RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
वो अपनी आँखें नीची करके बोले जा रही थी, और उसका गला सूख रहा था, होंठ फडफडा रहे थे, छाती ऊपर नीचे हो रही थी.. और मेरे लंड को तो आप जाने ही हो, अभी अभी झडा था , पर मेरी किस्मत तो देखो, सोनी की बहन ये सोचकर की उसकी बहन बड़ी नादान है, उसे कोई परेशानी न हो, इसलिए वो अपने आपको मेरे हवाले करने आई थी, कितना बड़ा बलिदान दे रही थी एक बहन दूसरी के लिए.. पर मैं सिर्फ एक ही तरीके से नहीं सोच रहा था, मैं इतना भी शरीफ नहीं था की हाथ आई एक मुर्गी को सिर्फ इसलिए छोड़ दूं की वो नासमझ है, अगर उसकी बहन भी मेरे से चुदने को तैयार है तो मुझे क्या प्रोब्लम है, उसे बाद में देखेंगे, अभी ये आई है तो ये भी सही, उसके ये सब कहने के बाद मैं इतना तो समझ ही गया था की ये अन्नू उससे काफी आगे है, और शायद चुद भी चुकी है किसी से...मैंने अपने मन की जिज्ञासा शांत करने के लिए उससे पूछा
"तुमने सही कहा, तुम्हारी बहन का तो मैं दीवाना सा हो चूका हूँ पर अगर तुम तुम ऐसा कर रही हो., अपनी बहन की खातिर ..ये बहुत अच्छी बात है, पर तुम ऐसा क्यों कर रही हो..." मैंने उसकी बाजू पकड़ कर पूछा..
वो मेरी आँखों में देखकर बोली "मुझे इन बातों में काफी मजा आता है, मेरे मोहल्ले के कई लड़के मेरा रस पी चुके हैं... और मुझे भी उन्हें अपनी जवानी का रस पिलाने में काफी मजा आता है...." वो इतरा कर बोल रही थी, जैसे उसे अपने हुस्न पर बड़ा गुमान हो..
मैंने पीछे हो कर , उसके चारों तरफ घूमकर उसके शरीर को गौर से देखा, उसकी गांड काफी बाहर की तरफ निकली हुई थी, जैसे उसका काफी इस्तेमाल हुआ हो, और उसके टी शर्ट में कैद गोल चुचे देखकर कोई भी बता सकता था की ये छिनाल तो काफी बार इनकी मालिश करवा चुकी है, पर कुल मिलकर उसका शरीर काफी सेक्सी था. मेरे लंड के तो मजे हो गए, इतना रसीला माल खुद अपने आप मेरे पास आकर अपने आप को मेरे हवाले कर रहा है, मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है...
मैंने उसे आँखों से इशारा करके अन्दर कमरे में आने को कहा. वो इठलाती हुई मेरे पीछे आ गयी और मैंने अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया, पर कुण्डी नहीं लगायी , क्योंकि वो टूटी हुई थी,
अभी थोड़ी देर पहले ही उसकी बड़ी बहन इसी जगह आधी नंगी मेरे सामने खड़ी हुई थी और मेरा लंड चूसकर मुझसे मजे ले रही थी और अब उसकी छोटी बहन ..
मैंने उससे कहा "जरा मैं भी तो देखूं की तुम क्या कर सकती हो अपनी बहन को बचाने के लिए .." और मैं वहीँ कुर्सी पर बैठ गया..
वो खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी, उसने अपनी टी शर्ट को नीचे से पकड़ा और उसे ऊपर उठा कर सर से निकाल कर मेरी तरफ फेंक दिया, उसके अन्दर से उसके शरीर की खुशबू आ रही थी…
शायद किसी सेंट की भी, उसने अन्दर बड़ी ही दिलकश पर्पल कलर की ब्रा पहनी हुई थी, जिसके चारों तरफ सफ़ेद रंग की लेंस थी, और सामने का हिस्सा , जहाँ पर निप्पल्स आते हैं, वो जालीदार था, जिसके अन्दर से उसके गुलाबी रंग के निप्पल्स खड़े हुए साफ़ दिख रहे थे, मेरा तो मन कर रहा था की उसकी ब्रा को नोचकर उसके निप्पल्स के अन्दर से सारा जूस निकाल कर पी जाऊं , पर मेरा लंड अभी अभी झडा था, जिसकी वजह से मैंने उसे अपने आप ही स्ट्रिप शो करने दिया, ताकि मुझे भी थोडा समय मिल जाए, पर मेरा लंड तो खड़ा हो ही चूका था.
उसने अपनी बाँहें पीछे करके अपनी ब्रा को खोल दिया, और उसे नीचे गिरा दिया, और अपने हाथों की उँगलियाँ अपने निप्पल्स के ऊपर रखकर उन्हें छुपा लिया, पर यार, क्या बड़े चुचे थे उसके, थोडा लटके हुए थे, पर उन्हें देखकर मुझे अपनी आरती चाची के वो बड़े बड़े और मोटे चुचे याद आ गए, जिनका मैं बचपन से दीवाना था, और जिन्हें मैंने हिल स्टेशन पर काफी चूसा था.. वो निप्पल्स को छुपा कर अपनी अदाएं दिखा रही थी, किसी पोर्न स्टार की तरह..मैंने अपना लंड निकाल कर मसलना शुरू कर दिया.
उसने जैसे ही मेरा लंड देखा, उसकी आँखें फटी रह गयी, शायद उसने इतना लम्बा और मोटा लंड आज तक नहीं देखा था.. उसके दोनों हाथ अपने आप नीचे हो गए और एक हाथ से वो अपनी चूत को मसलने लगी, जींस के ऊपर से ही..
अब उसके दोनों स्तन मेरे सामने पुरे नंगे थे, क्या माल थी यार, गुलाबी रंग के निप्पल्स, बिलकुल ऋतू के जैसे, पर थोड़े ज्यादा मोटे थे इसके...पतली कमर और नाभि वाला हिस्सा कुछ ज्यादा ही मोटा था, उसकी नाभि बाहर की तरफ निकली हुई थी, शायद बचपन से ही ऐसी रही होगी,...पर बड़ी सेक्सी लग रही थी, मैंने इतनी बड़ी नाभि आज तक किसी की नहीं देखी थी. उसने अपनी जींस के बटन खोले और उसे भी नीचे उतार दिया, लम्बी केले के तने जैसी मोटी टाँगे, जिनपर एक भी बाल नहीं था, और नीचे मेचिंग पेंटी पर्पल कलर की, जो आगे से गीली हो चुकी थी...उसने एक ऊँगली अन्दर डालकर अपनी चूत के रस में डुबोयी और उसे बाहर निकाल कर चूसने लगी...
मेरे मुंह में भी पानी आ गया उसकी इस हरकत से..
वो समझ गयी और अगली ऊँगली उसने मेरी तरफ बढ़ा दी...मैं किसी भूखे बच्चे की तरह से टूट पड़ा उसकी ऊँगली पर....उसकी उस ऊँगली के साथ साथ मैं उसके पुरे हाथ को चूसकर , चाटकर, अच्छी तरह से साफ़ करने में लग गया...
"आआआआआआआह्ह्ह्ह बाबु......अह्घ्ह्ह .....क्या मोटा और लम्बा लंड है... आपका....
आपको देखकर ही मैं समझ गयी थी...की आप बड़े चोदु किस्म के हैं....मेरी चूत में जब तक कोई लंड न जाए मुझे मजा नहीं आता, अब तो दीदी ने जब मुझे भी काम पर लगा दिया है तो मेरे मोहल्ले से मैं कोई लंड नहीं ले पाऊँगी...
अब आप ही मेरी चूत को अपने मोटे लंड से चोदो...रोज....अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म और चुसो...इन्हें.....और इन्हें भी...."
ये कहते हुए उसने अपने दोनों चुचे अपने हाथों में पकडे और उन्हें मेरी तरफ बड़ा दिया...मैं अपना मुंह खोलकर उनपर अपने दांतों के निशान छोड़ने लगा..
वो खड़ी हुई मचल रही थी, मैंने हाथ पीछे करके उसकी मोटी गद़रायी गांड को मसलना शुरू किया और एक हाथ अन्दर डालकर उसकी चूत को भी मसल दिया, बड़ी गरम हो चुकी थी वो...मैंने देखा की वहां ज्यादा जगह नहीं थी, की मैं उसे चोद सकता, मैंने उसे कहा की वो थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में आ जाए, यहाँ चुदाई की जगह नहीं है ..वो झुन्झुला कर बोली "पहले नहीं बोल सकते थे क्या....पूरी नंगी करने के बाद ये बात कह रहे हो..अब मैं नहीं जानती, जैसे भी चोदो, पर अभी चोदो...."
वो मेरी बात मानने को तैयार ही नहीं थी, उसकी चूत में आग जो लगी हुई थी..
मैंने देखा की कमरे में सिर्फ कुर्सी पर ही चुदाई हो सकती है, मैंने उससे कहा की वो मेरी तरफ मुंह करके अपने दोनों पाँव मेरी कमर के दोनों तरफ फेलाए और मेरे लंड पर बैठ जाए,
यही एक आसन है , जिसमे चुदाई संभव है...वो समझ गयी और जल्दी से पेंट और कच्छी उतार कर पूरी नंगी हो गयी, जैसा मैंने सोचा था, उसकी चूत भी बिलकुल सफाचट थी...और बह भी रही थी..
मैंने अपनी पेंट और टी शर्ट उतारी और नंगा होकर लंड को हाथ में पकड़कर बैठ गया, उसने टाँगे दोनों तरफ रखा और धीरे से नीचे होने लगी, मैंने लंड को निशाने पर लगाया और जैसे ही उसे अपनी चूत के मुंह पर मेरे लंड का एहसास हुआ, वो बैठ गयी उसके ऊपर, बड़ी टाईट थी, लगता था, उसने इतना बड़ा लंड नहीं लिया था आज तक...
वो चिल्ला पड़ी...."आआआआअह्ह्ह्ह बाबु.....क्या लंड है तेरा....मजा आ गया...आआआआअह्ह्ह सच में ...मोटे लंड का मजा ही कुछ और है.... आआआआआआह्ह ..."
वो मेरे लंड को अन्दर जड़ तक ले गयी और मेरी गर्दन पर बाहें फंसा कर अपने मोटे तरबूजों से मेरी गर्दन पर शिकंजा कस लिया... इतने मुलायम शिकंजे से तो मेरा छुटने का भी मन नहीं कर रहा था...पर एक बात थी, बड़ी गर्म टाइप की थी ये अन्नू, जिस तरह से वो कूद कूदकर अपनी चूत से मेरे लंड को पीस रही थी, उसके एक्सपेरिएंस का पता चलता था, उसकी फेली हुई गांड की मखमलता मेरी जाँघों पर अपनी छाप छोड़ रही थी,मैंने एक ऊँगली उसकी गांड के छेद में दाल दी...वो तड़प उठी..... "आआआअह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो बाबु...बड़ा मजा आ रहा है...तेरे दो लंड होते तो एक वहां भी ले लेती........." मैं समझ गया की ये सब मजे ले चुकी है अपनी जवानी के...
उसने अपना चेहरा मेरे सामने किया और मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किये...और साथ ही साथ उसके दोनों होर्न बजाकर उसके हाईवे पर अपना ट्रक चलने लगा...पूरी स्पीड से...
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