RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
राजेश- वाह मेरी बरची वाह... तने तो इस बार कमाल कर दिया।
सुमन- क्या हआ जी?
राजेश- आरोही के 92% मार्क आए हैं।
ये सुनकर आरोही की आँखों से खुशी के मारे आँसू निकल आते हैं और आरोही खड़ी होकर पापा के गले लग जाती है। और फिर सुमन भी दोनों बच्चों को अपने सीने से लगा लेती है।
आरोही विशाल की तरफ बड़ी शरारत से देख रही थी, जैसे विशाल को अपना प्रामिस याद दिला रही हो।
राजेश- सुमन क्या ना इस खुशी में एक पार्टी करें?
सुमन- हाँ जी आप ठीक कह रहे हो।
राजेश- ठीक है तो फिर कल का प्रोग्राम बना लो, और सबको फोन पर इन्वाइट कर दो।
राजेश- विशाल तुम जाकर मार्केट से मिठाई लेकर आओ और पूरे मुहल्ले का मुंह मीठा करवाओ।
विशाल- जी पापा अभी लता हैं।
सुमन फोन पर सभी को पार्टी के लिए इन्वाइट कर देती है।
राजेश- "सुमन, मैं कम्पनी जाते हए कल की पार्टी के लिए हलवाई से बात कर लेंगा। तुम जब विशाल आ जाप तो माकट से सामान ले आना।
सुमन- जी ठीक है।
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आरोही को आज पार्टी की इतनी खुशी नहीं हो रही थी। आरोही का तो ऐसा दिल चाह रहा था की आज घर में विशाल और आरोही के अलावा कोई ना हो। मगर अभी आरोही इंतजार के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी। थोड़ी देर बाद आरोही मम्मी के साथ किचेन के काम में लग जाती है। मैं ही दोपहर के दो बज चुके थे और विशाल भी मुहल्ले में मिठाई बाँटकर आ चुका था।
विशाल- मम्मी बहुत जोरों की भूख लगी हैं।
सुमन- बेटा खाना तैयार है बैठा अभी लगाती हैं।
और फिर तीनों मिलकर खाना खाते हैं।
सुमन- विशाल खाजा खाकर मेरे साथ मार्केट चलना है।
विशाल- "जी मम्मी.." फिर विशाल अपनी मम्मी को बाइक पर बिठाकर मार्केट के लिए निकल चुका था।
आरोही अकेली घर में बैठे-बैठे बोर सी होने लगी तो हाल में आकर टीवी चला लेती हैं, और चैनल पर चैनल चेंज किए जा रही थी। आरोही जाने टीवी में क्या देखना चाह रही थी? आरोही को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। आरोही का बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। आरोही का दिल बस विशाल के खगाल में गुम था। ही शाम के 5:00ज चुके थे। तभी दरवाजे की डोरबेल बजती है।
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