RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
एक सप्ताह बीत चुका था ।
विजय बैचैनी से चहलकदमी कर रहा था । एक सप्ताह की मोहलत मांगी थी उसने और आज मोहलत का अन्तिम दिन था । वह सोच रहा था कि यह सब क्या-से-क्या हो गया ? अब उसे त्यागपत्र देना होगा, उसकी पुलिसिया जिन्दगी का आज आखिरी दिन था ।
उसने गहरी सांस ली और त्यागपत्र लिखने बैठ गया ।
अभी उसने लिखना शुरू ही किया था ।
"ठहरो ।" अचानक उसे किसी की आवाज सुनाई दी ।
आवाज जानी-पहचानी थी ।
विजय ने सिर उठाकर देखा, तो देखते ही चौंक पड़ा । जो शख्स उसके सामने खड़ा था, हालांकि उसके चेहरे पर दाढ़ी मूंछ थी, परन्तु विजय उसे देखते ही पहचान गया था, वह रोमेश था ।
"तुम !" उसका हाथ रिवॉल्वर की तरफ सरक गया ।
"इसकी जरूरत नहीं ।" रोमेश ने दाढ़ी मूंछ नोचते हुए कहा, "जब मैं यहाँ तक आ ही गया हूँ, तो भागने के लिए तो नहीं आया होऊंगा । अपने आपको कानून के हवाले ही करने आया हूँ । तुम तो यार मेरे मामले में इतने सीरियस हो गये कि नौकरी ही दांव पर लगाने को तैयार हो गये । मुझे तुम्हारे लिये ही आना पड़ा यहाँ । चलो अब अपना कर्तव्य पूरा करो । लॉकअप मेरा इन्तजार कर रहा है ।"
"रोमेश तुम, क्या यह सचमच तुम ही हो ?"
"मेरे दोस्त ज्यादा सोचो मत, बस अपना फर्ज अदा करो ।" रोमेश ने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिये, "दोनों कलाइयां सामने हैं, जिस पर चाहे हथकड़ी डाल सकते हो । या दोनों पर भी डालना चाहते हो, तब भी हाजिर हूँ । अच्छा लगेगा ।"
विजय उठा और फिर उसने रोमेश को हथकड़ी पहना दी ।
''मुझे तुम पर नाज है पुलिस ऑफिसर और हमेशा नाज रहेगा । तुम चाहते तो यह केस छोड़ सकते थे, लेकिन कानून की रक्षा करना कोई तुमसे सीखे ।"
☐☐☐
उधर थाने में जब पता चला कि रोमेश गिरफ्तार हो गया है, तो वहाँ भी हड़कम्प मच गया ।
वायरलेस टेलीफोन खटकने लगे । मीडिया में एक नई हलचल मच गई । रोमेश को पहले तो लॉकरूम में बन्द किया गया, फिर जब रोमेश को देखने के लिए भीड़ जमा होने लगी, तो उसे पुलिस को सेन्ट्रल कस्टडी में ट्रांसफर करना पड़ा । सेन्ट्रल कस्टडी में वरिष्ठ अधिकारियों के सामने रोमेश से पूछताछ शुरू हो गई ।
"तुमने जे.एन. का कत्ल किया ?"
"हाँ, किया ।"
"क्यों किया ?"
"मेरी उससे जाति दुश्मनी थी, उसकी वजह से मेरा घर तबाह हो गया । मेरी बीवी मुझे छोड़ कर चली गई । मेरे हरे-भरे संसार में आग लगाई थी उसने । उसके इशारे पर काम करने वाले गुर्गों को भी मैं नहीं छोड़ने वाला । मेरा बस चलता, तो उन्हें भी ठिकाने लगा देता । लेकिन मैं समझता हूँ कि मोहरों की इतनी औकात नहीं होती । मोहरे चलाने वाला असली होता है, मैंने मोहरों को छोड़कर इसीलिये जे. एन. को कत्ल किया ।"
"तुम्हारे इस प्लान में और कौन-कौन शामिल था ?"
"कोई भी नहीं । मैं अकेला था । मैंने उससे फोन पर ही डेट तय कर ली थी, मुझे दस जनवरी को हर हाल में उसका कत्ल करना था ।"
"तुम राजधानी से 9 तारीख को दिल्ली गये थे ।"
"जी हाँ और दिल्ली से फ्लाइट पकड़कर मुम्बई आ गया था । मैं शाम को 9 बजे मुम्बई पहुंच गया था, फिर मैंने बाकी काम भी कर डाला । मैं जानता था कि जे.एन. हर शनिवार को माया के फ्लैट पर रात बिताता है, इसलिये मैंने उसी जगह जाल फैलाया था । मैंने माया को फर्जी फोन करके वहाँ से हटाया और फ्लैट में दाखिल हो गया, उसके बाद माया को भी बंधक बनाया और जे.एन. को मार डाला ।"
रोमेश बेधड़क होकर यह सब बता रहा था ।
"क्या तुम अदालत में भी यही बयान दोगे ?"
"ऑफकोर्स ।"
"मिस्टर रोमेश सक्सेना, तुम एक वकील हो । तुमने अपने बचाव के लिए अवश्य ही कोई तैयारी की होगी ।"
"इससे क्या फर्क पड़ता है, आप देखिये । चाकू की मूठ पर मेरी उंगलियों के ही निशान होंगे । बियर की एक बोतल और गिलास पर भी मिलेंगे निशान । आपके पास इतने ठोस गवाह हैं, फिर आप मेरी तरफ से क्यों परेशान हैं ?"
पुलिस ने अपनी तरफ से मुकदमे में कोई कोताही नहीं बरती, मुकदमे के चार मुख्य गवाह थे चंदू, राजा, कासिम, मायादेवी । इसके अलावा और भी गवाह थे । अखबारों ने अगले दिन समाचार छाप दिया ।
☐☐☐
|