RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने अपने हाथ नेहा के चुचे पर टिका दिए. वाउ ...क्या चुचे थे.ये ऋतू से थोड़े छोटे थे पर ऐसा लगा जैसे उसने अपनी टी शर्ट के अन्दर संतरे छुपा रखे हैं, उसने ही बड़े और मुलायम. ऋतू ने नेहा की टी शर्ट पकड़ कर ऊपर उठा दी.
उसने काली रंग की ब्रा पहन राखी थी. गोरे चुचे उसके अन्दर फँस कर आ रहे थे, शायद ब्रा छोटी पड़ रही थी, इन कबूतरों के लिए.
मैंने हाथ पीछे करके उसके कबूतरों को उसकी ब्रा से आजाद कर दिया और वो फडफडा कर बाहर आ गए., वो इतने छोटे भी नहीं थे जितना मैंने सोचा था, बिलकुल उठे हुए, ब्राउन निप्प्ल्स, निप्प्ल्स के चारों तरफ फैला काले रंग का एरोहोल..बिलकुल अनछुए चुचे थे. मैंने आगे बढकर अपना मुंह उसके दायें निप्पल पर रख दिया.
aaaaaaaaaaaahh ये क्याsssssssssssssss उसने मेरे बाल पकड़कर मेरे मुंह को अपने सीने पर दबा दिया. वो अपनी गोल आँखों से मुझे अपने चुचे चाटते हुए देख रही थी, और मेरे सर के बाल पकड़कर मुझे कण्ट्रोल कर रही थी, वो मेरे सर को कभी दायें चुचे पर रखती और कभी बाएं पर...मैंने अपने दांतों से उसके लम्बे निप्प्ले को जकड लिया और जोर से काट खाया.... आआआआआआआह्ह्ह उसने एक दो झटके लिए और फिर वो नम हो गयी,
मेरे चूसने मात्र से ही उसका ओर्गास्म हो गया था, मैंने चुसना जारी रखा. उसके दानो से मानो बीयर निकल रही थी, बड़े नशीले थे उसके बुबे..मैंने उनपर जगह-२ काट खाया, चुब्लाया, चूसा, और उसकी पूरी छाती पर लाल निशाँ बना दिए.
ऋतू ने पीछे से उसकी कैपरी भी उतार दी और नीचे बैठ कर उसकी कच्छी के लास्तिक को पकड़ कर नीचे कर दिया, वो भी अब मदर्जात नंगी थी.
मेरे मन में ख्याल आया की मात्र १० मीटर के दायरे में दो परिवार पुरे नंगे थे. भाई-बहन-चचेरी बहन, जेठ-छोटी भाभी, देवर-भाभी....की जोडियाँ नंगे एक दुसरे की बाँहों में सेक्स के मजे ले रहे थे.
मेरी बाँहों में मेरी चचेरी बहन नंगी खड़ी थी, और उसके पीछे मेरी सगी बहन भी नंगी थी.. मेरा लंड पिछले दो घंटो में तीसरी बार खड़ा हुआ फुफकार रहा था और अपने कारनामे दिखाने के लिए उतावला हुए जा रहा था . उसे कुंवारी चूत की खुशबु आ गयी थी.
मैंने अपना एक हाथ नीचे करके नेहा की चूत पर टिका दिया. वो रस से टपक रही थी, मैंने अपनी बीच की ऊँगली उसकी चूत में डालनी चाही पर वो बड़ी टाईट थी, मैंने उँगलियों से उसका रस समेटा और ऊपर करके उन्हें चूस लिया, बड़ा मीठा रस था, ऋतू ने मुझे ये सब करते देखा तो लपककर मेरा हाथ पकड़कर अपने मुंह में डाल लिया और बचा हुआ रस चाटने लगी..म्म्म्मस्स्स्स...इट्स tastyyyyyyy ....
नेहा के चेहरे पर एक गर्वीली मुस्कान आ गयी उसने अपनी ऑंखें खोली और मेरा हाथ अपनी चूत पर रखकर रगड़ने लगी, मैं समझ गया की लोंडिया गरम हो चुकी है. मेरी नजर दुसरे कमरे में चल रहे खेल पर गयी.
वहां मेरी माँ तो अपने देवर का लंड ऐसे चूस रही थी जैसे कोई गन्ना..
अजय चाचू ने मेरी माँ को वहीँ जमीन पर लिटाया और लंड समेत उनके मुंह पर बैठ गए...ले साली....चूस मेरे लंड को.......चूस छिनाल भाभी ....मेरे लंड कूऊऊओ.......आआआआआह्ह्ह ....
वो अपने टट्टे मेरी माँ के मुंह में ठुसने की कोशिश कर रहे थे...माँ का मुंह थोडा और खुला और लंड निकाल कर वो अब गोटियाँ चूसने लगी...चाचू का लंड उनकी नाक के ऊपर लेटा हुआ फुफकार रहा था.
उनकी लार से पूरा चेहरा गीला हो चूका था....ले साआआआआली .....चुसे इन्हीईईए.....आआआआआह्ह्ह्ह मेरी माँ की आँखों से आंसू निकल आये इतनी बर्बरता से चाचू उनका मुंह चोद रहे थे.. मेरे पापा अपने छोटे भाई के कारनामे देखकर मुस्कुरा रहे थे, पर अपनी पत्नी को भाई के द्वारा humilate होते देखकर वो भी थोडा भड़क गए.
उन्होने अपना गुस्सा उन्होंने उसकी पत्नी आरती के ऊपर निकाला...उन्होंने आरती की टांगो को पकड़ा और उसे हवा में शीर्सासन की मुद्रा में अपनी तरफ मुंह करके उल्टा खड़ा कर दिया और टांगे चोडी करके उनकी चूत पर अपने दांत गडा, वो अपनी चूत पर इतना हिंसक प्रहार बर्दाश्त ना कर पाई और उसके मुंह से सिसकारी निकल गयी....आआआआआआआआअह्ह्ह...भेन चोद्द्दद्द्द......क्याकर रहा है........आआआआआआह्ह्ह्ह धीईरे ssssssss
आआआआआआह्ह्ह्ह चाअतूऊऊ ..पर वो अपनी गांड हिला रही थी यानि उसको पापा का उनपर भारी पढ़ने से ज्यादा मजा आ रहा था...
तभी मेरे पापा ने अपने लंड को आरती चची के मुंह की तरफ करके पेशाब कर दिया.....उनकी धार सीधे आरती चाची के उलटे और खुले मुंह में जा गिरी....कुछ उनकी नाक में भी गयी और वो खांसने लगी...मुझे ये देखकर बड़ी घिन्न आई...पर मैंने नोट किया की आरती चाची को इसमें मजा आ रहा है...वो खूब एन्जॉय कर रही थी.
अपनी बीबी से बदला लेते देखकर अजय अंकल मेरे पापा की तरफ देखकर हंसने लगे.. और मेरी माँ पर और बुरी तरह से पिल पड़े.
वो दोनों भाई एक दुसरे की बीबियों की बुरी तरह से लेने में लगे हुए थे. मैं और मेरी बाकी दोनों बहने मेरे साथ ये सब देख रही थी और एक दुसरे के नंगे जिस्म सहला रही थी.
अब नेहा के लिए कण्ट्रोल करना मुश्किल हो गया. उसने मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मेरे होंठो को पागलो की तरह चूसने लगी, शायद अपने मम्मी पापा के कारनामे उसे उत्तेजित कर रहे थे.
ऋतू ने नीचे बैठ कर नेहा की लार टपकाती चूत पर अपना मुंह रख दिया..
उसकी चूत की leakage बंद हो गयी... नेहा की चूत पर हलके -२ गोल्डेन कलर के रोंये थे.
वो अभी जवानी की देहलीज पर भी नहीं पहुंची थी और और चूत के रस को अपनी बहन के मुंह में डाल कर मजे ले रही थी. ऋतू चटकारे ले-लेकर उसकी चूत साफ़ करने लगी. वो नीचे से उसकी चूत चूस रही थी और मैं ऊपर से उसके होंठ. ऋतू ने अपनी जीभ नेहा की चूत में घुसा दी, उसकी चिकनाई से वो अन्दर चली गयी, और फिर अपनी दो उंगलियाँ भी उसके अन्दर डाल दी. वो मचल उठी और मेरी जीभ को और तेजी से काटने और चूसने लगी. मैंने अपने पंजे उसकी छाती पर जमा दिए, उसपर हो रहा दोहरा अटैक उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
ऋतू ने धक्का देकर हम दोनों को बेड पर ले जाकर गिरा दिया.
मैंने अब गौर से नेहा का नंगा जिस्म बेड पर पड़े हुए देखा, उसका मासूम सा चेहरा, मोटे-२ चुचे, पतली कमर और कसे हुए चुतड, मोती टांगे और कसी हुई पिंडलियाँ, देखकर मैं पागल सा हो गया और उसे ऊपर से नीचे तक चूमने लगा, मैं चूमता हुआ उसकी चूत तक पहुंचा और गीली-२ चूत को अपने मुंह से चाटने लगा, उसका स्वाद तो मैं पहले ही चख चूका था, अब पूरी कडाही में अपना मुंह डाले मैं उसका मीठा रस पी रहा था.
ऋतू ने दूसरी तरफ से नेहा को किस करना शुरू किया और उसके होंठो पर अपने होंठ रगड़ने लगी. मुझे कुछ हो रहा है iii .......कुछ करूऊऊऊ............नेहा बद्बदाये जा रही थी.
ऋतू ने मुझे इशारा किया और मैं समझ गया की वो घडी आ चुकी है. मैंने उठ कर अपना लंड उसके रस से चोपड़ कर उसकी छोटी सी चूत के मुंहाने पर रखा. ऋतू ने मेरा लंड पकड़ा और उसे नेहा की चूत के ऊपर नीचे रगड़ने लगी. और फिर एक जगह फिक्स कर दिया और बोली....भाई...थोडा धीरे करना...छोटी है अभी.. मैंने कुछ नहीं कहा और अपने लंड का जोर लगाकर अपना सुपदा उसकी चूत में धकेल दिया.
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