RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
आरोही की सलवार पूरी तरह भीग चुकी थी। और अब विशाल के हाथ भी आरोही की सलवार का नाड़ा खोलने लगे थे और दोनों हाथों से सलवार पकड़कर नीचे उतरने लगा। आरोही भी अपने कल्हे ऊपर उठा देती है। आरोही एकदम पूरी तरह नंगी विशाल के सामने थी।
आरोही की चूत एकदम अनछई सफाचट विशाल की आँखों के सामने थी। विशाल आरोही की चूत की सुंदरता को जाने कितनी देर तक निहारता रहता है। और फिर विशाल अपने चेहरे को आरोही की चूत पर झुकाता चला गया की विशाल के होंठ जाकर आरोही की चूत के होंठों से जा मिले। जैसे ही होठों का मिलन चूत की फांकों से होता है, उफफ्फ... आरोही की सिसकारी निकल जाती है।
आरोही- आ:: आइ. उम्म्म्म
... ओहह ... आअहह ... भइरपा क्रया कर रहे हो?"
उधर विशाल आरोही की चूत से निकलते हर रस को चूसने लगता है। आरोही तड़पते मचलते हए बेचैनी में अपने हाथों से बैंड की चादर को खींचने लगी। विशाल की जीभ चूत के छेद को टटोलने की कोशिश कर रही थी। उफफ्फ... अब आरोही से बर्दास्त नहीं हो रहा था, और आरोही के हाथ विशाल के सिर पर पहुँच गये।
आरोही- " भैया कुछ कीजिये..." और आरोही विशाल के सिर को अपनी चूत में दबाती रही। आरोही को ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर से कोई सैलाब निकालने वाला है- आह... आआआ... उम्म्म्म ... उस्स्स्स ...
आईई.. और एकदम से आरोही की चूत में सैलाब बह निकाला।
जिसे विशाल एक-एक बंद अपने अंदर गटकता चला गया। और आरोही टूटे हए पत्ते की तरह बेजान सी बिस्तर
पर लटक गई। विशाल भी चत से अपना मुँह हटाकर अपने होठों पर जीभ फेजता हआ मुश्कुरा देता है, जैसे विशाल ने हंडिया से कोई मक्खन खाया हो। और फिर विशाल भी अपने अंडरवेर को निकालकर पूरी तरह नंगा होकर आरोही के करीब आता है। विशाल का लण्ड एकदम तनकर खड़ा हुआ था।
विशाल आरोही के इतने करीब हो जाता है, जिससे लण्ड चेहरे के पास आ जाता है। आरोही भी विशाल के दिल की बात समझ जाती है की इस वक़्त विशाल क्या चाह रहा है। और आरोही भी अपने हाथ बढ़ाकर विशाल के लण्ड को पकड़ लेती है। थोड़ी देर सहलाने के बाद आरोही अपना मुँह खोल देती है, और बस विशाल एकदम अपने लण्ड को आरोही के मुँह में घुसा देता है।
विशाल- "आअहह... आरोहीईई ऐसे ही चूसा..."
आरोही अपने हाथ में पकड़े लण्ड को अपने मुँह में थोड़ा-थोड़ा अंदर-बाहर करने लगी। विशाल को इस वक़्त चरम आनंद का अनुभव मिल रहा था और विशाल का हाथ भी आरोही के सिर पर पहुंच चुका था। विशाल आराही के सिर को पकड़कर अपने लण्ड को धक्के देने लगा, जैसे लण्ड चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। बस अब विशाल का लावा भी बाहर निकलने को बेताब था।
विशाल- "आरोही मेरा होने वाला है आअहह... आअहह.."
मगर आरोही को लण्ड चूसने में इतना मजा आ रहा था की उसको विशाल की आवाज तक सुनाई नहीं दी। और विशाल का लावा आरोही के गले में उतरता चला गया। आरोही को अपने अंदर नमकीन-नमकीन स्वाद सा महसूस हुआ और एकदम से आरोही अपने मुँह से लण्ड बाहर निकालकर खांसने लगती है।
आरोही- भैया ये सब क्या था?
विशाल- "ये प्यार का रस था..."
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