RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
ऋतू पापा के लंड से नीचे उतरी और उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, चाची जो अपनी चूत मम्मी से चुसवा रही थी, उन्होंने अपना सर आगे किया और ऋतू की चूत से टपकते पापा के रस को पीने लगी, मेरे लिए भी अब सब्र करना कठिन हो गया था, मैंने भी एक-दो तेज झटके मारे और अपना पानी मम्मी की चूत के अन्दर छोड दिया...मम्मी ने अपने अन्दर मेरे गर्म पानी के बहाव को महसूस किया और वो भी जोर से चिल्ला कर झड़ने लगी.आआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह आआआआआ अह अह अ अ हहा ह अ ह हा हा हा ........मैंने अपना लंड बाहर निकाला और ऋतू जो पापा के लंड से उतर चुकी थी आगे आई और मम्मी की चूत से मेरा रस पीने लगी, अपनी चूत पर अपनी बेटी का मुंह पाकर मम्मी की चूत के अन्दर एक और हलचल होने लगी...उन्होंने उसके सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी टाँगे खींचकर अपने मुंह के ऊपर कर ली और उसकी चूत से अपने पति का वीर्य चाटने लगी, ऋतू की चूत को मम्मी बड़े चाव से खा रही थी, थोड़ी ही देर में उनकी चूत में दबी वो आखिरी चिंगारी भी भड़क उठी और दोनों एक-दुसरे के मुंह में अपना रस छोड़ने लगी.
"ये कितने अच्छे बच्चे हैं..." चाची ने हम तीनो बच्चो की तरफ हाथ करके कहा.. वो हमारी पर्फोर्मांस से काफी खुश थी.
"ये कुछ ज्यादा ही हो गया..." मम्मी ने बेड से उठते हुए कहा.
"क्या आपको ये सब अच्छा नहीं लगा मम्मी" ऋतू ने उनसे पूछा.
"हम्म्म्म हाँ अच्छा तो लगा...पर ये सब एकदम से हुआ...मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है.." उन्होंने धीरे से कहा.
"पर हमें तो बड़ा मजा आया, क्या आपको मेरी चूत को चुसना अच्छा नहीं लगा...मेरी तो इतने दिनों की इच्छा पूरी हो गयी पापा के लंड से अपनी चूत मरवाकर...कितना मजा आया उनका मोटा लंड लेने में...क्या आपको नहीं आया भैय्या का लंड अपनी चूत में लेनेमें....बोलो.." ऋतू ने उनसे सवाल किया.
सबकी नजरें मम्मी की तरफ उठ गयी..
उसने पापा से पूछा "और पापा क्या आपको मेरी चूत पसंद नहीं आई..."
उन दोनों को चुप देखकर चाची ने कहा "अरे...अब आप दोनों ऐसे क्यों शर्मा रहे हैं...आप दोनों को अपने बच्चो के साथ सेक्स करने मं मजा आया है तो इस बात को कबूल करने में इतना झिझक क्यों रहे हो..हमने भी तो अपनी बेटी नेहा को इस खेल में शामिल किया है, और उसकी चूत चूसने में मुझे तो बड़ा मजा आता है और उसके पापा भी कल से अपनी बेटी की कसी हुई चूत का बार बार तारीफ़ कर रहे हैं...."
"चलो ठीक है...अब हमें अपने कमरे में चलना चाहिए" मम्मी ने कहा.
"अरे. भाभी मूड़ मत खराब करो...अभी तो मजा आना शुरू हुआ है...अभी तो पूरी रात पड़ी है.." चाची ने कहा.
साली इस चाची के बदन में आग लगी है, पूरी रात चुदवाने की तय्यारी से आई थी हरामजादी..मैंने मन ही मन सोचा.
"नहीं...अब और नहीं..चलो तुम दोनों अब चुपचाप सो जाओ...और आरती-अजय .. प्लीस.. आप भी चलो यहाँ से.." मम्मी ने कहा.
हम सबने उनकी बात को मानना उचित समझा और अपने बेड पर जाकर रजाई के अन्दर घुस गए.
"चलो ठीक है..तुम कहती हो तो चलते हैं..चलो अजय अपने रूम में जाकर हम दोनों ही आपस में चुदाई करते हैं..." और चाची हमारे पास आकर हमें गुड नाईट बोली और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर मसल दिया..और बोली "काफी मजा आया..कल मिलते हैं"
सबके जाने के बाद हम तीनो अपने बेड पर नंगे रजाई में बैठे हंस रहे थे,
ऋतू बोली "मुझे विशवास ही नहीं हो रहा है की हमने अपने मम्मी पापा के साथ भी चुदाई की..और इतना सब होने के बाद भी उन लोगो ने हमें फिर से इस कमरे में छोड दिया हा हा हा ...."
"और मैं सच कहूं तो तुम्हारे मम्मी पापा को भी काफी मजा आया होगा, वो अभी खुलकर नहीं बता रहे हैं पर तुम दोनों से सेक्स करके वो भी कम खुश नहीं थे..." नेहा ने अपने चूत को मेरी टांगो पर दबाते हुए कहा.
ऋतू ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़कर कहा "तो क्या तुम्हारा ये लंड अभी भी कुछ कारनामे दिखाने के मूड में है क्या..."
"मेरे लंड के कारनामे देखना चाहते हो तो उसे तैयार करो और फिर मैं तुम दोनों को दिखाता हूँ की चुदाई क्या होती है" मैंने उन्हें उकसाया..
"ओह....माय माय.....लगता है किसी को अपने लंड पर कुछ ज्यादा ही गुरुर हो गया है...." ऋतू ने अपनी आँखें मटकाते हुए नेहा की तरफ देखा और फिर वो दोनों एक साथ बोली "और गुरुर तोडना पड़ेगा हा हा हा" और फिर जो चुदाई का खेल शुरू हुआ तो उनकी चूत के परखचे ही उड़ गए...उस रात मैंने ऋतू और नेहा की कितनीबार चुदाई की, मुझे खुद ही नहीं मालुम..और वो दोनों बेचारी अपनी सूजी हुई चूत लेकर नंगी ही मुझसे लिपटकर सो गयी.
उधर अपने कमरे में पहुंचकर चाची ने शीशे वाली जगह पर ही खड़े होकर चाचू से लगभग तीन या चार बार अपनी चूत मरवाई...दुसरे कमरे में अपनी बेटी और अपनी भतीजी को मुझसे चुदते हुए देखकर..
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अगली सुबह मैंने अपने लंड के चारो तरफ गीलेपन का एहसास पाया, कोई मेरा लंड चूस रहा था, मैंने अपने दोनों तरफ देखा, ऋतू और नेहा दोनों अपने मोटे-२ चुचे मुझमे घुसेड़े आराम से सो रही थी, मैंने नीचे देखा तो पाया की आरती चाची मेरा लंड मुंह में लेकर चूस रही है, मुझे अपनी तरफ देखता पाकर वो मुस्कुरा दी और मुझे गुड मोर्निंग बोलकर फिर से मेरा लंड चाटने लगी, मेरे शरीर की हलचल पाकर ऋतू भी जाग गयी और जब उसने देखा की चाची मेरे लंड से ब्रुश कर रही है तो उसकी चूत भी सुबह की खुमारी में रस से सराबोर हो गयी, उसने थोड़ी जगह बनाकर चाची को बेड पर आने को कहा, चाची ऊपर आई और अपनी टाँगे ऋतू के चेहरे के ऊपर करके वापिस मेरा लंड चाटने लगी, नेहा भी अब जाग चुकी थी, अपनी माँ को सुबह-२ नंगी लंड चूसते देखकर उसके बदन में भी आग लग गयी और उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया, मैंने अपने हाथ उसके उभारों पर रख दिए और उन्हें दबा दबाकर उन्हें और बड़ा करने लगा..नेहा के चुचों के बारे में एक बात कहना कहता हूँ, वो बड़े ही मुलायम है पर उसके एरोहोल और निप्पल उतने ही कठोर, वो किसी कील की तरह मेरे हांथों में चुभ रहे थे, मैंने उन्हें और जोर से दबाना शुरू कर दिया, और उतनी ही बेदर्दी से उसके नाजुक होंठो को भी चुसना जारी रखा.
तभी दरवाजा खुला और हमारे पापा अन्दर आ गए, उन्होंने जब देखा की अन्दर सुबह की चुदाई की तय्यारी चल रही है तो वो चुपचाप अन्दर आये और अपने कपडे उतार कर वो भी ऊपर चढ़ गए, चाची की चूत तो वो कई बार मार चुके थे, और कल रात उन्होंने ऋतू की भी जम कर चुदाई करी थी, इसलिए आज उनकी नजर नेहा के कमसिन जिस्म पर थी, नेहा जो मेरे मुंह में घुसी हुई कुछ ढून्ढ रही थी, उसकी टाँगे छोड़ी करके पापा ने अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया और उसे चूसने लगे.
नेहा ने जब अपनी चूत पर अपने ताऊ जी की गर्म जीभ को पाया तो उसकी उसकी रस बरसाती चूत से एक कंपकपी सी छूट गयी आआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह....म्म्मम्म्म्मम्म.....हाआआआआअन्न्न ऐसे ही......जोर से....... और वो पापा को और जोर से अपनी चूत को चूसने के लिए प्रोत्साहित करने लगी..
जवान लड़की की चूत पाकर पापा भी दुगने जोश से अपने experience का इस्तेमाल उसे करते हुए उसकी चूत की तलाशी लेने लगे.
वहां अजय चाचू की जब नींद खुली तो चाची को बगल में ना पाकर उन्होंने भागकर शीशे वाली जगह देखा और वहां का नजारा देखकर वो नंगे ही हमारे कमरे में दौड़कर चले आये, उनकी पत्नी मेरा लंड चूस रही थी और उनके बड़े भाई उनकी बेटी की चूत चाट रहे थे और उनकी पत्नी की चूत को उनकी भतीजी साफ़ कर रही थी, कमरे में अब सिर्फ ऋतू की चूत ही बची थी जो खाली थी, वो उसकी तरफ चल पड़े, और वहां पहुंचकर अपनी लम्बी जीभ का इस्तेमाल करके ऋतू की चूत और गांड बारी-२ से चाटने लगे.
पुरे कमरे में सिस्कारियां गूंज रही थी.
पापा का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चूका था, वो खड़े हुए और नेहा की एक टांग को हवा में उठाकर अपना लंड उस छोटी सी चूत पर टिका दिया, उनका टोपा काफी बड़ा था, नेहा की छोटी सी चूत के सिरे पर वो फंस सा रहा था, उन्होंने थोडा जोर लगाया तो नेहा दर्द से बिलबिला उठी....आआआआआआआआह्ह्ह्ह धीरे डालो बड़े पापा....धीरे.....
लंड का टोपा अन्दर जाते ही बाकी का काम उसकी चूत की चिकनाई ने कर दिया, वो उस पतली सुरंग में फिसलता चला गया..अयीईईईईईईईईईईईईई मर गयी......और पापा ने तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए...
अह अह अह अह अह अह ...उसके मोटे चुचे मेरे सीने से टकरा रहे थे और उसके खुले मुंह से निकलती लार मेरी छाती पर टपक रही थी...
चाची भी उठ खड़ी हुई और मेरे दोनों तरफ टाँगे करके अपनी चूत को मेरे लंड पर टिकाया और नीचे बैठ गयी. अब उनके मोटे तरबूज भी मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे, मैंने हाथ बदकार उन्हें भी सहलाना शुरू कर दिया, चाची थोडा और आगे हुई और मेरे सीने पर लेती हुई अपनी बेटी नेहा के होंठो पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगी.
ऋतू जो अब तक अपनी चूत चट्वाकर काफी गर्म हो चुकी थी उसने चाचू के मुंह से बड़ी मुश्किल से अपनी चूत छुडवाई और उनके लम्बे लंड को एक किस करके उनके ऊपर चढ़ बैठी, बाकी काम चाचू ने कर दिया अपना खड़ा हुआ लंड उसकी रस टपकाती चूत में डालकर. अब हमारे कमरे में तीन चुदाई चल रही थी और सभी बड़े जोरो से आवाजें निकाल-निकालकर चुदाई कर रहे थे..
ऋतू चिल्लाई...आआआआआआह्ह्ह चाअचूऊऊऊऊऊ.......चोदो मुझे ...और जोर से......अह.........
नेहा भी बोली.....बड़े पापा......डालो अन्दर तक अपना मोटा लंड......आआआआह्ह और तेज चोदो अपनी नेहा को बड़े पापा........
चाची भी कहाँ पीछे रहने वाली थी....आआआआअह्ह आशु......डाल बेटा...अपनी चाची की चूत कैसी लगी....बता ना.....
मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा....भेन चोद.....कुतिया......कितने लोगो से मरवा चुकी है....तेरी माँ की चूत....साली....कमिनी..बता मुझे...
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