Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
12-09-2020, 12:26 PM,
#43
RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
एक बार फिर उसकी मोटर साइकिल मुम्बई की सड़कों पर घूम रही थी ।
रात के ग्यारह बजे उसने टेलीफोन बूथ से फिर एक नम्बर डायल किया । इस बार फोन पर दूसरी तरफ से किसी नारी का स्वर सुनाई दिया ।
"हैल्लो, कौन मांगता ?"
"माया ।" रोमेश ने मुस्कराकर कहा ।
"हाँ, मैं माया बोलती ।"
"जे.एन. को फोन दो, बोलो कि खास आदमी का फोन है ।"
"मगर आप हैं कौन ?"
"सुअर की बच्ची, मैं कहता हूँ जे.एन. को फोन दे, वह भारी मुसीबत में पड़ने वाला है ।"
"कौन बोलता ?" इस बार जे.एन. का भारी स्वर सुनाई दिया । उसके स्वर से ही पता चल जाता था कि वह नशे में है, रोमेश ने उसकी आवाज पहचानकर हल्का सा कहकहा लगाया ।
"नहीं पहचाना, वही तुम्हारा होने वाला कातिल ।"
"सुअर के बच्चे, तू यहाँ भी मर गया । मैं तुझे गोली मार दूँगा, तू हैं कौन हरामजादे ? तेरी इतनी हिम्मत, मैं तेरी बोटी-बोटी नोंचकर कुत्तों को खिला दूँगा ।"
"अगर मैं तुम्हारे हाथ आ गया, तो तुम ऐसा ही करोगे । क्योंकि तुमने पहले भी कईयों के साथ ऐसा ही सलूक किया होगा । सुन मेरे प्यारे मकतूल, मैं अब तुझे तेरी मौत की तारीख बताना चाहता हूँ । दस जनवरी की रात तेरी जिन्दगी की आखिरी रात होगी । मैं तुझे दस जनवरी की रात सरेआम कत्ल कर दूँगा ।"
"सरेआम ! मैं समझा नहीं ।"
"कुल सात दिन बाकी रह गये हैं तेरी जिन्दगी के । ऐश कर ले । यह घड़ी फिर नहीं आयेगी ।"
इतना कहकर रोमेश ने फोन काट दिया ।
☐☐☐
सुबह-सुबह विजय उसके फ्लैट पर आ धमका ।
"कहिये कैसे आना हुआ इंस्पेक्टर साहब ?"
"कुछ दिन से तो आपको भी फुर्सत नहीं मिल रही थी और कुछ हम भी व्यस्त थे । इसलिये चंद दिनों से आपकी हमारी मुलाकात नहीं हो पा रही थी और आजकल टेलीफोन डिपार्टमेंट भी कुछ नाकारा हो गया लगता है, आपका फोन मिलता ही नहीं ।"
"शायद आपको पता ही होगा कि मैं फ़िलहाल न तो किसी से मिलने के मूड में हूँ, न किसी की कॉल सुनना चाहता हूँ ।"
"कब तक ? " विजय ने पूछा ।
"ग्यारह जनवरी के बाद सब रूटीन में आ जायेगा ।"
"और, यानि दस जनवरी को तो आपकी मैरिज एनिवर्सरी है । क्या भाभी लौट रही हैं ?"
"नहीं, अपनी शादी की यह सालगिरह मैं कुछ दूसरे ही अंदाज में मनाने जा रहा हूँ ।"
"वह किस तरह, जरा हम भी तो सुनें ।"
"इंस्पेक्टर विजय, तुम अच्छी तरह जानते हो कि मैं जे.एन. का कत्ल करने जा रहा हूँ, ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि वैशाली ने तुम्हें न बताया हो । हाँ, उसने डेट नहीं बताई होगी । मैं जे.एन. का कत्ल 10 जनवरी की रात करूंगा, ठीक उस वक्त जब मैंने सुहागरात मनाई थी ।"
"ओह, तो शहर में जो चर्चायें हो रही है कि एक वकील पागल हो गया है, वह कहाँ तक ठीक है ?"
"पागल मैं नहीं, पागल तो जे.एन. होगा, दस तारीख की रात तक । वह जहाँ भी रहेगा, मैं भी वहीं उसे फोन करता रहूँगा और वह यह सोचकर पागल हो जायेगा कि दुनिया के किसी भी कोने में वह सुरक्षित नहीं है । फिर दस जनवरी की रात मैं उसे जहाँ ले जाना चाहूँगा, वह वहीं पहुंचेगा और मैं उसका कत्ल कर दूँगा । मेरा यह काम खत्म होने के बाद पुलिस का काम शुरू होना है, इसलिये कहता हूँ दोस्त कि 11 जनवरी को यहाँ आना, यहाँ सब ठीक मिलेगा ।"
"जहाँ तक पुलिस की तरफ से आने का प्रश्न है, मैं पहले भी आ सकता हूँ । तुम्हारी जानकारी के लिए मैं इतना बता दूँ कि जे.एन. ने रिपोर्ट दर्ज करा दी है, उसने कमिश्नर से सीधा सम्पर्क किया है और पुलिस डिपार्टमेंट की ओर से मुझे दो काम सौंपे गये हैं । एक तो मुझे होने वाले कातिल से जे.एन. की हिफाजत करनी है, दूसरे उस होने वाले कातिल का पता लगाकर उसे सलाखों के पीछे पहुँचाना है ।"
"वंडरफुल यह तो तुम्हारी बहुत बड़ी तरक्की हुई । सावंत के हत्यारे को पकड़ तो न सके, उल्टे उसकी हिफाजत करने चले हो ।"
"यह कानूनी प्रक्रिया है, ऐसा नहीं है कि मैं जे.एन. के खिलाफ सबूत नहीं जुटा रहा हूँ और मैंने यह चैप्टर क्लोज कर दिया है, लेकिन यह मेरी सिर्फ डिपार्टमेंटल ड्यूटी है, किसी कातिल को इस तरह कत्ल करने की छूट पुलिस नहीं देती, चाहे वह डाकू ही क्यों न हो । जे.एन. पर वैसे भी कोई जिन्दा या मुर्दा का इनाम नहीं है और न ही वह वांटेड है, अभी भी वह वी.आई.पी. ही है । "
"ठीक है, तो तुम अपना कर्तव्य निभाओ, अगर तुम्हारा इरादा मुझे गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे पहुचाने का है, तो शायद तुम यह भूल रहे हो कि मैं कानून का ज्ञाता भी हूँ । किसी को धमकी देने के जुर्म में तुम मुझे कितनी देर अन्दर रख सकोगे, यह तुम खुद जान सकते हो ।"
"रोमेश प्लीज, मेरी बात मानो ।" विजय का अन्दाज बदल गया, "मैं जानता हूँ कि तुम ऐसा कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि तुम तो खुद कानून के रक्षक हो, आदर्श वकील हो । फिर यह सब पागलपन वाली हरकतें कहाँ तक अच्छी लगती हैं । देखो, मैं यकीन से कहता हूँ कि जे.एन. एक दिन पकड़ा जायेगा और फिर उसे कानून सजा देगा । "
"मर गया तुम्हारा वह कानून जो उसे सजा दे सकता है । अरे तुम उसके चमचे बटाला को ही सजा करके दिखा दो, तो जानूं । विजय मुझे नसीहत देने की कौशिश मत करो, मैं जो कर रहा हूँ, ठीक कर रहा हूँ । जे.एन. के मामले में एक बात ध्यान से सुनो विजय । कानून और कानून की किताबें भूल जाओ, अपनी यह वर्दी भी भूल जाओ । अब जे.एन. का मुकदमा मेरी अदालत में है, इस अदालत का ज्यूरी भी मैं हूँ और जज भी मैं हूँ और जल्लाद भी मैं हूँ । अब तुम जा सकते हो ।"
"भगवान तुम्हें सबुद्धि दे ।" विजय सिर झटककर बाहर निकल गया ।
☐☐☐
जनार्दन नागारेड्डी के सामने बटाला खड़ा था ।
"चप्पे-चप्पे पर अपने आदमी फैला दो, दूर के स्टेशनों के बूथ और दूसरे बूथों के आसपास रात के वक्त तुम्हारे आदमी होने चाहिये । जैसे भी हो इस आदमी का पता लगाओ कि यह है कौन, इसे हमारे कोड्स का पता कैसे लग गया ? यह मेरे गुप्त ठिकानों के बारे में कैसे जानता है ? वैसे तो इस काम में पुलिस भी जुट गई है. लेकिन तुम्हें अपने ढंग से पता लगाना है ।"
"यस सर ! आप समझ लें, दो दिन में हम उसका पता लगा लेगा और साले को खलास कर देगा ।"
"जाओ काम पर लग जाओ ।"
बटाला सलाम मारकर चला बना ।
जे.एन. आज इसलिये फिक्रमंद था, क्योंकि विगत रात माया के फ्लैट पर उसे अज्ञात आदमी का फोन आया था । यह बात उसे कैसे पता थी कि उस वक्त जे.एन. मायारानी के फ्लैट पर होगा ? उसने पुलिस कमिश्नर को फोन मिलाया । थोड़ी देर तक उधर बात करता रहा । पुलिस की तरफ से पूरी सुरक्षा की गारंटी दी जा रही थी । वैसे तो सिक्योरिटी गार्ड्स अभी भी उसकी सेफ्टी के लिए थे ।
"चार स्पेशल ब्लैक कैट कमांडो आपके साथ हर समय रहेंगे ।" कमिश्नर ने कहा, "वैसे लगता तो यही है कि कोई सिरफिरा आदमी आपको बेकार में तंग कर रहा है, फिर भी हम पूरे मामले पर नजर रखे हैं ।"
"थैंक्यू कमिश्नर ।" जनार्दन नागारेड्डी ने फोन के बाद अपने पी.ए. को बुलाया ।
"यस सर ।" मायादास हाज़िर हो गया, "क्या हुक्म है ?"
"मायादास जी, आप मेरे सबसे नजदीकी आदमी हैं । मैं चाहता हूँ कि फ़िलहाल अब कुछ वक्त मुम्बई से बाहर गुजार लिया जाये, कौन सी जगह बेहतर रहेगी ?"
"मेरे ख्याल से आप दूर न जायें, तो बेहतर है । हम आपको अपनी सुरक्षा टीम के दायरे से बाहर नहीं भेजना चाहते ।"
"क्या सचमुच मुझे कोई खतरा हो सकता है ? पुलिस कमिश्नर तो कह रहा था कि यह किसी सिरफिरे का काम है, बस दिमाग में कुछ टेंशन सी रहती है, इसलिये जाना चाहता हूँ ।"
"सुनो आप खंडाला चले जाइए, वहाँ आपकी एक विला तो है ही । हमारे लोग वहाँ उसकी हिफाजत भी करते रहेंगे । बात ये भी तो है कि कभी भी आपको दिल्ली बुलाया जा सकता है, इसलिये मुम्बई से ज्यादा दूर रहना तो वैसे भी आपके लिए ठीक नहीं होगा ।"
"आप ठीक कहते हैं, मैं खंडाला चला जाता हूँ । किसी को मत बताना, कोई ख़ास बात हो, तो मुझे फोन कर देना ।"
"ठीक है ।"
"मैं वहाँ बिलकुल अकेला रहना चाहता हूँ, समझ गये ना ।"
"बेशक ।"
जनार्दन नागारेड्डी उसी दिन खंडाला के लिए रवाना हो गया ।
☐☐☐
शाम तक वह विला में पहुँच गया । उसके पहुंचने से पहले वहाँ दो स्टेनगन धारी कमांडो चौकसी पर लग चुके थे, उन्होंने जे.एन. को सैल्यूट किया ।
जे.एन. विला में चला गया ।
विला में खाने-पीने का सब सामान मौजूद था ।
रात को नौ बजे मायादास का फ़ोन आया, उसने कुशल पूछी और थोड़ी देर तक औपचारिक बातों के बाद फोन बंद कर दिया ।
जे.एन. बियर पीता रहा,फिर वह कुछ पत्रिकायें पलटता रहा । इसी तरह रात के ग्यारह बज गये । वह सोने की तैयारी करने लगा ।
अचानक फोन की घंटी बजने लगी । अभी वह बिस्तर पर पूरी तरह लेट भी नहीं पाया था कि चिहुंककर उठ बैठा । वह फोन को घूरने लगा । क्या मायादास का फोन हो सकता है ? किन्तु मायादास तो फोन कर चुका है, वह दोबारा तो तभी फोन करेगा जब कोई ख़ास बात हो । रात के ग्यारह और बारह के बीच तो उसी कातिल का फोन आता है । तो क्या उसी का फोन है ?
घंटी बजती रही ।
आखिर जे.एन. को फोन का रिसीवर उठाना ही पड़ा । किन्तु वह कुछ बोला नहीं, वह तब तक बोलना ही नहीं चाहता था, जब तक मायादास की आवाज न सुन ले ।
किन्तु दूसरी तरफ से बोलने वाला मायादास नहीं था ।
"मैं तेरा होने वाला कातिल बोल रहा हूँ बे ! क्यों अब बोलती भी बंद हो गई, अभी तो छ: दिन बाकी है । यहाँ खंडाला क्या करने आ गया तू, वैसे तेरा कत्ल करने के लिए इससे बेहतर जगह तो कोई हो भी नहीं सकती ।"
जे.एन. ने फोन पर कोई जवाब नहीं दिया और रिसीवर क्रेडिल पर रख कर फ़ोन काट दिया । दोबारा फोन की घंटी न बजे इसलिये उसने रिसीवर क्रेडिल से उठाकर एक तरफ रख दिया । इतनी सी देर में उसके माथे पर पसीना भरभरा आया था । पहली बार जे.एन. को खतरे का अहसास हुआ ।
उसे लगा वह कोई सिरफिरा नहीं है ।
या तो कोई शख्स उसे भयभीत कर रहा है या फिर सचमुच कोई हत्यारा उसके पीछे लग गया है । लेकिन कोई हत्यारा इस तरह चैलेंज करके तो कत्ल नहीं करता । अगली सुबह ही जनार्दन नागारेड्डी ने खंडाला की विला भी छोड़ दी और वह वापिस अपनी कोठी पर आ गया । जनार्दन ने अंधेरी में एक नया बंगला बनाया था, वह सरकारी आवास की बजाय इस बंगले में आ गया । मायादास को भी उसने वहीं बुला लिया ।
शाम को इंस्पेक्टर विजय उससे मिलने आया । उसके साथ चार ब्लैक कैट कमांडो भी थे ।
"कमिश्नर साहब ने आपकी हिफाजत के लिए मेरी ड्यूटी लगाई है ।" विजय ने कहा, "यह चार शानदार कमांडो हर समय आपके साथ रहेंगे । हमारी कौशिश यह भी है कि हम उस अज्ञात व्यक्ति का पता लगायें, इसके लिए हमने टेलीफोन एक्सचेंज से मदद ली है । जिन-जिन फोन नम्बरों पर आप उपलब्ध रहते हैं, वह सब हमें नोट करा दें, वैसे तो यह शख्स कोई सिरफिरा है जो… ।"
"नहीं वह सिरफिरा नहीं है इंस्पेक्टर ! वह मेरे इर्द-गिर्द जाल कसता जा रहा है । तुम फौरन उसका पता लगाओ । मैं तुम्हें अपने फोन नम्बर नोट करवा देता हूँ और अगर मैं कहीं बाहर गया, तो वह नंबर भी तुम्हें नोट करवा दूँगा ।"
इस पहली मुलाकात में न तो मायादास ने विजय का नाम पूछा, न जे.एन. ने ! संयोग से दोनों ने इंस्पेक्टर विजय का नाम तो सुना था, परन्तु आमना-सामना कभी नहीं हुआ था । उस रात रोमेश ने एक सिनेमा हॉल के बाहर बूथ से जे.एन. को फोन किया । उस वक्त नाईट शो का इंटरवल चल रहा था । पास ही पान सिगरेट की एक दुकान थी । फोन करने के बाद रोमेश उसी तरफ बढ़ गया, मोटर साइकिल पार्किंग पर खड़ी थी ।
"अरे साहब, फ़िल्म वाला साहब आप ।" पान की दुकान पर डिपार्टमेंटल स्टोर का सेल्समैन खड़ा था, "क्या नाम बताया था, ध्यान से उतर गया ?"
"रोमेश सक्सेना ।" तभी एक और ग्राहक ने पलटकर कहा, "एडवोकेट रोमेश सक्सेना ।"
यह दूसरा शख्स राजा था ।
राजा ने अगला सवाल दागा, "वह कत्ल हुआ की नहीं ?"
"अभी नहीं, दस जनवरी की रात होना है ।"
"मेरे कू अदालत वाला डायलॉग अभी तक याद है, बोल के दिखाऊं ।" चन्दू ने कहा ।
"पर यह तो बताइये जनाब कि आखिर आप किसका खून करना चाहते हैं ?" राजा ने मजाकिया अंदाज में कहा ।
आसपास कुछ लोग भी जमा हो गये थे । चर्चा ही ऐसी थी ।
"अब तुम लोग जानना ही चाहते हो तो… ।"
"मैं बताता हूँ ।" रोमेश की बात किसी ने बीच में ही काट दी । पीछे से जो शख्सियत सामने आई, वह कासिम खान था ।
संयोग से तीनों ही फ़िल्म देखने आये थे, नई फ़िल्म थी और हिट जा रही थी । हाउसफुल चल रहा था । इंटरवल होने के कारण बाहर भीड़ थी ।
"यह जनाब जिस शख्स का कत्ल करने वाले हैं, उसका नाम जनार्दन नागारेड्डी है ।"
"जनार्दन नागारेड्डी ।" चन्दू उछल पड़ा, "क्या बोलता है बे ? वो चीफ मिनिस्टर तो नहीं अरे ? अपना लीडर जे.एन. ?"
"कासिम ठीक कह रहा है, बात उसी जे.एन. की है । और यह कोई फ़िल्मी कहानी नहीं है, एक दिन तुम अख़बार में उसके कत्ल की खबर पढ़ लेना । ग्यारह जनवरी को छप जायेगी ।"
रोमेश इतना कहकर आगे बढ़ गया ।
भीड़ में से एक व्यक्ति तीर की तरह निकला और टेलीफोन बूथ में घुस गया । वह बटाला को फोन मिला रहा था ।
"हैलो ।" फोन मिलते ही उसने कहा, "उस आदमी का पता चल गया है, जो जे.एन. साहब को फोन पर धमकी देता है ।"
"कौन है ? " बटाला ने पूछा ।
"उसका नाम रोमेश सक्सेना है, एडवोकेट रोमेश सक्सेना ।"
"ओह, तो यह बात है । रस्सी जल गई, मगर बल अभी बाकी है, ठीक है ।"
दूसरी तरफ से बिना किसी निर्देश के फोन कट गया ।
उसी वक्त बटाला का फोन जे.एन. को भी पहुँच गया ।
☐☐☐
Reply


Messages In This Thread
RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात - by desiaks - 12-09-2020, 12:26 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,471,756 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 541,201 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,220,403 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 922,693 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,636,749 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,066,890 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,927,539 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,980,421 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,002,175 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,091 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)