RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
हम सब बाहर निकल आये और इस बार मैं उन्हें अपने कॉटेज में ले आया और अपने रूम में आकर मैंने शीशा हटाया और अन्दर देखा, वहां मम्मी और चाची नीचे जमीन पर बैठी हुई पापा और अजय चाचू का लंड चूस रही थी, और एक हाथ से अपनी-२ चूत भी मसल रही थी, मम्मी खड़ी हुई और चाचू की गोद में चढ़ कर अपनी टाँगे हवा में लटका दी और उनका मोटा और खड़ा हुआ लंड उनकी गीली चूत में उतरता चला गया, आआआआआआआआआआआआआह...वहां से मेरी माँ की तेज आवाज आई, आवाज सुनकर सोनी आगे आई और मेरे आगे आकर अन्दर देखने लगी.
मैंने आगे बढकर उसके कंधे पर सर टिका दिया और उसकी उभरती हुई गांड पर अपने लंड का दबाव डाल दिया और कहा "ये हमारे पेरेंट्स है.."
वो विस्मय से मुझे देखकर बोली "ये क्या कह रहे हो...सही में...? कोनसे वाले..?"
"वो जो गोद में चढ़ कर मजे ले रही है वो मेरी माँ है, और जो उनकी मार रहा है वो मेरे चाचू है, और वो नीचे मेरी चाची मेरे पापा का लंड मुंह में लेकर चूस रही है.." मैंने उसके कानो से अपने होंठ सटाते हुए कहा, मेरे होंठो का स्पर्श अपने कानों पर पाकर वो सिहर उठी.
"क्या उन्हें मालुम है की तुम इस तरह उन्हें देखते हो" उसने आगे पूछा
"उन्हें तो नहीं, पर चाचू और चाची को पता है"
"और वो गुस्सा नहीं हुए इस बात पर"
"नहीं..बल्कि ये जानने के बाद तो वो दोनों हमारे कमरे में आये और हमने भी एक दुसरे के साथ मजे किये"
"तुम मजाक तो नहीं कर रहे हो...तुम्हारे सगे चाचा चाची ने तुम दोनों के साथ ये सब किया"
"हम दोनों के साथ ही नहीं, उन्होंने अपनी बेटी के साथ भी चुदाई की" मैंने नेहा की तरफ इशारा किया, नेहा मुस्कुरा दी.
बाप ने बेटी की चुदाई की, ये बात सुनते ही सोनी के दिमाग में एक बिजली सी कौंध गयी और उसके जहन में अपने कमरे से देखा वो नजारा तैर गया जहाँ उसके पापा अपना मोटा लंड अपने हाथ में लेकर मसल रहे थे. उसका एक हाथ बरबस ही अपनी चूत पर चला गया और वो उसे मसलने लगी.
मैंने भी मौके का फायदा उठाया और उसके मोटे चूतडो पर अपना एक हाथ टिका दिया, और मसल दिया, उसने मुझे अर्थपूर्ण नजरों से देखा पर कुछ कहा नहीं.
मोनी जो काफी देर से अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी, आगे आई और अन्दर देखने लगी, रेहान भी उसके साथ-२ देखने लगा.
"पर वो तो बड़े लोग हैं, उनकी उम्र 35 -45 के आसपास होगी, वो ये सब एकदूसरे से करते है, उन्हें तुम लोगो में और तुम्हे उन लोगो में क्या मजा आया होगा." सोनी ने मुझसे कहा.
"सभी को एक दुसरे से मजा आता है, हर व्यस्क अपने से छोटी उम्र वाले के साथ चुदाई करना चाहता है और हर टीनएजर बड़ी उम्र वाले के साथ, और मैं शर्त लगा कर कह सकता हूँ की तुम्हारे मम्मी पापा के साथ भी मैं ये सब कर सकता हूँ और वो ख़ुशी-२ कर भी लेंगे." मैंने उसकी आँखों में देखकर कहा.
"मैं ये मान ही नहीं सकती..." उसने दृढ़ता से कहा.
"हाँ जैसे तुम वो बात नहीं मान रही थी की तूम्हारे पेरेंट्स ग्रुप सेक्स करते हैं" मैंने उसका जवाब दिया.
मैंने आगे कहा "चलो लगी शर्त...अगर मैंने आज रात उनके साथ ये कर लिया तो तुम्हे कल रात यही सब मेरे साथ करना होगा."
"क्या बकवास है...इसका सवाल ही नहीं उठता" उसने मुझे घूरते हुए कहा.
मोनी ने बीच में बोलते हुए कहा "सोनी, अगर तुम्हे इतना ही विशवास है अपने ऊपर की मम्मी पापा इसके साथ ये सब नहीं करेंगे तो शर्त लगाने में क्या प्रॉब्लम है...और अगर वो कर लेते हैं तो हमें भी तो कुछ मजे लेने का अधिकार है के नहीं.."उसकी जवानी मचल रही थी.
कुछ देर सोचने के बाद सोनी ने कहा "ठीक है...जैसा तुम कहो"
"चलो फिर...चलें यहाँ से.." मैंने उनसे कहा और हम सभी बाहर निकल आये.
बाहर आकर मैं वापिस सोनी और मोनी के कॉटेज के अन्दर गया और शीशा हटा कर अन्दर देखा, वहां अभी तक वही चुदाई का प्रोग्राम चल रहा था.
"इधर आओ और मुझे बताओ, तुम्हारे मम्मी पापा कोन से है" मैं जानता तो था पर कन्फर्म कर रहा था.
"वो जो नीचे जमीन पर बैठी लंड चूस रही है वो मेरी मम्मी है और वो जो पलंग पर उस आंटी की गांड मार रहे हैं वो मेरे पापा हैं" सोनी ने मुझसे कहा.
"ठीक है, तुम सब यहाँ वेट करो, अन्दर मैं और ऋतू ही जायेंगे" मैंने ऋतू को इशारा किया, उसकी तो चूत पिछले 1 घंटे से सुलग रही थी, अलग-२ तरह के लंड और चुदाई देखकर, मेरा इशारा पाते ही वो मेरे पीछे चल पड़ी.
मैं और ऋतू घूमकर बाहर आये और मैंने धीरे से ऋतू के कान में अपना प्लान समझाया, और फिर हम दोनों ने जल्दी से अपने-२ कपडे उतार दिए और नंगे हो गए, मैंने दरवाजा खोला और हम दोनों अन्दर आ गए.
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