RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
माया ने एक बार और कौशिश की, कि जे.एन. से सम्पर्क हो जाये । वह आज रात के लिए जे. एन. को अपने यहाँ आने से रोकना चाहती थी, उसे ख्याल आया कि रोमेश ने उसे किसी कत्ल की चश्मदीद गवाह बनने के लिए कहा था और वह जान चुकी थी कि रोमेश ने जे.एन. को दस जनवरी को कत्ल करने की धमकी भी दी है । कहीं वह मेरे फ्लैट पर तो कुछ नहीं करने वाला ?
यह ख्याल बार-बार उसके मन में आता और इसीलिये वह शाम से ही जे. एन. को फोन मिला रही थी, परन्तु जे.एन. से सम्पर्क नहीं हो पाया, तो उसने मायादास से संपर्क किया । उसने मायादास से ही कह दिया कि जे.एन. को वहाँ न आने दे ।
किन्तु सवा नौ बजे मायादास का फोन आया ।
"जे.एन. साहब आपके यहाँ आने वाले हैं ।"
''मगर !"
"आप उस सबकी फिक्र न करे, जे.एन. साहब बड़े ही शेर दिल आदमी हैं । उन्हें इस तरह डरा देना भी ठीक बात नहीं प्लीज ! उनका वैसा ही वेलकम करें, जैसा करती हैं । तनावमुक्त हो जायेंगे और ठीक से रात भी कट जायेगी ।'' मायादास ने फोन काट दिया ।
करीब पांच मिनट बाद ही एक फोन और आया ।
"हैलो ।"
"हम जसलोक से बोल रहे हैं, आपके अंकल मिस्टर जेठानी का एक्सीडेन्ट हो गया है । प्लीज कम इमीजियेटली !"
इस सूचना के बाद फोन कट गया ।
"ओ माई गॉड, अंकल जेठानी का एक्सीडेन्ट ।''
माया जल्द से तैयार हो गई । उसने अपनी नौकरानी से कहा, ''जे. एन. साहब भी आने वाले हैं । अगर कोई हॉस्पिटल से आये, तो उसे हैंडल कर लेना । कहना मैं हॉस्पिटल ही गई हूँ और जे.एन. साहब को भी समझा देना ।"
माया फ्लैट से रवाना हो गई । वह अपनी फिएट कार दौड़ाती हुई हॉस्पिटल की तरफ बढ़ रही थी ।
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उसके फ्लैट से निकलने के लगभग दस मिनट बाद बेल बजी । नौकरानी ने समझा या तो जे.एन. है या कोई हॉस्पिटल से आया है या खुद माया देवी ? नौकरानी ने तुरन्त द्वार खोल दिया । जैसे ही नौकरानी ने द्वार खोला, उसके मुंह से हल्की-सी चीख निकली और तभी एक दस्ताने वाला हाथ उसके मुंह पर छा गया । आने वाले ने दूसरे हाथ से फ्लैट का दरवाजा बन्द किया और नौकरानी को घसीटता हुआ स्टोर रूम में ले गया, भय से नौकरानी की आंखें फटी पड़ रही थीं ।
शीघ्र ही उसके हाथ पाँव बाँध दिये गये और मारे भय के वह बेहोश हो गई ।
स्टोर बन्द करके वह शख्स बाहर आया, उसने फ्लैट का मुख्य द्वार का बोल्ट अन्दर से खोल दिया और चुपचाप फ्लैट के बैडरूम में पहुंचकर उसने दस्ताने उतारे, फिर फ्रिज खोला और फ्रिज से एक बियर और गिलास लेकर बैठ गया ।
उसने गिलास में बियर डाली और बियर पीने लगा ।
कुछ ही देर में माया बड़बड़ाती हुई अन्दर दाखिल हुई । वह नौकरानी को आवाज देती बड़बड़ा रही थी, "पता नहीं किसने मूर्ख बनाया ? आज कोई फर्स्ट अप्रैल तो है नहीं ? मेरी भी मति मारी गई, यहाँ से अंकल के घर फोन किये बिना ही चल पड़ी हॉस्पिटल ।"
बड़बड़ाती माया बैडरूम में पहुंची ।
बैडरूम में किसी की मौजूदगी देखते ही चीख पड़ी, "तुम एडवोकेट रोमेश !"
वह शख्स एकदम मायादेवी पर झपटा और उसने चाकू की नोंक माया की गर्दन पर रख दी ।
''शोर मत मचाना, चलो इधर ।" वह माया को चाकू से कवर करता एक बार द्वार तक आया और फिर से फ्लैट का डोर अनबोल्ट किया ।
फिर द्वार का मुआयना किया और माया को खींचता हुआ बैडरूम से अटैच बाथरूम में ले गया । उसने बैडरूम का शावर चला दिया और बाथरूम का दरवाजा भी बन्द कर दिया ।
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जनार्दन नागारेड्डी की कार फ्लैट के पोर्च में रुकी ।
पीछे कमाण्डो की कार थी । वह कार बाहर सड़क के किनारे खड़ी हो गई । जे.एन. अपनी कार से उतरा ।
"इन कमाण्डो से कहना, बाहर ही रहें ।" उसने अपने ड्राइवर से कहा, ''और तुम गाड़ी में रहना, ठीक ?"
"जी साहब !" ड्राइवर ने कहा ।
जे.एन. फ्लैट के द्वार पर पहुँचा । द्वार को आधा खुला देखकर जे.एन. मुस्कराया, "शायद इंतजार करते-करते दरवाजा खोलकर ही सो गई ।"
अन्दर दाखिल होकर जे.एन. ने द्वार बोल्ट किया और सीधा बैडरूम की तरफ बढ़ गया । बैडरूम में रोशनी थी और बाथरूम में शावर चलने की आवाज आ रही थी ।
"ओह तो इसलिये दरवाजा खुला था, स्नान हो रहा है ।"
"जी हाँ, आप बैठिए ।" बाथरुम से आवाज आई ।
जनार्दन नागारेड्डी आराम से बैठ गया । फिर उसने फ्रीज खोला, एक बियर निकाल ली और उसके साथ ही एक गिलास भी । मेज पर पहले से एक गिलास और बियर की तीन चौथाई खाली बोतल रखी थी । जे. एन. ने उस पर कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया । उसने अपनी बियर खोली और गिलास में डालने लगा, उसके बाद उसने गिलास होंठों की तरफ बढ़ाया ।
बाथरूम का दरवाजा खुलने की हल्की आवाज सुनाई दी ।
जे.एन. मुस्कराया । वह जानता था कि माया दबे कदम उसके करीब आयेगी और फिर पीछे से गले में बाँहें डाल देगी ।
वह इन्तजार करता रहा ।
किसी ने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा । जे.एन. को एकाएक वह स्पर्श अजनबी लगा । उसका हाथ रुक गया, जाम लबों पर ही ठहर गया । फिर हाथ धीरे-धीरे नीचे आया और मेज के ऊपर ठहर गया ।
"जनार्दन नागारेड्डी !" किसी ने फुसफुसाकर कहा ।
जे.एन. का हाथ गिलास पर से छूट गया । उसका हाथ तेजी के साथ रिवॉल्वर की तरफ बढ़ा, परन्तु तब तक पीछे से जोरदार झटका लगा । जे.एन. कुर्सी सहित घूम गया ।
एक क्षण के लिए उसे चाकू का ब्लेड चमकता दिखाई दिया । उसने चीखना चाहा । वह चीखा भी । परन्तु वह चीख घुटी-घुटी थी । तब तक चाकू उसके जिस्म में पैवस्त हो चुका था ।
उसकी आंख फटी-की-फटी रह गई ।
खून सना जिस्म कालीन पर लुढ़कता चला गया ।
जनार्दन की चीख शायद बाहर तक पहुंच गई थी और बेल बजने लगी थी । फिर दरवाजा इस तरह बजने लगा, जैसे कोई उसे तोड़ने की कौशिश कर रहा हो । बैडरूम की रोशनी बुझ चुकी थी । वह शख्स पीछे खुलने वाली बालकनी पर पहुँचा । फिर उसने बालकनी पर डोरी बाँधी और फिर डोरी द्वारा तीव्रता के साथ नीचे जा कूदा । उस वक्त सबका ध्यान फ्लैट के मुख्य द्वार की तरफ था ।
फिर किसी ने चीखकर कहा, "देखो वह कौन कूदा है ?"
''लगता है, अन्दर कुछ गड़बड़ हो गई है ।"
कूदने वाला बेतहाशा सड़क पर दौड़ता चला गया ।
इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक गाड़ी के पीछे खड़ी मोटर साइकिल स्टार्ट हुई और फिर मोटर साइकिल सड़क पर दौड़ने लगी । कमाण्डो जे.एन. को छोड़कर नहीं जा सकते थे ।
जैसे ही कमांडो को पता चला कि जे.एन. का कत्ल हो गया है, वह सकपका गये ।
''क्या करें ?" एक ने कहा ।
"उसने कहा था कि अगर उसकी जान को कुछ हो गया, तो उसके आदमी हमें मार डालेंगे । जो कभी भी यहाँ आ सकते हैं ।"
"मेरे ख्याल से भागने में ही भलाई है ।"
"नौकरी चली जायेगी ।" दूसरा बोला ।
"नौकरी तो वैसे भी जानी है, जे.एन. तो मर गया । अब तो जान बचाओ ।" पहले वाले ने कहा ।
चारों कार लेकर वहाँ से भाग खड़े हुए ।
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