RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
गहरे हरे रंग से वो सराबोर होकर पूरी तरह से भीग गयी, उसके सूट के अन्दर से उसकी ब्रा की शेप दिखने लगी जिसे देखकर मेरे लंड ने अंगडाई लेनी शुरू कर दी..उसका चेहरा देखने लायक था, वो बोली "आप बहुत बुरे हैं...." और ये कहकर वो बाथरूम की तरफ चल दी..मेरे साथ-२ घर के सभी लोग हंसने लगे.
हम सभी लोग घर के पीछे वाली जगह में आ गए, ताकि घर ज्यादा गन्दा न हो, पापा भी अब नाश्ता कर चुके थे, वो भांग बनाकर लाये थे, जो उन्होंने सभी को दी, फिर उन्होंने सभी को गुलाल लगाया और खासकर अपनी साली को, जिसे वो ऐसे मसल रहे थे जैसे पहली बार छु रहे हो उसके जिस्म को.
वैसे ये होली भी कितना मजेदार त्यौहार है, कई लोगो को जिन्हें पुरे साल आप सिर्फ हाथ मिलाकर या हाथ जोड़कर मिलते हैं, उन्हें छूने का पहली बार जब मौका मिलता है तो कितना सुखद एहसास होता है मन में, और होली के रंगीन मौसम में उसके लिए अपने आप ही गंदे ख्याल आने शुरू हो जाते हैं.
पर यहाँ कोई भी ऐसा नहीं था जो एक दुसरे के स्पर्श से अनछुआ हो, सभी ने अच्छी तरह से एक दुसरे के जिस्म छु कर, चाट कर, चोद कर देख रखे थे.. खेर, हरीश अंकल भी अब पूरी मस्ती के मूड में आ गए , भांग का असर होने लगा था सभी पर, और उन्होंने अपनी बड़ी साली को किचन से ही घसीट कर बाहर की और लाये और उन्हें रंग लगाना शुरू कर दिया, मम्मी भी अपने हाथों में गीला रंग लगाकर अपने जीजा को रंगने में लगी हुई थी, तभी मम्मी ने रंग भरे हाथ हरीश अंकल के पायजामे में डाल दिए और उनके तने हुए लंड को पकड़कर उसे रंग दिया..
अंकल भी कहाँ पीछे रहने वाले थे, उन्होंने अपने हाथ में लाल रंग डाला और उसे पानी में भिगो कर उसे मम्मी के ब्लाउस में डाल दिया और उनके मोटे -२ मुम्मो को पकड़कर मसलने लगे, अयान भी ऋतू के चेहरे पर रंग लगाते-२ उसके पेट पर रंग लगाने लगा और फिर थोडा हाथ ऊपर करके उसके चुचों पर भी, उस कमीनी ऋतू ने आज ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी, जिसकी वजह से उसे कुछ ज्यादा परेशानी नहीं हुई,
सुरभि मेरे ऊपर टूट पड़ी और मैंने भी उसके एक एक अंग पर अपने हाथों के निशान छोड़ने शुरू कर दिए, ब्रा तो उसने भी नहीं पहनी थी, वैसे भी उसकी सपाट छाती पर ब्रा का क्या काम था, पर कुल मिलकर बड़ा ही रंगीन माहोल हो चूका था.
अन्नू किचन का काम ख़त्म करने के बाद बाहर आई और सभी को मस्ती में रंग लगाते देखकर एक तरफ खड़ी होकर सभी को देखने लगी, मेरी नजर जैसे ही उसपर पड़ी, मैंने भागकर उसे पकड़ा, वो मुझसे छुटकर भागने लगी, मेरे हाथ में उसकी टी शर्ट का पीछे वाला हिस्सा आ गया, पर उसके भागने से वो फट गया और उसकी पूरी कमर वाला हिस्सा नंगा हो गया,
सभी ये देखकर हंसने लगे, भांग के कई गिलास पी चुके पापा ने जब देखा की उनकी नयी नौकरानी अर्ध नग्न सी खड़ी हुई है तो उनके शरीर में एक अजीब सी हलचल होने लगी,
मैं उनकी नजरों को भांप गया, मैंने अन्नू के शरीर से वो बची हुई टी शर्ट भी उतार फेंकी, अब वो सिर्फ ब्रा में ही खड़ी थी सभी के बीच, और उसके बाद सभी ने उसके शरीर पर अपने हाथ साफ़ किये, खासकर पापा और हरीश अंकल ने, वो तो उसके नन्हे शरीर को ऐसे दबा रहे थे जैसे वो उनकी अपनी बेटी हो, पर इन सबमे अन्नू को बड़ा ही मजा आ रहा था, वो बचने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी, बल्कि बड़ चड़कर एक दुसरे से रंग लगवा भी रही थी और लगा भी रही थी.
मम्मी ने कहा "अरे छोड़ दो बेचारी को...नंगा ही कर दोगे क्या..."
"हाँ कर देंगे..." और ये कहते हुए पापा ने उसकी ब्रा को खींचा और फाड़कर उसे भी अन्नू के शरीर से अलग कर दिया. अन्नू ने अपने हाथों से अपने चुचों को ढकने की कोशिश करी पर पापा ने आगे बढ़कर उसके हाथ हटाये और उनपर फिर से रंग लगाने के बहाने उनका मर्दन करने लगे. उसकी आँखें आनंद के मारे बंद सी होने लगी, उसकी चूत में भी अब खुजली होने लगी थी, मैं जानता था की वो रंडी चुदने के लिए तैयार है, और ये भी की पापा और हरीश अंकल के सामने एक नया माल आ चूका है इसलिए उनके लंड भी इस नयी नौकरानी की चूत में होली खेलने को तैयार थे.
मम्मी और दीपा आंटी भी समझ गयी की उन्हें समझाना बेकार है, इसलिए वो भी मस्ती में आकर मजे लेने लगी.
अयान ने अपनी मम्मी का सूट ऊपर से उतार दिया, अन्दर उन्होंने भी ब्रा नहीं पहनी हुई थी, मेरी समझ में ये नहीं आ रहा था की आज होली पर किसी ने ब्रा क्यों नहीं पहनी,!!
शायद गन्दी ना हो जाए इसलिए, मैंने मम्मी के ब्लाउस को आगे से पकड़ा और उसके हूक खुलकर उसे उतार दिया, एक और नंगे चुचों का जोड़ा बिना ब्रा के उजागर हो गया .
मैंने अपना कुरता उतारा और ऊपर से मैं भी नंगा हो गया, अब सभी लोग ऊपर से आधे नंगे होकर एक दुसरे को रंग लगा रहे थे.
मैंने पीछे से पाईप को पकड़ा और टंकी चला कर सभी को भिगोने लगा, सभी हँसते हुए , चिल्लाते हुए , ठन्डे पानी से बचने के लिए भागने लगे. बड़ा ही खुशनुमा सा माहोल बन चूका था.
तभी सोनी बाथरूम से अपने रंग को साफ़ करके बाहर आई और बाहर सभी की हालत देखकर उसके होश उड़ गए, सभी लगभग नंगे होकर एक दुसरे के साथ होली खेल रहे थे, और उन नंगो में उसकी छोटी बहन अनीता भी थी, जो बड़े मजे से मेरे पापा के साथ चिपकी हुई उनसे अपने स्तनों का मर्दन करवा रही थी.
वो डर कर वापिस अन्दर की और भागने लगी तो मैंने उसे पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया, वो बोली "मुझे छोड़ दो बाबु....मैं इस तरह होली नहीं खेलना चाहती...मुझे बड़ी शर्म आ रही है..."
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