RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अब उसके झूलते हुए मुम्मे फिर से हम तीनो के सामने थे, वो झुक कर उसे अपने हाथों से रगड़ रही थी जिसकी वजह से उसकी छाती से बंधे उसके मुम्मे किसी बड़े गुब्बारों की तरह से हिल रहे थे,
काफी झुके होने की वजह से उसके निप्पल भी दिखाई देने लगे थे अब..जिसे देखकर सन्नी और विशाल की हालत बड़ी ख़राब होने लगी, वो पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगे.
मैं : "सोनी...ये क्या...तुमने आज ब्रा नहीं पहनी.."
मेरी बात सुनकर सन्नी और विशाल एक दम से चोंक गए..उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी की मैं सोनी से एकदम से उसकी ब्रा के बारे में पूछुंगा..और वो भी उनके सामने.. सोनी को तो मैंने पहले से ही सब समझा दिया था, वो डरने का नाटक करने लगी और धीरे से बोली : "नहीं साब...वो...काम करते हुए गर्मी लगती है...इसलिए उतार दी .."
मैं : "मैं तुम्हारी शिकायत करूँगा मम्मी से...उन्होंने तुम्हे पहले भी कहा था की बिना ब्रा और चुन्नी के घर में न घुमा करो...और तुम आज बाहर के लोगो के सामने भी ऐसे ही घूम रही हो...आने दो मम्मी को, .."
सोनी (हाथ जोड़कर),: " नहीं साब...आप मेमसाब को मत बोलना, मेरी नौकरी चली जायेगी...मैं अभी पहन कर आती हूँ, नीचे है मेरी ब्रा..."
मैं : "नीचे है तो उसे ऊपर लेकर आओ..जल्दी..."
सोनी जल्दी से नीचे भागी, और उसके जाते ही वो दोनों मेरी तरफ देखकर हंसने लगे और बोले "यार...तू तो बड़ा जिगर वाला है...साले कैसे उसे नौकरी से निकलवाने का डर दिखाकर, ब्रा के बारे में पुछा, यार मेरी तो फट रही थी की कहीं बात उलटी न पड़ जाए..."
मैं : "मैंने तुम्हे कहा न, की ये चालू तो है, इसलिए इसके साथ भी चालूपन दिखाना पड़ेगा, चलो अब चुप हो जाओ, तुम बस तमाशा देखो, मैं उसके साथ क्या क्या करता हूँ..."
मेरी बात पूरी होते-२ सोनी भी ऊपर आ चुकी थी, उसके हाथ में उसकी मेली कुचली सी ब्रा थी..मैं हाथ आगे करके उसे उसके हाथ से ले लिया. उसके मुम्मो की गर्मी अभी भी उसके बड़े-२ कपों में थी, मैंने उसे सूंघकर देखा, उसमे से वही नशीली सी और मादक सी खुशबू आ रही थी, जिसे मैं पिछले २ दिनों से महसूस करते हुए , उसकी चुदाई कर रहा था..मेरा लंड भी अब तन कर खड़ा हो चूका था.
सोनी सर झुका कर खड़ी थी, मैंने उस ब्रा को सन्नी और विशाल को दे दिया, वो दोनों भी उसे किसी कुत्ते की तरह सूंघने लगे और अपने मुंह पर मलने लगे.
सोनी सर झुकाए ये सब देख रही थी, और अपने पैरों से जमीन को कुरेद रही थी, हम सभी की हरकतें देखकर उसके सूट में से उसके निप्पल तन कर खड़े हो चुके थे, जो मुझे साफ़ दिखाई दे रहे थे, उसकी चूत में भी इस समय घमासान चल रहा होगा.
मैंने थोडा गुस्से वाले लहजे में कहा : "ये इतनी गन्दी ब्रा क्यों पहनती हो..."
सोनी : "जी...वो..हमारे पास 2 ही ब्रा हैं...अन्नू और मैं उससे ही काम चला लेते हैं.."
मैं : "ये तुम्हारी है या अन्नू की.."??
सोनी : "जी ये तो अन्नू की है..आज मैंने पहनी थी.."
मैं : "अच्छा ये लो...अपने लिए नयी ब्रा ले लेना.." और ये कहकर मैंने उसे 500 के दो नोट दिए.., वो खिल उठी और उसने चुप चाप वो लिए और अपनी मुट्ठी में दबा लिए.
सोनी : "आपका धन्यवाद...अब मैं जाऊ.."
मैं : "जाऊ...कैसे..पहले ये ब्रा पहनो, फिर जाना..."
सोनी : "जी...यहाँ...मैं अन्दर बाथरूम में जाकर पहनू क्या.."
मैं : "नहीं , यहीं पहनो...हमारे सामने "
उसने कोई जवाब नहीं दिया और धीरे से आगे आई और मेरे हाथों से अपनी ब्रा लेकर खड़ी हो गयी..और फिर उसने दूसरी तरफ सर घुमाया और अपना सूट उतारने लगी..
मैं : "यहाँ मुंह करो...हमारी तरफ..." वो लाचार सी दिखाकर हमारी तरफ मुड़ी और अपना सूट उतारने लगी.
जैसे -२ उसका नंगा पेट दिखाई देने लगा, उन दोनों की हालत खराब होती चली गयी..मैं आराम से बैठा ये सब तमाशा देख रहा था, आखिर रिमोट तो मेरे ही पास था न इस खेल का..
उसके भरे हुए मुम्मो के पास आकर उसका सूट अटक गया, बड़ा टाईट था , उसने एक दो बार कोशिश की पर सूट उसके मुम्मो से ऊपर नहीं गया.
मैंने उसकी विडम्बना देखी और मैं अपनी जगह से उठा और उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया..और उसके सूट के किनारे पकड़कर उसे एक झटके में ऊपर खींच दिया.
उसके दोनों मुम्मे छलक कर बाहर आये और सामने बैठे सन्नी और विशाल की नजरों के सामने उजागर हो गए, बिलकुल नंगे, दूध जैसे, भरे हुए, और उनपर मोटे-२ कंचे जैसे निप्पल...
मैंने अपना सर उसके कंधे पर रखा और अपने दोनों हाथ आगे करके उसके दोनों मुम्मो को पकड़ा और उन्हें अपनी हथेली के ऊपर उठाया..जैसे उनक वजन तोलने की कोशिश कर रहा हूँ...
मेरी इस हरकत से सोनी की आँखें बंद हो गयी और उसने अपना सर पीछे करके मेरे कंधे पर गिरा दिया और उसके मुंह से एक आनंदमयी सिसकारी निकल गयी...."आआअह्ह्ह बाबु....ये क्या कर रहे हो....छोड़ो न....
" पर उसके हाव भाव से पता नहीं चल रहा था की वो छोड़ने को कह रही है या पकड़ने को..
मैं : "एक काम करते हैं, हम ही तुम्हारे लिए ब्रा लेकर आ जायेंगे...पर इसके लिए तुम्हारा नाप भी तो लेना होगा..
मैं अपने हाथों से तुम्हारी छाती का साइज़ ले रहा हूँ...और इसके अनुसार ही मैं तुम्हारे लिए ब्रा लेकर आऊंगा..ठीक है न.." फिर मैंने आगे बेठे हुए उन दोनों ठरकीयों को आँख मारी और उन्हें भी आने को कहा, वो भी आगे आये और उसके दोनों उभारों को थाम कर मसलने लगे..
सन्नी : "हाँ...तुम सही कह रहे हो...मैं भी इसी तरह से तुम्हारा साइज़ नाप कर ले जाता हूँ और तुम्हारे लिए कल एक नयी ब्रा लेकर आऊंगा..." विशाल ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलायी और वो भी अपनी बड़ी हथेलियों से सोनी का नाप लेने में लग गया.
अब उस सोनी के शरीर पर तीन जोड़ी हाथ घूम रहे थे और उसके स्तनों का मर्दन करने में लगे हुए थे.. मेरा लंड कड़क हो चूका था, मैंने उसे सोनी की गांड में सटा दिया...वो बिफर सी उठी मेरे इस हमले से...और घूम कर मेरी तरफ मुंह किया और बोली "अह्ह्हह्ह साब.....ले लो...ये सोनी तो तुम्हारी है.....जहाँ से , जैसा नाप लेना है ले लो....छाप दो अपने हाथों के निशान मेरे पुरे जिस्म पर, मसल डालो मेरे शरीर के हर हिस्से को...जैसा आप चाहो मजा लो साब्ब....ये सोनी तुम्हारी सेवा में हाजिर है...."
उसके ऐसा कहते ही उन दोनों का चेहरा देखने लायक था, अब उन्हें विश्वास होने लगा था की शायद आज उनकी वर्जिनिटी जाकर रहेगी... उसने अपने होंठ मेरे मुंह से सटा दिए और उन्हें चूसने लगी, मैंने अपने दोनों हाथ उसके होर्न पर रखे और उन्हें दबाने लगा और उसके नर्म और मुलायम होंठो से मीठा शहद पीने लगा.
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