RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
"कानून की किताब में यह फैसला और मुकदमा ऐतिहासिक है । मुलजिम रोमेश सक्सेना पर ताजेरात-ए-हिन्द जेरे दफा 302 का मुकदमा अदालत में चलाया गया । मकतूल जनार्दन नागारेड्डी का क़त्ल मुल्जिम के हाथों हुआ, पुलिस ने साबित किया । लेकिन रोमेश सक्सेना उस रात कानून की हिरासत में पाया गया, इसीलिये यह तथ्य साबित करता है कि दस जनवरी की रात रोमेश सक्सेना घटनास्थल पर मौजूद नहीं था । जो शख्स कानून की हिरासत में है, वह उस वक्त दूसरी जगह हो ही नहीं सकता, इसीलिये यह अदालत रोमेश सक्सेना को बाइज्जत रिहा करती है ।"
अदालत उठ गयी ।
एक हड़कम्प सा मचा, रोमेश की हथकड़ियाँ खोल दी गयीं । जब तक वह अदालत की दर्शक दीर्घा में पहुंचा, उसे वहाँ पत्रकारों ने घेर लिया । बहुत से लोग रोमेश के ऑटोग्राफ लेने उमड़ पड़े ।यह कहानी आप राजशर्मास्टोरीजडॉटकॉम में पढ़ रहे हैं
" नहीं, मैं ऑटोग्राफ देने वाली शख्सियत नहीं हूँ, मैं एक मुजरिम हूँ । जिसने कानून के साथ बहुत बड़ा मजाक किया है । यह अलग बात है कि जिसे मैंने मारा, वह कानून की पकड़ से सुरक्षित रहने वाला अपराधी था । उसे कोई कानून सजा नहीं दे सकता था । अब एक बड़ा सवाल उठेगा, क्योंकि मैं सरेआम क़त्ल करके बरी हुआ हूँ और यही कानून की मजबूरी है । उसके पास ऐसी ताकत नहीं है, जो हम जैसे चतुर मुजरिमों या जे.एन. जैसे पाखण्डी लोगों को सजा दे सके, मैं इसके अलावा कुछ नहीं कहना चाहता ।"
अदालत से बाहर निकलते समय रोमेश की मुलाकात विजय से हो गई ।
"हेल्लो इंस्पेक्टर, जंग का नतीजा पसन्द आया ?"
"नतीजा कुछ भी हो दोस्त, मगर मैंने अभी हार नहीं कबूल की है ।"
"अब क्या करोगे, मुकदमा तो खत्म हो चुका, हम छूट गये ।"
"मैंने जिस अपराधी को पकड़ा है, वह अपराधी ही होता है, उसे सजा मिलती है, मैंने अपनी पुलिसिया जिन्दगी में कभी कोई केस नहीं हारा ।"
"मुश्किल तो यही है कि मैं भी कभी नहीं हारा, तब भला अपना केस कैसे हार जाता ।"
"तुम उस रात मौका-ए-वारदात पर थे ।"
"क्या तुम्हें याद है, जब मैं तुम्हारे फ्लैट को घेर चुका था, तो तुमने मुझ पर फायर किया था, मुझे चेतावनी दी थी, क्या मैं तुम्हारी भावना नहीं पहचानता ।"यह कहानी आप राजशर्मास्टोरीजडॉटकॉम में पढ़ रहे हैं
"बेशक पहचानते हो ।"
"तो फिर जेल में उस वक्त कैसे पहुंच गये ?"
"अगर मैंने यह सब बता दिया, तो सारा मामला जग जाहिर हो जायेगा । लोग इसी तरह क़त्ल करते रहेंगे, कानून सिर्फ एक मजाक बनकर रह जायेगा ।"
"मैं तब तक चैन से नहीं बैठूँगा, जब तक मालूम न कर लूं कि यह सब कैसे हुआ ।"
"छोड़ो, यह बताओ शादी कब रचा रहे हो ?"
विजय ने कोई उत्तर नहीं दिया । आगे बढ़कर जीप में सवार हो गया ।
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शंकर नागारेड्डी शाम के छ: बजे रोमेश के फ्लैट पर आ पहुँचा । रोमेश उसका इन्तजार कर रहा था । रोमेश उस वक्त फ्लैट में अकेला था । डोरबेल बजते ही उसने दरवाजा खोला, शंकर नागारेड्डी एक चौड़ा-सा ब्रीफकेस लिए दाखिल हुआ ।
"बाकी की रकम ।" सोफे पर बैठने के बाद शंकर ने कहा, "एक बार फिर आपको मुबारकबाद देना है । जैसे मैंने चाहा और सोचा, ठीक वैसा ही परिणाम मेरे सामने आया है । रकम गिन लीजिये ।"
"ऐसे धंधों में रकम गिनने की जरुरत नहीं पड़ती ।" रोमेश ने ब्रीफकेस एक तरफ रख लिया ।
"आज के अखबार आपके कारनामे से रंगे पड़े हैं ।" शंकर बोला ।
"मेरे मन में एक सवाल अभी भी कुलबुला रहा है ।"
"वो क्या ?"
"यही कि तुमने यह क़त्ल मेरे हाथों से क्यों करवाया और तुम्हें इससे क्या मिला ?"
"आपके हाथों क़त्ल तो इसलिये करवाया, क्योंकि आप ही यह नतीजा सामने ला सकते थे । आपकी जे.एन. से ठन गयी थी और लोगों को सहज ही यकीन आ जाता कि आपने जे.एन. का बदला लेने के लिए मार डाला । रहा इस बात का सवाल कि मैंने ऐसा क्यों किया, उसका जवाब देने में अब मुझे कोई आपत्ति नहीं ।"
शंकर थोड़ा रूककर बोला ।
"यह तो सारी दुनिया जानती है कि जे.एन. को लोग ब्रह्मचारी मानते थे । उसने शादी नहीं की, लिहाजा उसकी प्रॉपर्टी का कोई वारिस भी नहीं था । लोग समझते थे कि उसने समाज सेवा के लिए अपने को समर्पित किया है । लेकिन हकीकत में वह कुछ और ही था ।"
"उसके कई औरतों से नाजायज सम्बन्ध रहे होंगे, यही ना ।"
"इसके अलावा उसने एक लड़की की इज्जत लूटने के लिये उससे शादी भी की थी । यह शादी उसने एक प्रपंच के तौर पर रची और उस लड़की को कई वर्षो तक इस्तेमाल करता रहा । वह अपने को जे.एन. की पत्नी ही समझती रही, फिर जब जे.एन. का उससे मन भर गया, तो वह उस लड़की को छोड़कर भाग गया । अपनी तरफ से उसने फर्जी शादी के सारे सबूत भी नष्ट कर दिये थे, किन्तु लड़की गर्भवती थी और उसका बच्चा सबसे बड़ा सबूत था । जे.एन. उस समय आवारागर्दी करता था । लड़की माँ बन गयी, उसका एक लड़का हुआ । बाद में जब जे.एन. राजनीति में उतरकर अच्छी पॉजिशन पर पहुंच गया, तो उसकी पत्नी ने अपना हक माँगा । जे.एन. ने उसे स्वीकार नहीं किया बल्कि उसे मरवा डाला । किन्तु वह उसके पुत्र को न मार पाया और पुत्र के पास उसके खिलाफ सारे सबूत थे । या यूं समझिये कि सबूत इकट्ठे करने में उसने कई साल बिता दिये और तब उसने बदला लेने की ठान ली । उसने अपना एक भरोसे का आदमी जे.एन. के दरबार तक पहुँचा दिया और जे.एन. से तुम टकरा गये और मेरा काम आसान हो गया ।"
"यानि तुम जे.एन. की अवैध संतान हो ?"
"अवैध नहीं, वैध संतान ! क्योंकि अब मैं उसकी पूरी सम्पत्ति का वारिस हूँ । उसकी अरबों की जायदाद का मालिक ! मैं साबित करूंगा कि मैं उसका बेटा हूँ । उसने मेरी माँ को मार डाला था, मैंने उसे मार डाला और अब मेरे पास बेशुमार दौलत होगी । मैं जे.एन. की दौलत का वारिस हूँ ।"
"यह बात अब मेरी समझ आ गयी कि तुमने जे.एन. को मायादेवी के फ्लैट पर पहुंचने के लिए किस तरह विवश किया होगा । तुम्हारा आदमी जोकि जे.एन. का करीबी था, यकीनन इतना करीबी है कि मर्डर की तारीख दस जनवरी को आसानी से जे.एन. को मेरे बताये स्थान पर भेजने में कामयाब हो गया ।"
"हाँ, तुमने बीच में मुझे फोन किया था और बताया कि जे.एन. की सुरक्षा व्यवस्था इंस्पेक्टर विजय के हाथों में है, उससे बचकर जे.एन. का क़त्ल करना लगभग असम्भव है । तब मैंने तुमसे कहा, कि इस मामले में मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ । तुम जहाँ चाहोगे, जे.एन. खुद ही अपनी सुरक्षा तोड़कर पहुंच जायेगा और यही हुआ । जे.एन. उस रात वहाँ पहुँचा, जहाँ तुमने उसे क़त्ल करना था ।"
"अब मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि वह शख्स और कोई नहीं सिर्फ मायादास है ।"
"हम दोनों इस गेम में बराबर के साझीदार हैं, अन्दर के मामलों को ठीक करना उसी का काम था । अगर मायादास हमारी मदद न करता, तो तुम हरगिज अपने काम में कामयाब नहीं हो सकते थे ।"
"एक सवाल आखिरी ।"
"पूछो ।"
"तुम्हें यह कैसे पता लगा कि पच्चीस लाख की रकम हासिल करने के लिए मैं यह सब कर गुजरूँगा ।"
"यह बात मुझे पता चल गई थी कि तुम्हारी पत्नी तुम्हें छोड़कर चली गई है और तुम उसे बहुत चाहते हो । उसे दोबारा हासिल करने के लिए तुम्हें पच्चीस लाख की जरुरत है, बस मैंने यह रकम अरेंज कर दी और कोई सवाल ?"
"नहीं, अब तुम जा सकते हो । हमारा बिजनेस यही पर खत्म होता है, दुनिया को कभी यह न मालूम होने पाये कि हमारा तुम्हारा कोई सम्बन्ध था ।"यह कहानी आप राजशर्मास्टोरीजडॉटकॉम में पढ़ रहे हैं
शंकर, रोमेश को रुपया देकर चलता बना ।
अब रोमेश सोच रहा था कि इस पूरे खेल में मायादास ने एक बड़ी भूमिका अदा की और हमेशा पर्दे के पीछे रहा । मायादास ने ही जे.एन. को मर्डर स्पॉट पर बिना किसी सुरक्षा के भेज दिया था । मायादास का ध्यान आते ही रोमेश को याद आया कि किस तरह इसी मायादास ने उसकी पत्नी सीमा को उसके फ्लैट पर नंगा कर दिया था । इसकी उसी हरकत ने सीमा को उससे जुदा कर डाला ।
"सजा तो मुझे मायादास को भी देनी चाहिये ।" रोमेश बड़बड़ाया, "मगर अभी नहीं । अभी तो मुझे सिर्फ एक काम करना है, एक काम । सीमा की वापसी ।"
सीमा का ध्यान आते ही वह बीती यादों में खो गया ।
"अब मैं तुम्हें पच्चीस लाख भी दूँगा सीमा ! मैं आ रहा हूँ, जल्द आ रहा हूँ तुम्हारे पास । मैं जानता हूँ कि तुम भी बेकरारी से मेरा इन्तजार कर रही होगी ।"
रोमेश उठ खड़ा हुआ ।
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