RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
क्लास में पहुँचते ही सन्नी और विशाल ने मुझे पकड़ लिया और छुट्टियों में कहाँ गए, क्या किया वगेरह-२ पूछने लगे... और अंत में सन्नी ने मुझसे कहा "यार आशु....वो तेरे घर पर दोबारा कब चल सकते हैं....
देख तुने कहा था की छुट्टियों के बाद तू अपनी बहन की चूत चाटने के लिए हमें दोबारा बुलाएगा... देख हमने काफी पैसे जमा कर लिए हैं...इन छुट्टियों में..." और उसने अपनी जेब से नोटों की गड्डी निकाल कर दिखाई...
मेरे तो मुंह में पानी आ गया, इतने पैसे देखकर..छुट्टियों में मेरे सारे पैसे खर्च हो चुके थे, अब मुझे नए सिरे से दोबारा पैसे इकठ्ठा करने थे, और ज्यादा पैसो के लिए इन्हें भी कुछ ज्यादा मजे दिलाने होंगे..
मैंने सन्नी से कहा "हाँ ...मुझे याद है.... ऋतू भी तुम दोनों के बारे में पूछ रही थी. ...
ऐसा करो..तुम कल दोपहर को हमारे घर पर आ जाना, मैं तुम दोनों को दोबारा उसके कमरे में ले जाऊंगा..." मेरे मन में एक अलग ही योजना बनने लगी थी, जिसे मैं अभी इन्हें नहीं बताना चाहता था.
दोपहर २ बजे मैंने ऋतू के कॉलेज से उसे पिक किया और हम वापिस घर आ गए.
दरवाजा सोनी ने खोला, उसने आज घाघरा चोली पहना हुआ था, मुझे देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी, मानो उसका सैंया घर आया हो, मेरे हाथ से उसने मेरा बेग ले लिया और हम दोनों के लिए पानी लेकर आई, उसने जो चोली पहनी हुई थी वो पीठ पर डोरियों से बंधी हुई थी और वहां ब्रा के स्ट्रेप का नामों निशान नहीं था, यानी उसने बिना ब्रा के चोली पहनी हुई थी, बड़ी खुलती जा रही थी वो हमारे घर में .
अनीता ने खाना लगाया और मैंने और ऋतू ने एक साथ खाया, खाते हुए मैंने उसे विशाल और सन्नी के बारे में और कल के प्रोग्राम के बारे में भी बताया, वो खुश हो गयी की चलो अब नया टेस्ट मिलेगा उसकी चूत को.
खाना खाने के बाद मैं ऊपर अपने कमरे की तरफ चल दिया, कमरे में पहुंचकर मैंने अपना कंप्यूटर चलाया और फेसबुक चेक करने लगा.
मम्मी की आज किट्टी पार्टी थी सो वो शाम तक के लिए बाहर थी, ऋतू भी थकी होने की वजह से जल्दी ही अपने कमरे में चली गयी और सो गयी.
तभी मैंने नीचे से किसी के बात करने की आवाज सुनी, मैं उठा और नीचे जाकर देखा की सोनी के साथ एक लड़की बैठी बात कर रही थी.
मैंने जब घूमकर उसका चेहरा देखा तो देखता ही रह गया, ये तो वही लड़की थी जो हमारे साथ वाले प्लाट में काम करती है, और जिसे मैंने उस दिन छत्त से एक बुड्ढे से चुदाई करवाते हुए देखा था.
उसका चेहरा बिलकुल सांवला था, जैसा मजदूरों की जवान होती लड़कियों का होता है, और छाती पर निम्बू जैसे छोटे - छोटे उभार, उसकी आँखों में एक अजीब सी कशिश थी, काफी सुरमा लगा रखा था उसने. मुझे देखते ही सोनी ने कहा "बाबु...ये मेरी सहेली है प्रिती, ये साथ वाले प्लाट में काम करती है,
मुझे तो मालुम ही नहीं था की ये यहाँ रहती है आजकल, पहले ये हमारे ही मोहल्ले में रहती थे...आज सुबह जब मैं ऊपर कपडे डालने गयी तो मैंने इसे देखा...और तभी यहाँ बुला लिया अभी...आपको बुरा तो नहीं लगा न.."
"अरे नहीं सोनी....कोई बात नहीं..."
सोनी ने खुश होते हुए प्रिती की तरफ देखा और बोली "और प्रिती...ये हमारे आशु बाबु हैं...बहुत अच्छे हैं ये..." और ये कहते हुए उसने मेरी तरफ देखकर आँख मार दी. पर मेरा ध्यान तो सिर्फ प्रिती की तरफ ही था, उसका गहरा रंग मुझे किसी काले जादू जैसे अपनी तरफ खींच रहा था, मैंने पहले ही उसे छत्त से उस बुढ्ढे से चुदाई करवाते हुए देख लिया था, पर काफी दूर से देखने की वजह से मैं उसके शरीर को सिर्फ नंगा देख पाया, सही तरह से एक-एक अंग को नहीं देख पाया बारीकी से... और अब मेरी आँखें उसके कपड़ों के अन्दर का हाल चाल पता करने का काम कर रही थी, मेरे द्वारा घूरकर देखने से वो भी सकुचा गयी थी..
अपने चेहरे पर फीकी सी मुस्कान लाने की कोशिश में उसने अपने पेरों से जमीन को कुरेदना शुरू कर दिया था...
उसके रोयें खड़े हो चुके थे और मैंने गोर किया की उसके निप्पल भी उसके मैले से सूट से झाँकने लगे हैं, और जिस तरह की कठोरता वहां दिखाई दे रही थी लगता था की उसने ब्रा नहीं पहनी हुई है...
मैंने सोनी को कहा की जाओ इसके लिए कुछ खाने को ले आओ किचन से..वो चली गयी..
मैंने प्रिती से पूछा "तुम किसके साथ रहती हो यहाँ..."
प्रिती : "जी...मेरे माँ बापू और दादाजी के साथ..."
हम्म्म्म...यानी वो बुड्ढा जो इसकी चुदाई कर रहा था बाथरूम में आकर, वो इसका दादा था..
मैं : "तुम स्कूल नहीं जाती क्या....??"
प्रिती : "जी...वो आठंवी के बाद बापू ने कहा की आगे पढ़ने के लिए हमारे पास ज्यादा पैसे नहीं है...इसलिए मैंने पढ़ाई छोड़ दी..और बापू के साथ ही काम करने लगी..मजदूरी का.."
और फिर मैंने उससे कुछ और बाते पूछी..और फिर मैंने सीधा मुद्दे की बात पर आना शुरू किया..
मैं : "मैंने उस दिन तुम्हे देखा था....छत्त से ..जब तुम नहा रही थी..."
प्रिती सकपका गयी, नहाने वाली बात सुनकर..
प्रिती : "जी....नहाते हुए....कब कैसे....कहाँ से...."
मैं : "मैं छत्त पर था और तुम नहा रही थी, पिछले हफ्ते की बात है...और फिर वहां कोई आया था...जिसके साथ....तुमने..."
प्रिती के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी, उसने सोचा भी नहीं था की आज वो यहाँ आएगी और उसकी उस दिन की चोरी इस तरह से पकड़ी जायेगी...
प्रिती : "साब...वो...वो....मैं....आप किसी को मत कहना ये बात....इस सोनी को भी नहीं.....वर्ना मैं बदनाम हो जाउंगी..." उसने अपने हाथ जोड़ दिए मेरे आगे.
मैं समझ गया की अब तो ये मुर्गी फंस ही गयी मेरे जाल में.
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा "अरे घबराओ मत...मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा... पर तुम्हे मुझे सब कुछ बताना होगा..मैं किसी और को इसके बारे में नहीं बताऊंगा, तूम इसकी फ़िक्र मत करो...पर ये तो बताओ..ये सब कब से चल रहा है... तुम्हारी इतनी उम्र तो नहीं है की तुम अभी से चुदाई करवाने लगो..और वो भी उस बुड्ढे से...कोन था वो...बोलो "
मेरी बात सुनकर वो कुछ सामान्य हुई और बोलने लगी "जी दरअसल...वो मेरे दादाजी थे....हमारे यहाँ तो मेरी उम्र तक आने पर शादी भी हो जाती है... पर पैसे कम होने की वजह से मेरी शादी में देरी हो गयी...और मेरी कई सहेलियां जिनकी शादी हो चुकी है, वो जब मुझे अपने पति और उनसे चुदाई के बारे में बताती थी तो मुझे कुछ कुछ होने लगता था....
मैं अपनी उँगलियों से अपनी चूत को शांत करती थी...एक बार मेरे दादाजी ने मुझे रात को अपनी सलवार खोले, ये सब करते देख लिया...और फिर उन्होंने जबरदस्ती मुझे वहां पर चूसा...
अपनी उँगलियों से ज्यादा मुझे उनके होंठ अच्छे लगे अपनी चूत पर..और फिर तो वो रोज रात को मेरी खटिया पर आकर रात भर मेरी चूत को चूसते और अपना लंड भी मुझसे चुसवाते...
मेरे माँ बापू तो दिनभर की मेहनत के बाद गहरी नींद में सो रहे होते थे, और एक दिन जब वो दोनों किसी काम से बाहर गए हुए थे तो दादू ने अपना लंड मेरी चूत में डाला,
तब मुझे भी इन सब में मजा आने लगा...और उसके बाद जब भी दादू को मौका मिलता वो मेरी चुदाई कर लेते हैं... और उस दिन भी जब मैं नहा रही थी तो वो जबरदस्ती अन्दर आकर मुझे चोद गए थे, मुझे इन सब में कभी कभी बड़ा डर भी लगता है...पर मजा भी बहुत आता है....
मेरी आपसे विनती है...आप ये बात किसी को मत कहिएगा...मैं कहीं की नहीं रहूंगी...." उसकी आँखे नम सी हो गयी थी...
मैंने उसके गाल पर हाथ फेरते हुए कहा "तुम इसकी फ़िक्र मत करो...मैं किसी से भी नहीं कहूँगा...." और मैंने हलके से उसके गाल को मलना शुरू कर दिया.. मेरे स्पर्श से उसके शरीर में फिर से तनाव सा आने लगा, शायद वो समझ गयी थी की मैं क्या चाहता हूँ..
उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और फिर किचन की तरफ जहाँ अन्नू और सोनी खड़ी होकर उसके लिए कुछ खाने को बना रही थी...और फिर एक ही झटके से मेरे पास आई और मुझे चूम लिया.
मैं उसकी इस हरकत से एकदम से चोंक गया, कितनी हिम्मत का काम किया है उसने..अभी तो बड़ी भोली बन रही थी और अब एकदम से चूमना शुरू कर दिया. उसने धीरे से कहा "साब ...मैं कई बार आपको देख चुकी हूँ...आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं...
जब भी आप घर से बाहर जाते हो अपनी बाईक पर तो मैं आपको दूर तक देखती रहती हूँ....आपको बुरा तो नहीं लगा न साब...." मैंने फिर से उसके गाल पर हाथ फेरा और उसे सहलाते हुए बोला "नहीं ....बुरा नहीं लगा..."
मेरी बात सुनकर उसके चेहरे पर बच्चो जैसी मासूमियत और हंसी आ गयी.
इसी बीच सोनी उसके लिए खाने को सेंडविच ले आई, और मेरे लिए चाय भी. वो मेरे साथ वाली सीट पर बैठी थी सोफे पर...मैंने पाँव लम्बे करके उसके पाँव पर रख दिए और चाय पीने लगा,
मेरी इस हरकत को किचन में खड़ी वो दोनों बहने नहीं देख पा रही थी...प्रिती सेंडविच खा रही थी और मुस्कुराती जा रही थी..उसे मेरी इस हरकत का बिलकुल भी बुरा नहीं लग रहा था..
अब तो मैं इसके साथ कुछ भी कर लूँ तो ये बुरा नहीं मानेगी..पर शायद ये सब कुछ सोनी और अन्नू के सामने करने में शर्म महसूस करे..इसे उन दोनों के सामने खोलना होगा..
मैंने कुछ सोचते हुए सोनी को आवाज दी..वो दौड़ी चली आई जैसे मैंने उसे लंड दिखाया हो...मैंने सोनी को कहा "सोनी ...इधर आओ...और मेरे पास बैठो..." वो समझ नहीं पायी की मैं क्या चाहता हूँ..
वो मेरी बगल में बैठ गयी...मैंने हाथ पीछे करके उसकी कमर को पकड़ा और उसे अपनी गोद में खींच लिया.. मेरी इस हरकत को देखकर सोनी के साथ-साथ प्रिती भी चोंक गयी..पर दोनों कुछ न बोली..
मैंने सोनी के चेहरे को ऊपर किया और उसके होंठों को चूम लिया..वो शर्म के मारे कोई रिस्पोंस नहीं दे पा रही थी, वो भी शायद नहीं चाहती थी की मेरे और उसके बीच में जो सम्बन्ध हैं, उसकी सहेली के सामने ना उजागर हो.
मैंने एक हाथ नीचे करके उसके मुम्मे पकडे और उन्हें दबाना शुरू कर दिया..
वो गहरी साँसे लेती हुई सब कुछ करवा रही थी, पर मेरे से और प्रिती से अपनी नजरें चुरा रही थी.. उसने अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर घिसना शुरू कर दिया...और हलकी -२ सिस्कारियां लेने लगी..
"म्मम्मम्मम्म आःह्ह्ह बाबु.......ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ..... मत करो......न......अह्ह्ह्हह्ह ....."
प्रिती भी खाना छोड़कर फटी आँखों से हम दोनों को देखे जा रही थी, उसे विश्वास नहीं हो रहा था की उसकी सहेली अपने मालिक की गोद में बेठी हुई किस्स कर रही है और अपने मुम्मे मसलवा रही है...
सोनी की सिसकारी सुनकर उसकी छोटी बहन अन्नू भी वहां आ गयी, पहले तो वो चोंकी की मैं प्रिती के सामने ही ये सब क्यों कर रह हूँ... पर फिर शायद जब उसने सोचा की मैं प्रिती को भी अपने चुदाई के कार्यक्रम में शामिल करना चाहता हूँ तो वो भी मंद ही मंद मुस्कुराने लगी...और मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी..और मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ फिरने लगी..बड़े ही कामुक स्टायल में..
दोनों बहनों को मेरी सेवा करते देखकर शायद प्रिती भी समझ चुकी थी की मेरा उनके साथ किस तरह का सम्बन्ध है...
मैंने एक हाथ बढाकर प्रिती की जांघ पर रखा और उसे मसलने लगा..वो मेरी तरफ खींचती चली आई... अब सभी एक दुसरे के सामने खुल चुके थे... मैंने सोनी को इशारे से अपनी गोद से उतरने को कहा..वो अनमने मन से उठी और मैंने वहां प्रिती को खींच लिया.. अब प्रिती मेरी गोद में बैठी हुई थी, और उसके शरीर से उठती पसीने की,खट्टी सी , मदहोश करने वाली सुगंध..मेरे नथुनों में जाकर मुझे और उत्तेजित करने लगी..
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