RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने कई बार आपकी हिंट देने की कोशिश की , आपके सामने छोटे कपड़ों में घुमती थी, बाथरूम की खिड़की हमेशा खुली रखती थी, और मैंने कई बार आपकी और मम्मी को प्यार करते हुए भी देखा है, पर आपने कभी मुझसे अपने दिल की बात नहीं बताई... क्यों पापा... !!
ऐसा क्यों किया आपने मेरे साथ...." वो अपने पापा से शिकायत कर रही थी, बड़ा ही मार्मिक दृश्य था बाप बेटी के प्यार का. वो रोती हुई अपने पापा के पास आई और उनसे लिपट गयी...
अपनी बेटी के नंगे शरीर का स्पर्श पाते ही अंकल का लंड स्प्रिंग की तरह से दोबारा ऊपर की तरफ उछला....और अपनी बेटी की चूत से जा टकराया...
सुरभि ने अपने आंसू पोछे और बोली "पर आप अब फिकर मत करो पापा...अब मैं उन सभी पिछले पलों का हिसाब चूका दूंगी जो आपने और मैंने एक दुसरे के बारे में सोचकर गंवाए हैं..." और ये कहकर वो पंजो के बल नीचे बैठ गयी और उसने अपने पापा का लंड अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया..
उन्माद के मारे अंकल की आँखें बंद सी होने लगी...उनका सपना सच होने जा रहा था, अपनी बेटी को चोदने का..जो वो ना जाने कितने समय से देख रहे थे. ऋतू बेड पर नंगी पड़ी मुस्कुरा रही थी, उसकी आँखें भी नम थी बाप बेटी का प्यार देखकर...
और जब उसने देखा की सुरभि अंकल के लंड को चाट रही है, जो कुछ देर पहले उसकी चूत में था, तो उसे अपनी चूत की याद आई और उसने अपनी चूत को खुजलाना शुरू कर दिया... मेरा लंड भी टाईट होने लगा था ऋतू की रसीली चूत को देखकर...
अंकल ने सुरभि को ऊपर उठाया और उसे अपने गले से लगा लिया , और अपने होंठों से उसके होंठों का नाप लेना शुरू कर दिया, और अपनी उँगलियों से उसके मोटे चूचकदाने पकड़कर उन्हें तोड़ने का प्रयास करने लगे.
अंकल के बारे में मैंने एक बात नोट करी थी, वो सेक्स करते हुए इतने उत्तेजित हो जाते थे की उन्हें दुसरे के बारे में कुछ ख्याल ही नहीं रहता था की उसे कोई तकलीफ हो रही है या नहीं,
वो तो बस अपने मजे में लगे रहते थे, यही हाल अब सुरभि का हो रहा था, उसके पापा निप्पल्स को ऐसे कटोच रहे थे जैसे वो मांस के नहीं रबड़ के बने हो, और उसके होंठों को भी जैसे चिकन की हड्डी समझ कर चूस रहे थे, पर इसमें दूसरी पार्टी को भी बाद में मजा आने लगता था, जैसे अब सुरभि को आने लगा था, अंकल ने सर नीचे करके उसके निप्पल को अपने मुंह में घुसाया और उसे चूसने लगे, वो मचलते हुए चिल्लाने लगी "हां....पापा....चुसो इन्हें....आपका कितना इन्तजार किया है इन्होने...अब आप ही इन्हें चूस कर बड़ा कर देना...मम्मी जितने हो जायेंगे जल्दी ही....और फिर मजा देंगे ज्यादा....
चुसो स्स्स्सस्स्स्स स्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ह्ह्हह्ह्ह्ह ह्स्स्सस्स्स्स इन्हेंssssssss.... प्आssssssssss..... पाआआअssssss ......अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उयीईईईइ .........नाआआआआ धीरे......पपाआआ.......अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह "
वो चिल्ला भी रही थी क्योंकि अंकल अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे, और उसके नर्म मुलायम निप्पलस को काट भी रहे थे, जैसे उन्हें जड़ से उखाड़ देना चाहते हो....
अंकल ने उसे अपनी गोद में उठा लिया था, और सुरभि ने अपने पापा की कमर में अपनी टाँगे जकड कर अपनी पकड़ बना ली थी, वो थोडा और ऊपर हुई और अब उसकी चूत अंकल के पेट से भी ऊपर जाकर उनके निप्पल को घिसने लगी, उसने हाथ नीचे करके पापा के सर को अपने निप्पल पर फिर से दबाया और उनसे चुस्वाने लगी...
वो सोच रही थी की काश उसके निप्पल्स में से दूध निकल रहा होता तो अपने भूखे बाप को अपना दूध भी पिला देती...
मैंने सोचा की अब यही समय है ऋतू के पास जाकर उसकी चूत को मारने का, मैं नंगा होकर उसके कमरे की तरफ चल दिया, बाहर निकलते ही मैंने देखा की मम्मी और आंटी के साथ अयान भी ऊपर आ रहा है, मुझे नंगा ऋतू के कमरे में जाता देखकर वो समझ गए की अन्दर क्या चल रहा है, वो भी लगभग भागते हुए मेरे साथ ही अन्दर आ गए...
जैसे ही अंकल ने हम सभी को कमरे में घुसते देखा वो सब समझ गए, वो जान गए की इस घर में पिछले कई दिनों से क्या चल रहा है...
दीपा आंटी ने अपनी बेटी को अपने पति की गोद में चढ़े देखा तो उनकी चूत में भी खुजली सी होने लगी, उन्होंने अयान को अपने पास बुलाया और कहा "बेटा....चल शुरू हो जा...अब मत शरमा...
आज अपनी माँ को ऐसा चोदना की मजा आ जाए..." और कुछ ही देर में सभी लोग नंगे हो गए उस छोटे से कमरे में, और फिर जिसको जहाँ जगह मिली, चोदने के लिए वहीँ लेट गया.
दीपा आंटी ने अयान को लंड से पकड़कर बेड के किनारे पर लिटाया और उसका लंड चूसने लगी..और उनके नीचे लेटी मम्मी अपनी बहन की चूत को चाटने लगी, और मैं मम्मी की चूत को चाटने लगा.
सुरभि अपनी चूत को लेकर अयान के मुंह के ऊपर बैठ गयी और अपना पानी उसके मुंह से साफ़ करने लगी,
अंकल भी अब सुरभि को नीचे उतार चुके थे और उन्होंने अपना लंड जैसे ही उसकी चूत पर टिकाया...वो साली सुरभि जो चीख मारने में एक्सपर्ट है, जोर से चिल्लाने लगी.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह स्स्स्सस्स्स्स पापा..........डाअलूऊओ .....अपना लंड......आअज मेरी चूत में.......अह्ह्हह्ह्ह्हह्हsssssssssssss "
और फिर अंकल ने जैसे ही उसकी चूत के अन्दर अपना लंड डाला, उसने उनकी कमर को फिर से अपनी टांगो से घेर लिया और उन्हें अपने बड़े-२ निप्पल चुस्वाने के लिए दे दिए. सारे कमरे में सिस्कारियां और चीखें गूंज रही थी...
ऋतू की चूत में अयान की लम्बी जीभ थी "अह्ह्हह्ह्ह्ह आयान्न्न्नन्न्न्न ....तुम्हारी जीभ भी लंड जितनी लम्बी है....चुसो मेरी चूत को......पी जाओ सारा पानी.......अह्ह्ह्हह्ह ....जोर से....उन्ह.......और जोर से......ओफ्फ्फ्फ़ फुक्क......फुक्क...फुक्क........"
आंटी मम्मी के मुंह से ऊपर उठी और अपने बेटे अयान के लंड को अपनी चूत में लेकर रोटियां बेलने लगी....उसके बेलन से.. अयान ने अपनी माँ के मोटे मुम्मों को पकड़ा और उन्हें मसलने लगा..
अंकल भी अब अपनी बेटी सुरभि के छोटे-२ गुब्बारों को मुंह में लेकर उनमे हवा भरने लगे , उन्होंने उसके चुचों को बड़ा करने का बीड़ा जो उठा लिया था. अयान के मुंह पर ऋतू अपनी चूत घिस रही थी, उसे अपनी माँ नजर नहीं आ रही थी, उसकी आँखों के सामने तो ऋतू की सफाचट चूत थी...जिसके अन्दर से नेक्टर जैसा रस निकल कर उसके पेट में जा रहा था.
तभी फिर से दरवाजा खुला और पापा अन्दर आये.
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