RE: Hindi Sex Stories याराना
मैंने सही मौका देखकर दाँव चल दिया- हम तो कुछ नहीं यार, क्या डिस्कस कर रहे थे कि प्रिया का कितना सेक्सी फिगर है, विजय को कितना मजा आता होगा। और तृप्ति कह रही थी कि कितना मजा होता होगा जब सिक्स पैक वाला विजय प्रिया की बाहों में होता होगा और प्रिया के साथ...
तृप्ति मेरी बात काट कर चिल्लाई- शटअप यार, मैंने ऐसा कब कहा? (सुनकर हम तीनों जोर जोर हँसने लगे, तृप्ति गुस्सा हो गई।)
प्रिया- ओके यार तृप्ति, मुँह मत फुलाओ, हम दोस्त हैं और कल की बदमाशी के बाद माइंड में ऐसी स्टुपिड बातें आना नॉर्मल है।
तृप्ति- जी नहीं प्रिया, मेरे माइंड में ऐसा कुछ नहीं आया, इन राजवीर जी के बच्चे को मैं देख लूंगी।
विजय- बच्चा करने की प्लानिंग हनीमून पर।
(सब जोर से हँसने लगे।)
तृप्ति भी मजाक को समझते हुए मुस्कुराने लगी, बोली- ये कभी नहीं सुधर सकते।
(चलो, दोस्ती का माहौल बन चुका था।)
तृप्ति- आज क्या करना है? आज भी वही खेल?
प्रिया- नहीं यार, हम दोनों ने नाइटी पहनी हुई है इसलिए हम हार गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे। इसलिए आज वह खेल नहीं। आज नॉर्मल बातें ही करने आए थे। जरा सा मस्ती और मजाक करने... अब चलते हैं।
मैं- नॉर्मल बातें तो कभी भी होती रहेंगी। हमें इस हनीमून को तो नॉर्मल नहीं बनाना था ना?
विजय- हाँ यार, ठीक है जैसी आप दोनों की इच्छा। आज कल वाला गेम नहीं खेलेंगे, आज कुछ और करते हैं।
तृप्ति- जो भी करना है करो। बस हम कपड़े नहीं उतारेंगी।
विजय- ठीक है, कल वाले गेम को ही आगे बढ़ाते हैं। लेकिन यार कुछ तो डर्टी बनना पड़ेगा। हम सब एडल्ट हैं, वरना क्या मजा आएगा?
मैं- हाँ सही है यार। बताओ प्रिया और तृप्ति, फिर यह मौका कब मिलेगा? कितनी मुश्किल से तो हमारा बाहर आना संभव हुआ है। अगली बार फिर से आना शायद अगले जन्म में ही संभव हो। हमारा काम ही ऐसा है बिजनेस का।
तृप्ति- हाँ यार, यह बात तो है।
विजय- और यार अपनी वाइफ के साथ तो हम अपने घर भी सोएंगे। यहाँ तो कुछ यादगार पल होने चाहिए।
प्रिया- आप सही कह रहे हैं। कल तृप्ति को और हमें भी काफी एक्साइटमेंट हुई थी, यह बात झूठ नहीं है। अपने पतियों को प्यार करने का कल का मजा ही कुछ अलग था। ओके, चलो आज फिर कल जैसा कोई जादू कर दो... कि मुझे आपको और तृप्ति को राजवीर से प्यार करने का मजा आ जाए। (तृप्ति ने आखिरकार हामी भर दी।) हम खुश थे कि दोनों इस गंदे खेल में शामिल तो हो रहीं हैं, भले ही अभी उनके मन में पराए पार्टनर के लिए कुछ गलत नहीं हो।
मैं- आज का गेम है- सच का सामना!
प्रिया- हा हा हा, यह क्या गेम है?
मैं- कोई कार्ड्स नहीं, कोई खेल का जरिया नहीं, बस सवालों के सच सच जवाब देने होंगे।
तृप्ति- कैसे सवाल? और सवालों में कैसा एक्साइटमेंट?
विजय- सवाल ऐसे कि जिनके जवाब अगर ईमानदारी से दो तो एक्साइटमेंट हो जाए।
प्रिया- कैसे?
मैं- वह तो खेल शुरू करेंगे तो पता चल जाएगा, एक एक बार सब का नंबर आएगा, और सब को बस सच बोलना है।
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