RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
पर ये दादाजी के आने से तो सब गड़बड़ हो जाएगा..कुछ करो न...भैय्या...मैं आपसे चुदे बिना नहीं रह सकती...प्लीस.."
मुझे उसकी इस हालत पर बड़ी दया आ रही थी..
मैं : "तू फिकर मत कर ऋतू..मैं कुछ सोचता हूँ..."
और मैं सोचने लगा की दादाजी से कैसे निपटा जाए...पर मुझे उस वक़्त कुछ सूझ नहीं रहा था, क्योंकि दादाजी सही में काफी स्ट्रिक्ट थे इन सब बातों में, मुझे याद है एक बार, जब मैं और ऋतू एक दुसरे को पकड़ने के लिए घर में भाग रहे थे और मैंने जब ऋतू को पकड़कर उसे सोफे पर गिरा दिया था और उसके पेट में गुदगुदी करने लगा तो दादाजी ने देख लिया था और उन्होंने मुझे ऐसा करने पर काफी डांटा था और कहा था की अब ऋतू बड़ी हो रही है...मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए...भाई बहन को ऐसा करना शोभा नहीं देता..वगेरह - २ ...
चलो जो होगा देखा जाएगा..
मैं और ऋतू उठे और कपडे पहन कर नीचे आ गए, मम्मी भी आ चुकी थी तब तक, पापा उन्हें भी दादाजी के बारे में बता रहे थे, मम्मी भी ये सोचकर की उनकी तरह-२ की चुदाई अब बंद हो जायेगी, काफी परेशान सी लग रही थी..
अब मैं आपको अपने दादाजी के बारे में बताता हूँ
उनकी उम्र लगभग 62 साल है, और वो अभी भी अपने खेतों में हल चलाना , ट्रेक्टर चलाना इत्यादि खुद ही करते हैं, जिसकी वजह से उनका शरीर काफी बलिष्ट है और उम्र भी काफी कम लगती है,
वो पापा के बड़े भाई जैसे लगते हैं, ना की उनके पिता की तरह, वो शुरू से ही बड़े अनुशासन में रहने वाले रहे हैं, गांधी के नियमो का पालन करने वाले.,
दादी का देहांत दस साल पहले हो चूका था, और वो अकेले रहते थे गाँव में, पर उन्होंने कभी भी दूसरी शादी करने की बात सोची भी नहीं, कई लोगो ने उन्हें ये राय दी पर उन्होंने ये कहकर की उनके जीवन में सिर्फ एक ही औरत थी जिसे उन्होंने प्यार किया है और वो थी उनकी पत्नी, उसके अलावा वो किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकते...
जब खेती का टाइम नहीं होता था तो वो कुछ समय अपने दोनों बेटो यांनी हमारे या राकेश अंकल के घर पर जाकर गुजारते थे..और इस बार उन्होंने हमारे घर पर आने की सोची थी जिसे लेकर सभी लोग परेशान से लग रहे थे,
हम सभी को उनके आने की बड़ी ख़ुशी थी पर अपने जीवन में आये इस नयी तरह की आजादी, जिसमे हम कभी भी किसी की भी चूत मार लेते थे, उसके खोने का डर था. और आप तो जानते हैं की एक बार चुदाई की आदत लग जाए तो उसे बदलना कितना मुश्किल है..
मतलब कुल मिला कर हमें उनके सामने अपने इस नए खुलेपन को छुपाना होगा और एक दुसरे से चुदाई को थोड़े दिनों तक के लिए भुलाना होगा.. सभी की बाते सुनकर सोनी का तो रोना ही फूट गया, उस बेचारी की चूत की अभी तो ढंग से ठुकाई भी नहीं हुई थी और अब ये करफ्यू .... वो अपनी किस्मत को मन ही मन कोस रही थी और साथ ही साथ अन्नू को भी, उसकी ही नजर लगी थी उसकी ताजा चुदी चूत को..
मम्मी और पापा तैयार होकर पार्टी में चले गए, उनके जाते ही सोनी रोती हुई मेरे पास आई और बोली "बाबु...ये क्या...मेरी चूत की खुजली तो अभी तक पूरी तरह से मिटी भी नहीं है और अब ये तुम्हारे दादाजी आ रहे हैं...
मैं क्या करुँगी..मुझे तो ये सोचकर ही कुछ हो रहा है की आपसे बिना चुदे मैं अपने दिन कैसे निकलूंगी...कितना मजा आ रहा था..और अब आपके दादाजी आ जायंगे कल तो सब बंद..मुझे नहीं पता...आप कुछ करो..."
पहले ऋतू और अब सोनी...दोनों मुझे कुछ करने को उकसा रही थी, पीछे खड़ी हुई अन्नू की सूरत भी देखने लायक थी…
वो वैसे तो अपनी चूत में कई लंड ले चुकी थी पर जब से हमारे घर के लंड लेने शुरू किये थे उसने भी अपने मोहल्ले को लोंडो को भाव देना बंद कर दिया था,...मतलब अब उसकी चुदाई यहाँ नहीं हुई तो वो ना घर की रहेगी न घाट की..
सभी के चेहरे लटके हुए थे, और मुझे मालुम था की उन लटके हुए चेहरों को कैसे खिले हुए चेहरों में बदला जा सकता है..मैंने अपनी जींस नीचे गिरा दी और अपना अन्डरविअर भी... और उनके चेहरों के सामने मेरा लंड चमकता हुआ दिखाई देने लगा..और जैसा मैंने कहा था, उनके चेहरे एक दम से खिल उठे, क्योंकि उन्हें मालुम था की दादाजी के आने से पहले सिर्फ आज का ही दिन है उनके पास जिसमे वो खुल कर चुद सकती हैं...
सोनी ने अपनी चोली उतार डाली...और नीचे उसने विशाल और सन्नी के द्वारा लायी गयी नयी ब्रा पहनी हुई थी, पर उसके मोटे मुम्मे उनके द्वारा लायी गयी ब्रा में ठीक से समां नहीं पा रहे थे, नाप तो शायद उन्होंने ठीक ही लिया था अपनी हथेलियों से उसके मुम्मो का...पर पता नहीं क्यों, तंग निकली ये निगोड़ी ब्रा उसकी...
मैंने उसे भरोसा दिलाया की मैं उसके लिए नयी ब्रा मंगवा दूंगा..वो खुश हो गयी और फिर जब उसने नीचे अपना घाघरा उतार कर , ब्लेक पेंटी में फंसी हुई, अपनी मांसल गांड दिखाई तो उसे देखकर मेरे मुंह में तो पानी आ गया, वो ज्यादा टाईट होने की वजह से उसे काफी सेक्सी लुक दे रही थी, मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसके सेक्सी कुल्हों को मसलते हुए उसके होंठों का रस पीना शुरू कर दिया,
अन्नू ने भी अपने कपडे उतार दिए थे, और वो नंगी होकर मेरी टांगो के बीच जगह बनाकर बैठ गयी और मेरे खड़े हुए लंड को चूसकर उसे चुदाई के लिए तैयार करने लगी..
ऋतू तो अभी-२ चुद कर आई थी पर लंड को देखते ही ना जाने उसकी चूत में क्या खुजली होने लगती है, वो भी नंगी होकर उन दोनों के साथ मेरे लंड के मजे लेने को तैयार हो गयी,
शायद वो ये भी सोच रही थी की ना जाने अगली बार कब चुदाई करने को मिले, इसलिए वो आज, ज्यादा से ज्यादा बार चुद कर अपना कोटा पूरा करना चाहती थी, पर वो बेचारी ये नहीं जानती थी की चूत को तो हर दिन लंड चाहिए..
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