Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 03:03 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
उसने हँसते हुए अपनी सारी बातें बताना शुरू कर दी...उनकी जिन्दगी में आये इस खुलेपन के लिए उसने मुझे और ऋतू को थेंक्स कहा..
बाते करते-२ ही उसने अपने कपडे उतरना शुरू कर दिए और जल्दी ही उसका वही नंगा बदन फिर से मेरी और ऋतू की आँखों के सामने आ गया.. जैसा की मैंने उसकी गांड पर हाथ लगाकर महसूस किया था, वही हाल उसके मुम्मो का भी था, वो भी पहले से ज्यादा भर चुके थे या फिर ये कह लो की अब उनकी सुन्दरता में चार चाँद लग चुके थे, उसके निप्पल तो पहले से ही सेंसेटिव थे, सो जैसे ही मैंने उन्हें अपनी उँगलियों में लेकर मसलना शुरू किया तो उसकी सिस्कारियां पुरे कमरे में गूंजने लगी..
"अह्ह्हह्ह ओगग्ग्ग्ग.....ओह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्म......मसलो......काटो.....चबा जाओ...इन्हें.....अह्ह्हह्ह ऊऊओ माय गोड....उम्म्मम्म..........स्सस्सस्सस ........ अह्ह्हह्ह ...
मैंने कमरे के बीचो बीच नंगी खड़ी हुई नेहा के पुरे शरीर पर अपने दांतों से टेटू बनाने शुरू कर दिए....
ऋतू भी अब नंगी हो चुकी थी और वो नेहा के पीछे से जाकर उसकी कमर से लिपट गयी, और इस तरह से हम भाई बहन ने उस बेचारी नेहा को अपने बीच में सेंडविच की तरह से पीस डाला और अपने -२ बदन को उसके साथ रगड़ना शुरू कर दिया...
ऋतू की चूत से निकलते पानी ने नेहा की गांड पर चिकनाहट की चादर सी बिछा दी...मेरे हाथ जब घूम फिर कर उसकी गांड पर वापिस गए तो वहां का चिकनापन देखकर मेरे दिल में उसकी गांड मारने का ख़याल आया....
मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी गांड को सहलाकर अपने लंड को वहां रगड़ने लगा.... उसे मालुम तो चल ही गया था की आज उसका आशु भाई उसकी गांड मारेगा, ये सोचते ही उसकी चूत से रस की धार बह निकली...
नेहा : "अह्ह्हह्ह.....ऋतू.....जल्दी से नीचे आओ.....मेरी चूत को चुसो....अह्ह्ह...."
ऋतू उसके नीचे आकर अपनी पीठ के बल लेट गयी और अपना मुंह उसने ऊपर की तरफ करके नीचे गिरते हुए नेहा की चूत के झरने के नीचे लगा दिया...
फिर उसने हाथ ऊपर करके नेहा की कमर को पकड़ा और अपना मुंह ऊपर उठाकर उसकी चूत तक ले गयी अपनी जीभ की नोक बनाकर सीधा उसकी चूत में दाखिल हो गयी...
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.......स्सस्सस्स.......ऊऊओ.....म्मम्म......"
ऋतू ने तेजी से अपनी कजिन की चूत का रस पीना शुरू कर दिया... मैंने भी मौका देखकर चोका मार दिया और अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रखकर एक तेज धक्का मारा और मेरा लंड रास्ते की सभी बाधा तोड़ता हुआ बोऊंड्री के पार चला गया...
"आआआआआअह्ह्ह ....... म्मम्म .....मार डाला.........भाई......बता तो देते.....की डाल रहा हूँ.....अह्ह्हह्ह..........."
कुछ देर तक तो वो सुन्न सी होकर मेरे लंड को महसूस करती रही और फिर चूत में ऋतू की जीभ और गांड में मेरे लंड की सनसनाहट को महसूस करते हुए उसने भी अपनी फुलझड़ियाँ छोडनी शुरू कर दी....
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.......म्मम्मम्म..... ऊऊओ...... भयीईईई.......... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह........ ऋतू......जोर से..... कुतिया.. काट मत... कमीनी.....अह्ह्ह्ह......उम्म्म्मम्म....हाँ......ऐसे ही.....आउच......धीरे बाबा......ऊऊह्ह्ह या...ओ या......ऊऊ येस्स........म्मम्मम.....आई एम् कमिंग......अह्ह्ह्हू..........ऊऊ....."
और फिर बड़ी ही अजीब आवाजें निकालते हुए उसने झड़ना शुरू कर दिया....
मेरा लंड तो उसकी गांड की सुरंग में किसी पिस्टन की तरह आ जा रहा था....नीचे से ऋतू भी उसकी चूत पर किसी जोंक की तरह से चिपकी हुई थी....और वहां से निकलता अमृत पीने में लगी हुई थी....
तभी बाहर से दादाजी के ऊपर आने की आहट आई....
दादाजी : "अरे भाई....कौनसे कमरे में हो तुम लोग....मेरा कौनसा है...दांये वाला ...या बाँए वाला...." वो बोलते हुए हमारे ही कमरे की तरफ चले आ रहे थे... उनकी आवाज सुनने के बावजूद मैंने और ऋतू ने नेहा को नहीं छोड़ा....पर दादाजी की आवाज सुनते ही उसकी तो सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गयी.... वो जल्दी से अपनी चूत को ऋतू के मुंह के चुंगल से और अपनी गांड को मेरे लंड के पंजे से छुड़ाकर अपने कपडे उठाकर बाथरूम में घुस गयी...उसने ऋतू को भी चलने को कहा ताकि दादाजी उसे और मुझे एक साथ नंगा न देख पाए...पर ना तो मैंने और ना ही ऋतू ने किसी तरह की जल्दबाजी दिखाई....और जैसे ही नेहा बाथरूम में घुसी, दादाजी कमरे में दाखिल हो गए...
अब अन्दर का नजारा बदल चूका था...
नेहा की जगह अब ऋतू ने ले ली थी और घोड़ी बनकर अब मेरा लंड उसकी गांड में था....
दादाजी (अन्दर आते हुए) : "अरे वाह...तुम दोनों तो आते ही शुरू हो गए....शाबाश..."
ऋतू ने पीछे गर्दन करके दादाजी को देखा जो अपनी धोती में से लंड को ढूंढकर मसलने में लगे हुए थे...
दादाजी : "पर...वो नेहा भी तो आई थी न तुम्हारे साथ ऊपर...वो कहाँ है..?"
मैंने ऋतू की गांड के छेद में अपने लंड से धक्के मारते हुए कहा : "वो...वो ...तो कब की चली गयी नीचे....अह्ह्ह....और फिर ...फिर मैंने ...और इसने सोचा...की अह्ह्ह....थोड़ी...थोड़ी थकान उतार ली जाए....थोड़ी ताजगी आ जायेगी...अह्ह्ह्ह....ठीक है न ...दादाजी...."
दादाजी : "हाँ बेटा....थक तो मैं भी गया हूँ...मुझे भी तो थोड़ी सुफुर्ती दे दे ऋतू बेटा....."
उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया ताकि कोई नीचे से न आ जाए...और वो ऋतू के सामने जाकर खड़े हो गए....और उन्होंने अपनी धोती को एक तरफ उतार फेंका...नीचे से उनका वही धारीवाला कच्छा निकला , उसे भी उन्होंने उतार दिया...और फिर ऊपर से कुरता भी.... ऋतू ने किसी पालतू कुतिया की तरह से अपने मालिक का लंड जीभ से चाटना शुरू कर दिया...और जल्दी ही दादाजी का कुतुबमीनार ऋतू की आँखों के सामने खड़ा होने लगा....
मैंने दादाजी के पीछे की तरफ बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखा, जिसे नेहा थोडा सा खोलकर बाहर की तरफ देख रही थी... उसने जब देखा की दादाजी नंगे होकर खड़े हैं और ऋतू उनका लंड चूसने में लगी हुई है तो उसे समझते देर नहीं लगी की हमने दादाजी को भी टीम में शामिल कर लिया है....वो चिल्लाती हुई नंगी ही बाहर की और चली आई...
नेहा : "वाह.....भाई......तो दादाजी भी अब आ ही गए अपनी पार्टी में...."
दादाजी ने जब नेहा को एकदम से अपने सामने नंगे खड़े देखा तो वो बोखला से गए....उन्होंने जल्दी से अपनी धोती उठाई और अपने लंड के आगे करके उसे छुपा लिया.... पर फिर उन्हें याद आया की वो तो सब हमारे बारे में जानते ही हैं और वैसे भी अब दादाजी को भी नेहा ने ऋतू से लंड चुसवाते हुए देख लिया है...सो कुछ भी और छुपाना बेकार है...और उन्होंने अपनी धोती फिर से नीचे गिरा दी...
नेहा ने जब सामने आकर दादाजी के लंड को देखा तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी....
नेहा : "दादाजी....ये ...ये क्या है....ओ माय गोड ......इतना लम्बा लंड........दादाजी आप तो छुपे रुस्तम निकले....."
नेहा दादाजी के लम्बे लंड की तारीफ करती जा रही थी और दादाजी थे की अपनी पोती ने नंगे जिस्म को आँखों से चूमने में लगे हुए थे....नेहा के मोटे ताजे निप्पल और उभरी हुई गांड देखकर दादाजी के बैठते हुए लंड ने फिर से उठना शुरू कर दिया.....
नेहा : "वाव....दादाजी...इतना लम्बा और मोटा तो मैंने...मैंने आज तक नहीं देखा....मुझे तो कुछ होने लगा है....अभी से...." वो किसी सम्मोहन में बंधी हुई सी दादाजी के पास गयी और अपनी पतली-२ उंगलियों से दादाजी के काले नाग को बाँधने की कोशिश करने लगी... मैंने ऋतू की गांड में लंड की स्पीड पहले जैसी बनायीं रखी...
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