RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
सोनी झड़ने के काफी करीब थी..उसने अपनी स्पीड बड़ा दी और जोरों से आवाजें निकाल कर मुझपर कूदने लगी...
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह बाबु......चोदो मुझे.....जोर.से......अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ऑफ.....अह्ह्हह्ह फाड़ डालो सोनी की चूत......अह्ह्हह्ह मारो मेरी चूत....अपने मोटे लंड से....अह्ह्हह्ह.......औइ.......माँ ....मैं तो गयी रे....अह्ह्ह्ह..."
और उसकी चूत में से गर्म बर्फ पिघल कर मेरे लंड को भिगोने लगी...अपनी बहन को देखकर अन्नू ने भी अपनी चूत को मेरे मुंह के ऊपर रगड़ना तेज कर दिया और जल्दी ही वहां से भी बारिश होने लगी मेरे मुंह के ऊपर और अन्दर....
उसका इतना पानी निकला की मेरे मुंह और गालों के साथ-२ मेरी आँखों को भी भिगो गया... मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था...इसलिए मैंने भी अपने हथियार डाल दिए और अपने लंड से लगभग दो तोला वीर्य निकाल कर सोनी की चूत को भिगो दिया...
अन्नू मेरे लंड से उठी और मेरे लंड के पास जाकर, अपनी बहन की चूत से निकलते हुए लाजवाब मिश्रण को चाटने लगी... सोनी नीचे झुकी और मेरे मुंह से अपनी बहन की चूत से निकला रस जीभ से उठा उठा कर पीने लगी...
हम सभी थक चुके थे..अब काफी भूख लगी हुई थी..दो बार लगातार चुदाई के बाद अब मेरे पेट में चूहे कूद रहे थे...मैंने उन दोनों को लेकर नीचे की और चल दिया...हम सभी अभी भी नंगे थे..
नीचे उतरते हुए मेरे लंड के साथ साथ उन दोनों के मुम्मे ऐसे उछल रहे थे जैसे रबर से बंधी बाल ऊपर नीचे होती है..
मैं बीच में था और वो दोनों नंगी नौकरानिया मेरे दोनों तरफ, मैं उस समय अपने आपको किसी राजा से कम नहीं समझ रहा था, जिसकी सेवा में दो नंगी दासियाँ साथ चल रही थी..न जाने कब राजाजी का मन कर जाए चुदाई के लिए.
नीचे सोफे पर एक अलग ही प्रोग्राम चल रहा था. मम्मी अपने जीजाजी के लंड के ऊपर बैठ कर टीवी देख रही थी, उनके हाथ में रिमोट था और उनकी चूत में हरीश अंकल का लंड .
अंकल लेटे हुए थे और मम्मी की पीठ उनकी तरफ थी, मम्मी ऊपर नीचे हो रही थी और टीवी भी देख रही थी..
चुदाई और टीवी सीरियल यही दोनों काम मम्मी को सबसे अच्छे लगते थे.अंकल ने हाथ ऊपर करके मम्मी के लटकते हुए पपीते दबा दिए तो उनके मुंह से चीख निकल गयी..
."आआआआह्ह्ह ये क्या कर रहे हो....थोडा धीरे....." और फिर से वो टीवी देखने में व्यस्त हो गयी.
अयान चेयर पर बैठा था उसके नीचे कुतिया की तरह ऋतू उसके लम्बे लंड की लम्बाई अपने मुंह से नाप रही थी. उन दोनों की आँखें बंद थी, बड़े मजे से ऋतू उसका लम्बा लंड चूसकर मजे ले रही थी. और अन्दर के कमरे से आती चीखे सुनकर जब मैं वहां गया तो देखा पसीने से तर बतर सुरभि पापा के साथ नंगी जमीन पर लेटी हुई आने वाली मुसीबत को सोचकर घबरा रही थी,
पापा अपने लंड पर सरसों का तेल मल रहे थे और कुछ तेल उस सुरभि की गांड पर भी लगा था, मैं समझ गया की आज पापा सुरभि की गांड में अपना मोटा लंड उतारेंगे..यही सोचकर सुरभि की आँखें घूम रही थी.. पापा ने नीचे झुककर सुरभि की टाँगे ऊपर उठाई और उन्हें अपनी छाती से सटाकर अपना लंड उसकी गांड पर लगा दिया और एक तेज झटका मारकर उसके पिछले दरवाजे से अन्दर दाखिल हो गए..
"आआआआआआआआह्ह्ह्ह अंकल.....अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ मरर गयी.....अह्ह्ह्ह ........"
और फिर वो शान्त हो गयी...पापा का लंड उसकी गांड की सतह तक उतर चूका था..उन्होंने नीचे झुक कर उसके उभरे हुए निप्पल को मुंह में भरा और चूसने लगे... और फिर उन्होंने पीछे होकर उसकी गांड में तेजी से धक्के मारने शुरू किये तो रुके ही नहीं...पुरे कमरे में सुरभि की चीखे गूंजने लगी.
उन दोनों को मजे आ रहे थे.
मैंने अन्नू को कहा की नीचे लेट कर सुरभि की चूत चाटे और उसे मजे दे,
वो मेरा आर्डर मान कर नीचे लेट गयी और सुरभि की चूत को चाटने लगी..
दीपा मौसी कहीं नजर नहीं आ रही थी, मैं उन्हें देखने के लिए बाहर गया तो पाया की वो किचन में खड़ी हुई चाय बना रही हैं. मैंने उनसे कहा "अरे मौसी...आप चाय क्यों बना रही है...ये है न, इनसे कहो , ये बना देंगी..." मैंने सोनी की तरफ इशारा करके कहा.
"ये नौकरानिया कम रंडियां ज्यादा हैं....जिन्हें सिर्फ चुदवाने में ही मजा आ रहा है, काम की तो इन्हें कोई फ़िक्र है ही नहीं..."
मौसी की बात सुनकर मेरे साथ खड़ी हुई सोनिया का चेहरा शर्म से झुक गया, सही भी था वैसे, ये दोनों जब से आई थी, काम कम , चुदाई ज्यादा कर रही थी...पर मजा तो दे रही थी न सभी को ..
सोनी आगे हुई और मौसी को कहा "आप हटिये ...मैं बना देती हूँ चाय...." मौसी पीछे हुई और नंगी सोनी चाय बनाने लगी. मैं समझ चूका था की मौसी इस समय गुस्से में है, एक तो उनकी कोई चुदाई करने वाला नहीं था और ऊपर से उन्हें खुद चाय बनानी पड़ रही थी,
मैंने उनके गले में अपने हाथ डालकर कहा "आप गुस्से में बड़ी खुबसूरत लगती हो....मौसी...."
मेरी बात सुनकर उनके चेहरे पर मुस्कान तैर गयी, वो इठला कर बोली "अरे रहने दे...जब से ये दोनों छिपकलियाँ आई हैं, तुने तो मुझे एक बार भी ढंग से नहीं देखा (नहीं चोदा)...
मैंने उनके दोनों मुम्मे पकड़ कर दबा दिए और उनकी आँखों में देखकर कहा "मैं तो हमेशा आपकी सेवा में हाजिर हूँ, जब चाहो मुझसे अपनी तारीफ (चुदाई ) करवा लो .."
और मैंने सूट के ऊपर से ही उनके दोनों निप्पल पकड़ कर उँगलियों से मसलने शुरू कर दिए.
मैंने उनका सूट ऊपर से उतार दिया, उन्होंने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी, उनके निप्पल अकड़ कर बाहर निकल चुके थे, उन्होंने मेरे लंड के ऊपर हाथ फेरना शुरू कर दिया, मैंने उन्हें किचन की स्लेब से सटाया और नीचे बैठ कर उनकी सलवार के ऊपर से ही चूत के ऊपर मुंह लगा दिया, वो मचलने सी लगी और मेरे बाल पकड़ कर जोरों से सिस्कारियां लेने लगी...
"आआआह्ह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फफ्फ्फ़ फफफफ मम्म राजा बेटा......अह्ह्ह्हह्ह चूस इसे....अह्ह्हह्ह..... " और उन्होंने अपनी सलवार का नाडा खोला और उसे नीचे गिरा दिया, साली मौसी ने नीचे कच्छी भी नहीं पहनी हुई थी..
मेरे सामने उनकी गीली चूत जिसपर कोई बाल भी नहीं था, चमकती हुई , अपना रस बरसाती हुई खड़ी थी, मैंने जीभ निकाल कर उनकी चूत को ऐसे चाटना शुरू किया जैसे तिल्ले वाली कुल्फी..
उनकी चूत से निकलता हुआ गाड़ा रस मेरे गले को ठंडक दे रहा था..मैंने उनके नीचे हाथ लगाकर उन्हें स्लेब पर बिठा दिया और खुद खड़ा होकर उनकी टाँगे खोल कर उनकी चूत को फिर से चाटने लगा.
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