडवोकेट रोमेश ''
''मायादास बोलते हैं जी । नमस्कार जी । "
"ओह मायादास जी, नमस्कार ।"
"हम आपसे यह बताना चाहते थे कि फिलहाल जे.एन. साहब के लिए कोई केस नहीं लड़ना है, प्रोग्राम कुछ बदल गया है । हाँ, अगर फिर जरूरत पड़ी, तो आपको याद किया जायेगा । बुरा मत मानना । "
''नहीं-नहीं । ऐसी कोई बात नहीं है । वैसे बाई द वे जरूरत पड़ जाये, तो फोन नंबर आपके पास है ही ।''
"आहो जी ! आहो जी ! नमस्ते ।''
मायादास ने फोन काट दिया ।
रोमेश जानता था कि दो-चार दिन में ही मायादास फिर संपर्क करेगा और रोमेश को अभी उससे एक मीटिंग और करनी थी, तभी जे.एन. घेरे में आ सकता था ।
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