RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
"अब मैं अपना आखिरी गवाह पेश करता हूँ, इंस्पेक्टर विजय ।"
इंस्पेक्टर विजय अदालत में उपस्थित था और अगली कतार में बैठा था । वह उठा और गवाह बॉक्स में चला गया । अदालत की रस्में पूरी करने के बाद राजदान ने अपना काम शुरू कर दिया ।
"इस शहर की कानूनी किताब में पिछले कुछ अरसे से दो व्यक्ति चर्चित रहे । नम्बर एक मुल्जिम रोमेश सक्सेना, जो ईमानदारी और सही न्याय दिलाने की प्रतिमूर्ति कहे जाते थे । यह बात सारे कानूनी हल्के में प्रसिद्ध थी कि रोमेश सक्सेना किसी क्रिमिनल का मुकदमा कभी नहीं लड़ते । जिस मुकदमे की पैरवी करते हैं, पहले खुद उसकी छानबीन करके उसकी सच्चाई का पता लगाते हैं, रोमेश सक्सेना ने कभी कोई मुकदमा हारा नहीं ।"
राजदान, रोमेश की तरफ से पलटा ।
उसने विजय की तरफ देखा ।
"यानि दो अपराजित हस्तियां आमने सामने और बीच में, मैं हूँ । जो हमेशा रोमेश से हारता रहा । रोमेश, इंस्पेक्टर विजय का मित्र भी है, किन्तु कर्तव्य के साथ यह रिश्ते नातों को कोई महत्व नहीं देते । यह बेमिसाल पुलिस ऑफिसर है योर ऑनर ! आज भी यह अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करेंगे । क्योंकि जीत हमेशा सत्य की होती है ।"
इस बार रोमेश ने टोका, "आप गलत कह रहे हैं राजदान साहब; कि जीत सत्य की होती है । अदालतों में नब्बे प्रतिशत जीत झूठ की होती है । यहाँ पर हार जीत का फैसला झूठ सच पर नहीं सबूतों और वकीलों के दांव पेंचों पर निर्भर होता है ।"
"देखना यह है कि आप कौन-सा दांव इस्तेमाल करते हैं मिस्टर सक्सेना ।"
"मैं न तो दांव इस्तेमाल कर रहा हूँ और न कोई इरादा है । अदालत को भाषण मत दीजिए, अपने गवाह के बयान जारी करवाइये ।"
"ऑर्डर…ऑर्डर !" न्यायाधीश ने दोनों की नोंक झोंक पर आपत्ति प्रकट की ।
राजदान ने कार्यवाही शुरू की ।
"इंस्पेक्टर विजय अब आप अपना बयान दे सकते हैं ।"
विजय ने बयान शुरू किए ।
"मेरा दुर्भाग्य यह है कि जिसकी हिफाजत के लिए मुझे तैनात किया गया था, उसे नहीं बचा सका और उसके कातिल के रूप में एक ऐसा शख्स मेरे सामने खड़ा है, जो कानून का पाठ पढ़ने वाले होनहार नवोदित हाथों का आदर्श था और जिसका मैं भी उतना ही सम्मान करता हूँ, यहाँ तक कि मैं मुलजिम की मनोभावना और घरेलू स्थिति से भी परिचित था और मित्र होने के नाते इनसे कभी-कभी मदद भी ले लिया करता था । मैं इस मुलजिम को कानून का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति मानता था । परन्तु मुलजिम ने मेरा सारा भ्रम ही तोड़ डाला, इस मुकदमे के हर पहलू को मुझसे अधिक करीब से किसी ने नहीं देखा । यहाँ मैं मकतूल की समाज सेवाओं का उल्लेख नहीं करूँगा, मैं यह बताना चाहता हूँ कि कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को भी नहीं है, जे.एन. कोई वान्टेड इनामी डाकू नहीं था, जो रोमेश सक्सेना उसका क़त्ल करके किसी इनाम का हकदार बनता । लिहाज़ा यह क्रूरतम अपराध था ।"
विजय कुछ रुका ।
"शायद मैं भी गलत रौ में बह गया, बयान की बजाय भाषण देने लगा । वारदात किस तरह हुई, यह मैं बताने जा रहा हूँ । मुझे फोन द्वारा इस क़त्ल की सूचना मिली और मैं तेजी के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हुआ ।"
उसके बाद विजय ने दस जनवरी से लेकर मुलजिम की गिरफ्तारी तक का पूरा बयान रिकार्ड में दर्ज करवाया, यह बताया कि किस तरह सारे सबूत जुटाये गये । विजय के बयान काफी लम्बे थे । बीच-बीच में उसकी टिप्पणियां भी थीं ।
बयान समाप्त होने के बाद विजय ने सीधा रोमेश से सवाल किया, "एनी क्वेश्चन ? "
"नो ।" रोमेश ने उत्तर दिया, "तुम्हारे बयान अपनी जगह बिल्कुल दुरुस्त हैं, तुम एक होनहार कर्त्तव्यपालक पुलिस ऑफिसर हो, यह बात पहले ही अदालत को बताई जा चुकी है ।"
विजय विटनेस बॉक्स से बाहर आ गया ।
तमाम गवाहों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए अदालत इस निर्णय पर पहुंचती है कि मुलजिम रोमेश सक्सेना ने कानून को मजाक समझते हुए इस तरह योजना बनाकर हत्या की, जैसे हत्या करना अपराध नहीं धार्मिक अनुष्ठान हो । जनार्दन नागारेड्डी समाज सेवा और राजनीतिक क्षितिज की एक महत्वपूर्ण हस्ती थी । ऐसे व्यक्ति की हत्या को सार्वजनिक बनाकर अत्यन्त क्रूरतापूर्ण तरीके से मार डाला गया । मुलजिम ने भी अपना अपराध स्वीकार किया और किसी भी गवाह से जिरह करना उचित नहीं समझा, इससे साफ साबित होता है कि मुलजिम रोमेश सक्सेना ने हत्या की, अत: ताजेरात-ए-हिन्द जेरे दफा 302 के तहत मुलजिम को अपराधी ठहराया जाता है । परन्तु इससे पूर्व अदालत रोमेश सक्सेना को दण्ड सुनाये, उसे एक मौका और देती है । रोमेश सक्सेना की कानूनी सेवा में स्वच्छ छवि होने के कारण अन्तिम अवसर प्रदान किया जाता है, यदि वह अपनी सफाई में कुछ कहना चाहे, तो अदालत सुनने के लिए तैयार है और यदि रोमेश सक्सेना इस आखिरी मौके को भी नकार देता है, तो अदालत दण्ड सुनाने के लिए तारीख निर्धारित करेगी ।”
न्यायाधीश द्वारा लगी इस टिप्पणी को अदालत में सुनाया गया ।
राजदान के होंठों पर जीत की मुस्कान थी ।
विजय गम्भीर और खामोश था । वैशाली उदास नजर आ रही थी । किसी को यकीन ही नहीं आ रहा था कि रोमेश इतनी जल्दी हार मानकर स्वयं के गले में फंदा बना देगा । किन्तु अदालत में कुछ लोग ऐसे भी बैठे थे, जिन्हें यकीन था कि अब भी पलड़ा पलटेगा, केस अभी फाइनल नहीं हुआ । उनकी अकस्मात दृष्टि रोमेश की तरफ उठ जाती थी ।
रोमेश ने धीरे-धीरे फिर अदालत में बैठे लोगों का अवलोकन किया । घूमती हुई दृष्टि वैशाली, विजय से घूमती राजदान पर ठहर गई ।
"अदालत ने यह एक आखिरी मौका न दिया होता, तो तुम केस जीत चुके थे राजदान ! लेकिन लगता है कि तुम्हारी किस्मत में हमेशा मुझसे बस हारना ही लिखा है ।"
"रस्सी जल गई, मगर बल नहीं गया ।" राजदान बोला ।
"मैं वह रस्सी हूँ राजदान, जिसे कानून की आग कभी नहीं जला सकती ।"
"ऑर्डर… ऑर्डर ?" न्यायाधीश ने मेज बजाई, "मिस्टर रोमेश सक्सेना, आपको जो कुछ कहना है अदालत के समक्ष कहें ।"
रोमेश अब अदालत से मुखातिब हुआ ।
"योर ऑनर, मैं जानता था कि मेरी कानूनी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए अदालत मेरे प्रति सॉफ्टकार्नर रखती है और वह मुझे एक आखिरी मौका देगी । मुझे भी इसी मौके का इन्तजार था । योर ऑनर, यह तो अपनी जगह अटल सत्य है कि क़त्ल मैंने ही किया है, परन्तु यह भी अपनी जगह सत्य है कि रोमेश सक्सेना ने जिस मुकदमे को अपने हाथों में लिया, जिसकी पैरवी कि उसे कभी हारा नहीं । यह अलग बात है कि रोमेश पहली बार एक अपराधी का मुकदमा लड़ रहा है ।"
अदालत में बैठे लोग कानाफूसी करने लगे, पीछे से एक शोर-सा उठा ।
"शांत रहिये, शांत !" न्यायाधीश को कहना पड़ा ।
लोग चुप हो गये ।
"आप कहना क्या चाहते हैं सक्सेना ? "
"यही योर ऑनर कि अपराध के इतिहास में ऐसा विचित्र मुकदमा कभी पेश नहीं हुआ होगा कि यह साबित होने पर भी कि मुलजिम ने क़त्ल किया है, अदालत मुलजिम को सजा न देते हुए बाइज्जत रिहा करेगी ।"
"व्हाट नॉनसेन्स !" राजदान चीखा, "यह अदालत का अपमान कर रहा है । कानून का मजाक उड़ा रहा है, क्या समझ रखा है इसने कानून को ?"
"चुप बे कानून के सिपहसालार ! तेरी तो आज बहुत बुरी गत होने होने वाली है, ऐसे औंधे मुंह गिरने वाला है तू कि कई दिन तक होश नहीं आएगा । कानून के नाम पर हमेशा मेरा भूत तुझे सपनों में डराता रहेगा ।"
"योर ऑनर यह गाली गलौज पर उतर आया है ।" राजदान चीखा ।
"ऑर्डर ! ऑर्डर !!"
एक बार फिर सब शांत हो गया ।
"हाँ, योर ऑनर !" रोमेश अदालत से मुखातिब हुआ, "आप मुझे बाइज्जत रिहा करेंगे । क्योंकि मैं जिन तीन गवाहों को अदालत में पेश करूंगा, वह ही इसके लिए काफी हैं, साबित हो जायेगा कि क़त्ल मैंने नहीं किया, जबकि साबित यह भी हो चुका है कि क़त्ल मैंने ही किया है ।"
पीछे वाली बेंच पर ठहाके गूँज उठे ।
"मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगा कि मुझे गवाह पेश करने का अवसर दिया जाये ।"
न्यायाधीश ने पानी मांग लिया था । छक्के तो सभी के छूट रहे थे । मुकदमे ने एक सनसनीखेज नाटकीय मोड़ ले लिया था ।
"इजाजत है ।" न्यायाधीश ने कहा ।
"थैंक्यू योर ऑनर, जिन तीन सरकारी अधिकारियों को मैं बुलाना चाहता हूँ, अदालत उन्हें तलब करने का प्रबन्ध करे । नम्बर एक, रेलवे विभाग के टिकट चेकर मिस्टर रामानुज महाचारी ! नम्बर दो, बड़ौदा रेलवे पुलिस स्टेशन का इन्चार्ज इंस्पेक्टर बलवंत सिन्हा ! नम्बर तीन, बड़ौदा डिस्ट्रिक जेल का जेलर कबीर गोस्वामी ! इनके वर्तमान कार्यक्षेत्र के पते भी नोट कर लिए जायें ।"
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