RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने सोचा की यही सही समय है, और मैंने उसके कुल्हे पकडे और एक दो तेज धक्के मारे और अपना लंड आधे से ज्यादा उसकी गांड में उतार दिया...वो चिल्ला पड़ी. "आआआअह्ह्ह ऊऊओ साब्ब्ब्ब ......क्या कर दिया......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....बड़ा दर्द हो रहा है...साब्ब्ब.....अह्ह्हह्ह ....ओफ्फ्फ्फ़ मर गयी रे.....अह्ह्ह्ह..."
मैंने उसकी चीखों की परवाह नहीं की और अपने काम में लगा रहा, नीचे से विशाल भी उसकी चूत में लंड पेल रहा था, जिससे उसे मजा आ रहा था, पर मेरे द्वारा पेले जा रहे लंड से उसे दर्द भी उतना तेज हो रहा था, जिसकी वजह से वो चूत के खेल को एन्जॉय नहीं कर पा रही थी... अब मेरा लंड पूरा उसकी गांड में जा कर धंस चूका था, वो मेरे और विशाल के बीचे सेंडविच बनी हुई चुद रही थी, साली को बड़ा शौक था न चुदने का, ले चूस अब, और कहाँ गयी इसकी शेरो शायरी...पिछली बार जब मैंने उसे चोदा था तो बड़ी शायरी निकल रही थी, आज कहाँ घुस गयी वो..
शायद उसकी गांड में ही घुस गयी होगी...जहाँ मेरा लंड है..हा हा..
मैंने हँसते हुए उसकी गांड के छेद को खोलना शुरू कर दिया, अब उसका दर्द भी कम होने लगा था,
पीछे और आगे, दोनों तरफ से उसके अन्दर मजे की तरंगे उठने लगी थी, और वो उन्हें महसूस करके मजे से आँखें बंद करवा के , रंडियों की तरह, चुदाई करवा रही थी...अब उसके मुंह से कुछ कुछ निकलने भी लगा था...
"अह्ह्ह ओफ्फ्फ अह्ह्ह्ह साब ....क्या मजा....अह्ह्ह्ह आया ......अह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ....पीछे से भी....उतना ही मजा....अ आऽऽ रहा है....जितना आगे से....पहले क्यों नहीं फाड़ी मेरी गांड आपने....अह्ह्ह्ह ओफ्फफ्फ्फ़.....मांन्न.......अह्ह्हह्ह.....आयी......अयीई.....ई.......अह्ह्ह्ह......मर गयी रे......इतना मजा तो आजतक नहीं आया....अह्ह्ह्ह......."
और आखिर वो अपनी शायरी के कीड़े से बाज नहीं आई और बोली
"चोदो मुझे चूत में, चोदो मुझे गांड में..
डालो अपना लंड दिन रात मेरे हर छेद में
आप मालिक हो मेरे, मैं हूँ आपकी दासी
जब कहोगे , मैं चुदुंगी आपसे,
मैं तो बन गयी हूँ, आपके लंड की बांदी."
अचानक विशाल ने उसके दोनों मुम्मे पकडे और उसकी चूत में अन्दर झड़ना शुरू कर दिया...और जोरों से हाँफते हुए उसकी छाती से लिपट गया.
मेरे लंड पर, अन्दर की दीवार के दूसरी तरफ से निकलता, विशाल के लंड का रस, साफ़ महसूस हो रहा था, मैंने भी अपनी सारी शक्ति इकठ्ठा की और तेजी से उसकी गांड के अन्दर के धक्को की स्पीड बड़ा दी और जल्दी ही मैंने भी उसकी कुंवारी गांड को अपने रस के स्वाद से अवगत करवाया और झड़ने के बाद अपना लंड उसकी गांड सेs निकाला और लेट गया..
सभी थोड़ी देर तक लेटे रहे और फिर एक एक करके बाथरूम गए और साफ़ होकर वापिस आये और फिर वो दोनों अगले दिन फिर आने का वादा करके वापिस चले गए,
मैंने वहीँ लेटा रहा , नंगा, और वो सोनी भी वहीँ लेटी रही मेरे पास, नंगी.
मैं लेटा हुआ सोनी के नंगे बदन को सहला रहा था, की तभी उसकी छोटी बहन अन्नू ऊपर आई और हमें नंगे एक दुसरे की बाँहों में लेटे हुए देखा, हमने अपने नंगे शरीर को छिपाने की कोई चेष्ठा नहीं की.
अन्नू : वाह साब...आप तो मेरी बहन के पीछे ही पड़ गए, और आपने तो अब अपने दोस्तों से भी चुदवाना शुरू करवा दिया है मेरी बहन को..
उसकी बात सुनकर सोनी बीच में ही बोल पड़ी : तुझे क्या लेना...ये मेरी मर्जी है, मैं किसी से भी चुदवाऊ तुझे क्या, तू भी ना जाने कहाँ कहाँ मुंह मारती है, मैंने तुझे कभी रोका है क्या, और आज तो मैंने अपनी गांड भी मरवा ली साब से..ये देख.." और उसने अपनी फेली हुई गांड के लाल छेद को अपनी बहन को दिखाया..
अन्नू (हेरानी से) : "दीदी..आपने अपनी चूत की सील अभी दो दिन पहले ही तुडवाई है और आज गांड भी मरवा ली...चूत से गांड तक का सफ़र बड़ी जल्दी पूरा कर लिया.."
सोनी :"मैं तो हर तरह की चुदाई करवाना चाहती हूँ... मैंने अपने जितने भी साल बिना चुदे गुजरे हैं, मैं नहीं चाहती की ऐसे मजे मैं अब बिना लिए कोई भी दिन निकालू..मुझे तो बस अब रोज लंड चाहिए, चूत में और गांड में, मुंह में और हाथ में, हर जगह, हर रोज..."
अन्नू समझ गयी की उसकी बहन अब पूरी तरह से चुद्दकड़ बन चुकी है, उसे समझाना बेकार है, वैसे भी वो सिर्फ शिकायत इसलिए कर रही थी की उसे चुदाई से दूर क्यों रखा जा रहा है,
मैं उसकी बात को समझ चुका था, उसे इसलिए परेशानी नहीं थी की उसकी बहन की इतनी चुदाई क्यों हो रही है, उसे परेशानी थी की उसकी क्यों नहीं हो रही ...
मैं : "तुम्हारा इशारा मैं समझ गया हूँ अन्नू...तुम चिंता मत करो, कल जब मेरे दोस्त आयेंगे तो उनसे तुम्हारी चुदाई भी करवाऊंगा..ठीक है.."
और वो मुस्कुराने लगी , मैंने इशारे से उसे अपने पास आने को कहा. वो किसी दासी की तरह मेरे लंड के पास आकर बैठ गयी और उसे सहलाने लगी, उसकी बहन का हाथ पहले से ही मेरे लंड पर था, और उसने भी वहीँ हाथ लगा कर उसे मसलना शुरू कर दिया..
जल्दी ही मेरे लंड का साइज़ बढ़ने लगा और मैंने अन्नू को कपडे उतरने को कहा, वो तो जैसे इसी इन्तजार में बैठी थी, उसने झट से अपने कपडे उतारे और मेरे खड़े हुए लंड के ऊपर आ बैठी..
"अह्ह्ह्हह्ह साब.....जब से आपके घर आई हूँ, मेरी चूत हमेशा गीली रहती है, इतने बड़े-२ लंड लिए हैं यहाँ आकर की अपनी गली के लोंडो के लंड अब नुन्नी लगते हैं.... अह्ह्हह्ह्ह्ह बड़ा मजा आता है....आपके मोटे और लम्बे लंड को लेने में....चोदो न...जोर से ...अपनी अन्नू को...अह्ह्ह्हह्ह sssssssssssssss....
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