RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने झट से उसे उठा कर नीचे जमीं पर लिटा दिया..ताकि सोफा न गन्दा हो..जैसे ही मैंने उसे नीचे लिटाया उसकी चूत से रस की फुहार निकल कर नीचे फैल गयी और उसने मेरी कमर के चारों तरफ अपनी टाँगे लपेट ली...
थोड़ी देर तक गहरी साँसे लेती हुई वो नीचे पड़ी रही और फिर मैंने उसकी गिरफ्त से छुटकर उसकी चूत में धक्के मारने शुरू किये..
उसके निम्बू मेरे हर धक्के से हिल रहे थे, मैंने हाथ उनपर रखे और उन निम्बुओ का रस निकलना शुरू कर दिया..अब उसके अन्दर फिर से एक और ओर्गास्म बनने लगा था. मैं भी झड़ने के करीब था..
"अह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह ओ साब......अह्ह्हह्ह ....क्या लंड है आपका.....इतना लम्बा...... अह्ह्ह्हह्ह...... मजा आ गया...आऽऽऽज......ऊऊ ऊऊऊऊ .......और तेज डालो ....और अन्दर तक.....फाड़ डालो....मेरी मुनिया को..... अह्ह्हह्ह......."
मैंने भी उसके निम्बू मसलते हुए बोलना शुरू किया.. "ले साली......अह्ह्हह्ह.....ले मेरा रस......... " और मैं तेजी से हुंकारता हुआ उसकी चूत के अन्दर झड़ने लगा.... और फिर निढाल होकर उसकी छाती पर लुढ़क गया..
मैंने लंड बाहर निकाला, उसकी चूत में से भी खून और ढेर सारा रस बाहर निकला, सोनी उसे बाथरूम में ले गयी और अन्नू मेरे लंड को वहीँ बैठकर अपने मुह से साफ़ करने लगी, चाट चाटकर...
उसके बाद मैंने अन्नू की चूत को लगभग पंद्रह मिनट तक मारा, और एक बार और प्रिती को भी चोदा... अच्छी तरह से चुदाई करवा कर प्रिती खुश हो गयी , और मैंने उसे बता दिया की मैं जब भी उसे बुलाऊ , वो आ जाया करे...मजे लेने किसे पसंद नहीं है...वो खुशी खुशी मेरी बात मानकर चली गयी..
मम्मी के आने का समय हो चूका था, इसलिए मैंने सोनी को वहां की सफाई करने और अन्नू को किचन में खाना बनाने को कहा और खुद ऊपर जाकर सो गया...
*****
अगले दिन विशाल और सन्नी मेरे साथ ही घर आ गए और हम सीधा अपने कमरे में चले गए, मैं नीचे गया और सोनी को अपने कमरे में पानी लेकर आने को कहा,
सोनी हमारे कमरे में आई और सभी को पानी पिलाया, झुकते हुए उसने जब ग्लास उठाये तो उसके सूट में से लटकते मुम्मे देखकर सन्नी और विशाल का मुंह खुला रह गया,
उस कुतिया ने आज ब्रा भी नहीं पहनी थी और ना ही चुन्नी डाली हुई थी, तने हुए निप्पल उसके पीले सूट में से चमक कर दिखाई दे रहे थे और झुकने से उसके आधे से ज्यादा चुचे बाहर की और लटकने लगे. उसके जाते ही सन्नी ने मुझे धर दबोचा
सन्नी : "यार ...क्या माल है तेरी ये नौकरानी, साले, कहाँ से मिली, बता न..कितनी मस्त है यार, देखा, कैसे अपने चुचे दिखा रही थी, और मुझे तो लगता है की इसने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी नीचे..है न विशाल."
विशाल : "हाँ यार...मुझे भी येही लगता है, देखा नहीं, कैसे झुकी और मुस्कुराते हुए उसने ग्लास उठाये, मुझे तो लगता है साली चालू है..है न आशु.."
मैं : "अरे...तुम साले ठरकी लोग, नौकरानी पर ही शुरू हो गए, मैं तुम्हे यहाँ उससे भी अच्छी लड़की , यानी ऋतू के लिए लाया हूँ और तुम हो की नौकरानी के पीछे पड़े हो.."
सन्नी : "यार, तेरी बहन की चूत तो हम पहले भी चाट चुके हैं, और वो फिर से भी करवाने से मना नहीं करेगी, ये हमें मालुम है,
पर यार, तेरी इस नौकरानी को देखकर तो मेरे लंड के मुंह में पानी आ रहा है, मुझे लगता है की ये हमें सब कुछ करने देगी, बोल न, क्या नाम है इसका..."
मैं : "इसका नाम सोनी है और इसकी छोटी बहन भी यहाँ काम करती है किचन का, उसका नाम अन्नू है.."
विशाल : "छोटी बहन भी है, दो-दो नौकरानिया, और साथ में सेक्सी ऋतू भी...क्या बात है...तेरे तो मजे हैं यार..."
सन्नी : "यार आशु, अभी तो तेरी बहन को आने में देर है, तू एक काम कर, इस सोनी को दोबारा बुला, आज इसे ही पटाते हैं, थोडा टाइम भी पास हो जाएगा और जैसा इसके हाव भाव देखकर लग रहा है, ये मना भी नहीं करेगी..चालु है ये, लिखवा ले मुझसे.."
मेरी चाल सफल होती दिख रही थी, मैंने जैसा सोचा था और जैसा सोनी को करने को कहा था, ठीक वैसा ही हुआ था, मैं जानता था की इन कुत्तो के आगे अगर मैंने सोनी को बिना ब्रा के और चुन्नी के दिखा दिया तो इनकी लार निकलने लगेगी और ये इसके बारे में प्लान बनाने लगेंगे..
और वैसा ही हुआ, सोनी को मैंने पहले से ही सब सिखा दिया था, इन दोनों को जब मैंने अपने कमरे में बिठा कर नीचे गया और किचन में अन्नू के साथ काम कर रही सोनी को अपने दोस्तों के बारे में बताया, और उसे बिना ब्रा के ऊपर आकर , अपना जलवा दिखाते हुए, पानी पिलाने को कहा,
उसने उसी वक़्त, बिना किसी झिझक के, अपनी बहन के सामने ही, अपना सूट उतारा, अपनी ब्रा खोली और मेरे हाथ में निकाल कर रख दी, और बोली : "आप कहो तो ऐसे ही आ जाऊ क्या....?" और मेरी आँखों में देखकर मुस्कुराने लगी.
अन्नू भी अपनी बहन का दबंगपन देखकर, दंग रह गयी और मुस्कुराते हुए फिर से अपना काम करने लगी. मेरा तो मन कर रहा था की उसके गोरे मुम्मे वहीँ पर दबा दबाकर उसे बेहाल कर दूँ और किचन में ही उसकी चूत मार दूं...
पर ऊपर वो दोनों ही बैठे थे, इसलिए मैंने उसके दोनों कलश आराम से पकडे और उसके निप्पल दबाये और धीरे से कहा : "अभी जो कह रहा हूँ, वो करो, मजे और पैसे मिलेंगे, शाम तक..."
मजे यानी जवान लंड और पैसो का नाम सुनकर तो उसका चेहरा खिल सा उठा..उसने जल्दी से सूट पहना और मैंने उसे आगे का प्लान समझाया और फिर ऊपर आकर बैठ गया था.
अब जब वो दोनों सोनी के दीवाने हो चुके थे तो मैंने असली प्लान उनके सामने रखा
मैं : "देखो...ये काम वाली होती तो बड़ी चालु हैं, और ये भी है, मैं मानता हूँ, पर अगर इसने अपना मुंह खोल दिया तो हम सभी मुसीबत में पड़ जायेंगे, इसका सिर्फ एक ही उपाय है की इसे हम ज्यादा पैसो का लालच देकर, इसके हुस्न के मजे लूट सकते हैं.."
मेरी बात सुनकर वो दोनों एक दम से बोले "अरे...तो इसमें क्या मुश्किल है, पैसे तो हम वैसे भी देने वाले थे, ऋतू के लिए, वही अब इसके लिए दे देते हैं, ऋतू के लिए कल और ले आयेंगे.."
और ये कहकर उन्होंने अपनी जेब से पांच -पांच हजार रूपए निकाल कर मेरे हाथ में दे दिए..मैंने सहमती से सर हिलाया और उनसे कहा की अब मुझे ही सब करने देना, तुम दोनों बैठ कर तमाशा देखो, और फिर मैंने सोनी को आवाज लगायी. वो ऊपर आई...
सोनी : "जी साब...आपने बुलाया..."
मैं : "सोनी, ये देखो जरा, ये टेबल कितना गन्दा हो गया है, इसे साफ़ करो..."
सोनी : "जी..." और वो कपडा लेकर, पानी से उसे साफ़ करने लगी.
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