RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
आरोही बिस्तर पर लेटे सोने की कोशिश करती है। मगर आरोही को विशाल का खयाल आने लगता है। आरोही को अपनी चूत पर विशाल के लण्ड की चुभन महसूस हो रही थी।
ये सोचकर आरोही की आँखें बंद हो जाती है, और चूत में खारिश होनी शुरू हो जाती है। आरोही अब तक अपने होश खो चुकी थी और आरोही का हाथ कब अपनी चूत पर पहुँच कर चूत की फांकों को सहलाने लगा। इसका होश भी आरोही को नहीं था।
आरोही ये सब इस वक़्त विशाल के लण्ड को सोचकर कर रही थी। थोड़ी देर तक आराही ही अपनी चूत को सहलाती जा रही थी। जब चूत से चिपचिपा रस निकालने लगा तो आरोही की उंगली अंदर घुसने लगी। जिससे एकदम से आरोही की दर्द भरी आह्ह... निकल गई। आरोही को एकदम होश आता है। अपनी ये हालत देखकर
आरोही खुद से शर्मा जाती है।
आरोही- "छीः छी... ये मैं क्या करने लगी और वो भी अपने भैया का सोचकर."
आरोही को अपने आप पर गुस्सा आने लगा। अपने भाई के लिए ऐसी फीलिंग कैसे आ सकती है? मगर थोड़ी देर बाद फिर आराही सोचती है क्या विशाल भैया को भी मेरे लिए ऐसी फीलिंग आती है? और आरोही को विशाल के साथ हर वो पल याद आने लगे, जब-जब विशाल के लण्ड की चुभन आरोही को अपने जिश्म पर
महसूस हई थी।
बस का वो सफर जिसमें विशाल के लण्ड ने आरोही की गाण्ड में काफी देर तक हलचल पैदा कर दी थी। जिससे आरोही की चूत तक चिपचिपा गई थी। और फिर माल में विशाल का इस तरह चिपटना और कपल की तरह डान्स करना। और आज ता विशाल के लण्ड में बिलकल चूत के सेंटर पर दस्तक दे दी थी।
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आरोही सोचती है- "विशाल भैया को भी जरूर मेरे लिए ऐसी ही फीलिंग आती होगी। मुझे इस बात को पूरी तरह कनफर्म करना पड़ेगा मगर कैसे?" और आरोही में ही सोचते-सोचतें नींद की आगोश में चली जाती है।
सुबह के 7:00 बजे चुके थे। आरोही अभी तक सो रही थी। विशाल फ्रेश हो चुका था और आरोही को उठाने ऊपर पहुँचता है।
विशाल आरोही को झंझोड़ते हुमे- "आरोही उठो 7:00 बज चुके हैं। क्या आज स्कूल नहीं जाना?"
आरोही आँखें मलते हए. "गुड मानिंग भैया.."
विशाल- गुड मानिंग आरोही। चल जल्दी से फ्रेश होकर नीचे आ जा।
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