RE: Hindi Sex Stories याराना
उसने मुझे डाँटते हुए कहा कि ऊपर के कपड़े खोलने तक सही था लेकिन नीचे तक के कपड़ों को खोलने की बात नहीं हुई थी। तुम मेरी उत्तेजना का फायदा मत उठाओ।
मैंने कहा- तुमने तो कहा था हम अपनी ब्रा पैंटी नहीं उतारेंगी, लेकिन हम तो तुम्हारी ब्रा-पैंटी उतार चुके हैं, चिंता मत करो। मैं संभोग नहीं करुंगा इसकी बात हुई थी। प्लीज मुझ पर विश्वास रखो और फोरप्ले का पूरा आनंद लो, विजय को कुछ भी मत बताना। ऐसा जाहिर करना कि हमने अपना फोरप्ले पूरी ईमानदारी के साथ किया है। प्रिया ने विरोध करना छोड़ दिया, मैंने उसकी एड़ियों से चड्डी बाहर निकाल दी। उसके होठों को चूमा और कान के पास जाकर बहुत धीरे से बोला- थैंक्यू।
जवाब में मेरी पीठ पर उसकी एक चपत ने मुझमें जोश भर दिया। मैं उसे चूमते हुए नीचे उतरने लगा, ठुड्डी, कंठ, गला, स्तनों का उभार, नशीले चूचुक, चिकनी कोमल पेट, पेड़ू का उभार जहाँ कोई बाल नहीं थे। नीचे भग-होठों की शुरुआत, जिन्हें अंधेरे में मैंने पहले अपने होठों से टटोला और फिर उन पर मुँह दबाकर चुम्बन लिए। पहले बाईं पर, फिर दाईं पर, फिर उनके बीच की खाली जगह में। हालाँकि ऐसा मैं उसको पूरी तरह से उत्तेजित करने के लिए कर रहा था लेकिन प्रिया की चूत का स्वाद भी अच्छा था, उससे चिकनाई रिस रही थी, मैं संकोच छोड़कर उसे पूरे दिल से चाटने लगा।
प्रिया आह आह ओह ओह करती सिसकारियाँ भर रही थी। मैंने उसकी क्लिटोरिस को चूसते हुए उसकी योनि में उंगली घुसा दी। अंदर इतनी गीली थी कि मैंने आसानी से दूसरी उंगली भी उसमें डाल दी। दोनों उंगलियों से योनि की दीवारों को सहलाते हुए मैं उंगलियाँ अंदर बाहर करने लगा। वह बहुत ही उत्तेजित हो गई, कमर उचकाने लगी और आह-आह करने लगी। अब वह समय आ गया था कि मैं अपना अगला निशाना लगाऊं। मैं वापस से प्रिया के ऊपर आ गया।
प्रिया ने कहा कि मुझे भी तो अपना फोरप्ले पूरा करने दो? (शायद वह मेरे लिंग को चूसना चाहती थी),
पर मैंने कहा एक बार और मुझे तुम्हें किस करने दो, मेरा मन नहीं भर रहा है, उसके बाद जो चाहे करना। अभी हमारे पास 15 मिनट और हैं। मेरा लिंग पूरी तरह से तन चुका था, हम दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे पड़े हुए थे। एक-दूसरे का स्पर्श हमें बेहद उत्तेजित कर रहा था। मैंने अपने लिंग को प्रिया की योनि की लम्बाई पर लगाया। जैसे ही योनि पर लिंग का स्पर्श हुआ प्रिया की हल्की सी सिसकारी निकल गई। मैं बाहर बाहर ही लिंग को प्रिया की योनि पर घिसने लगा। साथ ही मैं उसके स्तनों को भी चूस रहा था। उसकी योनि बड़ी तेजी से पानी छोड़ रही थी, उस पानी की चिकनाहट मुझे अपने लिंगमुंड पर महसूस हो रही थी। lस्तनों को चुसवाते-चुसवाते और लिंग को अपनी चूत पर रगड़वाते रगड़वाते प्रिया की उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि वह अनायास ही अपनी चूत को मेरे लिंग की तरफ धकेलने लगी।
उसकी इस हरकत से मैं जीत की खुशी से भर उठा, अभी कुछ देर पहले ना-ना कर रही इस परी को आखिरकार मैं उसे इस स्थिति में ले ही आया था कि वह खुद ही चुदने के लिए जोर लगा रही थी। लेकिन मैं उसे इतनी जल्दी संतुष्टि नहीं देना चाहता था, अभी उसे और उत्तेजित करना था। जैसे ही वह योनि को ऊपर ठेलती, मैं अपने लिंग को पीछे कर लेता। मुझे हँसी भी आ रही थी। औरत की शर्म उसे कुछ बोलने नहीं दे रही थी जबकि औरत की बेसम्हाल उत्तेजना उसे लिंग-प्राप्ति हेतु जोर-जोर कमर हिलवा रही थी।
मैंने पूछा- तुम्हारा आधा घंटा खत्म होने वाला है, शायद तुम मेरे लिंग को चूसना चाहोगी?
वह कुछ नहीं बोली। उसकी जैसी दशा थी, बोल भी क्या पाती! बस अपनी चूत को मेरे लिंग पर धकेलती हुई अपनी इच्छा का इज़हार करती रही। वह ठीक घड़ी आ गई थी। अपने को उसके स्त्री शरीर में समा देने का, जिसके सपने मैं कब से देख रहा था। मैंने मौके की नजाकत को समझा। इससे पहले कि इसका ज़मीर जागे, मुझे अपने लिंग को अंदर डाल देना होगा।
अबकी बार उसकी चूत का धक्का आया तो मैं पीछे नहीं हुआ, अपने को स्थिर रहने दिया।
उसकी अति चिकनी चूत-गली में मेरा लिंगमुंड अपने-आप जरा सा दाखिल हो गया। किंतु उस अति उत्तेजना की अवस्था में भी प्रिया को बाहर की चिंता थी, बोली- विजय और तृप्ति आते ही होंगे।
मैंने कहा- चिंता मत करो शायद वे भी हमारी तरह उत्तेजना में बह गए होंगे। और अगर आएंगे भी, तो लॉक लगा हुआ है हम अपने कपड़े पहन लेंगे।
प्रिया ने कहा- यह गलत है।
किंतु मैंने धक्के देना शुरू कर दिया, मैंने कहा- मुझे नहीं लगता कि अब विजय और तृप्ति भी आएंगे। तुमने हमें इतना उत्तेजित कर दिया है कि अब यह उत्तेजना उसी पर खत्म होगी जिसके लिए शुरू हुई है। अब इस मजे को खराब न करो। मैं उसको आलिंगन में पकड़े रहा और नीचे कमर जोर-जोर चलाकर लिंग को उसकी योनि में कूटना शुरु कर दिया। दोनों बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गए थे इसलिए थोड़ी देर में दोनों स्खलित हो गए। साँसों पर नियंत्रण पाकर मैंने घड़ी देखी। आधे से ज्यादा घंटा बीत गया था। दोनों के मन में यह संतुष्टि हो गई थी कि अब हमारे पार्टनर इस कमरे में नहीं आएंगे, अब हम यहीं पर रहकर पूरी रात मजा ले सकते हैं।
थोड़ी देर बाद मैंने प्रिया की कामना पूरी की, वह मेरे लिंग को चूसना चाहती थी, मैं पीठ के बल लेट गया, वह मेरे ऊपर अपने रेशमी बदन को सरकाती हुई आई और तब मुझे पता चला कि योनि के होठों में ही नहीं उसके मुँह के होंठों में भी कितना मजा है। मैंने खुशी से आँखें मूंद लीं, वो ऐसे लिंग चूस रही थी जैसे कोई अंग्रेजी ब्लू फिल्म की हीरोइन हो। न अभी की चुदाई से लगे वीर्य की परवाह न अंदर मुँह में स्खलित हो जाने का डर। मैं बेहद निश्चिंतता से चरम सुख आने पर उसके मुँह में स्खलित हो गया, निकलते वीर्य को वह सुड़कती चली गई।
यह बेहद मजेदार था। शायद जिंदगी में पहला ऐसा आनंददायी ब्लो-जॉब।
मैंने भी अपना शौक पूरा किया। उसकी बेहद शानदार शेप वाली चूतड़ों के बीच छिपी छेद को चूमकर। वहा वहाँ पर भी बड़ी सेंसिटिव थी। एकदम मस्त हो गई। (मैंने उसमें भी आजमाया।) तृप्ति ने कभी मुझे अपनी गुदा में प्रवेश नहीं दिया था, प्रिया उसके उलट थी, मैंने दूसरी बार उसकी चूत में अपना लिंग घुसा कर गीला किया और फिर उसकी गुदा में डाल दिया, आराम से चला गया। विजय ने उसे इसकी आदत डलवा दी थी इसलिए प्रिया को ज्यादा तकलीफ नहीं हुई। मैं कह सकता हूँ प्रिया ने मुझे अपनी चूत, मुँह और गुदा के तीनों छेदों का पूरा मजा दिया। इतने शानदार फिगर वाली लड़की को चोद कर मैं बहुत खुश था।
प्रिया भी काफी खुश लग रही थी। हम दोनों ने चार और बार चुदाई की और मैं खुद पर हैरान होता हुआ चारों बार स्खलित हुआ। हम बेहद थक गए थे। मेरी आँखें बन्द रही थीं, प्रिया की भी ज्यादा थकान से आंख लग गई थी
लेकिन ख्याल आ रहा था विजय और तृप्ति का... क्या कर रहे होंगे वे दोनों? विजय उसके साथ अपनी चुदाई का एम एम एस बनाना चाहता था। लेकिन विजय ने बाद में मना कर दिया था। अजब विश्वास वाली दोस्ती थी। अब दोनों जोड़ों का उद्देश्य केवल मजे लेना था। अतः उन्हें अपने हाल पर छोड़ते हुए मैं भी सो गया।
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