RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
वापिस पहुंचकर हम सीधा मम्मी पापा के कमरे में गए, और उन्हें रात को पंकज और मंजू के काटेज में जाने को कहा, ज्यादा बात न बताते हुए सिर्फ ये कहा की वो एन्जॉय करेंगे...उनकी उत्सुकतता बड़ गयी, और उन्होंने शाम को वहां जाने का वादा किया.
शाम को जब प्रोग्राम के दोरान हम सभी लोग मिले और जल्दी से बाहर निकल कर एक जगह इकठ्ठा हो गए.
मैं, नेहा, ऋतू एक तरफ थे और सोनी और मोनी दूसरी तरफ. सोनी ने जींस के ऊपर स्वेटर पहना हुआ था और मोनी आज बड़ी ही सेक्सी शोर्ट स्कर्ट पहन कर आई थी, मेरा लंड तो उसको देखते ही खड़ा हो गया था.
रेहान और हिना आज नहीं आये थे, सुबह की चुदाई से हिना का बुरा हाल हो गया था, इसलिए रेहान भी उसके साथ अपने कॉटेज में ही रुका हुआ था.
हम सभी ने एक दुसरे को पूरा प्लान समझाया और सोनी-मोनी के काटेज की तरफ चल पड़े, वहां जाकर देखा की आज फिर सिर्फ एक ही कमरे की बत्ती जल रही है, बीच वाले की, हम सभी चुपचाप उसके साथ वाले कमरे में, जो की सोनी-मोनी का कमरा था, में घुस गए.
मैंने जाते ही कमरे में लटका हुआ शीशा हटाया और अन्दर झाँका, पंकज और मंजू के साथ अपने मम्मी और पापा को देखकर मैं मुस्कुरा दिया, उनके साथ एक और जोड़ा भी था, टोटल 6 लोग थे कमरे में, सभी नंगे होकर एक दुसरे के लंड और चूत चूसने में लगे हुए थे, मैंने जगह बनाकर सोनी-मोनी को भी अन्दर झाँकने को कहा.
थोड़ी देर देखने के बाद सोनी मेरी तरफ घूमी और बोली "तुम सही कह रहे थे, यहाँ सभी बड़े लोग ग्रुप सेक्स और वाईफ स्वेपिंग के लिए आते हैं, आज फिर यहाँ पर नयी पार्टी चल रही है.." उसने कबूल करते हुए कहा.
"हाँ और इसी में ही मजा है.." ऋतू ने आगे आकर उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा. "तुम्हे इसका बुरा नहीं लगना चाहिए"
"लेकिन ये बुरा है.." सोनी ने जोर देते हुए कहा "इनको सिर्फ एक दुसरे के साथ ही ये सब करना चाहिए"
"ये तो अपने-२ देखने का नजरिया है" मैंने सोनी से कहा "और दूसरा नजरिया यहाँ है" मैंने अन्दर इशारा करते हुए कहा. "ये लोग एक दुसरे को धोखा नहीं दे रहे है और ना ही कोई एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर चला रहे हैं, वो सिर्फ सेक्स कर रहे है और मजे ले रहे हैं...बस."
"लेकिन हमारे बारे में क्या...मुझे तो इन सभी बातों से आघात लगा है" उसने धीमी आवाज में कहा.
"लेकिन क्यों????" मैंने थोडा तेज आवाज में कहा "क्या उन्होंने तुम्हारे साथ कोई बुरा बर्ताव किया, तुम्हारा ख्याल नहीं रखा, या उन्होंने तुम्हे अपने साथ मिलाने की कोशिश की..बोलो .."
"नहीं..ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.." उसने कहा
"तो फिर क्या प्रॉब्लम है...just relax ...अब हमारा टर्न है मौज लेने का" मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा.
"ठीक है..." उसने एक गहरी सांस ली और दिवार से घूम कर दूसरी तरफ सर कर लिया. "अब हमें क्या करना है"
"वेल ...सबसे पहले तो हम सभी को अपने कपडे उतार देने चाहिए.." ऋतू ने गहरी मुस्कान के साथ कहा.
ये सुनते ही मोनी ने एक झटके से अपनी शोर्ट स्कर्ट उतार दी, अन्दर उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी, और अपनी शर्ट भी उतार कर नंगी हो गयी, उसके छोटे-२ संतरे जैसे चुचे तन कर खड़े हुए थे और उनपर भूरे रंग के छोटे-२ निप्प्ल्स.. और उसकी चूत पर अभी बाल आने शुरू ही हुए थे, गोल्डेन कलर के बाल उसकी चूत को छिपाने में असमर्थ थे, उसकी चूत अपने रस में सनी हुई लसलसा कर चमक रही थी.
"क्या तुम लोग अपने कपडे नहीं उतारोगे..." उसने मुझे अपनी तरफ घूरते हुए देखकर कहा..
"हाँ हाँ...क्यों नहीं.." और मैंने, नेहा और ऋतू ने भी जल्दी से अपने कपडे उतार डाले और नंगे हो गए.
"अरे वाह ...तुम्हारा लंड तो काफी बड़ा और सुन्दर है....क्या मैं भी इसको अपने मुंह में लेकर चूस सकती हूँ जैसे मेरी माँ तुम्हारे पापा का चूस रही है.." उसने लार टपकाते हुए कहा.
"हाँ क्यों नहीं...चूस लो..जैसा तुम चाहो " ऋतू ने मोनी के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे मेरे लंड के सामने बिठाया..."और तुम क्या अपने कपडे नहीं उतरोगी सोनी ?" उसने सोनी से पूछा जो कोने में खड़ी हुई सारा नजारा देख रही थी.
"ह्म्म्म ...मुझे थोडा समय दो..तुम लोग करो...मैं थोड़ी देर मैं उतार दूंगी..." उसने धीरे से कहा.
"ठीक है...जैसा तुम चाहो..." ऋतू ने उससे कहा और फिर मेरा खड़ा हुआ लंड पकड़कर नीचे बैठी मोनी के मुंह के पास लेजाकर बोली "ये लो मोनी...चुसे इसे.."
मोनी ने मेरे लंड पर अपने नन्हे हाथ रखकर उसे जोर से पकड़ा...उसके हाथों का सपर्श पाकर मैं सिहर उठा..वो बड़े प्यार से उसे देख रही थी, थोड़ी देर मसलने और सहलाने के बाद वो बोली "वाह ये कितना मुलायम और गर्म है..."
"हाँ...चलो अब चुसो इसे.." ऋतू भी नीचे अपने पंजो के बल बैठ गयी और अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर मसलती हुई मोनी से बोली.
सोनी भी थोडा और नजदीक आकर खड़ी हो गयी जहाँ से उसे लंड चूसती उसकी छोटी बहन साफ़ दिखाई दे...मोनी ने अपना छोटा सा मुंह खोला और अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे लंड को उसपर विराजमान कराया और फिर जीभ के साथ-२ मेरे लंड को भी अपने मुंह में डाल लिया और चूसने लगी..उसके गर्म मुंह में जाते ही मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी, मेरी टाँगे अपने आप मूढ़ गयी आआआआआआआआआआआअह्ह sssssssssssssssss .... म्म्मम्म्म्मम्म .
मेरे लंड के चारों तरफ उसके गुलाबी होंठ कस गए और वो उसे बड़े मजे से चूसने लगी...थोड़ी देर चूसने के बाद उसने लंड बाहर निकाला और अपनी बड़ी बहन सोनी की तरफ देखते हुए बोली "दीदी...ये तो बड़ा ही टेस्टी है..तुम भी ट्राई करो.."
सोनी का चेहरा लाल हो गया अपनी बहन को मेरा लंड चूसते हुए देखकर...वो अन्दर से तो चाहती थी पर अपने आप को रोक के खड़ी थी..सोनी फिर से मेरे लंड को बड़ी तेजी से चूसने लगी...नेहा अब मोनी के पीछे जाकर बैठ गयी और उसके स्तन दबाने लगी, उसके निप्प्ल्स को अपनी उँगलियों में दबाकर उन्हें और फुलाने लगी..ऋतू उठकर सोनी के पास गयी और उसकी पीठ से चिपककर अपना सर उसके कंधे पर रख दिया और अपने हाथ उसके पेट पर..."मैं जानती हूँ की तुम भी ये सब करना चाहती हो..शरमाओ मत.. मैं तुम्हारी मदद करती हूँ..." और उसने उसके स्वेटर को नीचे से पकड़कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया..
सोनी ने शर्माते हुए अपनी स्वीकृति दे दी और ऋतू उसके कपडे एक-२ करके उतारती चली गयी और थोड़ी ही देर में सोनी भी हमारे सामने नंगी खड़ी थी.
मैंने अपनी आँखें खोलकर देखा और उसके सोंदर्य को देखता ही रह गया, उसकी कमर जितनी पतली थी उसके चुचे और कुल्हे उतने ही मोटे...उसके गुदाज जिस्म को देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया...वो अपने हाथों से अपनी चूत और चुचे को छिपाने की कोशिश कर रही थी..ऋतू उसके हाथ बार-२ हटा कर उसके अंग उजागर कर रही थी...वो बड़ी ही शर्मीली थी जबकि उसकी छोटी बहन उतनी ही खुले विचारों वाली..तभी तो वो बड़े मजे से मेरा लंड चूसने में लगी हुई थी.
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