RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
रोमेश को जब अदालत में पेश किया गया, तो भारी भीड़ उसे देखने आई थी । अदालत ने रोमेश को रिमाण्ड पर जेल भेज दिया । रोमेश ने अपनी जमानत के लिए कोई दरख्वास्त नहीं दी । पत्रकार उससे अनेक तरह के सवाल करते रहे, वह हर किसी का उत्तर हँसकर संतुलित ढंग से देता रहा । हर एक को उसने यही बताया कि कत्ल उसी ने किया है ।
"क्या आपको सजा होगी ?" एक ने पूछा ।
''क्यों ?"
"एक गूढ़ प्रश्न है, जाहिर है कि इस मुकदमे में आप पैरवी खुद करेंगे और आपका रिकार्ड है कि आप कोई मुकदमा हारे ही नहीं ।"
"वक्त बतायेगा ।" इतना कहकर रोमेश ने प्रश्न टाल दिया ।
वैशाली दूर खड़ी इस तमाशे को देख रही थी । बहुत से वकील रोमेश का केस लड़ना चाहते थे, उसकी जमानत करवाना चाहते थे । परन्तु रोमेश ने इन्कार कर दिया ।
रोमेश को जेल भेज दिया गया ।
रोमेश की तरफ से जेल में एक ही कौशिश की गई कि मुकदमे का प्रस्ताव जल्द से जल्द रखा जाये ।
उसकी यह कौशिश सफल हो गई ,केवल दो माह के थोड़े से समय में केस ट्रायल पर आ गया और अदालत की तारीख लग गई । पुलिस ने केस की पूरी तैयारी कर ली थी ।
यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक मुकदमा था, एक संगीन अपराध का सनसनीखेज का मुकदमा ।
चुनौती और कत्ल का मुकदमा, जिस पर न सिर्फ कानून के दिग्गजों की निगाह ठहरी हुई थी बल्कि शहर की हर गली में यही चर्चा थी ।
☐☐☐
"क्राइम नम्बर 343, मुलजिम रोमेश सक्सेना को तुरंत अदालत में हाजिर किया जाये ।" जज ने आदेश दिया और कुछ ही देर बाद पुलिस कस्टडी में रोमेश को अदालत में पेश किया गया ।
उसे कटघरे में खड़ा कर दिया गया ।
अदालत खचाखच भरी थी ।
"क्राइम नम्बर 343 मुलजिम रोमेश सक्सेना, भारतीय दण्ड विधान की धारा जेरे दफा 302 के तहत मुकदमे की कार्यवाही प्रारम्भ करने की इजाजत दी जाती है ।" न्यायाधीश की इस घोषणा के बाद मुकदमे की कार्यवाही प्रारम्भ हो गई ।
राजदान के चेहरे पर आज विशेष चमक थी, वह सबूत पक्ष की तरफ से अपनी सीट छोड़कर उठ खड़ा हआ । लोगों की दृष्टि राजदान की तरफ मुड़ गई ।
"योर ऑनर, यह एक ऐसा मुकदमा है, जो शायद कानून के इतिहास में पहले कभी नहीं लड़ा गया होगा । एक ऐसा संगीन मुकदमा, कोल्ड ब्लडेड मर्डर, इस अदालत में पेश है जिसका मुलजिम एक जाना माना वकील है । ऐसा वकील जिसकी ईमानदारी, आदर्शो, न्यायप्रियता का डंका पिछले एक दशक से बजता रहा है । जिसके बारे में कहा जाता था कि वह अपराधियों के केस ही नहीं लड़ता था, वकालत का पेशा करने वाले ऐसे शख्स ने देश के एक गणमान्य, समाज के प्रतिष्ठित शख्स का बेरहमी से कत्ल कर डाला । कत्ल भी ऐसा योर ऑनर कि मरने वाले को फोन पर टॉर्चर किया जाता रहा, खुलेआम, सरेआम कत्ल, जिसके एक नहीं हजारों लोग गवाह हैं । मेरी अदालत से दरख्वास्त है कि मुलजिम रोमेश सक्सेना को जेरे दफा 302 के तहत जितनी भी बड़ी सजा हो सके, दी जाये और वह सजा केवल मृत्यु होनी चाहिये । कानून की रक्षा करने वाला अगर कत्ल करता है, तो इससे बड़ा अपराध कोई हो ही नहीं सकता ।" कुछ रुककर राजदान, रोमेश की तरफ पलटा, "दस जनवरी की रात साढ़े दस बजे इस शख्स ने जनार्दन नागारेड्डी की बेरहमी से हत्या कर दी । दैट्स ऑल योर ऑनर ।"
"मुलजिम रोमेश सक्सेना, क्या आप अपने जुर्म का इकबाल करते हैं ?" अदालत ने पूछा ।
रोमेश के सामने गीता रखी गई ।
"आप जो कहिये, इस पर हाथ रखकर कहिये ।"
"जी, मुझे मालूम है ।" रोमेश ने गीता पर हाथ रखकर कसम खाई ।
कसम खाने के बाद रोमेश ने खचाखच भरी अदालत को देखा, एक-एक चेहरे से उसकी दृष्टि गुजरती चली गई । इंस्पेक्टर विजय, वैशाली, सीनियर-जूनियर वकील, पत्रकार, कुछ सियासी लोग, अदालत में उस समय सन्नाटा छा गया था ।
"योर ऑनर !" रोमेश जज की तरफ मुखातिब हुआ, "मैं रोमेश सक्सेना अपने जुर्म का इकबाल करता हूँ, क्योंकि यही हकीकत भी है कि जनार्दन नागारेड्डी का कत्ल मैंने ही किया है । सारा शहर इस बात को जानता है, मैं अपना अपराध कबूल करता हूँ और इस पक्ष को कतई स्पष्ट नहीं करना चाहता कि यह कत्ल मैंने क्यों किया है । दैट्स आल योर ऑनर ।"
अदालत में फुसफुसाहट शरू हो गई, किसी को यकीन नहीं था कि रोमेश अपना जुर्म स्वीकार कर लेगा । लोगों का अनुमान था कि रोमेश यह मुकदमा स्वयं लड़ेगा और अपने दौर का यह मुकदमा जबरदस्त होगा ।
"फिर भी योर ऑनर ।" राजदान उठ खड़ा हुआ, "अदालत के बहुत से मुकदमों में मेरी मुलजिम से बहस होती रही है । एक बार इन्होंने एक इकबाली मुलजिम का केस लड़ा था और कानून की धाराओं का उल्लेख करते हुए अदालत को बताया कि जब तक पुलिस किसी इकबाली मुलजिम पर जुर्म साबित नहीं कर देती, तब तक उसे सजा नहीं दी जा सकती । हो सकता है कि मेरे काबिल दोस्त बाद में उसी धारा का सहारा लेकर अदालत की कार्यवाही में कोई अड़चन डाल दें ।" राजदान ने आगे कहा, "इसलिये मैं मुलजिम पर जुर्म साबित करने की इजाजत चाहूँगा ।" राजदान के होंठों पर व्यंगात्मक मुस्कान थी ।
"इजाजत है ।" न्यायाधीश ने कहा ।
राजदान, रोमेश के पास पहुंचा, "हर बार तुम मुझसे मुकदमा जीतते रहे, आज बारी मेरी है और मैं कानून की कोई प्रक्रिया नहीं तोड़ने वाला मिस्टर एडवोकेट रोमेश सक्सेना । इस बार मैं तुमसे जरूर जीतूँगा, डेम श्योर ।"
"अदालत के फैसले से पहले जीत-हार का अनुमान लगाना मूर्खता होगी ।" रोमेश ने कहा, "बहरहाल मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं ।"
''योर ऑनर ! मैं गवाह पेश करने की इजाजत चाहता हूँ ।"
अदालत ने गवाह पेश करने की अगली तारीख दे दी ।
☐☐☐
|