RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अगले दिन दोनों मेरे साथ ही कॉलेज से घर आ गए, हमने खाना खाया और वही पड़ने बैठ गए, शाम होते होते, पड़ते और बाते करते हुए, हमने टाइम पास किया, फिर रात को जल्दी खाना खा कर मेरे रूम में चले गए.
वहां पहुँचते ही सन्नी बोला, "अबे कब तक इन्तजार करवाएगा, कब देखने को मिलेगी हमें नंगी लड़की, सुबह से मेरा लंड नंगी लड़की के बारे मैं सोच सोचकर खड़ा हुआ है.."
विशाल भी साथ हो लिया, "हाँ यार, अब सब्र नहीं होता, जल्दी चल कहाँ है नंगी लड़की"
"यंही है !, मैंने कहा
वो दोनों मेरा मुंह ताकने लगे. मैंने अपनी अलमारी खोली और छेद में से देखा, ऋतू अभी अभी अपने रूम में आई थी और अपने कपडे उतार रही थी, ये देखकर मैं मंद मंद मुस्कुराया और सुन्नी से बोला "ले देख ले यहाँ आकर"
सन्नी थोडा आश्चर्य चकित हुआ पर जब उसने अपनी आँख छेद पर लगे तो वो हैरान ही रह गया और बोला "अबे तेरी ऐसी की तैसी , ये तो तेरी बहिन ऋतू है "
ऋतू का नाम सुनते ही विशाल सन्नी को धक्का देते हुए छेद से देखने लगा और बोला, "हाँ यार, ये तो इसकी बहन ऋतू है "और ये क्या ये तो अपने कपडे उतार रही है...."
दोनों के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ रही थी और मेरे चेहरे पर विजयी.
विशाल, "तो तू अपनी बहन के बारे में बाते कर रहा था, तो तो बड़ा ही हरामी है."
वाउ ,विशाल बोला, अबे सन्नी देख तो साली की चुचिया कैसी तनी हुई है,"
सन्नी बोला, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा की तू अपनी बहन को छेद के जरिये रोज़ नंगा देखता है और पैसे लेकर हमें भी दिखा रहा है..तू सही मैं भेन चोद टाइप का इंसान है,कमीना कही का.." हा हा ..
मैंने कहा "तो क्या हुआ, मैं सिर्फ देख और दिखा ही तो रहा हूँ, और मुझे इसके लिए पैसे भी तो मिल रहे हैं, और ऋतू को तो इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है, और अगर हम उसको नंगा देखते है तो उसे कोई नुक्सान नहीं है, तो मुझे नहीं लगता की इसमें कोई बुराई है.."
"अरे वो तो अपने निप्पल्स चूस रही है" विशाल बोला और अपना लंड मसलने लगा.
"मुझे भी देखने दे" सन्नी ने कहा.
फिर तो वो दोनों बारी बारी छेद पर आँख लगाकर देखने लगे.
विशाल बोला "यार क्या माल छुपा रखा था तुने अपने घर पर अभी तक, क्या बॉडी है"
"वो अपनी पैंट उतार रही है....अरे ये क्या, उसने पेंटी भी नहीं पहनी हुई.ओह माय माय ...और उसने एक लम्बी सिसकारी भरते हुए अपना लंड हाहर निकाल लिया और हिलाने लगा.
"क्या चूत है...हलके -२ बाल और पिंक कलर की चूत ...वाउ
अब वो अपनी चूत में उंगलिया घुसा - २ कर सिस्कारिया ले रही थी. और अपना सर इधर उधर पटक रही थी.. विशाल और सन्नी के लिए ये सब नया था, वो दोनों ये देखकर पागल हो रहे थे और ऋतू के बारे मैं गन्दी-२ बातें बोल कर अपनी मुठ मारते हुए झड़ने लगे.
तभी ऋतू झड गयी और थोड़ी देर बाद वो उठी और लाइट बंद करके सो गयी.
विशाल और सन्नी शॉक की स्टेट में थे , और मेरी तरफ देखकर बोले "यार मज़ा आ गया, सारे पैसे वसूल हो गए"
"मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है की तुने अपनी मुठ मारती हुई बहन हमें दिखाई" सन्नी बोला.
"चलो अब सो जाते है" मैने कहा.
विशाल "यार, वो साथ वाले कमरे में नंगी सो रही है, ये सोचकर तो मुझे नींद ही नहीं आएगी"
मैं बोला" अगर तुम्हे ये सब दोबारा देखना है तो जल्दी सो जाओ और सुबह देखना, वो रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले अपनी मुठ मारती है फिर नहाने जाती है." लेकिन उसके लिए तुम्हे पांच सो रूपए और देने होंगे."
"हमें मंजूर है " दोनों एक साथ बोले.
मैं अपनी अक्ल और किस्मत पर होले होले मुस्करा रहा था.
सुबह उठते ही हम तीनो फिर से छेद पर अपनी नज़र लगा कर बैठ गए, हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा, १० मिनट बाद ही ऋतू उठी, रोज़ की तरह पूरी नंगी पुंगी, अपने सीने के उभारो को प्यार किया, दुलार किया, चाटा, चूसा और अपनी उंगलियों से अपनी चूत तो गुड मोर्निंग बोला.
विशाल "यार क्या सीन है, सुबह सुबह कितनी हसीन लग रही है तेरी बहन.
फिर सुन्नी बोला "अरे ये क्या, इसके पास तो नकली लंड भी है....अमेज़िग . और वो अब उसको चूस भी रही है, अपनी ही चूत का रस चाट रही है..बड़ी गर्मी है तेरी बहन में यार” और फिर ऋतू डिल्डो को अपनी चूत में डाल कर जोर जोर से हिलाने लगी.
हम तीनो ने अपने लंड बाहर निकाल कर मुठ मारनी शुरू कर दी, हम सभी लगभग एक साथ झड़ने लगे...दुसरे कमरे में ऋतू का भी वो ही हाल था, फिर वो उठी और नहाने के लिए अपने बाथरूम में चली गयी.
फिर तो ये हफ्ते में २-३ बार का नियम हो गया, वो मुझे हर बार १५०० रूपए देते, और इस तरह से धीरे धीरे मेरे पास लगभग पंद्रह हज़ार रूपए हो गए..
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