RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
दस जनवरी, शनिवार का दिन ।
यह वह दिन था, जो बहुत से लोगों के लिए बड़ा महत्वपूर्ण था ।
सबसे अधिक महत्वपूर्ण दिन था जनार्दन नागारेड्डी के लिए । जो सवेरे-सवेरे मन्दिर इसलिये गया था, ताकि उसके ऊपर जो शनि की ग्रह दशा चढ़ी हुई है, वह शांत रहे । शनि ने उसे अब तक कई झटके दे दिये थे, उसे मुख्यमंत्री पद से हटवाया था, सावंत की हत्या करवाई थी और अब एक शख्स ने उसे शनिवार को ही मार डालने का ऐलान कर दिया था ।
जनार्दन नागारेड्डी वैसे तो हर कार्य अपने तांत्रिक गुरु से पूछकर ही किया करता था । तांत्रिक गुरु स्वामी करुणानन्द ने ही उस पर शनि की दशा बताई थी और ग्रह को शांत करने के लिए उपाय भी बताए थे । जे.एन. इन उपायों को निरंतर करता रहा था । इसके अतिरिक्त स्वयं तांत्रिक भी ग्रह शांत करने के लिए अनुष्ठान कर रहा था ।
मन्दिर से लौटते हुये भी जे.एन. के दिलो-दिमाग से यह बात नहीं निकल पा रही थी कि आज शनिवार का दिन है ।
घर पहुंच कर उसने मायादास को बुलाया ।
मायादास तुरन्त हाजिर हो गया ।
"मायादास जी, जरा देखना तो हमें आज किस-किससे मिलना है ?" जे.एन. ने पूछा ।
मायादास ने मिलने वालों की सूची बना दी ।
"ऐसा करिये, सारी मुलाकातें कैंसिल कर दीजिये ।" जे.एन. बोला ।
"क्यों श्रीमान जी ? " मायादास ने हैरानी से पूछा ।
"भई आपको कम से कम यह तो देख लेना चाहिये था कि आज शनिवार है ।"
"तो शनिवार होने से क्या फर्क पड़ता है ?"
"क्या आपको मालूम नहीं कि हम पर शनि की दशा सवार है ?"
"लेकिन उससे इन मुलाकातों पर क्या असर पड़ता है, यह सारे लोग तो आपके पूर्व परिचित हैं । साथ में आपको फायदा भी पहुंचाने वाले हैं ।"
"कुछ भी हो, हम आज किसी से नहीं मिलेंगे ।"
"जैसी आपकी मर्जी ।" मायादास ने कहा, "वैसे आपकी तबियत तो ठीक है ?"
"बैठो, यहाँ हमारे पास बैठो ।" जे.एन. बोला ।
मायादास पास बैठ गया ।
"देखो मायादास जी, तुम्हें याद है कि पिछले कई शनिवारों से हमें तगड़े झटके लगे हैं । जिस दिन सावन्त का चार्ज हमारे आदमी पर लगा, वह भी शनिवार का दिन था । जिस दिन मैंने सी.एम. की सीट छोड़ी, वह भी शनिवार का दिन था । और इस रोमेश के बच्चे ने भी मुझे मारने का दिन शनिवार ही चुना ।"
"ओह, तो यह टेंशन है आपके दिमाग में । लेकिन मुझे यकीन है, यह टेंशन कल तक दूर हो जायेगी । अब आप चाहें तो दिन भर आराम कर सकते हैं । मैं आप तक किसी का टेलीफोन भी नहीं पहुंचने दूँगा । कोई खास फोन हुआ, तो बात अलग है । वरना मैं कोड वाले फोन भी नहीं पहुंचने दूँगा ।"
"हाँ, ठीक है । मुझे आराम करना चाहिये । "
जे.एन. अपने बैडरूम में चला गया, लेकिन आराम कहाँ ? बन्द कमरे में तो उसकी बैचेनी और बढ़ ही रही थी । बार-बार रोमेश की धमकी का ख्याल आता ।
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उधर दस जनवरी का दिन रोमेश के लिए भी महत्वपूर्ण था । उसको एक चैलेंजिग मर्डर करना था, लोग चाहे जो अनुमान लगायें, परन्तु रोमेश ने इस कत्ल का ठेका पच्चीस लाख में लिया था और उसने कत्ल की तारीख भी तय कर ली थी । अगर वह कामयाब हो जाता, तो उसका भविष्य क्या होता ?
क्या उसे सीमा वापिस मिल जानी थी ?
क्या वह कानून के प्रति इंसाफ कर रहा था ?
इंस्पेक्टर विजय के लिए भी यह दिन महत्वपूर्ण था । उसे एक ऐसे शख्स की हिफाजत करनी थी, जो अपराधी था और जिसने बहुत से बेगुनाहों का कत्ल किया था । वह एक माफिया था और जो चीफ मिनिस्टर बन गया था । वह इस शख्स को नहीं बचा पाता, तो उसकी सर्विस बुक में एक बैडएंट्री होनी थी और इतना ही नहीं उसे रोमेश को गिरफ्तार करने पर भी मजबूर होना पड़ता ।
हालांकि वह अब अधिक चिन्तित नहीं था । फिर भी यह दिन उसके लिए महत्वपूर्ण था और इसी दिन शंकर नागारेड्डी के मुकद्दर का भी फैसला होने वाला था ।
अखबार वालों को भी सुनगुन थी कि कहीं कोई जबरदस्त न्यूज तो नहीं मिलने वाली । शहर में बहुत-सी जगह यह चर्चाएं थी । पुलिस डिपार्टमेंट से लेकर आम लोगों तक ।
दस जनवरी की रात आने तक कुछ नहीं हुआ।
विजय एक गश्त लगाकर चला गया ।
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रात के नौ बजे मायादास ने जे.एन. से मुलाकात की ।
"मैडम माया तीन बार फोन कर चुकी हैं ।" मायादास ने कहा, "उन्हें क्या जवाब दिया जाये ?"
"ओह, मुझे तो ध्यान नहीं रहा, आज शनिवार है ।"
"तुम तो जानते ही हो मायादास ! मैं हर शनिवार डिनर उसके साथ उसी के फ्लैट पर लेता हूँ । वैसे भी यहाँ सुबह से दम-सा घुटा जा रहा है । उससे कहो कि हम आ रहे हैं, क्या हमारा जाना ठीक है ?"
"आप तो बेकार में टेंशन पाले हुये हैं । आपको सब काम अपनी रुटीन के अनुसार करना चाहिये, अब तो शनि का प्रकोप भी खत्म हो गया । सारे ग्रह रात होते ही डूब जाते हैं । मेरा ख्याल है, वहाँ आप सारे तनाव से छुटकारा पा लेंगे । वैसे भी आपके साथ गार्ड तो रहेंगे ही । लोग कहेंगे कि आप बड़े डरपोक हैं । आपकी निडरता की साख है पूरे शहर में और आप हैं कि चूहे की तरह बिल में घुसे हुये हैं ।"
"अरे नहीं हम किसी से नहीं डरने वाले । हम वहाँ जाकर आयेंगे । ड्राइवर से कहो कि गाड़ी तैयार रखे ।"
"ठीक है, श्रीमान जी !" मायादास बाहर निकल गया ।
जे.एन. तैयार होने लगा ।
वह अब सब कुछ भूल चुका था और माया का हसीन फिगर उसके दिलों-दिमाग पर छाता जा रहा था ।
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