Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:56 PM,
#94
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
पापा को ऑफिस में जरुरी काम से जाना था सो वो चले गए., दीपा आंटी दुसरे कमरे में बैठी हुई टीवी देख रही थी, और मैं सोफे पर बैठा हुआ मोबाइल गेम खेल रहा था और सुरभि मुझसे चिपकी बैठी हुई थी, अयान और ऋतू ऊपर अपने कमरे में ना जाने क्या कर रहे थे..
मम्मी ने अपने जीजू को बड़े प्यार से नाश्ता कराया..बीच-२ में मैं उन दोनों को तिरछी निगाहों से देख भी रहा था..आखिर मम्मी ने अपने हुस्न का जादू अपने जीजू पर चलाना शुरू कर ही दिया..
"अरे जीजू...आप ये एक और परांठा लो न..." मम्मी ने जबरदस्ती उनकी प्लेट में परांठा डाला..
"नहीं पूर्णिमा...दीदी...और नहीं...रहने दो...पूरा पेट भर गया है..." उन्होंने मना किया.
पर मम्मी ने जबरदस्ती उनके हाथ को पकड़ा और परांठा डाल दिया..और ये सब करते हुए उनकी साडी का पल्लू नीचे गिर गया..
हरीश अंकल की आँखों के सामने मम्मी के दुधिया कलश उजागर हो गए..मम्मी ने उन्हें पहले से ज्यादा बाहर निकाल रखा था... सिर्फ उनके एरोहोल का दिखना बाकी था..पर उन्होंने ऐसा जताया की कुछ हुआ ही न हो...और जिद्द करती रही उनसे परांठा खाने की..बिना अपना पल्लू ठीक किये.. और हरीश अंकल अपनी फटी हुई आँखों से इधर उधर देखते हुए, की कोई और तो नहीं देख रहा उन्हें और उनकी साली को, वो परांठा खाने लगे जबरदस्ती.. अपनी साली को नाराज नहीं करना चाहते थे..नहीं तो शो ख़त्म होने का डर था.
.मम्मी ने भी अपने जीजू को भूखी नजरों से अपनी छाती की तरफ घूरते हुए पाया तो उन्होंने मन में सोचा...कौन कहता है की इन्हें सेक्स में रूचि नहीं है... और ये सोचते हुए उन्होंने अपने जीजू के लंड की तरफ देखा...जहाँ उनकी पेंट में होती हलचल देखकर उनके रोंगटे खड़े हो गए..
मम्मी को हरीश अंकल हमेशा से ही अच्छे लगते थे...पर ज्यादा काम की वजह से, कम कमाई और छोटा शहर होने की वजह से उनपर बुढ़ापा जल्दी असर कर गया था... वो थोड़े कमजोर से दिखते थे, कानो के ऊपर बाल भी सफ़ेद थे, चेहरा दुबला पतला सा था, बिना दाढ़ी और मूंछ के वो काफी स्मार्ट लगते थे.
मम्मी को पापा की मूंछों से भी काफी ऐतराज रहता था, उन्हें हमेशा से क्लीन शेव वाले लोग ही पसंद आते थे...और अपने जीजू भी मम्मी को इसी वजह से काफी पसंद थे..
जल्दी ही उन्होंने नाश्ता ख़त्म कर दिया , मम्मी ने उनसे कहा..आप जाकर थोडा आराम कर लो, मैं चाय भिजवाती हूँ..अभी.." और ये कहकर उन्होंने ऋतू को आवाज लगायी..अंकल गेस्ट रूम में चले गए..
ऋतू दोड़ती हुई आई, मैंने देखा की उसने कसी हुई टी शर्ट पहनी हुई है...और नीचे सफ़ेद रंग की छोटी सी निक्कर ..बड़ी दिलकश और सेक्सी लग रही थी वो..
मम्मी ने उसे कुछ समझाया और चाय लेकर अंकल के पास भेजा और खुद अपनी बहन दीपा के पास जाकर बैठ गयी और उन्हें अभी तक की बात बताने लगी.. मैं छुप कर ऋतू के पीछे गया और देखने लगा..
ऋतू चाय लेकर हरीश अंकल के पास गयी और उनसे इधर उधर की बातें करने लगी.. अपनी साली के हुस्न को देखकर उनका लंड अभी तक तना हुआ था और उनकी बेटी को ऐसी ड्रेस में देखकर तो उनका छोटा सिपाही झटके ही मारने लगा...
उन्होंने अपने लंड वाले हिस्से को न्यूज़ पेपर से ढका और चाय पीने लगे बड़ी मुश्किल से.. मेरे पीछे सुरभि भी खड़ी होकर अन्दर कमरे का नजारा देख रही थी, खिड़की से...
ऋतू अपनी टाँगे मोड़कर ऊपर बैठ गयी और उसकी मोटी जांघे हरीश अंकल की आँखों के सामने चमकने लगी.. और उसके बीच कपडे के ऊपर से ही ऋतू की चूत का ताजमहल देखकर हरीश अंकल के होश ही उड गए..और उनका चेहरा पसीने से नहा गया.
ऋतू ने उन्हें ऐसी हालत में देखा और पूछा.."अरे अंकल...क्या हुआ..आप को इतना पसीना क्यों आ रहा है..."
अंकल : "पसीना...कुछ..नहीं...ऐसे ही..गर्मी है न..." उन्होंने हडबडाते हुए कहा..
ऋतू : "गर्मी ...आज तो बिलकुल भी नहीं है...रात को तो हम सभी रजाई में सोये थे..आप को क्यों गर्मी लग रही है.." उसने मुस्कुराते हुए उनकी आँखों में देखकर कहा.
उनसे कुछ कहते नहीं बना..
ऋतू उठकर उनकी गोद में आकर बैठ गयी और अपनी बाहें डाल दी उनकी गर्दन में..और बोली "क्या हुआ अंकल...आपकी तबियत तो ठीक है न..." ऋतू का दांया चुचा उनके चेहरे से टकरा रहा था..
अंकल : "हाँ...हाँ..मैं ठीक हूँ...तुम ठीक से बैठो न...यहाँ.." उन्होंने बेड की तरफ इशारा किया , वो घबरा रहे थे की कोई कमरे में ना आ जाए..
ऋतू : "मैं ठीक हूँ...अंकल..आप भूल गए..जब मैं बचपन में आपके घर आती थी तो आपकी गोद में बैठकर ही खाना खाती थी..और कहानियां भी सुनती थी.."
अंकल : "बेटा ऋतू...अब तुम बच्ची नहीं रही हो...अब तुम.. जवान हो गयी हो.." उन्होंने हकलाते हुए कहा..
उनकी हालत देखने लायक थी..एक जवान लड़की छोटी सी निक्कर में उनकी गोद में बैठी हुई थी और उसके चुचे उनके कंधे और मुंह को छु रहे थे.
ऋतू : "अच्छा...मैं जवान हो गयी हूँ...सच में...मैं भी सब को यही कहती हूँ...पर मम्मी पापा अब तक मुझे बच्ची समझते हैं... आप ही बताओ की मैं आप को कहीं से बच्ची लगती हूँ क्या..." और उसने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए अंकल के कान के ऊपर उँगलियाँ फैरानी शुरू कर दी..हरीश अंकल का चेहरा उत्तेजना के मारे लाल हो चूका था..पर वो डर रहे थे की बाहर सभी लोग बैठे हैं, उनकी बीबी भी और बच्चे भी, ऐसे हालत में वो कोई गलत काम नहीं करना चाहते थे..पर लंड के आगे सभी मजबूर हो जाते हैं..
उन्होंने कहा.."कोन कहता है..तुम बच्ची हो...लगती तो पूरी जवान हो...मैं चेक करता हूँ...तुम दरवाजा बंद कर आओ..नहीं तो कोई आ जाएगा.."
ऋतू झट से उठी और अपनी मोटी गांड उछालती हुई दरवाजा बंद करके वापिस आ गयी और वापिस अपने अंकल की गोद में बैठ गयी.
"अब बताओ...मैं जवान हूँ या नहीं..." उसने अपनी गांड को अंकल की गोद में मसलते हुए कहा..
अंकल ने इस बीच अपना लंड अडजस्ट कर लिया था..पर ऋतू की गांड का मुलायमपन पाकर उनके लंड ने फिर से बगावत कर दी और वो उछलने लगा..
अंकल ने ऋतू के चेहरे पर हाथ रखा और धीरे -२ उसे नीचे ले जाकर उसकी गर्दन तक ले आये और थोडा और नीचे ले जाकर उसके उभारों के ठीक ऊपर ले आये.. ऋतू की साँसे तेज होने लगी थी...मेरे पीछे खड़ी हुई सुरभि की साँसे भी दौड़ने लगी..अपने पापा की हरकतों को देखकर..
हरीश : "तुम्हारी...चेस्ट..मतलब...ब्रेस्ट...का साइज़..क्या है..." उन्होंने धीरे से पूछा.
ऋतू ने शान से अपनी छाती बाहर निकाली और बोली "34b .."
"ह्म्म्म......" उन्होंने कुछ सोचते हुए कहा.."पर लगता तो नहीं है..की ये इतने बड़े हैं..
ऋतू ने नाराज होने का नाटक किया और बोली "क्या मतलब...मैं झूठ बोल रही हूँ क्या...एक मिनट रुको..." और उसने झट से अपनी टी शर्ट उतार दी.. अन्दर उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी नेट वाली...और उसके अन्दर से उसके उफनते हुए अर्धनग्न स्तन, बिलकुल सफ़ेद रंग के, मानो चिल्ला कर अंकल को बुला रहे हो...
अंकल के तो होश ही उड़ गए ...इतने पास से अपनी साली की बेटी के चुचे देखकर..नेट के बीच से उसके गुलाबी निप्पल्स झाँक रहे थे, जो तन कर ब्रा की जाली फाड़ कर बाहर आने को तैयार थे..
"अब बोलो...अंकल...क्या कहते हो...अब भी विश्वास नहीं हुआ ..." वो किसी बच्चे जैसा बर्ताव कर रही थी...
और अंकल बेचारे सोच रहे थे की ऋतू सच में अपने बचपने में है और वो क्या कर रही है उसे भी पता नहीं है... पर ये बात तो हम सब लोग जानते थे की वो कितनी बड़ी चुद्दक्कड़ है और वो उन्हें लुभाने के लिए ये सब नाटक कर रही हैं यहाँ... ताकि मैं कुछ और दिन नयी चूतों का मजा ले सकू..और वो लंडो का..
अंकल ने हडबडाते हुए कहा..."हाँ...हाँ..सच में ये तो मुझे अब 36 के आस पास लग रही है..." ये बोलते हुए उनके मुंह से लार टपककर ऋतू की जांघ पर जा गिरी... साफ़ जाहिर था की इतने मोटे चुचे देखकर उनके मुंह में पानी आ गया था..
ऋतू की चिकनी जांघ पर उनकी लार गिरी तो उसके पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी...जैसे गर्म तवे पर किसी ने पानी की बूँद डाल दी हो.. और उसके मुंह से एक सिसकारी निकली... अह्ह्ह्हह्ह ....ये क्या है... अंकल....आपके मुंह से तो पानी निकल रहा है.." अब ऋतू की आँखों में गुलाबी डोरे तैरने लगे थे..
हरीश : "ये..ये...मैंने इतने सुन्दर...चुचे.... कभी नहीं देखे...इसलिए...इन्हें देखकर मुंह में पानी आ गया..." वो धीरे से बोले.
ऋतू सनसना उठी अपने अंकल की बात सुनकर...और बोली "आप मेरे सबसे अच्छे वाले अंकल हैं...बचपन से ही आप मुझे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं... और मुझे भी आप काफी अच्छे लगते हैं...
आज मैंने आपको अपने जवान शरीर को दिखाया है..क्या आज आप इन्हें प्यार नहीं करेंगे..." और ये कहते हुए उसने अपनी ब्रा के स्ट्रेप को नीचे गिरा दिया और उसके दोनों ब्रेस्ट उछल कर बाहर आ गए ..अंकल के चेहरे के सामने.. उन्हें बिलकुल विशवास नहीं हुआ की ऋतू ने ऐसा किया..वो कुछ कहना चाहते थे पर ऋतू ने उनके सर के पीछे हाथ रखा और उनका चेहरा दबा दिया अपनी छाती पर..और चिल्ला पड़ी... "चुसो....इन्हें...अंकल...मेरे जवान जिस्म को देखो और प्यार करो इससे... चाटो...और मुझे भी अपने प्यार का एहसास करवाओ और बताओ की मैं जवान हो चुकी हूँ.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह......"
अंकल के मोटे होंठ ऋतू के मखमली और मुलायम मुम्मे पर फिसलने लगे..उनके मुंह में जैसी पानी की टंकी लगी हुई थी...इतनी लार निकल रही थी उसके से...एक ही मिनट में उसके दोनों स्तन थूक से गीले होकर चमकने लगे...
अंकल ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चुचों को पकड़ा और एक एक करके उसके निप्पल्स को चूसा...मसला...चाटा ...और अपनी जीभ से अपनी ही लार को साफ़ करते हुए जल्दी ही उसके दोनों स्तनों को चमका डाला...
लगभग 15 मिनट तक वो उसको चाटते रहे और जब वहां पूरा सूखा पड गया तब अचानक ऋतू ने उनके मुंह को अपनी तरफ खींचा और उनकी सूख चुकी जीभ को फिर से अपने मुंह से गीला करने लगी...चूस चूसकर....
"कोई आ जाएगा....."अंकल ने कहा..
"कोई नहीं आएगा...आप बस मुझे प्यार करो..." ऋतू ने ये कहते हुए उनके सारे कपडे उतार डाले... अब वो बिलकुल नंगे थे..उनका लंड लगभग चार इंच का था...पर आज नयी और जवान चूत पाकर वो थोडा ज्यादा लम्बा होने का नाटक कर रहा था. अब मेरा और मेरे पीछे खड़ी हुई सुरभि का ध्यान सिर्फ अंकल के लंड पर था..
उनके लंड के चारों तरफ काफी बाल थे..और बीच में खड़ा हुआ लंड काफी ठुमक रहा था..
ऋतू के मुंह से निकला.."सो क्यूट.." जैसे कोई छोटा बच्चा देखकर कहता है और उसे चूमने के लिए आगे आता है..उसने भी ऐसा ही किया और नीचे बैठकर उसने अंकल के लंड को चूमा..और मुंह में लेकर चूसने लगी.
अंकल की आँखें बंद हो गयी ऋतू के ऐसा करते ही...शायद दीपा आंटी ने आज तक उनका लंड नहीं चूसा था..सुड़प-२ की आवाजें निकालते हुए ऋतू उन्हें मजे देने में लगी हुई थी..
उसकी चूसने की स्पीड और उत्तेजक तरीके से जल्दी ही अंकल के लंड का बुरा हाल हो गया पर जब तक वो अपना लंड बाहर निकाल पाते उन्होंने ऋतू के मुंह में ही झड़ना शुरू कर दिया...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऋतू बेटा......मैं तो गया.....अह्ह्हह्ह....हैईईई.......ओह्ह्ह्हह्ह भाग्वान्न्नन्न....अह्ह्ह्हह्ह ...स्सस्सस्सस
उन्हें बड़ी शर्मिंदगी हो रही थी की वो अपनी उत्तेजना को कण्ट्रोल नहीं कर पाए और झड गए. शायद ऋतू की जवानी का असर था. मेरे पीछे खड़ी हुई सुरभि भी अपने बाप का लंड देखकर काफी उत्तेजित हो चुकी थी..लड़की चाहे जितने भी लंड ले चुकी हो...पर जब वो अपने बाप या भाई का लंड देखती है तो उसकी चूत में एक अलग तरह की ही खुजली होती है और आज वोही खुजली सुरभि की चूत में भी हो रही थी..उसने मेरी पेंट के अन्दर हाथ डाला और मेरा लंड बाहर निकाल कर उसे आगे पीछे करने लगी.
थोड़ी देर बाद अंकल ने ऋतू को उठाया और फिर से उसके चुचे दबाते हुए चूसते हुए उसे बेड तक ले आये..और उसे नीचे लिटाकर उसकी निक्कर के साथ-२ काले रंग की पेंटी भी उतार डाली...
और ऋतू की फैली हुई गांड की बनावट देखकर और उसके बीच में लम्बी दरार जिसके अन्दर से पानी की धार निकल रही थी..
उसकी फूली हुई चूत की लाल रंग की फांके उन्हें स्ट्रोबेरी जैसी लग रही थी..जिसमे से निकलता हुआ खट्टा मीठा रस उन्हें अपनी तरफ खींच रहा था और जल्दी ही उन्होंने अपनी जीभ निकली और बैठ गए ऋतू की चूत की डायनिंग टेबल पर उसके रस का स्वाद लेने के लिए..
अपनी चूत पर अंकल की जीभ का स्पर्श पाते ही ऋतू के शरीर में एक करंट सा लगा और वो उठ कर बैठ गयी..और उसने अपनी दोनों टाँगे चड़ा दी अंकल के कंधो पर और उन्हें अपनी तरफ भींच लिया और उनके सर के ऊपर हाथ रखकर दबाव बनाने लगी अपनी चूत के ऊपर.. अंकल के सर के साथ-२ ऋतू भी अपनी गांड को हिला रही थी..वो थोडा ऊपर नीचे होकर अपनी स्ट्राबेरी को अंकल के होंठों से घिस रही थी..और फलस्वरूप उसका मीठा रस सीधा अंकल के मुंह में जा रहा था..
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RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा - by desiaks - 12-13-2020, 02:56 PM

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