RE: Hindi Sex Stories याराना
तृप्ति- मैं तैयार हूँ, लेकिन वायदा कीजिए कि उत्तेजना पैदा करने के बाद आप दोनों किसी प्रकार की ओर कोई कोशिश नहीं करेंगे।
विजय और मैं फौरन बोले कि हम तैयार हैं।
प्रिया- और फोरप्ले का कार्य हम एक-दूसरे के सामने नहीं कर सकते। अलग-अलग कमरों में जाएंगे। उत्तेजना होने पर सब अपने अपने साथी के पास आ जाएंगे।
विजय और मैं तुरंत मान गए।
तृप्ति और प्रिया- लेकिन हम अपने ब्रा और पैंटी नहीं उतारेंगे केवल kisses होगा।
विजय और हम फिर बोले कि हम तैयार हैं।
सबकी रजामंदी हो गई, थोड़ी औपचारिकता के बाद विजय तृप्ति को लेकर चला गया और मैं और प्रिया हमारे कमरे में ही रह गए। जाने से पहले हमने आधे घंटे का समय वापस लौटने के लिए निश्चित किया अपनी बीवियों के सामने। लेकिन विजय और मेरा पहले ही इशारा हो गया था कि अब वापस अपने कमरे में लौट कर नहीं आना है और आगे की बात को अलग-अलग अपने ही तरीके से सुलझाना है। विजय और तृप्ति के जाते ही मैंने अपने कमरे को अंदर से लॉक कर लिया।
प्रिया मुझे हल्की मुस्कान के साथ देख रही थी। वह शरारती अंदाज में बोली- इस आधे घंटे को यादगार बना दो, खुद जियो और मुझे जी भर के जीने दो।
आधा घंटा फोरप्ले का नाटक करना था।
मैं 'समय कम है' कहते हुए प्रिया पर लपका। कल से ही मैं उसके काली ब्रा-पैंटी में कसे शानदार उभारों को देखकर नशे में था। मैंने लगभग हड़बड़ाते हुए ही उसकी नाइटी उतार दी। जैसे कोई परी अपने पंख उतारकर मेरे बिस्तर पर केवल ब्रा और पेंटी में उतर आई। मैंने उसके उभारों को दबाते हुए उसे धकेलकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके चेहरे पर चुंबनों की बरसात कर दी। वह भी फोरप्ले का फायदा उठाना चाहती थी इसलिए बिना शर्माए मेरे होठों को जोरदार तरीके से चूसने लगी। मैंने अपना एक हाथ उसकी पीठ पर ब्रा के फीते पर बढ़ा दिया तो प्रिया ने मेरी हुक खोलने की कोशिश का विरोध किया। मैंने प्रिया को बाँहों में बंद करते हुए कहा- प्लीज, इस इस कीमती मौके को मेरे हाथ से बिल्कुल मत जाने दो। मैं अपनी मर्यादा में रहूंगा। फोरप्ले का मतलब तो फोरप्ले ही होता है। कृपया मुझे अपना फोरप्ले पूरा करने दो। प्रिया ने मेरे हाथ छोड़ दिए और मैंने अभ्यस्त हाथों से हुक खोल दिया। जी करता था इस अनमोल क्षण का रुक रुककर मजा लूँ, धीरे-धीरे हुक खोलूँ, कंधों से फीता सरकाऊँ, धीरे-धीरे कपों को खींचते हुए स्तनों को नंगा करूँ लेकिन मन बहुत ही अधीर था। मैंने जल्दी से ब्रा खींचकर प्रिया के स्तनों को आजाद कर दिया। देखकर मेरे शरीर के अंदर एक सिहरन दौड़ने लगी, मैंने उन्हें हाथों में भर लिया और सहलाने लगा, भरे भरे और मुलायम स्तन... दिल कर रहा था उन्हें खूब जोर जोर से दबाकर रस निकाल दूँ लेकिन प्रिया का ख्याल करके नियंत्रण में रहा। प्रिया की सिसकारियाँ निकल रही थीं, 'उम्म्ह... अहह... हय... याह...' मैं उसे चूम रहा था, उसके स्तनों की मालिश कर रहा था और इस दौरान अपने कपड़े भी उतार रहा था। वह मस्ती में खोई थी। मैं स्तनों को कभी दबाता था कभी चूचुकों को चुटकी में लेकर निचोड़ता था, कभी नीचे झुककर उन्हें चूसने लगता था। सुख में डूबी प्रिया को इस बात का एहसास नहीं हुआ कि कब मैं अपने वस्त्र उतारकर केवल चड्डी में आ गया हूँ। मैं धीरे-धीरे प्रिया को पलटाता हुआ उसके ऊपर आया। उसके स्तनों और होठों को छेड़ना जारी रखते हुए मैंने अपने चड्ढी ढके लिंग को उसकी पेड़ू पर दबा दिया और हल्के-हल्के घर्षण करने लगा। यह अत्यधिक उत्तेजना वाली स्थिति थी, इसका लाभ उठाते हुए मैंने प्रिया को बिना कुछ कहे उसके कूल्हों से चड्डी खींचनी शुरू कर दी। वह मदहोशी में समझ नहीं पाई। चड्डी जब घुटनों पर जाकर अटकी और नीचे खिसकने में बाधा उत्पन्न करने लगी तब प्रिया को पता चला कि वह नीचे से नंगी हो गई है। मैं कुछ देख पाता उससे पहले प्रिया ने बेड के पास वाले बटन से लाइट बंद कर दी।
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