Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:52 PM,
#66
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
बाहर काफी ठण्ड थी, सभी अपने-२ काटेज में जा चुके थे, काफी सुनसान हो चूका था सब कुछ.
ऋतू ठण्ड में अकड़ी हुई सी मेरे से चिपक कर चल रही थी, मैंने अपना हाथ उसकी कमर में डाल रखा था. थोड़ी ही देर में हम दोनों रेहान के काटेज में पहुँच गए..मैंने दरवाजा खडकाया और अन्दर से एक बहुत ही खुबसूरत लड़की बाहर निकल कर आई..."हाँ जी कहिये.." उसने अपनी सुरीली सी आवाज में कहा. उसने पीले रंग का सूट पहना हुआ था, एक दम गोरी चिट्टी, पतली कमर, फैले हुए कुल्हे, मोटे-२ लटकते हुए उसके चुचे जिनपर उसने चुन्नी भी नहीं डाल रखी थी, नीचे उसकी सलवार उसकी मोटी टांगो से चिपकी हुई थी, जिसकी वजह से उसकी मोटी टांगो की सुडोलता साफ़ दिखाई दे रही थी.
"जी मैं आशु हूँ और ये ऋतू है.." मैंने कहा..
"अच्छा तो अब आये हो आप लोग...कितनी देर से इंतज़ार कर रहे थे हम दोनों आपका..." उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अन्दर धकेल लिया..ऋतू भी मेरे पीछे -२ अन्दर आ गयी.
"आ गए क्या वो लोग..." अन्दर से एक मोटी सी आवाज आई...और अगले ही पल एक भीमकाय सा इंसान बाहर आया, उसने सफ़ेद कुर्ता पायजामा पहन रखा था, पायजामा घुटनों से थोडा नीचे था, सर पर गोल मुसल्माननी टोपी, काला रंग, पेट निकला हुआ, पान वाले लाल होंठ, बिना मूंछ के लम्बी दाड़ी जिसमे आधे से ज्यादा बाल सफ़ेद थे.
"आओ -२ ... मेरा नाम रूबी है और ये हैं मेरे पति नाज़िर खान ..." उसने अपनी सुरीली आवाज में कहा. मैं तो हैरान रह गया, मुझे लगा था की वो शायद रेहान की बड़ी बहन है पर ये तो उसकी माँ निकली..और क्या माँ थी...साली की जवानी अभी तक बरकरार थी..उसे देखकर लगता ही नहीं था की वो दो-दो जवान बच्चो की माँ है...और उसका पति उसके बिलकुल विपरीत था..पता नहीं ऐसे लोगो को इतनी ख़ूबसूरत बीबी कैसे मिल जाती है...
मैं सोच ही रहा था की रेहान के अब्बा बोले "मैंने दो बार फ़ोन करा था organisers के पास पर उन्होंने कहा की आज हमारे पास आने के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा है...फिर तुम कैसे आये..और वैसे भी काफी देर हो चुकी है , हमारे बच्चे भी function से आते ही होंगे.. " पर तभी उसने ऋतू की तरफ देखा, उसको देखते ही उसके बड़े से पायजामे में एक हलचल सी हुई..जिसे मैंने तो देखा ही, ऋतू भी देख कर कांप सी गयी.."पर अब तुम आ ही गए हो तो कुछ इन्तेजाम करते हैं" उसने अपने भद्दे से लाल होंठो पर जीभ फिराते हुए कहा.
मैं समझ गया की ये दोनों हमें कुछ और समझ रहे हैं... शायद रोज शाम को यहाँ के organisers सभी को अलग-२ तरह के जोड़े उपलब्ध कराते हैं, और इनके लिए शायद आज कोई तैयार नहीं हुआ होगा..और ये लोग हमें शायद organisers के द्वारा भेजा गया जोड़ा ही समझ रहे हैं..
उसकी बीबी रूबी को देखकर तो मेरा लंड फिर से अंगडाई लेने लगा पर ऋतू के बारे में सोचते ही मैं घबरा सा गया..क्योंकि अगर इस सांड जैसे कसाई ने मेरी बहन को चोदा तो उसकी चूत का भोंसडा बन जाएगा...और इसी लिए शायद इनके पास कोई भी जोड़ा आने को तैयार नहीं हो रहा होगा...पर तभी मेरे मन में ना जाने कैसे विचार आने लगे जिनमे ऋतू को तड़पाते हुए रेहान के पापा चोद रहे हैं और उसकी चीखों से मेरे मन में एक अजीब सा सकूँ मिल रहा है...मेरे मन में अपनी बहन के लिए ऐसे विचार क्यों आ रहे थे...मैं भी नहीं जानता था...पर मैंने निर्णय कर लिया की आज ऋतू की चुदाई इस जानवर जैसे कसाई के लंड से करवा के रहूँगा और अपने लंड से उसकी खूबसूरत बीबी को भी चोदुंगा ...
मैंने ऋतू के कान में धीरे से कहा "ऋतू ये दोनों शायद हमें कोई और समझ रहे हैं...क्या बोलती हो..करें क्या इनके साथ भी"
"पागल हो गए हो क्या आशु...देख रहे हो इस मोटे सांड को...ये तो मेरी चूत के परखच्चे उदा देगा..ना बाबा ना...इनको सही बात बताओ और चलो यहाँ से.." ऋतू फुसफुसाई.
"अरे तुम पागल हो गयी हो क्या...इतना अच्छा मौका है...ये मोटे लोगो का लंड बड़ा ही शानदार होता है ..तुम्हे भी मजा आएगा, ...अगर ज्यादा लम्बा हुआ भी तो संभाल लेना..तुम तो अब इन सबमे चेम्पियन हो चुकी हो...मैं जानता हूँ तुम इसको भी संभाल सकती हो..प्लीस..तुम्हारी वजह से मेरा चांस भी चला जाएगा...देखो तो जरा रेहान की माँ को...कितनी सुंदर है...मान जाओ न प्लीस...." मैंने उससे याचना करते हुए कहा..
उसने थोड़ी देर सोचा...और फिर बोली "ठीक है आशु...पर मैं ये सिर्फ तुम्हारे लिए कर रही हूँ...." उसके चेहरे पर अभी भी भय था.
"मेरी अच्छी ऋतू..." और मैंने ख़ुशी के मारे उसे चूम लिया..
"ये क्या खुसर-फुसर लगा रखी है तुमने..." रेहान के पापा की कर्कर्ष सी आवाज हमारे कानो में पड़ी.मैंने जल्दी से प्लान बनाया और कहा
"जी कुछ नहीं.....दरअसल..हम तो आपको ये बताने के लिए आये थे की रेहान और हिना आज रात को उनके दोस्तों के साथ ही रहेंगे...उन्होंने बाहर reception पर मेसेज छोड़ा है आपके लिए ....,और हमें organisers ने आपके पास भेजा है...मौज मस्ती के लिए..." मैंने कहा
"चलो अच्छा हुआ की वो दोनों आज रात नहीं आयेंगे..." रूबी ने कहा " लगता है वो अपने उन्ही दोस्तों के पास रह गए होंगे जिनकी वो दोनों कल से बातें कर रहे थे.."
मैं समझ गया की वो हमारी ही बात कर रहे हैं.
"तुम दोनों तो काफी छोटे लगते हो...तुम्हारी शादी हो चुकी है क्या..." रबी ने मुझसे पूछा.
"जी..दरअसल हम दोनों भाई बहन है., हमारी उम्र 18 और 21 साल की है,...और हम भी यहाँ अपने मम्मी पापा के साथ आयें हैं..." मैंने धीरे से कहा.
मेरी बात सुनते ही उन दोनों का मुंह खुला का खुला रह गया..
"लाहोल विल्ला कुवत ...तुम दोनों भाई बहन हो और इन सब में कैसे शामिल हो गए .." रूबी ने कहा.
"जी ..हमारे घर में इस तरह की कोई पाबंदी नहीं है...हम सभी लोग घर में एक दुसरे के साथ चुदाई कर लेते है..." मैंने उसका उत्तर दिया.
"क्या सच में..." वो दोनों हमारे मुंह देखने लगे, उन्हें अपने कानो पर विशवास ही नहीं हो रहा था की भारत देश में भी ऐसा हो सकता है.....पर मैंने नोट किया की घर में चुदाई करने की बात सुनते ही उन दोनों के भाव बदल से गए थे, रूबी के सूट के अन्दर से उभरते उसके उभारों पर उसके मोती जैसे निप्पल तन कर खड़े हो गए थे, और उसके पति का लंड भी पायजामे में तम्बू सा बना रहा था.
"देखा...मैं न कहता था..हमारा देश भी काफी तरक्की कर चूका है इन सब बातों में...तुम तो मुझे ऐसे ही डांटती रहती थी, जब भी मैंने हिना के बारे में तुमसे कहा था..." नाज़िर खान ने अपनी बीबी से कहा..मैं समझ गया की उसकी गन्दी नजर अपनी फूल सी बेटी हिना पर है और उसकी माँ रूबी को ये पसंद नहीं है.
"हम जब बाहर के लोगो के साथ ग्रुप सेक्स कर सकते हैं तो अपने परिवार में करने में क्या बुराई है..." नाजिर ने आगे कहा "अब इन दोनों बच्चो को देखो...कितनी ख़ुशी से ये हमें अपने घर के बारे में बता रहे हैं..और तुम्हे भी तो अब ग्रुप सेक्स में काफी मजा आने लगा है...
जब से तुम बाहर से चुदवाने लगी हो, कितना आनंद आता है तुम्हे भी तो, अगर यही आनंद तुम्हे रेहान दे तो कैसा लगेगा..." नज़र खान ने जैसे उसकी कोई नस पकड़ ली हो...
रूबी की आँखों में लाल डोरे तैरने लगे कुछ सोचते हुए और उसका एक हाथ अपने आप ही अपनी चूत पर चला गया और उसे दबाने लगा...आआआआआअह उसने एक सिसकारी मारी और अपने पति की तरफ देखते हुए बोली..."वो बाते फिर कभी discuss करेंगे...अभी तो इनके मजे लो..." और इतना कहते ही वो मेरे शरीर से किसी बेल की भाँती लिपट गयी और अपने ठन्डे और गीले होंठ मेरे होंठो पर रख कर उन्हें बुरी तरह से चूसने लगी...
नाज़िर खान भी आगे बड़ा और ऋतू को अपने से चिपका कर अपने गले लगा लिया..मैंने देखा की ऋतू उसके गले लगते हुए बुरा सा मुंह बना रही थी...शायद उसके अन्दर से आती दुर्गन्ध की वजह से.
मैंने अपने हाथ रूबी के उभारों पर टिका दिए...वो सिसक उठी...वाह क्या कमाल के चुचे थे उनके...मैंने गर्दन नीचे करी और उसके सूट के ऊपर से ही चमकते हुए मोटे निप्पल पर दांत गदा दिए..
अयीईईईईईईई ... स्सस्सस्सस म्मम्मम्मम्म अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
उसने अपनी गर्दन पीछे करी और मेरे मुंह को अपनी छाती पर दबा दिया...मैंने अपने गीले होंठ और जीभ से उसके दाने को चुसना शुरू कर दिया...बड़ा ही मोटा दाना था उसका..मेरे चूसने से उसका सूट पारदर्शी सा हो गया और काले रंग का दाना चमकने लगा.
उसने मुझे फिर से ऊपर खींचा और मेरे होंठो को पागलों की तरह चूसने लगी...उसके मुंह से आह आह की आवाजें आ रही थी...
अह्ह्ह चुसो मुझे....अहह उफ्फ्फ अयीई ......
मैंने उसके मोटे होंठ चूस चूसकर सुजा से दिए थे..बड़ा ही मीठा रस निकल रहा था उनमे से..होंठ चूसते हुए मैंने उसके चुचे अपने हाथों से दबाने शुरू कर दिए..और धीरे -२ अपना एक हाथ नीचे लेजाकर उसकी चूत पर लगा दिया...उसकी गुफा में से जैसे गरम हवा बाहर आ रही थी.. उसपर हाथ लगते ही उसके होंठो का कडापन एकदम से गायब सा हो गया..और वो नरम मलाई जैसे हो गए..अब मुझे उसके होंठ चूसने में और भी मजा आ रहा था.
मैंने नजर घुमा कर देखा तो नाजिर भी मेरी बहन ऋतू के अपने पान वाले गंदे फटे हुए होंठो से चूस रहा था..ऋतू ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी...साफ़ दिख रहा था की उसे मजा नहीं आ रहा है.
वो अपने बड़े-२ हाथों से ऋतू की छातियाँ बड़ी बेरहमी से दबा रहा था..अचानक उसके जोर से दबाने की वजह से ऋतू की चीख निकल गयी... आआआआअह्ह ...अंकल धीरे....उसकी आँखों से आंसू निकल आये थे.
रूबी ने मेरा ध्यान फिर से अपनी तरफ खींचा और मुझे चाटने लगी..मैंने हाथ नीचे करके उसके कुरते को उठाया और सर से घुमा कर उतार दिया..उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी..और मोटे दूध जैसे स्तन उचल कर बाहर आ गए..मैं तो उन्हें निहारता ही रह गया..क्या माल था यार..मैंने अपने हाथों से उन दोनों दुर्लभ स्तनों को पकड़ा, दबाया, नापा, और फिर अपने मुंह में डालकर उन्हें चूसने लगा..
आआआआआआह ...आआआआअह्ह .....अहह उफ्फ्फ अयीई ...
रूबी ने फिर से एक सिसकारी मारी...मैंने अपना दूसरा हाथ उसके दुसरे खरबूजे पर रख दिया और उसे मसलने लगा..बड़ा ही मीठा स्वाद था उसके मुम्मे का..मेरे मुंह में जाकर उसका निप्पल और भी बड़ा हो गया था..आजतक मैंने सिर्फ आरती चाची का ही निप्पल सबसे बड़ा पाया था..पर ये तो उससे भी बड़ा था..मेरे मुंह में वो किसी टॉफी जैसा लग रहा था..मैं उसको चूस भी रहा था और अपने मुंह से उसकी छाती पर धक्के भी मार रहा था..
"इसे भी चुसो नाsssssssssssssssssss" रूबी ने कहा और मेरा मुंह अपने दुसरे वक्ष पर रख दिया..मैंने उसको भी उतनी ही तेजी से चुसना और काटना शुरू कर दिया...
मैंने नीचे उसकी चूत पर फिर से हाथ लगाया, वहां का एरिया पूरा गीला हो चूका था..मेरे हाथ भी चिपचिपे से हो गए.. मैंने उसकी सलवार का नाडा खोला और उसे नीचे गिरा दिया..
सलवार के नीचे गिरते ही उसने मुझे धक्का दिया और मुझे अपने पलंग पर गिरा दिया..और उसने तेजी से अपनी टांगो में फंसी हुई सलवार निकाली और काली रंग की पेंटी में खड़ी हो गयी...
बड़ी ही दिलकश लग रही थी..उसकी मोती मांसल टांगो में फंसी हुई काली कच्छी उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा रहे थे..उसके मोटे-२ चुचे मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे..उसने झुक कर मेरी जींस के बटन खोले और उसे जोकी समेत नीचे खींच कर उतार दिया..मेरा लम्बा और गोरा लंड देखकर उसकी आँखें चमक उठी..उसने प्यार से उसे सहलाया..उसके ठन्डे हाथों का स्पर्श पाकर मैं कांप सा गया..और अचानक उसने गर्दन नीचे करके मेरे लंड को अपने मुंह में डाल लिया...उन्माद के मारे मेरी आँखें बंद हो गयी और मैंने अपना एक हाथ उसके सर के ऊपर रखकर अपने लंड पर दबा सा दिया..
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RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा - by desiaks - 12-13-2020, 02:52 PM

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