RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अन्नू मुंह फाड़े अपनी छोटी बहन की बातें सुनती जा रही थी, उसकी चूत में से खड़े-२ ही पानी टपकने लगा था, दद्दू के लंड के बारे में सोचकर, और उस कमीनी ने अन्दर कच्ची भी नहीं पहनी हुई थी, इसलिए उसका रस टप-२ करके बूंदों के रूप में सीधा नीचे जमीं पर गिर रहा था, उसके घाघरे में से..
सोनी : "पर अभी तो दद्दू थक गए हैं, उनके लिए खाना भी बनाना है, तू एक काम कर अभी सबके लिए खाना बना, मैं घर की सफाई कर लेती हूँ, फिर शाम को मैं छोटे साब से कहकर तुझे भी दद्दू के लंड के कारनामे दिखा दूंगी..."
अन्नू ने झट से अपनी बहन को गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूम लिया, आज पहली बार ऐसा हुआ था की सोनी के होंठों को किसी लड़की ने चूमा था और वो भी उसकी सगी बहन ने... पर उसे मजा बहुत ही आया, वैसे वो अभी-२ चुदवा कर आई थी पर अन्नू ने जब उसके होंठो को चुसना शुरू किया और अपनी चूत वाले हिस्से को उसकी चूत के ऊपर से गर्मी देनी शुरू की तो उसे भी मजा आने लगा..तभी पीछे से मम्मी की आवाज आई "ये क्या हो रहा है..."
दोनों घबरा कर अलग हो गयी, मम्मी उनके पास आई और सोनी की आँखों में देखकर बोली : " तेरी आवाजें तो अभी थोड़ी देर पहले ही अन्दर से आ रही थी, और बाहर आते ही तेरी चूत में फिर से खुजली होने लगी..हूँ.."
और फिर वो अन्नू की तरफ मुड़ी और बोली : "और तुझे भी मेरे ससुर का मुसल चाहिए लगता है, अब सिर्फ तू ही बची है इस घर में जिसने उनसे नहीं चुदवाया...तू एक काम कर, खाना बनाने के बाद तू मेरे कमरे में आना , मैं इंतजाम करती हूँ तुझे दद्दू के लंड से चुदवाने का.."
अन्नू के चेहरे पर पहले तो डर के भाव थे पर मम्मी की बात सुनकर वो फूली न समायी और भाग कर किचन में गयी और खाना बनाने लगी, सोनी भी झाड़ू पोछा लगाने में लग गयी..
मैं जब बाहर आया तो खाना लग चूका था, मैंने दादाजी को आवाज लगायी और उन्हें बाहर आकर खाने को कहा, ऋतू भी आकर बैठ गयी और हम सभी ने मिलकर खाना खाया, आज अन्नू ने खाना काफी स्वादिष्ट बनाया था, दादाजी ने उसकी बड़ी तारीफ की..
खाना खाने के बाद जैसा मम्मी ने कहा था, अन्नू और सोनी उनके कमरे में गयी..उन दोनों को एक साथ मम्मी के कमरे में जाते देखकर मेरा भी माथा ठनका, मैंने ऋतू को इशारा किया और हम दोनों छुपकर उन्हें खिड़की से देखने लगे..
मम्मी अन्दर बेड के ऊपर जाकर लेट गयी.
मम्मी : "सुन अन्नू, तेरी दद्दू के लंड से चुदने की इच्छा तो मैं पूरी करवा दूंगी, इसके लिए तुम दोनों बहनों को मेरी अच्छी तरह से सेवा करनी होगी...और जो मैं कहूँगी वो करना होगा.."
उन दोनों को समझ तो आ ही गया था की मम्मी उनसे क्या चाहती है, पर फिर भी वो उनके मुंह से सुनना चाहती थी.
मम्मी ने अन्नू को इशारा करके अपने पास बुलाया और सीधा उसकी चूत वाले हिस्से पर हाथ रख दिया.. आआह्ह्ह्ह ...... ऊऊऊओ ........म्मम्म ......
अन्नू की तो चीख ही निकल गयी पर मम्मी ने जब घाघरे के ऊपर से ही उसकी चूत के अन्दर ऊँगली डालने की कोशिश की तो वोही चीख सिस्कारियों में बदलती चली गयी..
मम्मी ने जब महसूस किया की उसने अन्दर चड्डी नहीं पहनी हुई है तो वो बोली : "साली कुतिया...यहाँ तुझे चूत मरवाने की इतनी आदत बन चुकी है की अन्दर कच्छी भी नहीं पहनी...साली रंडी की औलाद...उतार अपना ये भांग भोंसडा ...नंगी होकर खड़ी हो जा मेरे सामने..."
मैं और ऋतू मम्मी का ये रूप देखकर हैरान रह गए, मम्मी तो जानती थी की इन दोनों बहनों को मैंने और पापा ने कितना चोदा है, और कई बार तो मम्मी के सामने भी, और मम्मी जो भी उनसे करवाना चाहती है, वो अगर प्यार से भी कहे तो वो दोनों मना नहीं करेंगी, पर अभी वो जिस तरह से उन दोनों पर अपना रोब चला कर और गालियां देकर बात कर रही थी, ऐसा तो मैंने उनसे कभी एक्स्पेक्ट ही नहीं किया था, पता नहीं मम्मी आज किस मूड में थी, शायद डोमिनेट करने वाले मुड में...
पर जो भी था, उनका ये रूप देखकर मुझे और ऋतू को बड़ा मजा आ रहा था...और शायद अन्दर खड़ी हुई उन दोनों बहनों को भी आ रहा होगा.. मम्मी के कहने पर अन्नू ने अपना घाघरा उतार दिया ..
मम्मी : "और ये ऊपर वाले कपडे क्या तेरा बाप आकर उतरेगा हरामजादी....खोल इसे भी और नंगी खड़ी हो जा यहाँ..."
अन्नू को शायद डर लग रहा था मम्मी के इस रूप को देखकर, उसने कांपते हाथों से अपना ब्लाउस और ब्रा भी निकाल दिए और नंगी खड़ी हो गयी...
मम्मी (सोनी की तरफ देखकर) : "और तेरे लिए क्या मोहल्ले वालों को बुलाऊ ...जो अन्दर आकर तुझे नंगा करेंगे साली कुतिया..उतार तू भी और यहाँ आकर नंगी खड़ी हो जा.."
सोनी को मम्मी के इस रूप को देखकर शायद मजा आ रहा था, उसने मुस्कुराते हुए अपने सारे कपडे उतार दिए और अब वो दोनों बहने एक साथ नंगी खड़ी थी महारानी यानी हमारी मम्मी के सामने किसी दासी की तरह..
मम्मी ने उन दोनों के शरीर को ऊपर से नीचे तक घुरा और सोनी से बोली : "जा उधर अलमारी से मेरा वो डब्बा निकाल कर ला.."
वो ले आई, मैंने वो डब्बा पहली बार देखा था, मम्मी ने उसे बेड पर रखवाया और उसे खोला...उसके अन्दर हाथ डाला और एक लम्बा सा रबड़ का लंड निकला, काले रंग का.. तब मैं और बाकी सब समझे की ये तो उनका खजाना है, जिसमे उन्होंने तरह-२ के डिल्डो रखे हुए हैं...
मम्मी : "सुन रंडी...तेरी चूत के अन्दर मैं ये नकली लंड डालकर देखूंगी...और तब बताउंगी की तू मेरे ससुर का लंड लेने में सक्षम है या नहीं..."
अन्नू ने डरते हुए सर हिलाया..उसे तो मोटे और काले रंग के डिल्डो को देखकर पसीना आ रहा था..
मम्मी : "पर उससे पहले तुम दोनों आओ और मुझे मजा दो..चलो जल्दी से..."
मम्मी की बात सुनकर वो दोनों बहने ऊपर आई और एक एक करके मम्मी के सारे कपडे उतार कर नीचे रख दिए, अब मम्मी का खुबसूरत जिस्म अपने पुरे शबाब पर कमरे में उन दोनों के नंगे शरीर से कम्पीटीशन कर रहा था, उन दोनों के काले शरीर के आगे, मम्मी का दुधिया बदन अलग ही लग रहा था...और उसमे से आती खुश्बू भी बड़ी मादक सी थी...मम्मी ने इशारा किया और अन्नू ने मम्मी की चूत के ऊपर मुंह लगा दिया...और सोनी ने उनके एक निप्पल को मुंह में भरकर चुसना शुरू कर दिया...
"अह्ह्ह्हह्ह ..... म्मम्मम्मम ...मजा आ गया.....चुसो....साली...रंडियों......चुसो अच्छी तरह से...अपनी मालकिन को आज तुम दोनों खुश कर दो....तभी तुम्हे भी लंड की ख़ुशी मिलेगी.....अह्ह्हह्ह हाण ऐसे ही.....ऊऊओ मेरी बच्ची......अह्ह्ह .....मम्म..."
उस बेड पर उन तीनो के नंगे जिस्म देखकर मेरा तो लंड फटने को हो गया...मैंने ऋतू को देखा, उसकी भी हालत बड़ी खराब थी...
ये कोई पहला मौका नहीं था जब हम दोनों छुपकर किसी के कमरे में देख रहे थे...हर बार की तरह हम दोनों आज भी गर्म हो चुके थे, मैंने इशारा किया और ऋतू ने अपनी जींस और टॉप एक ही झटके में उतार दिए और नंगी हो गयी, और मुझे भी अपने कपडे उतारने में ज्यादा समय नहीं लगा...
अब हम दोनों खिड़की पर खड़े हुए अन्दर का नजारा देख रहे थे, ऋतू मेरे आगे आकर खड़ी हो चुकी थी और उसने हाथ पीछे करके मेरे लंड को होले-२ दबाना शुरू कर दिया और मैंने हाथ आगे करके उसके रसीले आमों को अपने हाथों से तोलना शुरू कर दिया...
मम्मी तो सच में अपने को किसी महारानी से कम नहीं समझ रही थी, उन दोनों दासियों से अपनी चूत की और छाती की मालिश करवाते हुए वो बेड पर मछली की तरह तड़प रही थी...
फिर वो उठ कर बैठ गयी और सोनी को नीचे लेटने को कहा..सोनी के लेटते ही वो उसके मुंह के ऊपर , उसकी टांगो की तरफ मुंह करके, अपनी गांड के छेद के बल आ बैठी और उसे बोली : "चल छिनाल , शुरू हो जा, मेरी गांड के छेद को अपनी जीभ से चाट और उसे अन्दर तक चाट-कर साफ़ कर..."
सोनी बुरा सा मुंह बनती हुई मम्मी की बात का पालन करने लगी...और फिर उन्होंने अन्नू को बुलाया और उसे सोनी के ऊपर ही लेटने को कहा जिससे उसका मुंह उनकी चूत के ऊपर आ लगा, और उसे भी अपनी चूत को चाटने के लिए कहा..
अब नीचे लेटी हुई सोनी मम्मी की गांड को चाट रही थी और उसके ऊपर लेती हुई अन्नू मम्मी की चूत का रस पी रही थी...ऐसा आसन तो मैंने पहली बार देखा था...पर मम्मी के दोनों छेदों पर लगे उन दोनों के गीले होंठों के स्पर्श के एहसास को सोचते ही ऋतू की चूत में से तो रस की धारा सी बहने लगी...
उसने भी शायद सोच लिया था की जैसे ही उसे मौका मिलेगा, वो भी उन दोनों बहनों से अपनी चूत और गांड , इसी तरह से चुस्वाएगी...ये सोचते हुए वो अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर बुरी तरह से रगड़ने लगी थी...
|