RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
ओह माई गोड... आरोही के इस सवाल का जवाब देना विशाल के बस में नहीं था। विशाल बोला- "देख आरोही अब मैं तुझे इससे आगे कुछ नहीं बता सकता.."
आरोही- क्यों भैया?
विशाल- "देख समझा कर ... रात भी काफी हो चुकी हैं प्लीज... अब लाइट आफ कर दे इस बारे में फिर कभी बात
कर लेना..."
आरोही उठकर लाइट आफ कर देती है और आकर विशाल के बराबर में लेट जाती है। और कहती है- "भैया आपको मेरा इस तरह सवाल पूछना अच्छा नहीं लगता?"
विशाल- नहीं आरोही ये बात नहीं है।
आरोही- फिर क्या बात है?
विशाल- कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनका जवाब देना एक भाई के लिए बहुत मुश्किल होता है।
आरोही- भैया आज तक मैंने आपसे अपनी हर बात शेयर की है। आप ही मेरे भाई और दोस्त भी हो। इसलिए मुझे कभी कोई दोस्त बनाने की जरुरत ही नहीं पड़ी।
विशाल- "अच्छा मैं तुझं सब कुछ बता दूँगा। मगर अब गत बहुत हो चुकी है। जो कुछ तुझे पूछना है सुबह पूछ लेना। अब तुम भी सो जाओ।
आरोही अब विशाल से कुछ नहीं पूछती, और आरोही विशाल की तरफ से करवट बदलकर लेट जाती है। जिससे आरोही की गाण्ड विशाल की साइड हो जाती है और गाण्ड विशाल के लण्ड में मुश्किल में दो इंच के फासले पर थी। रूम में इस बढ़त बिल्कुल खामोशी छाई हुई थी।
विशाल ने आरोही से सोने के लिए तो बोल दिया है। मगर विशाल की आँखों से नीद कोसों दूर थी। आरोही की बातों से विशाल का लण्ड अभी तक पूरे तनाव में था, और बराबर में आरोही का इस तरह लेटना विशाल का कंट्रोल जवाब दे रहा था।
आरोही को अभी लेटे हए मुश्किल से 10 मिनट भी नहीं हए थे की आरोही को अपने पीछे गाण्ड की दरार में विशाल के लण्ड की चुभन महसूस होने लगी। आरोही के चेहरे पर एकदम मश्कान आ जाती है, और आरोही को लण्ड की चुभन से अपने अंदर सेक्स का एहसास होने लगता है। आरोही को अपने अंदर बैचेनी होने लगती है। जिससे आरोही की चूत में रस टपकना शुरू कर दिया था।
विशाल थोड़ी देर बाद आरोही पर अपने लण्ड का और दबाव डालने लगा। आरोही एकदम अपना कंट्रोल खो देती है, और विशाल की तरफ पलटकर विशाल से लिपट जाती है। विशाल का भी अब तक बुरा हाल हो चुका था।
और विशाल भी आरोही को अपनी गिरफ्त में लेकर कसकर भींच लेता है।
आरोही- "ओहह... भैया क्या कर रहे हो?"
विशाल- "अपनी गुड़िया को प्यार कर रहा है...
आरोही और विशाल का चेहरा एक दूसरे से टच हो रहा था। आरोही तड़पने लगती है। और अपने होठों को थोड़ा सा विशाल के होंठों के करीब करती है।
विशाल भी आरोही के होंठ चमना चाहता था। और अपने होंठ आरोही के गुलाबी होंठों से जोड़ देता है। आरोही के होठों पर आज पहली बार किसी के होंठों ने किस किया था। विशाल को आरोही के होंठों से शहद की सी मिठाश मिल रही थी, और विशाल बड़ी मस्ती से आरोही के गुलाबी होंठों का शहद चूसने में लगा हुआ था। आरोही भी अब विशाल का साथ देने लगी। काफी देर तक दोनों भाई बहन किस करते रहे। थोड़ी देर बाद विशाल अपना एक हाथ बढ़ाकर आरोही की अनछुई चूचियों पर रख देता है।
आरोही की सिससकी निकल जाती है- "आअहह... सस्स्सीईई..उफफ्फ... सस्स्सीईई..."
क्या ठोस चूचियां थी आरोही की। विशाल चूचियों को धीरे-धीरे सहलाने लगा। विशाल का लण्ड इस वक़्त आरोही की चूत पर दबाव देने लगा था। विशाल इससे भी आगे बढ़ना चाह रहा था।
मगर तभी विशाल को जैसे होश आता है, और एकदम से आरोही को अपनी गिरफ्त से आजाद करके करवट बदलकर लेट जाता है। आज दोनों भाई बहन में एक और प्यार के रिश्ते का जन्म हो चुका था।
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