RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने उसके दोनों तरबूजों को पकड़कर दबाना और नीचे से उसकी चूत में धक्के लगाना शुरू कर दिया, साथ में लेटी हुई सोनी भी उठी और मेरे मुंह के ऊपर अपनी रसीली चूत को लेकर बैठ गयी, अपनी बहन की तरफ मुंह करके...
मैंने उसकी गीली चूत को सुखाना शुरू किया और उन दोनों बहनों ने एक दुसरे के गिले मुंह को..उनकी लार निकल कर मेरी छाती पर गिर रही थी, मैंने अपने शरीर के इस तरह से झटके दे रहा था की अन्नू और सोनी की चूत में एक साथ मेरा लंड और जीभ अन्दर जा रहे थे..और फिर जब तीनो ने झड़ना शुरू किया तो कमरे में जैसे बारिश आ गयी,
सब चीजे भीगने लगी, मेरा मुंह सोनी के रस से , अन्नू की चूत मेरे गाड़े वीर्य से, मेरा लंड उसके ठन्डे रसीले शहद से और सोनी की चूत मेरी थूक और उसके रस के मिले जुले मिश्रण से..
हम सभी नीचे उतरे और नहाने के लिए बाथरूम में गए , उन दोनों नौकरानियो ने मुझे राजा की तरह ट्रीट करते हुए मुझे नहलाया, मेरे हर अंग पर अपने शरीर से रगड़-२ कर साबुन लगाया ..फिर हम तैयार होकर नीचे वापिस आ गए.
शाम को जब ऋतू आई तो मैंने उसे आज के बारे में बताया की सन्नी और विशाल तो आज सोनी की चूत मारकर ही काम चला गए,
जिसे सुनकर ऋतू को बड़ा गुस्सा आया, वो बोली जब से ये दोनों चुडेले आई हैं उसके हिस्से की चुदाई भी वो लेजा रही हैं.. मैंने ये सुनकर उसके गुस्से को शांत किया और उसे उसी वक़्त उसके कमरे में लेजाकर खूब चोदा..रात को भी वो मेरे पास ही सोयी..कहना जरुरी तो नहीं है, पर हमने उस रात भी लगभग २ बार और चुदाई की.
अगले दिन मैंने कॉलेज में सन्नी और विशाल से घर पर जल्दी आने को कहा, क्योंकि मैं आज उन्हें सिर्फ ऋतू के मजे दिलाना चाहता था..और ऋतू भी दो दिनों से तड़प रही थी नए लंडो को लेने के लिए.
मैं दो बजे घर पहुंचा, ३ बजे के आसपास वो दोनों भी आ गए,आते ही उन्होंने मुझे दस हजार रूपए दे दिए,
ऋतू चार बजे के आस पास आती थी, इसी बीच उन दोनों ने सोनी को अपने पास बुलाया और उन दोनों ने उसे ब्रा और पेंटी के नए सेट दिए, जिसे पाकर वो बड़ी खुश हुई.. मैंने उसे पहले ही बता दिया था की आज उसकी चुदाई नहीं हो पाएगी, आज हमारा कुछ और प्रोग्राम है, वो समझ तो गयी थी पर उसने कुछ कहा नहीं.वो ख़ुशी-२ अपनी पेंटी-ब्रा लेकर नीचे चली गयी.
थोड़ी देर में ही ऋतू भी आ गयी, मैंने और वो दोनों उसके कमरे में गए, हम सभी वहीँ बैठ गए,
ऋतू : "आप सब बैठो, मैं बाथरूम में चेंज करके आती हूँ"
सन्नी :"अरे ऋतू, अब हमसे कैसा शर्माना, हमने तो तुम्हारे हर अंग को देखा है"
ऋतू उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी, उसने वहीँ खड़े होकर अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए. उसने शर्ट और फिर स्कर्ट भी उतार कर सन्नी और विशाल की तरफ फेंकी , और फिर उसने हाथ पीछे करके अपनी ब्रा भी उतारी और उसे मेरी और फेंका, बड़ी गरम थी वो ..
मैंने उसे सुँघा, उसमे से वही भीनी-२ खुशबू आ रही थी जो मुझे अक्सर उसकी चूत को चाटने में आती थी..
सन्नी और विशाल भी आँखे फाड़े ऋतू और उसके मोटे-२ लटकते हुए मुम्मो को देख रहे थे.. और अंत में उसने अपनी पेंटी को नीचे खिसकाना शुरू किया, और उसे ऊपर उछाल दिया, जिसे सन्नी ने लपक लिया और उसके गिले वाले हिस्से को अपने मुंह और होंठो पर मलने लगा.
और फिर अचानक ऋतू ने अपनी चूत में ऊँगली डालकर उसमे से वही डिल्डो निकला,...... साली कुतिया..अपनी चूत में डिल्डो लेकर वो आज स्कूल गयी थी... उसकी चूत से जैसे ही डिल्डो बाहर आया, उसकी चूत में जमा हुआ सुबह से उसके रस का बाँध जैसे टूट गया , वो भी उसकी चूत से बहकर नीचे गिरने लगा और उसकी गोरी -२ टांगो से होता हुआ नीचे की और आने लगा..
ये देखकर सन्नी और विशाल के सबर का बाँध टूट गया, उन्होंने आनन फानन में अपने कपडे उतारे और ऋतू की दोनों टांगो को पकड़ कर उसकी बहती हुई चूत के नीचे कुत्तो की तरह मुंह खोलकर बैठ गए और ऊपर से हो रही अमृत वर्षा का आनंद सीधा अपने मुंह में लेने लगे, और फिर उन्होंने ऋतू की एक-२ टांग को अपनी गर्म जीभ से चाटना शुरू कर दिया, वो जैसे उसकी मोटी जांगो को अपनी जीभ के ब्रश से पोलिश कर रहे थे, जैसे -२ वो उसकी टांग को चाट रहे थे, ऋतू की टांगो में एक नयी तरह की चमक से आती जा रही थी,..
वो खड़ी हुई मचल रही थी, दोनों के सर के ऊपर हाथ रखकर वो उन्हें और जोर से चाटने के लिए उकसा रही थी..
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह सनी.......विशाल्ल्ल्ल......चाटो.....मेरी टाँगे.....अह्ह्हह्ह ...म्मम्मम.....ओफ्फफ्फ्फ़.......मजा आ रहा है...अह्ह्ह....गुदगुदी....हो रही है.......अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह "
और अचानक सन्नी ने अपनी जीभ उसकी खुली हुई चूत के अन्दर डाल दी...ऋतू तो अब जैसे उसके मुंह को कुर्सी समझ कर बैठी थी वहां..वो नीचे था अपना मुंह ऊपर किये, उसकी चूत पर लगाये और ऋतू उसके बालों को पकडे बैठी थी वहां उसके मुंह पर अपनी चूत टिकाये..
मैंने भी अब कपडे उतारे और उसकी जांघो को चाटना शुरू कर दिया, दूसरी जांघ विशाल चाट रहा था, बीच में सन्नी था...विशाल ने उसके पैरों की उंगलिया अपने मुंह में लेकर चुसनी शुरू कर दी..
ऋतू की तो जैसे जान ही निकल गयी, उसे लगा की उसके पैरों की उँगलियों को चुस्वाने में भी उसे वैसा ही आनंद मिल रहा है जैसा उसकी चूत को चूसने में मिलता है,
उसने अपने पैरों को उसके मुंह में ठूसना शुरू कर दिया, और अपनी चूत को और जोरों से सन्नी के मुंह पर ठोंकना...
मैंने भी उसके पेरों की उँगलियाँ अपने मुंह में डाली, बड़ी ही मुलायम थी वो, उसे गुदगुदी भी हो रही थी, और मजा भी आ रहा था..
अब उसका हाल ऐसा था मानो उसके शरीर में एक नहीं बल्कि तीन - तीन चुते हैं, जिसे तीन अलग-२ लोग चूस रहे हैं और उसे मजा दे रहे हैं... "अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह हह मरररर गयी.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह आशु.........सन्नी.......विशाल्ल्ल........अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्म बड़ा मजा आ रहा है...... चुसो इन्हें....ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ....इतना मजा आज तक नहीं आया....आशु.....भैय्या.....अह्ह्ह........"
और फिर मैंने उसकी चूत पर अपने होंठ लगाये और सन्नी ने मेरी जगह ले ली..आज सच में उसकी चूत भी बड़ी ठंडी और मुलायम और नम सी लग रही थी..
शायद उसे ऐसा मजा पहली बार मिल रहा था...इसलिए...मैं समझ गया की उसके पैर की उंगलिया उसका वीक पॉइंट है. और फिर विशाल भी उसकी चूत को चाटने के लिए उसके नीचे आया और मैं उसके पैरों की तरफ गया..
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