RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
रात को रोमेश ने फिर जनार्दन को फोन किया । इस बार जनार्दन जैसे पहले से तैयार बैठा था ।
"हैल्लो, जे.एन. स्पीकिंग ।" जनार्दन ने बड़े संयत स्वर में कहा ।
"मैं रोमेश बोल रहा हूँ ।" रोमेश ने मुस्कुराकर कहा, "एडवोकेट रोमेश सक्सेना तुम्हारा… । "
"होने वाला कातिल ।" बाकी जुमला जे.एन. ने पूरा किया ।
"तो तुम्हें मालूम हो चुका है ?" रोमेश ने कहा ।
"हाँ, मैं तो तुम्हारे फोन का ही इंतजार कर रहा था । मैं सोच रहा था कि इस बार हमारा पाला किसी खतरनाक आदमी से पड़ गया है, मगर यह तो वह कहावत हुई- खोदा पहाड़ निकली चुहिया ।"
"इस बात का पता तो तुम्हें दस जनवरी को लगेगा जे.एन. ।"
"अरे दस किसने देखी, तू अभी आ जा ! जितने चाकू तूने हमें मारने के लिए खरीदे हैं, सब लेकर आ जा । तेरे लिए तो मैं गार्ड भी हटा दूँगा ।"
"हर काम शुभ मुहूर्त में अच्छा होता है । तुम्हारी जन्म कुंडली में दस जनवरी का दिन बड़ा मनहूस दिन है और मेरी जन्म कुंडली का सबसे खुशनसीब दिन, इस दिन मैं कातिल बन जाऊंगा और तुम दुनिया से कूच कर चुके होंगे ।"
"खैर मना कि तू अभी तक जिन्दा है साले ! जे.एन. को गुस्सा आ गया होता, तो जहाँ तू है, वहीं गोली लग जाती और इतनी गोलियां लगतीं कि तेरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी धुआं उठता नजर आता । "
"मालूम है । चार आदमी अभी भी मेरी निगरानी कर रहे हैं । जाहिर है कि हथियारों से लैस होंगे । मेरी तरफ से पूरी छूट है, चाहे जितनी गोलियां चला सकते हो । ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा । तुम चूकना चाहो, तो चूक जाओ जे.एन. ! मगर मैं चूकने वाला नहीं ।"
इतना कहकर रोमेश ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया ।
रोमेश ने वहीं से एक नंबर और मिलाया । दूसरी तरफ से कुछ देर बाद एक लड़की बोली ।
"हाजी बशीर को लाइन दो मैडम !"
"कौन बोलता ? " मैडम ने पूछा ।
"बोलो एडवोकेट रोमेश सक्सेना का फोन है । "
"होल्ड ऑन प्लीज । "
रोमेश ने होल्ड किये रखा । कुछ देर बाद ही बशीर की आवाज फोन पर सुनाई दी
"कहो बिरादर, हम बशीर बोल रहे हैं ।"
"हाजी बशीर, मैंने फैसला किया है कि आइन्दा आपके सभी केस लडूँगा ।"
"वाह जी, वाह ! क्या बात है ? यह हुई न बात । अब तो हम दनादन ठिकाने लगायेंगे अपने दुश्मनों को । आ जाओ, दावत हो जाये इसी बात पर ।"
"मेरे पीछे कुछ गुंडे लगे हैं ।"
"गुण्डे, लानत है । साला मुम्बई में हमसे बड़ा गुंडा कौन है, कहाँ से बोल रहे हो ?"
"माहिम स्टेशन के पास ।"
"गुण्डों की पहचान बताओ और एक गाड़ी का नंबर नोट करो । MD 9972 ये हमारा गाड़ी है, अभी माहिम स्टेशन के लिए रवाना होगा । तुम अभी स्टेशन से बाहर मत निकलना, हमारा गाड़ी देखकर निकलना, हमारा आदमी की पहचान नोट करो, वो कार से उतरकर स्टेशन पर टहलेगा । बस उसको बता देना कि गुंडा किधर है, उसका लम्बी-लम्बी मूंछें हैं, दाढ़ी रखता है, काले रंग का पहलवान, गले में लाल रुमाल होगा । वो तुमको जानता है, सीधा तुम्हारे पास पहुँचेगा और फिर जैसा वो कहे, वैसा करना । ओ.के. ?"
"ओ.के. ।"
"डोंट वरी यार, हाजी बशीर को यार बनाया है, तो देखो कैसा मज़ा आता है जिन्दगी का ।"
रोमेश ने फोन काट दिया । उसकी मोटर साइकिल पार्किंग पर खड़ी थी, एक गुंडा तो स्टेशन पर टहल रहा था, दो पार्किंग में अपनी कार में बैठे थे, चौथा एक रेस्टोरेंट के शेड में खड़ा था । रोमेश ने उस कार का नम्बर भी नोट कर लिया था ।
वो स्टेशन पर ही टहलता रहा ।
कुछ देर बाद ही बशीर द्वारा बताये नंबर की कार स्टेशन के बाहर रुकी । उससे काला भुजंग पहलवान सरीखा व्यक्ति बाहर निकला । उसने इधर-उधर देखा, फिर उसकी निगाह रोमेश पर ठहर गई । वह स्टेशन में दाखिल हुआ, कार आगे बढ़ गई ।
रोमेश प्लेटफार्म नंबर एक पर आ गया । वह व्यक्ति भी रोमेश के पास आकर इस तरह खड़ा हो गया, जैसे गाड़ी की प्रतीक्षा में हो ।
"हुलिया नोट करो ।" रोमेश ने कहा, "एक बाहर ही खड़ा है दुबला-पतला, काली पतलून लाल कमीज पहने, देखो प्लेटफार्म पर इधर ही आ रहा है ।"
"आगे बोलो ।"
"बाकि तीन बाहर है, दो गाड़ी में, गाड़ी नंबर ।" रोमेश ने नंबर बताया ।
"अब हम जो बोलेगा, वो सुनो ।"
"बोलो ।"
"इधर से तुम होटल अमर पैलेस पहुँचो, उधर तुम डिस्को क्लब में चले जाना । उसके बाद सब हम पर छोड़ दो, वो होटल अपुन के बशीर भाई का है ।"
रोमेश स्टेशन से बाहर निकला और फिर पार्किंग से अपनी मोटर साइकिल उठाकर चलता बना । अब उसकी मंजिल होटल अमर पैलेस था । वरसोवा के एक चौक पर यह होटल था । रोमेश ने जैसे ही मोटर साइकिल रोकी, उसे पीछे एक धमाका-सा सुनाई दिया, उसने पलटकर देखा, तो नाके पर दो गाड़ियाँ आपस में टकरा गई थी । उनमें से एक कार पलटा खा गई थी । पलटा खाने वाली वह कार थी, जिसमें उसका पीछा करने वाले सवार थे ।
उस कार में एक तो कार में फंसा रह गया । तीन बाहर निकले । उधर बशीर के आदमी भी बाहर निकल आए थे । दोनों पार्टियों में मारपीट शुरू हो गई । देखते-देखते वहाँ पुलिस भी आ गई, परन्तु तब तक बशीर के आदमियों ने पीछा करने वालों की अच्छी खासी मरम्मत कर दी थी । जाहिर था कि आगे का मामला पुलिस को निपटाना था । आश्चर्यजनक रूप से पुलिस ने उन्हीं लोगों को पकड़ा, जो पिटे थे और पीछा कर रहे थे ।
बशीर के आदमी धूल झाड़ते हुए अपनी कार में सवार हुए और आगे बढ़ गये । लोग दूर से तमाशा जरुर देखते रहे, लेकिन कोई करीब नहीं आया ।
रोमेश अमर पैलेस में मजे से डिनर कर रहा था ।
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