RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
ऋतू भी अन्दर का नजारा देखकर गरम हो चुकी थी, मेरी गन्दी भाषा सुनकर वो भी उत्तेजित होते हुए बोली "हाँ भाई देखो तो जरा हमारी कुतिया माँ को, कैसे अजय चाचू के घोड़े जैसे काले लंड को अपनी गांड में ले कर चीख रही है मजे से...उनके चुचे कैसे झूल रहे है और आरती चाची कितने मजे से उन्हें दबा रही है, और पापा का लंड तो देखो कितना शानदार और ताकतवर है, कैसे चाची की चूत में डुबकियां लगा रहा है,....काश मैं होती चाची की जगह..." उसने अपने मन की बात बताई.
मैं समझ गया की अगर ऋतू को मौका मिला तो वो अपने बाप का लंड भी डकार जायेगी..
पापा ने अपनी स्पीड तेज कर दी.
आरती चाची की आवाजें तेज हो गयी, वो लोग समझ रहे थे के घर में वो अकेले हैं, बच्चे तो बाहर गए हैं, इसलिए वो तेज चीखें भी मार रहे थे और तरह -२ की आवाजें भी निकाल रहे थे. आआआआआआआआआह्ह्ह्ह ......माआआआआआआआआआह "चाची चिल्लाई.
जेठ जी.......चोदो मुझे.....और जौर्र्र्रर सीईईईईईई ......aaaaaaaaaaahhhhh..... फाड़ डालो मेरी चूत....
बड़ा अच्छा लगता है आपका लंड मुझीईए......चोदों आआआअह्ह.....उसने एक हाथ से मेरी माँ के चुचे बुरी तरह नोच डाले... मेरी माँ तड़प उठी और जोर से चिल्लायी.......आआआआआआआआअह्ह्ह कुतियाआअ...छोड़ मेरी छाती ....
साली हरामजादी....मेरे पति का लंड तुझे पसंद आ रहा है...हांन्न.....और तेरा ये घोड़े जैसा पति जो मेरी गांड मार रहा है उसका क्या.....बोल कमीनी....उसका लंड नहीं लेती क्या घर में....मेरा बस चले तो मैं अपने प्यारे देवर का लंड ही लूं ....." मेरी माँ चिल्लाये आ रही थी और अपनी मोटी गांड हिलाए जा रही थी.
अजय चाचू ने अपनी स्पीड बड़ाई और मेरी माँ के कुल्हे पकड़ कर जोर से झटके दिए.
"भाभी.......ले अपने प्यारे देवर का लोडा अपनी गांड में....सच में भाभी, आपकी गांड मारकर वो मजा आता है की क्या बोलू....आआआह्ह्ह.....तेरे जैसी हरामजादी भाभी की गांड किस्मत वालों को ही मिलती है...चल मेरी कुतिया.....ले ले मेरा लंड अपनी गांड के अन्दर तक्क्क.......तेरी मा की चुत्त्त.......आआग्ग्ग्गह्ह्ह्ह ///// ." और चाचू ने अपना लावा मेरी माँ की गांड में उडेलना शुरू कर दिया.
मेरी माँ के मुंह से अजीब तरह की चीख निकली.....आय्यय्य्य्यी ....आआआआआआह.......और उन्होंने आधे खड़े होकर अपनी गर्दन पीछे करी और अजय चाचू के होंठ चूसने लगी, चाचू का हाथ माँ की चूत में गया और माँ वहीँ झड गयी..आआआआआआह्ह्ह्ह .... म्मम्मम्मम्म ssssssssssssssssss
वहां मेरे पापा भी कहाँ पीछे रहने वाले थे...."ले आरती.....मेरी जान.....मेरी कुतिया ......अपने आशिक जेठ का लंड अपनी चूत में ले....तेरी चूत में अभी भी वोही कशिश है जो 10 साल पहले थी.....और तेरे ये मोटे-२ चुचे....इनपर तो मैं फ़िदा हूँ...भेन की लोड़ी....तेरी माँ की चूत......" ये कहकर पापा ने झुक कर आरती के दायें चुचे को मुंह में भर लिया और जोर से काट खाया ...
"आआआआआअह्ह्ह कुत्त्त्ते ..........छोड़ मुझे.....आःह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....म्म्म्मम्म्म्मम्म " और मेरे पापा का मुंह ऊपर करके उनके होंठो से अपने होंठ जोड़ दिए और चूसने लगी किसी पागल बिल्ली की तरह.
पापा से सहन नहीं हुआ और अपना रस उन्होंने चाची के अन्दर छोड़ दिया.
चाची भी झड़ने लगी और अपनी टाँगे पापा के चारों तरफ लपेट ली.
सभी हाँफते हुए वहीँ पलंग पर गिर गए.
ऋतू ने घूम कर मुझे देखा , उसकी आँखें लाल हो चुकी थी, उसने अपने गीले होंठ मुझसे चिपका दिए और मेरे हाथ पकड़कर अपने सीने पर रख दिए, मैंने उन्हें दबाया तो उसके मुंह से आह निकल गयी, मैंने उसे उठा कर पलंग पर लिटाया और उसके कपडे उतार दिए, उसकी चूत रिस रही थी अपने रस से...मैंने अपना मुंह लगा दिया उसकी रस टपकाती चूत पर और पीने लगा....वो मचल रही थी बेड पर नंगी पड़ी हुई, उसने मेरे बाल पकड़ कर मुझे ऊपर खींचा और अपनी चूत में भीगे मेरे होंठ चाटने लगी, अपना एक हाथ नीचे लेजाकर मेरे लंड को अपनी चूत पर टिकाया और सुर्र्र्रर...करके निगल गयी मेरे मोटे लंड को...
आआआआआआआआआह्ह्ह.....उसने किस तोड़ी और धीरे से चिल्लाई, आज वो काफी गीली थी, मैंने अपना मुंह उसके एक निप्पल पर रख दिया...वो सिहर उठी, और प्यार से मेरी तरफ देखकर बोली...."मेरा बच्चा....." ये सुनकर मैंने और तेजी से उसका "दूध" पीना शुरू कर दिया.
उसने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर आ गयी, बिना अपनी चूत से मेरा लंड निकाले, और अपने बाल बांधकर तेजी से मेरे ऊपर उछलने लगी, मैंने हाथ ऊपर करे और उसके चुचे दबाते हुए अपनी आँखें बंद कर ली, जल्दी ही वो झड़ने लगी, और उसकी स्पीड धीरे होती चली गयी और अंत में आकर उसने एक जोर से झटका दिया और हुंकार भरी और मेरे सीने पर गिर गयी. अब मैंने उसे धीरे से नीचे लिटाया , वो अपने चार पायों पर कुतिया की तरह बैठ गयी और अपनी गांड हवा में उठा ली, मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला और झटके देने लगा, मेरी एक ऊँगली उसकी गांड में थी....मैंने किसी कसाई की तरह उसे दबोचा और अपना घोडा दौड़ा दिया, वो मेरे नीचे मचल रही थी, मैंने हाथ आगे करे और झूलते हुए सेब पर टिका दिए, मेरा लंड इस तरह काफी अन्दर तक घुस गया, मेरे सामने आज शाम की घटना और दुसरे रूम में हुई शानदार चुदाई की तसवीरें घूम रही थी, ये सोचते-२ जल्दी ही मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैंने भी अपने लंड का ताजा पानी, अपनी बहन के गर्भ में छोड़ दिया.
बुरी तरह से चुदने के बाद ऋतू उठी और बाथरूम में चली गयी, मुझे भी बड़ी जोर से सुसु आया था, मैंने सिर्फ अपना जॉकी पहना और दरवाजा खोलकर बाहर बने कॉमन बाथरूम में चला गया, अपना लंड निकाला और धार मारनी शुरू कर दी, मैंने मूतना बंद ही किया था की बाथरूम का दरवाजा खुला और आरती चाची नंगी अन्दर आई और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया, पर जैसे ही मुझे देखा तो वहीँ दरवाजे पर ठिठक कर खड़ी हो गयी, मेरे हाथ में मेरा मोटा लंड था.
"ओह्ह्ह..सॉरी..." आरती चाची ने कहा.
"क्या आपको दरवाजा खड्काना नहीं आता..." मैंने वहीँ खड़े हुए कहा, मेरा लंड अभी भी मेरे हाथ में था.
"सॉरी...मुझे माफ़ कर दो आशु..अन्दर अँधेरा था तो मैंने सोचा अन्दर कोई नहीं है....और वैसे भी तुम लोग तो बाहर प्रोग्राम देख रहे थे न.." आरती चाची ने चर्माते हुए कहा, वो अपने नंगे जिस्म को छुपाने की कोशिश कर रही थी.
"मेरा वहां मन नहीं लगा इसलिए वापिस आ गया.......और..." मैंने उनकी आँखों में देखकर कहा.
"और ये की...मुझे सुसु आया है..." आरती ने सकुचाते हुए कहा.
"हाँ तो कर लो न..."
"तुम बाहर जाओगे तभी करुँगी न..." उसका चेहरा शर्म से लाल हो रहा था.
"तुमने मुझे देखा है सुसु करते हुए तो मेरा भी हक बनता है तुम्हे सुसु करते हुए देखने का..." मैं दीवार के सहारे खड़ा हो गया और अपना लम्बा लंड उनके सामने मसलने लगा.
उन्होंने ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा और जल्दी से सीट पर आकर बैठ गयी, पेशाब की धार अन्दर छुटी और मैंने देखा की उनके निप्प्ल्स कठोर होते चले जा रहे है, सुसु करने के बाद उन्होंने पेपर से अपनी चूत साफ़ करी और खड़ी हो गयी.
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